सूक्ति संग्रह 10:11-20 HCV

सूक्ति संग्रह 10:11-20

धर्मी के मुख से निकले वचन जीवन का सोता हैं,

किंतु दुष्ट अपने मुख में हिंसा छिपाए रहता है.

घृणा कलह की जननी है,

किंतु प्रेम सभी अपराधों पर आवरण डाल देता है.

समझदार व्यक्ति के होंठों पर ज्ञान का वास होता है,

किंतु अज्ञानी के लिए दंड ही निर्धारित है.

बुद्धिमान ज्ञान का संचयन करते हैं,

किंतु मूर्ख की बातें विनाश आमंत्रित करती है.

धनी व्यक्ति के लिए उसका धन एक गढ़ के समान होता है,

किंतु निर्धन की गरीबी उसे ले डूबती है.

धर्मी का ज्ञान उसे जीवन प्रदान करता है,

किंतु दुष्ट की उपलब्धि होता है पाप.

जो कोई सावधानीपूर्वक शिक्षा का चालचलन करता है,

वह जीवन मार्ग पर चल रहा होता है, किंतु जो ताड़ना की अवमानना करता है, अन्यों को भटका देता है.

वह, जो घृणा को छिपाए रहता है,

झूठा होता है और वह व्यक्ति मूर्ख प्रमाणित होता है, जो निंदा करता फिरता है.

जहां अधिक बातें होती हैं, वहां अपराध दूर नहीं रहता,

किंतु जो अपने मुख पर नियंत्रण रखता है, वह बुद्धिमान है.

धर्मी की वाणी उत्कृष्ट चांदी तुल्य है;

दुष्ट के विचारों का कोई मूल्य नहीं होता.

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