सूक्ति संग्रह 12:28, सूक्ति संग्रह 13:1-9 HCV

सूक्ति संग्रह 12:28

धर्म का मार्ग ही जीवन है;

और उसके मार्ग पर अमरत्व है.

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सूक्ति संग्रह 13:1-9

समझदार संतान अपने पिता की शिक्षा का पालन करती है,

किंतु ठट्ठा करनेवाले के लिए फटकार भी प्रभावहीन होती है.

मनुष्य अपनी बातों का ही प्रतिफल प्राप्‍त करता है,

किंतु हिंसा ही विश्वासघाती का लक्ष्य होता है.

जो कोई अपने मुख पर नियंत्रण रखता है, वह अपने जीवन को सुरक्षित रखता है,

किंतु वह, जो बिना विचारे बक-बक करता रहता है, अपना ही विनाश आमंत्रित कर लेता है.

आलसी मात्र लालसा ही करता रह जाता है.

किंतु उसे प्राप्‍त कुछ भी नहीं होता, जबकि परिश्रमी की इच्छा पूर्ण हो जाती है.

धर्मी के लिए झूठ घृणित है,

किंतु दुष्ट दुर्गंध

तथा घृणा ही समेटता है.

जिसका चालचलन निर्दोष होता है, धार्मिकता उसकी सुरक्षा बन जाती है,

किंतु पाप दुर्जन के समूल विनाश का कारण होता है.

कोई तो धनाढ्य होने का प्रदर्शन करता है, किंतु वस्तुतः वह निर्धन होता है;

अन्य ऐसा है, जो प्रदर्शित करता है कि वह निर्धन है, किंतु वस्तुतः वह है अत्यंत सम्पन्‍न!

धन किसी व्यक्ति के लिए छुटकारा हो सकता है,

किंतु निर्धन पर यह स्थिति नहीं आती.

धर्मी आनन्दायी प्रखर ज्योति समान हैं,

जबकि दुष्ट बुझे हुए दीपक समान.

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