सूक्ति संग्रह 12:8-17 HCV

सूक्ति संग्रह 12:8-17

बुद्धिमान की बुद्धि उसे प्रशंसा प्रदान करती है,

किंतु कुटिल मनोवृत्ति के व्यक्ति को घृणित समझा जाता है.

सामान्य व्यक्ति होकर भी सेवक रखने की क्षमता जिसे है,

वह उस व्यक्ति से श्रेष्ठतर है, जो बड़प्‍पन तो दिखाता है, किंतु खाने की रोटी का भी अभाव में है.

धर्मी अपने पालतू पशु के जीवन का भी ध्यान रखता है,

किंतु दुर्जन द्वारा प्रदर्शित दया भी निर्दयता ही होती है.

जो किसान अपनी भूमि की जुताई-गुड़ाई करता रहता है, उसे भोजन का अभाव नहीं होता,

किंतु जो व्यर्थ कार्यों में समय नष्ट करता है, निर्बुद्धि प्रमाणित होता है.

दुष्ट बुराइयों द्वारा लूटी गई संपत्ति की लालसा करता है,

किंतु धर्मी की जड़ फलवंत होती है.

बुरा व्यक्ति अपने ही मुख की बातों से फंस जाता है,

किंतु धर्मी संकट से बच निकलता है.

समझदार शब्द कई लाभ लाते हैं,

और कड़ी मेहनत प्रतिफल लाती है.

मूर्ख की दृष्टि में उसकी अपनी कार्यशैली योग्य लगती है,

किंतु ज्ञानवान परामर्श की विवेचना करता है.

मूर्ख अपना क्रोध शीघ्र ही प्रकट करता है,

किंतु व्यवहार कुशल व्यक्ति अपमान को अनदेखा करता है.

सत्यवादी की साक्ष्य सत्य ही होती है,

किंतु झूठा छलयुक्त साक्ष्य देता है.

Read More of सूक्ति संग्रह 12