सूक्ति संग्रह 14:15-24 HCV

सूक्ति संग्रह 14:15-24

मूर्ख जो कुछ सुनता है उस पर विश्वास करता जाता है,

किंतु विवेकी व्यक्ति सोच-विचार कर पैर उठाता है.

बुद्धिमान व्यक्ति वह है, जो याहवेह का भय मानता, और बुरी जीवनशैली से दूर ही दूर रहता है;

किंतु निर्बुद्धि अहंकारी और असावधान होता है.

वह, जो शीघ्र क्रोधी हो जाता है, मूर्ख है,

तथा वह जो बुराई की युक्ति करता है, घृणा का पात्र होता है.

निर्बुद्धियों को प्रतिफल में मूर्खता ही प्राप्‍त होती है,

किंतु बुद्धिमान मुकुट से सुशोभित किए जाते हैं.

अंततः बुराई को भलाई के समक्ष झुकना ही पड़ता है,

तथा दुष्टों को भले लोगों के द्वार के समक्ष.

पड़ोसियों के लिए भी निर्धन घृणा का पात्र हो जाता है,

किंतु अनेक हैं, जो धनाढ्य के मित्र हो जाते हैं.

वह, जो अपने पड़ोसी से घृणा करता है, पाप करता है,

किंतु वह धन्य होता है, जो निर्धनों के प्रति उदार एवं कृपालु होता है.

क्या वे मार्ग से भटक नहीं गये, जिनकी अभिलाषा ही दुष्कर्म की होती है?

वे, जो भलाई का यत्न करते रहते हैं. उन्हें सच्चाई तथा निर्जर प्रेम प्राप्‍त होता है.

श्रम किसी भी प्रकार का हो, लाभांश अवश्य प्राप्‍त होता है,

किंतु मात्र बातें करते रहने का परिणाम होता है गरीबी.

बुद्धिमान समृद्धि से सुशोभित होते हैं,

किंतु मूर्खों की मूर्खता और अधिक गरीबी उत्पन्‍न करती है.

Read More of सूक्ति संग्रह 14