सूक्ति संग्रह 12:18-27 HCV

सूक्ति संग्रह 12:18-27

असावधानी में कहा गया शब्द तलवार समान बेध जाता है,

किंतु बुद्धिमान के शब्द चंगाई करने में सिद्ध होते हैं.

सच्चाई के वचन चिरस्थायी सिद्ध होते हैं,

किंतु झूठ बोलने वाली जीभ पल भर की होती है!

बुराई की युक्ति करनेवाले के हृदय में छल होता है,

किंतु जो मेल स्थापना का प्रयास करते हैं, हर्षित बने रहते हैं.

धर्मी पर हानि का प्रभाव ही नहीं होता,

किंतु दुर्जन सदैव संकट का सामना करते रहते हैं.

झूठ बोलनेवाले ओंठ याहवेह के समक्ष घृणास्पद हैं,

किंतु उनकी प्रसन्‍नता खराई में बनी रहती है.

चतुर व्यक्ति ज्ञान को प्रगट नहीं करता,

किंतु मूर्ख के हृदय मूर्खता का प्रसार करता है.

सावधान और परिश्रमी व्यक्ति शासक के पद तक उन्‍नत होता है,

किंतु आलसी व्यक्ति को गुलाम बनना पड़ता है.

चिंता का बोझ किसी भी व्यक्ति को दबा छोड़ता है,

किंतु सांत्वना का मात्र एक शब्द उसमें आनंद को भर देता है.

धर्मी अपने पड़ोसी के लिए मार्गदर्शक हो जाता है,

किंतु बुरे व्यक्ति का चालचलन उसे भटका देता है.

आलसी के पास पकाने के लिए अन्‍न ही नहीं रह जाता,

किंतु परिश्रमी व्यक्ति के पास भरपूर संपत्ति जमा हो जाती है.

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