सूक्ति संग्रह 11:9-18 HCV

सूक्ति संग्रह 11:9-18

अभक्त लोग मात्र अपने शब्दों के द्वारा अपने पड़ोसी का नाश कर देता है,

किंतु धर्मी का छुटकारा ज्ञान में होता है.

धर्मी की सफलता में संपूर्ण नगर आनंदित होता है,

और जब दुर्जन नष्ट होते हैं, जयघोष गूंज उठते हैं.

ईमानदार के आशीर्वाद से नगर की प्रतिष्ठा बढ़ जाती है,

किंतु दुर्जन का वक्तव्य ही उसे ध्वस्त कर देता है.

निर्बुद्धि व्यक्ति ही अपने पड़ोसी को तुच्छ समझता है,

किंतु समझदार व्यक्ति चुपचाप बना रहता है.

निंदक के लिए गोपनीयता बनाए रखना संभव नहीं होता,

किंतु विश्वासपात्र रहस्य छुपाए रखता है.

मार्गदर्शन के अभाव में राष्ट्र का पतन हो जाता है,

किंतु अनेक सलाह देनेवाले मंत्रियों के होने पर राष्ट्र सुरक्षित हो जाता है.

यह सुनिश्चित ही है कि यदि किसी ने किसी अपरिचित की ज़मानत ले ली है, उसकी हानि अवश्य होगी,

किंतु वह, जो ऐसी शपथ करने की भूल नहीं करता, सुरक्षित रहता है.

कृपावान स्त्री का ज्ञान है सम्मान,

किंतु क्रूर व्यक्ति के हाथ मात्र धन ही लगता है.

कृपा करने के द्वारा मनुष्य अपना ही हित करता है,

किंतु क्रूर व्यक्ति स्वयं का नुकसान कर लेता है.

दुर्जन का वेतन वस्तुतः छल ही होता है,

किंतु जो धर्म का बीज रोपण करता है, उसे निश्चयतः सार्थक प्रतिफल प्राप्‍त होता है.

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