अय्योब 22:1-30, अय्योब 23:1-17, अय्योब 24:1-25 HCV

अय्योब 22:1-30

एलिफ़ेज़ द्वारा अय्योब पर आरोप

तब तेमानवासी एलिफाज़ ने प्रत्युत्तर में कहा:

“क्या कोई बलवान पुरुष परमेश्वर के लिए उपयोगी हो सकता है?

अथवा क्या कोई बुद्धिमान स्वयं का कल्याण कर सकता है?

क्या तुम्हारी खराई सर्वशक्तिमान के लिए आनंद है?

अथवा क्या तुम्हारा त्रुटिहीन चालचलन लाभकारी होता है?

“क्या तुम्हारे द्वारा दिया गया सम्मान तुम्हें उनके सामने स्वीकार्य बना देता है,

कि वह तुम्हारे विरुद्ध न्याय करने लगते हैं?

क्या तुम्हारी बुराई बहुत नहीं कही जा सकती?

क्या तुम्हारे पाप का अंत नहीं?

क्यों तुमने अकारण अपने भाइयों का बंधक रख लिया है,

तथा मनुष्यों को विवस्त्र कर छोड़ा है?

थके मांदे से तुमने पेय जल के लिए तक न पूछा,

भूखे से तुमने भोजन छिपा रखा है.

किंतु पृथ्वी पर बलवानों का अधिकार है,

इसके निवासी सम्मान्य व्यक्ति हैं.

तुमने विधवाओं को निराश लौटा दिया है

पितृहीनों का बल कुचल दिया गया है.

यही कारण है कि तुम्हारे चारों ओर फंदे फैले हैं,

आतंक ने तुम्हें भयभीत कर रखा है,

संभवतः यह अंधकार है कि तुम दृष्टिहीन हो जाओ,

एक बड़ी जल राशि में तुम जलमग्न हो चुके हो.

“क्या परमेश्वर स्वर्ग में विराजमान नहीं हैं?

दूर के तारों पर दृष्टि डालो. कितनी ऊंचाई पर हैं वे!

तुम पूछ रहे हो, ‘क्या-क्या मालूम है परमेश्वर को?’

क्या घोर अंधकार में भी उन्हें स्थिति बोध हो सकता है?

मेघ उनके लिए छिपने का साधन हो जाते हैं, तब वह देख सकते हैं;

वह तो नभोमण्डल में चलते फिरते हैं.

क्या तुम उस प्राचीन मार्ग पर चलते रहोगे,

जो दुर्वृत्तों का मार्ग हुआ करता था?

जिन्हें समय से पूर्व ही उठा लिया गया,

जिनकी तो नींव ही नदी अपने प्रवाह में बहा ले गई?

वे परमेश्वर से आग्रह करते, ‘हमसे दूर चले जाइए!’

तथा यह भी ‘सर्वशक्तिमान उनका क्या बिगाड़ लेगा?’

फिर भी परमेश्वर ने उनके घरों को उत्तम वस्तुओं से भर रखा है,

किंतु उन दुर्वृत्तों की युक्ति मेरी समझ से परे है.

यह देख धार्मिक उल्‍लसित हो रहे हैं तथा वे;

जो निर्दोष हैं, उनका उपहास कर रहे हैं.

उनका नारा है, ‘यह सत्य है कि हमारे शत्रु मिटा दिए गए हैं,

उनकी समृद्धि को अग्नि भस्म कर चुकी है.’

“अब भी समर्पण करके परमेश्वर से मेल कर लो;

तब तो तुम्हारे कल्याण की संभावना है.

कृपया उनसे शिक्षा ग्रहण कर लो.

उनके शब्दों को मन में रख लो.

यदि तुम सर्वशक्तिमान की ओर मुड़कर समीप हो जाओ, तुम पहले की तरह हो जाओगे:

यदि तुम अपने घर में से बुराई को दूर कर दोगे,

यदि तुम अपने स्वर्ण को भूमि में दबा दोगे, उस स्वर्ण को, जो ओफीर से लाया गया है,

उसे नदियों के पत्थरों के मध्य छिपा दोगे,

तब सर्वशक्तिमान स्वयं तुम्हारे लिए स्वर्ण हो जाएंगे हां,

उत्कृष्ट चांदी.

तुम परमेश्वर की ओर दृष्टि करोगे,

तब सर्वशक्तिमान तुम्हारे परमानंद हो जाएंगे.

