मत्तियाह 8:23-34, मत्तियाह 9:1-13 HCV

मत्तियाह 8:23-34

आंधी का शमन

जब उन्होंने नाव में प्रवेश किया उनके शिष्य भी उनके साथ हो लिए. अचानक झील में ऐसा प्रचंड आंधी उठी कि लहरों ने नाव को ढांक लिया, किंतु येशु इस समय सो रहे थे. इस पर शिष्यों ने येशु के पास जाकर उन्हें जगाते हुए कहा, “प्रभु, हमारी रक्षा कीजिए, हम नाश हुए जा रहे हैं!”

येशु ने उनसे कहा, “क्यों डर रहे हो, अल्पविश्वासियो!” वह उठे और उन्होंने आंधी और झील को डांटा, और उसी क्षण ही पूरी शांति छा गई.

शिष्य हैरान रह गए, और विचार करने लगे, “ये किस प्रकार के व्यक्ति हैं कि आंधी और झील तक इनकी आज्ञा का पालन करते हैं!”

दुष्टात्माओं को सूअरों के झुंड में भेजना

झील पार कर वे गदारा नामक प्रदेश में आए. वहां कब्रों की गुफाओं से निकलकर दुष्टात्मा से पीड़ित दो व्यक्ति उनके सामने आ गए. वे दोनों इतने अधिक हिंसक थे कि कोई भी उस रास्ते से निकल नहीं पाता था. येशु को देख वे दोनों चिल्ला-चिल्लाकर कहने लगे, “परमेश्वर-पुत्र, आपका हमसे क्या लेना देना? क्या आप समय से पहले ही हमें दुःख देने आ पहुंचे हैं?”

वहां कुछ दूर सूअरों का एक झुंड चर रहा था. दुष्टात्मा येशु से विनती करने लगे, “यदि आप हमें बाहर निकाल ही रहे हैं, तो हमें इन सूअरों के झुंड में भेज दीजिए.”

येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “जाओ!” वे निकलकर सूअरों में प्रवेश कर गए और पूरा झुंड ढलान पर सरपट भागता हुआ झील में जा गिरा और डूब गया. रखवाले भागे और नगर में जाकर घटना का सारा हाल कह सुनाया; साथ ही यह भी कि उन दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्तियों के साथ क्या-क्या हुआ. सभी नागरिक नगर से निकलकर येशु के पास आने लगे. जब उन्होंने येशु को देखा तो उनसे विनती करने लगे कि वह उस क्षेत्र की सीमा से बाहर चले जाएं.

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मत्तियाह 9:1-13

लकवा पीड़ित को चंगाई

इसलिये येशु नाव में सवार होकर झील पार करके अपने ही नगर में आ गए. कुछ लोग एक लकवा पीड़ित को बिछौने पर उनके पास लाए. उनका विश्वास देख येशु ने रोगी से कहा, “तुम्हारे लिए यह आनंद का विषय है: तुम्हारे पाप क्षमा हो गए हैं.”

कुछ शास्त्री आपस में कहने लगे, “यह तो परमेश्वर की निंदा कर रहा है!”

उनके विचारों का अहसास होने पर येशु उन्हें संबोधित कर बोले, “क्यों अपने मनों में बुरा विचार कर रहे हो? क्या कहना सरल है, ‘तुम्हारे पाप क्षमा हो गए’ या ‘उठो, चलने लगो?’ किंतु इसका उद्देश्य यह है कि तुम्हें यह मालूम हो जाए कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा का अधिकार सौंपा गया है.” तब रोगी से येशु ने कहा, “उठो, अपना बिछौना उठाओ और अपने घर जाओ.” वह उठा और घर चला गया. यह देख भीड़ हैरान रह गई और परमेश्वर का गुणगान करने लगी, जिन्होंने मनुष्यों को इस प्रकार का अधिकार दिया है.

मत्तियाह का बुलाया जाना

वहां से जाने के बाद येशु ने चुंगी लेनेवाले के आसन पर बैठे हुए एक व्यक्ति को देखा, जिसका नाम मत्तियाह था. येशु ने उसे आज्ञा दी, “मेरे पीछे हो ले.” मत्तियाह उठकर येशु के साथ हो लिए.

जब येशु भोजन के लिए बैठे थे, अनेक चुंगी लेनेवाले तथा अपराधी व्यक्ति भी उनके साथ शामिल थे. यह देख फ़रीसियों ने आपत्ति उठाते हुए येशु के शिष्यों से कहा, “तुम्हारे गुरु चुंगी लेनेवाले और अपराधी व्यक्तियों के साथ भोजन क्यों करते हैं?”

यह सुन येशु ने स्पष्ट किया, “चिकित्सक की ज़रूरत स्वस्थ व्यक्ति को नहीं परंतु रोगी व्यक्ति को होती है. अब जाओ और इस कहावत का अर्थ समझो: ‘मैं बलिदान से नहीं, पर दया से प्रसन्‍न होता हूं,’9:13 होशे 6:6 क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं परंतु पापियों को बुलाने के लिए इस पृथ्वी पर आया हूं.”

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