नेहेमियाह 5:1-19, नेहेमियाह 6:1-19, नेहेमियाह 7:1-3 HCV

नेहेमियाह 5:1-19

नेहेमियाह द्वारा निर्धनों का बचाव

इसी समय लोगों और उनकी पत्नियों ने उनके यहूदी साथियों के साथ झगड़ना शुरू कर दिया. इसका कारण था वे लोग, जो यह कह रहे थे “हम, हमारे पुत्र और हमारी पुत्रियां गिनती में बहुत हैं; इसलिये हमें अनाज दिया जाए कि हम उसे खाकर ज़िंदा रह सकें.”

कुछ और भी थे, जो कह रहे थे “हमने अपने खेत, हमारे अंगूर के बगीचे और अपने घर गिरवी रखे हुए हैं कि इस अकाल की स्थिति में हमें अनाज तो मिल सके.”

इनके अलावा भी कुछ और थे, जो यह कह रहे थे “हमने अपने खेतों और अंगूर के बगीचों पर राजा द्वारा ठहराया गया कर भरने के लिए कर्ज़ लिया हुआ है. हम भी अपने भाई-बंधुओं के समान हड्डी-मांस के ही हैं, हमारी संतान उनकी संतान के समान ही है; फिर भी देख लीजिए हमें अपने पुत्र-पुत्रियों को दास होने के लिए सौंपने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. हमारी कुछ पुत्रियां तो पहले ही ज़बरदस्ती बंधक बना ली गई हैं. अब हम निस्सहाय रह गए हैं, क्योंकि हमारे खेत और अंगूर के बगीचे अब दूसरों के अधिकार में चले गए हैं.”

उनकी शिकायतें और बातें सुन मैं बहुत ही क्रोधित हो गया. मैंने अपने मन में सोचा, फिर ऊंचे पदाधिकारियों और शासकों से भी सलाह ली और फिर मैंने उनसे कहा, “आप में से हर एक अपने ही भाई-बन्धु से ज़बरदस्ती ब्याज वसूली कर रहा है!” इसलिये मैंने उनके विरुद्ध एक बड़ी सभा की. उनसे मैंने कहा, “हमने अपनी शक्ति भर उन यहूदी भाई-बंधुओं को दाम देकर उन देशों से छुड़ाया है, जहां उन्हें बेच दिया गया था. अब क्या आप लोग इन्हें दोबारा उन्हीं को बेचते जाएंगे, कि हमें उन्हें एक बार फिर उनसे खरीदना पड़े?” वे चुप रहे और अपने बचाव में कहने के लिए उनके पास कुछ भी न था.

मैंने उन्हें दोबारा चेतावनी दी, “आप जो कुछ कर रहे हैं, वह गलत है. हमारे शत्रु देश हमारी निंदा करें, इस बात का ध्यान रखते हुए क्या यह सही नहीं कि आप अपने परमेश्वर का भय मानकर चलें? खुद मैंने, मेरे भाइयों ने और मेरे सेवकों ने उन्हें उधार के रूप में सिक्‍के और अनाज देना शुरू कर दिया है. कृपा कर हम उनसे यह ज़बरदस्ती भुगतान कराना बंद कर दें. कृपा कर आज ही उन्हें उनके खेत, अंगूर के बगीचे, उनके जैतून के बगीचे और उनके घर उन्हें लौटा दें. इसके अलावा उनका धन, अनाज, नई दाखमधु और तेल का सौवां भाग भी, जो आप उनसे ज़बरदस्ती ले रहे है.”

उन्होंने इसके उत्तर में कहा, “हम उन्हें यह सब लौटा देंगे, उनसे कुछ भी ज़बरदस्ती नहीं लेंगे. वही करेंगे, जो आप के द्वारा सुझाया गया है.”

तब मैंने पुरोहितों को बुलवा लिया और उनसे यह शपथ ले ली कि वे इस प्रतिज्ञा के अनुसार ही करेंगे. तब मैंने अपने बाहरी कपड़े के सामने का छोर झटकते हुए कहा, “परमेश्वर ऐसे हर एक मनुष्य को उसके घर से और उसकी संपत्ति से ठीक उसी प्रकार झटक दे, जो इस शपथ को पूरी न करेगा, यहां तक कि उसे इस तरह हिला दिया जाए कि वह पूरी तरह खाली ही हो जाए.”