जब तुम उनसे प्रार्थना करोगे, वह तुम्हारी सुन लेंगे,

इसके अतिरिक्त तुम अपनी मन्‍नतें भी पूर्ण करोगे.

तुम किसी विषय की कामना करोगे और वह तुम्हारे लिए सफल हो जाएगा,

इसके अतिरिक्त तुम्हारा रास्ता भी प्रकाशित हो जाएगा.

उस स्थिति में जब तुम पूर्णतः हताश हो जाओगे, तुम्हारी बातें तुम्हारा ‘आत्मविश्वास प्रकट करेंगी!’

परमेश्वर विनीत व्यक्ति को रक्षा प्रदान करते हैं.

निर्दोष को परमेश्वर सुरक्षा प्रदान करते हैं,

वह निर्दोष तुम्हारे ही शुद्ध कामों के कारण छुड़ाया जाएगा.”

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अय्योब 23:1-17

परमेश्वर के लिए अय्योब की लालसा

तब अय्योब ने कहा:

“आज भी अपराध के भाव में मैं शिकायत कर रहा हूं;

मैं कराह रहा हूं, फिर भी परमेश्वर मुझ पर कठोर बने हुए हैं.

उत्तम होगा कि मुझे यह मालूम होता

कि मैं कहां जाकर उनसे भेंट कर सकूं, कि मैं उनके निवास पहुंच सकूं!

तब मैं उनके सामने अपनी शिकायत प्रस्तुत कर देता,

अपने सारे विचार उनके सामने उंडेल देता.

तब मुझे उनके उत्तर समझ आ जाते,

मुझे यह मालूम हो जाता कि वह मुझसे क्या कहेंगे.

क्या वह अपनी उस महाशक्ति के साथ मेरा सामना करेंगे?

नहीं! निश्चयतः वह मेरे निवेदन पर ध्यान देंगे.

सज्जन उनसे वहां विवाद करेंगे

तथा मैं उनके न्याय के द्वारा मुक्ति प्राप्‍त करूंगा.

“अब यह देख लो: मैं आगे बढ़ता हूं, किंतु वह वहां नहीं हैं;

मैं विपरीत दिशा में आगे बढ़ता हूं, किंतु वह वहां भी दिखाई नहीं देते.

जब वह मेरे बायें पक्ष में सक्रिय होते हैं;

वह मुझे दिखाई नहीं देते.

किंतु उन्हें यह अवश्य मालूम रहता है कि मैं किस मार्ग पर आगे बढ़ रहा हूं;

मैं तो उनके द्वारा परखे जाने पर कुन्दन समान शुद्ध प्रमाणित हो जाऊंगा.

मेरे पांव उनके पथ से विचलित नहीं हुए;

मैंने कभी कोई अन्य मार्ग नहीं चुना है.

उनके मुख से निकले आदेशों का मैं सदैव पालन करता रहा हूं;

उनके आदेशों को मैं अपने भोजन से अधिक अमूल्य मानता रहा हूं.

“वह तो अप्रतिम है, उनका, कौन हो सकता है विरोधी?

वह वही करते हैं, जो उन्हें सर्वोपयुक्त लगता है.

जो कुछ मेरे लिए पहले से ठहरा है, वह उसे पूरा करते हैं,

ऐसी ही अनेक योजनाएं उनके पास जमा हैं.

इसलिये उनकी उपस्थिति मेरे लिए भयास्पद है;

इस विषय में मैं जितना विचार करता हूं, उतना ही भयभीत होता जाता हूं.

परमेश्वर ने मेरे हृदय को क्षीण बना दिया है;

मेरा घबराना सर्वशक्तिमान जनित है,

किंतु अंधकार मुझे चुप नहीं रख सकेगा,

न ही वह घोर अंधकार, जिसने मेरे मुख को ढक कर रखा है.

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अय्योब 24:1-25

“सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने न्याय-दिवस को ठहराया क्यों नहीं है?

तथा वे, जो उन्हें जानते हैं, इस दिन की प्रतीक्षा करते रह जाते हैं?

कुछ लोग तो भूमि की सीमाओं को परिवर्तित करते रहते हैं;

वे भेड़ें पकड़कर हड़प लेते हैं.

वे पितृहीन के गधों को हकाल कर ले जाते हैं.

