सूक्ति संग्रह 11:19-28 HCV

सूक्ति संग्रह 11:19-28

वह, जो धर्म में दृढ़ रहता है, जीवित रहता है,

किंतु जो बुराई का चालचलन करता है, वह जीवित न रहेगा.

याहवेह की दृष्टि में कुटिल हृदय घृणास्पद है,

किंतु उनके निमित्त निर्दोष व्यक्ति प्रसन्‍न है.

यह सुनिश्चित है कि दुष्ट दंडित अवश्य किया जाएगा,

किंतु धर्मी की सन्तति सुरक्षित रहेगी.

विवेकहीन सुंदर स्त्री वैसी ही होती है

जैसी सूअर के थूथन में सोने की नथ.

धर्मी की आकांक्षा का परिणाम उत्तम ही होता है,

किंतु दुष्ट की आशा कोप ले आती है.

कोई तो उदारतापूर्वक दान करते है, फिर भी अधिकाधिक धनाढ्य होता जाता है;

किंतु अन्य है जो उसे दबाकर रखता है, और फिर भी वह तंगी में ही रहता है.

जो कोई उदारता से देता है, वह सम्पन्‍न होता जाएगा;

और वह, जो अन्यों को सांत्वना देता है, वह सांत्वना पायेगा!

उसे, जो अनाज को दबाए रखता है, लोग शाप देते हैं,

किंतु उसे, जो अनाज जनता को बेचता जाता है, लोग आशीर्वाद देते हैं.

जो कोई भलाई की खोज करता है, वह प्रसन्‍नता प्राप्‍त करता है,

किंतु वह, जो बुराई को ढूंढता है, वह उसी को मिल जाती है.

धर्मी नई पत्तियों के समान पल्लवित होंगे,

किंतु उसका पतन निश्चित है, जिसने अपनी धन-संपत्ति पर आशा रखी है.

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