लूकॉस 6:12-36 HCV

लूकॉस 6:12-36

बारह शिष्यों का चयन

एक दिन प्रभु येशु पर्वत पर प्रार्थना करने चले गए और सारी रात वह परमेश्वर से प्रार्थना करते रहे. प्रातःकाल उन्होंने अपने चेलों को अपने पास बुलाया और उनमें से बारह को चुनकर उन्हें प्रेरित पद प्रदान किया.

शिमओन, (जिन्हें वह पेतरॉस नाम से पुकारते थे) उनके भाई आन्द्रेयास,

याकोब,

योहन,

फ़िलिप्पॉस,

बारथोलोमेयॉस

मत्तियाह,

थोमॉस,

हलफ़ेयॉस के पुत्र याकोब,

राष्ट्रवादी6:15 अथवा “उग्र पंथी” शिमओन,

याकोब के पुत्र यहूदाह,

तथा कारियोतवासी यहूदाह, जिसने उनके साथ धोखा किया.

भीड़ द्वारा प्रभु येशु का अनुगमन

प्रभु येशु उनके साथ पर्वत से उतरे और आकर एक समतल स्थल पर खड़े हो गए. येरूशलेम तथा समुद्र के किनारे के नगर सोर और सीदोन से आए लोगों तथा सुननेवालों का एक बड़ा समूह वहां इकट्ठा था, जो उनके प्रवचन सुनने और अपने रोगों से चंगाई के उद्देश्य से वहां आया था. इस समूह में दुष्टात्मा से पीड़ित भी शामिल थे, जिन्हें प्रभु येशु दुष्टात्मा मुक्त करते जा रहे थे. सभी लोग उन्हें छूने का प्रयास कर रहे थे क्योंकि उनसे निकली हुई सामर्थ्य उन सभी को स्वस्थ कर रही थी.

अपने शिष्यों की ओर दृष्टि करते हुए प्रभु येशु ने उनसे कहा:

“धन्य हो तुम सभी जो निर्धन हो,

क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है.

धन्य हो तुम जो भूखे हो,

क्योंकि तुम तृप्‍त किए जाओगे.

धन्य हो तुम जो इस समय रो रहे हो,

क्योंकि तुम आनंदित होगे.

धन्य हो तुम सभी जिनसे सभी मनुष्य घृणा करते हैं,

तुम्हारा बहिष्कार करते हैं, तुम्हारी निंदा करते हैं,

तुम्हारे नाम को मनुष्य के पुत्र के

कारण बुराई करनेवाला घोषित कर देते हैं.

“उस दिन आनंदित होकर हर्षोल्लास में उछलो-कूदो, क्योंकि स्वर्ग में तुम्हारे लिए बड़ा फल होगा. उनके पूर्वजों ने भी भविष्यद्वक्ताओं को इसी प्रकार सताया था.

“धिक्कार है तुम पर! तुम जो धनी हो,

तुम अपने सारे सुख भोग चुके.

धिक्कार है तुम पर! तुम जो अब तृप्‍त हो,

क्योंकि तुम्हारे लिए भूखा रहना निर्धारित है.

धिक्कार है तुम पर! तुम जो इस समय हंस रहे हो,

क्योंकि तुम शोक तथा विलाप करोगे.

धिक्कार है तुम पर! जब सब मनुष्य तुम्हारी प्रशंसा करते हैं

क्योंकि उनके पूर्वज झूठे भविष्यद्वक्ताओं के साथ यही किया करते थे.”

शत्रुओं से प्रेम करने की शिक्षा

“किंतु तुम, जो इस समय मेरे प्रवचन सुन रहे हो, अपने शत्रुओं से प्रेम करो तथा उनके साथ भलाई, जो तुमसे घृणा करते हैं. जो तुम्हें शाप देते हैं उनको आशीष दो, और जो तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार करें उनके लिए प्रार्थना करो. यदि कोई तुम्हारे एक गाल पर प्रहार करे उसकी ओर दूसरा भी फेर दो. यदि कोई तुम्हारी चादर लेना चाहे तो उसे अपना कुर्ता भी देने में संकोच न करो. जब भी कोई तुमसे कुछ मांगे तो उसे अवश्य दो और यदि कोई तुम्हारी कोई वस्तु ले ले तो उसे वापस न मांगो अन्यों के साथ तुम्हारा व्यवहार वैसा ही हो जैसे व्यवहार की आशा तुम उनसे करते हो.

“यदि तुम उन्हीं से प्रेम करते हो, जो तुमसे प्रेम करते हैं तो इसमें तुम्हारी क्या प्रशंसा? क्योंकि दुर्जन भी तो यही करते हैं. वैसे ही यदि तुम उन्हीं के साथ भलाई करते हो, जिन्होंने तुम्हारे साथ भलाई की है, तो इसमें तुम्हारी क्या प्रशंसा? क्योंकि दुर्जन भी तो यही करते हैं. और यदि तुम उन्हीं को कर्ज़ देते हो, जिनसे राशि वापस प्राप्‍त करने की आशा होती है तो तुमने कौन सा प्रशंसनीय काम कर दिखाया? ऐसा तो परमेश्वर से दूर रहनेवाले लोग भी करते हैं—इस आशा में कि उनकी सारी राशि उन्हें लौटा दी जाएगी. सही तो यह है कि तुम अपने शत्रुओं से प्रेम करो, उनका उपकार करो और कुछ भी वापस प्राप्‍त करने की आशा किए बिना उन्हें कर्ज़ दे दो. तब तुम्हारा ईनाम असाधारण होगा और तुम परम प्रधान की संतान ठहराए जाओगे क्योंकि वह उनके प्रति भी कृपालु हैं, जो उपकार नहीं मानते और बुरे हैं. कृपालु बनो, ठीक वैसे ही, जैसे तुम्हारे पिता कृपालु हैं.

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