यह सुन सारी सभा कह उठी, “आमेन!” और उनके मुंह से याहवेह की स्तुति निकली. लोगों ने अपनी शपथ के अनुसार ही किया.

राजा अर्तहषस्ता के राज्य-काल के बीसवें साल से बत्तीसवें साल तक; बारह साल, जिस दिन से मुझे यहूदिया का राज्यपाल बनाया गया था, न तो मैंने और न मेरे रिश्तेदारों ने राज्यपाल के लिए तय किया गया भोजन खाया. मुझसे पहले के राज्यपालों ने तो प्रजा पर भारी बोझ लाद दिया था. वे उनसे उनका भोजन और अंगूरों का रस छीन लिया करते थे, साथ ही चांदी के चालीस शकेल भी; यहां तक कि उनके साथी सेवक तक प्रजा का शोषण किया करते थे. परमेश्वर का भय मानने के कारण मैं ऐसा न कर सका. मैंने खुद को शहरपनाह बनाने के काम में लगा दिया. हमने कोई भी ज़मीन नहीं खरीदी. मेरे सभी सेवक इस काम के लिए वहां इकट्‍ठे हो जाते थे.

मेरे भोजन की मेज़ पर हमारे पास के देशों से आए लोगों के अलावा एक सौ पचास यहूदी और अधिकारी हुआ करते थे. मेरे हर रोज़ के भोजन के लिए एक बैल, छः सबसे अच्छी भेड़ें और कुछ पक्षी तैयार किए जाते थे. दस दिन में एक बार तरह-तरह की दाखमधु बड़ी मात्रा में परोसी जाती थी. इतना सब होने पर भी मैंने राज्यपाल के लिए ठहराया गया भोजन नहीं मंगवाया; क्योंकि वैसे भी प्रजा बोझ के नीचे दबी जा रही थी.

मेरे परमेश्वर, मेरे द्वारा इस प्रजा के हित में किए गए सभी कामों के लिए मुझे याद रखियेगा.

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नेहेमियाह 6:1-19

शत्रुओं की चाल

जब हमारे शत्रुओं सनबल्लत, तोबियाह, अरबी गेशेम और बाकी शत्रुओं को इसका समाचार मिला कि मैंने शहरपनाह को दोबारा बना लिया है, कि शहरपनाह में अब कहीं भी कोई दरार नहीं रह गई है, यद्यपि इस समय तक फाटकों में पल्ले बैठाए नहीं गए थे, तब सनबल्लत और गेशेम ने मुझे यह संदेश भेजा “आप आइए कि हम ओनो के मैदान में चेपिरिम नामक स्थान पर भेंट करें.”

मगर इसके द्वारा उनका इरादा मेरा बुरा करने का ही था. तब मैंने अपने दूत उन्हें इस संदेश के साथ भेजे: “मेरा यह काम बहुत बड़ा है, इसलिये मेरा यहां आना संभव नहीं है. यह कैसे सही हो सकता है कि मैं इसे छोड़कर आपसे भेंट करने वहां आऊं?” उन्होंने चार बार यही संदेश भेजा और मैंने भी उन्हें वही उत्तर दिया.

तब सनबल्लत ने अपने सेवक द्वारा एक संदेश मेरे लिए भेजा यह वही संदेश पांचवी बार भेजा गया था. उसके हाथ में दिया यह खुला पत्र था. पत्र में लिखा था:

“देश-देश के लोगों में यह कहा जाने लगा है और उसकी ख़बर हमें गशमू से प्राप्‍त हुई है, कि आप और यहूदी विद्रोह की योजना बना रहे हैं. शहरपनाह बनाना इसी योजना का भाग है. इन सूचनाओं के अनुसार आप उनको राजा बनने की योजना बना रहे हैं. इसके लिए तो आपने येरूशलेम में भविष्यद्वक्ता भी ठहरा दिए हैं, जिनकी जवाबदारी होगी यह घोषणा करना: ‘यहूदियों में अब एक राजा है!’ अब यही ख़बर राजा को भी दी ही जाएगी. इसलिये अब आप आ जाइए हम आपस में सलाह करें.”

इसके उत्तर में मैंने उसे अपना दूत इस संदेश के साथ भेजा “आपके कहने के अनुसार यहां कुछ भी नहीं किया जा रहा हैं यह सब तो खुद आपके ही दिमाग की उपज है.”