वे विधवा के बैल को बंधक बना लेते हैं.

वे दरिद्र को मार्ग से हटा देते हैं;

देश के दीनों को मजबूर होकर एक साथ छिप जाना पड़ता है.

ध्यान दो, दीन वन्य गधों-समान

भोजन खोजते हुए भटकते रहते हैं,

मरुभूमि में अपने बालकों के भोजन के लिए.

अपने खेत में वे चारा एकत्र करते हैं

तथा दुर्वृत्तों के दाख की बारी से सिल्ला उठाते हैं.

शीतकाल में उनके लिए कोई आवरण नहीं रहते.

उन्हें तो विवस्त्र ही रात्रि व्यतीत करनी पड़ती है.

वे पर्वतीय वृष्टि से भीगे हुए हैं,

सुरक्षा के लिए उन्होंने चट्टान का आश्रय लिया हुआ है.

अन्य वे हैं, जो दूधमुंहे, पितृहीन बालकों को छीन लेते हैं;

ये ही हैं वे, जो दीन लोगों से बंधक वस्तु कर रख लेते हैं.

उन्हीं के कारण दीन को विवस्त्र रह जाना पड़ता है;

वे ही भूखों से अन्‍न की पुलियां छीने लेते हैं.

दीनों की दीवारों के भीतर ही वे तेल निकालते हैं;

वे द्राक्षरस-कुण्ड में अंगूर तो रौंदते हैं, किंतु स्वयं प्यासे ही रहते हैं.

नागरिक कराह रहे हैं,

तथा घायलों की आत्मा पुकार रही है.

फिर भी परमेश्वर मूर्खों की याचना की ओर ध्यान नहीं देते.

“कुछ अन्य ऐसे हैं, जो ज्योति के विरुद्ध अपराधी हैं,

उन्हें इसकी नीतियों में कोई रुचि नहीं है,

तब वे ज्योति के मार्गों पर आना नहीं चाहते.

हत्यारा बड़े भोर उठ जाता है,

वह जाकर दीनों एवं दरिद्रों की हत्या करता है,

रात्रि में वह चोरी करता है.

व्यभिचारी की दृष्टि रात आने की प्रतीक्षा करती रहती है, वह विचार करता है,

‘तब मुझे कोई देख न सकेगा.’

वह अपने चेहरे को अंधेरे में छिपा लेता है.

रात्रि होने पर वे सेंध लगाते हैं,

तथा दिन में वे घर में छिपे रहते हैं;

प्रकाश में उन्हें कोई रुचि नहीं रहती.

उनके सामने प्रातःकाल भी वैसा ही होता है, जैसा घोर अंधकार,

क्योंकि उनकी मैत्री तो घोर अंधकार के आतंक से है.

“वस्तुतः वे जल के ऊपर के फेन समान हैं;

उनका भूखण्ड शापित है.

तब कोई उस दिशा में दाख की बारी की ओर नहीं जाता.

सूखा तथा गर्मी हिम-जल को निगल लेते हैं,

यही स्थिति होगी अधोलोक में पापियों की.

गर्भ उन्हें भूल जाता है,

कीड़े उसे ऐसे आहार बना लेते हैं;

कि उसकी स्मृति भी मिट जाती है,

पापी वैसा ही नष्ट हो जाएगा, जैसे वृक्ष.

वह बांझ स्त्री तक से छल करता है

तथा विधवा का कल्याण उसके ध्यान में नहीं आता.

किंतु परमेश्वर अपनी सामर्थ्य से बलवान को हटा देते हैं;

यद्यपि वे प्रतिष्ठित हो चुके होते हैं, उनके जीवन का कोई आश्वासन नहीं होता.

परमेश्वर उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं, उनका पोषण करते हैं,

वह उनके मार्गों की चौकसी भी करते हैं.

अल्पकाल के लिए वे उत्कर्ष भी करते जाते हैं, तब वे नष्ट हो जाते हैं;

इसके अतिरिक्त वे गिर जाते हैं तथा वे अन्यों के समान पूर्वजों में जा मिलते हैं;

अन्‍न की बालों के समान कट जाना ही उनका अंत होता है.

“अब, यदि सत्य यही है, तो कौन मुझे झूठा प्रमाणित कर सकता है

तथा मेरी बात को अर्थहीन घोषित कर सकता है?”

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