मत्तियाह 26:1-30 HCV

मत्तियाह 26:1-30

येशु की हत्या का षड़्‍यंत्र

इस रहस्य के खुलने के बाद येशु ने शिष्यों को देखकर कहा, “यह तो तुम्हें मालूम ही है कि दो दिन बाद फ़सह26:2 फ़सह यहूदियों का सबसे बड़ा त्योहार जब मिस्र में उनकी 430 साल की ग़ुलामी से उनके छुटकारे को वे स्मरण करते हैं उत्सव है. इस समय मनुष्य के पुत्र को क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए सौंप दिया जाएगा.”

दूसरी ओर प्रधान पुरोहित और वरिष्ठ नागरिक कायाफ़स नामक महापुरोहित के घर के आंगन में इकट्ठा हुए. उन्होंने मिलकर येशु को छलपूर्वक पकड़कर उनकी हत्या कर देने का विचार किया. वे यह विचार भी कर रहे थे: “यह फ़सह उत्सव के अवसर पर न किया जाए—कहीं इससे लोगों में बलवा न भड़क उठे.”

बैथनियाह नगर में येशु का अभ्यंजन

जब येशु बैथनियाह गांव में शिमओन के घर पर थे—वही शिमओन, जिसे पहले कोढ़ रोग हुआ था, एक स्त्री उनके पास संगमरमर के बर्तन में कीमती इत्र लेकर आई. उसे उसने भोजन के लिए बैठे येशु के सिर पर उंडेल दिया.

यह देख शिष्य गुस्सा हो कहने लगे, “यह फिज़ूलखर्ची किस लिए? यह इत्र तो ऊंचे दाम पर बिक सकता था और प्राप्‍त धनराशि गरीबों में बांटी जा सकती थी.”

इस विषय को जानकर येशु ने उन्हें झिड़कते हुए कहा, “क्यों सता रहे हो इस स्त्री को? इसने मेरे हित में एक सराहनीय काम किया है. निर्धन तुम्हारे साथ हमेशा रहेंगे किंतु मैं तुम्हारे साथ हमेशा नहीं रहूंगा. मुझे मेरे अंतिम संस्कार के लिए तैयार करने के लिए इसने यह इत्र मेरे शरीर पर उंडेला है. सच तो यह है कि सारे जगत में जहां कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, इस स्त्री के इस कार्य का वर्णन भी इसकी याद में किया जाएगा.”

यहूदाह का धोखा

तब कारियोतवासी यहूदाह, जो बारह शिष्यों में से एक था, प्रधान पुरोहितों के पास गया और उनसे विचार-विमर्श करने लगा, “यदि मैं येशु को पकड़वा दूं तो आप मुझे क्या देंगे?” उन्होंने उसे गिन कर चांदी के तीस सिक्‍के दे दिए. उस समय से वह येशु को पकड़वाने के लिए सही अवसर की ताक में रहने लगा.

फ़सह भोज की तैयारी

अखमीरी रोटी के उत्सव26:17 अखमीरी रोटी के उत्सव यह उत्सव सात दिनों तक चलता है. (निसान महीना तारीख 15–22), फ़सह पर्व से शुरू होकर सात दिनों के दौरान यहूदी लोग बिना खमीर की रोटी खाते हैं. के पहले दिन शिष्यों ने येशु के पास आकर पूछा, “हम आपके लिए फ़सह भोज की तैयारी कहां करें? आप क्या चाहते हैं?”

येशु ने उन्हें निर्देश दिया, “नगर में एक व्यक्ति विशेष के पास जाना और उससे कहना, ‘गुरुवर ने कहा है, मेरा समय पास है. मुझे अपने शिष्यों के साथ आपके घर में फ़सह उत्सव मनाना है.’ ” शिष्यों ने वैसा ही किया, जैसा येशु ने निर्देश दिया था और उन्होंने फ़सह भोज तैयार किया.

संध्या समय येशु अपने बारह शिष्यों के साथ बैठे हुए थे. जब वे भोजन कर रहे थे येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर एक सच प्रकट कर रहा हूं: तुम्हीं में एक है, जो मेरे साथ धोखा करेगा.”

बहुत उदास मन से हर एक शिष्य येशु से पूछने लगा, “प्रभु, वह मैं तो नहीं हूं?”

येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “जिसने मेरे साथ कटोरे में अपना कौर डुबोया था, वही है, जो मेरे साथ धोखा करेगा. मनुष्य के पुत्र को तो जैसा कि उसके विषय में पवित्र शास्त्र में लिखा है, जाना ही है; किंतु धिक्कार है उस व्यक्ति पर, जो मनुष्य के पुत्र के साथ धोखा करेगा. उस व्यक्ति के लिए अच्छा तो यही होता कि उसका जन्म ही न होता.”

यहूदाह ने, जो येशु के साथ धोखा कर रहा था, उनसे प्रश्न किया, “रब्बी, वह मैं तो नहीं हूं न?”26:25 अथवा: यह तुमने स्वयं कह दिया.

येशु ने उसे उत्तर दिया, “यह तुमने स्वयं ही कह दिया है.”

जब वे भोजन के लिए बैठे, येशु ने रोटी ली, उसके लिए आशीष विनती की, उसे तोड़ी और शिष्यों को देते हुए कहा, “यह लो, खाओ; यह मेरा शरीर है.”

तब येशु ने प्याला लिया, उसके लिए धन्यवाद दिया तथा शिष्यों को देते हुए कहा, “तुम सब इसमें से पियो. यह वाचा का26:28 कुछ पाण्डुलिपियों मूल हस्तलेखों में: नई वाचा का. मेरा लहू है जो अनेकों की पाप क्षमा के लिए उंडेला जा रहा है. मैं यह बताना चाहता हूं कि मैं दाख का रस उस दिन तक नहीं पिऊंगा जब तक मैं अपने पिता के राज्य में तुम्हारे साथ दाखरस दोबारा नहीं पिऊं.”

एक भक्ति गीत गाने के बाद वे ज़ैतून पर्वत पर चले गए.

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