उन सभी का लक्ष्य हमें डराना ही था. उनका सोचना था, “इससे वे डर जाएंगे और यह काम पूरा न हो सकेगा.”

मगर परमेश्वर, मेरी बाज़ुओं में ताकत दीजिए.

मैं मेहेताबेल के पोते देलाइयाह के पुत्र शेमायाह के घर पर गया, जो घर से बाहर जाने में असमर्थ था, उसने प्रस्ताव रखा, “हम परमेश्वर के भवन में मंदिर के अंदर ही इकट्ठा हों और मंदिर के दरवाजे बंद कर लें, क्योंकि वे आपकी हत्या के उद्देश्य से यहां आ रहे हैं और वे रात में ही आपकी हत्या करना चाह रहे हैं.”

किंतु मैंने इनकार किया, “क्या मेरे जैसे व्यक्ति के लिए इस प्रकार भागना अच्छा होगा? और क्या मुझ जैसे व्यक्ति के लिए मंदिर में जाकर अपना जीवन बचाना सही होगा? मैं नहीं जाऊंगा वहां!” तब मुझे यह अहसास हो गया, कि निश्चित ही यह परमेश्वर द्वारा भेजी गई सलाह नहीं थी! उसने तो यह भविष्यवाणी के रूप में इसलिये कहा था, कि उसे तोबियाह और सनबल्लत ने पैसा दिया था. शेमायाह को पैसे देकर मुझे डराने के लिए काम पर रखा गया था, कि मैं डरकर वही करूं, जिससे मैं परमेश्वर के विरुद्ध पाप कर बैठूं, और इसकी वजह से उन्हें मुझ पर दोष लगाने का मौका मिल जाए और मैं उनके लिए निंदा का पात्र बन जाऊं.

मेरे परमेश्वर, आप तोबियाह और सनबल्लत के इस काम को भुला दीजिए. उनके अलावा उस स्त्री, भविष्यद्वक्ता नोआदिया को भी और उन सभी भविष्यवक्ताओं को भी, जो मुझे डराने की कोशिश कर रहे थे. इस प्रकार एलुल महीने की पच्चिसवीं तारीख पर 52 दिनों में शहरपनाह की मरम्मत का काम पूरा हो गया.

दीवार निर्माण का समापन

सभी शत्रुओं को यह समाचार मिल गया, हमारे सभी पास वाले देशों ने यह देख लिया. वे बहुत डर गए. क्योंकि उनके सामने यह साफ़ हो गया था कि यह काम हमारे परमेश्वर की सहायता ही से पूरा हो सका था.

इसके अलावा उन्हीं दिनों में यहूदिया के बड़े अधिकारियों और तोबियाह के बीच चिट्ठी बहुत आती-जाती थी. क्योंकि यहूदिया के अनेक व्यक्ति तोबियाह का पक्ष लेने की शपथ लिए हुए थे, क्योंकि वह आराह के पुत्र शेकनियाह का दामाद था और उसके पुत्र येहोहानन का विवाह बेरेखियाह के पुत्र मेशुल्लाम की पुत्री से हुआ था. इसके अलावा, वे मेरे ही सामने उसके भले कामों की सूचना भी दे दिया करते थे. तब तोबियाह ने मुझे डराने के लिए पत्र भेजना शुरू कर दिया.

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नेहेमियाह 7:1-3

जब शहरपनाह बनाने का काम पूरा हो गया, मैंने पल्लों को ठीक जगह पर बैठा दिया और द्वारपालों, गायकों और लेवियों को चुना, मैंने अपने भाई हनानी और गढ़ के हाकिम हननियाह को येरूशलेम का अधिकारी ठहरा दिया, क्योंकि हननियाह विश्वासयोग्य व्यक्ति था और वह परमेश्वर का बहुत भय मानने वाला व्यक्ति था. उनके लिए मेरा आदेश था, “जब तक सूरज में गर्मी रहे येरूशलेम के फाटक न खोले जाएं और जब तक पहरेदार द्वार पर खड़े ही होंगे, द्वार बंद ही रखे जाएं और उनमें चिटकनी लगी रहे. जो द्वारपाल ठहराए जाएं, वे येरूशलेम के रहनेवाले ही हों; हर एक को अपने-अपने निर्दिष्ट स्थानों पर और शेष अपने घरों के सामने के द्वार पर खड़ा किये जाए.”

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