येरेमियाह 16:1-21, येरेमियाह 17:1-27 HCV

येरेमियाह 16:1-21

विनाश का दिन

मुझे पुनः याहवेह का संदेश इस प्रकार प्राप्‍त हुआ: “इस स्थान में न तो तुम पत्नी लाना और न ही पुत्र उत्पन्‍न करना और न ही पुत्रियां.” इस स्थान में उत्पन्‍न पुत्र-पुत्रियों के विषय में, उनकी माताओं एवं उन पिताओं के विषय में, जिन्होंने इन्हें पैदा किया है, याहवेह की यह पूर्ववाणी है. “घातक व्याधियों से उनकी मृत्यु हो जाएगी. न उनके लिए विलाप किया जाएगा और न उन्हें गाड़ा जाएगा. उनकी मृत्यु तलवार एवं अकाल से हो जाएगी, वे भूमि पर गोबर सदृश पड़े रहेंगे, उनके शव आकाश के पक्षी एवं वन्य पशुओं का आहार हो जाएंगे.”

याहवेह का आदेश यह है: “उस घर में प्रवेश न करना जिसमें विलाप हो रहा है; न वहां शोक प्रकट करने जाना और न सांत्वना देने, क्योंकि मैंने उन पर से अपनी आशीष, अपना प्रेम तथा अपनी दया हटा ली है,” यह याहवेह की वाणी है. “इस देश में दोनों ही, सामान्य तथा विशिष्ट, मृत्यु की भेंट हो जाएंगे. उन्हें न गाड़ा जाएगा, न उनके लिए विलाप किया जाएगा और न कोई उनके शोक में अपने शरीर को निराश करेगा ओर न अपना सिर मुंड़ाएगा. कोई भी उनके सुविधा के लिये भोजन की पूर्ति नहीं करेगा जो शोक मृतकों के लिये शोक प्रकट करते हैं, न कोई किसी के पिता अथवा माता के लिए सांत्वना का एक प्याला ही प्रस्तुत करेगा.

“इसके सिवा तुममें से कोई भी ऐसे घर में जाकर न बैठ जाए जहां भोज आयोजित है, कि तुममें से वहां कोई भी भोज में सम्मिलित हो. क्योंकि सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है: तुम यह देखोगे कि मैं इस स्थान से तुम्हारे देखते-देखते, तुम्हारे ही जीवनकाल में हर्षोल्लास का स्वर, आनंद की ध्वनि, वर तथा वधू के वार्तालाप की वाणी बंद करने पर हूं.

“ऐसा होगा कि जब तुम इन लोगों को यह संपूर्ण संदेश दोगे, तो वे तुमसे प्रश्न करेंगे, ‘याहवेह द्वारा हमारे ऊपर इस महा संकट की वाणी का कारण क्या है? क्या है हमारी अधार्मिकता अथवा हमसे क्या पाप हुआ है? हमसे, जो हम याहवेह हमारे परमेश्वर के विरुद्ध कर बैठे हैं?’ तब तुम्हें उनसे यह कहना होगा, ‘कारण यह है कि तुम्हारे पूर्वजों ने मेरा परित्याग कर दिया,’ यह याहवेह की वाणी है, ‘परकीय देवताओं का अनुसरण करना तथा उनकी उपासना करना, उनको नमन करना तुम्हारे पूर्वजों ने उपयुक्त समझा. किंतु मुझे भूलना उन्होंने पसंद किया और मेरे व्यवस्था-विधान का अनुकरण नहीं किया. स्वयं तुमने भी तो वही किया है जो ठीक नहीं है, हां, अपने पूर्वजों से भी अधिक; क्योंकि ध्यान दो तुममें से हर एक अपने पतित हृदय के दुराग्रह में मेरी अवज्ञा कर रहा है. इसलिये मैं तुम्हें इस देश में से एक ऐसे देश में प्रक्षेपित कर दूंगा, जिस देश को तुम जानते भी नहीं हो, न तुम, न तुम्हारे पूर्वज; तब तुम वहां दिन-रात परकीय देवताओं की उपासना करते रहोगे, क्योंकि मैं तुम पर किसी भी रीति से कोई कृपा न करूंगा.’

“यद्यपि इस बात को स्मरण रखना: वे दिन बड़े हैं,” यह याहवेह की वाणी है, “जब यह सूक्ति फिर कभी सुनी न जाएगी, ‘जीवित याहवेह की शपथ, जिन्होंने इस्राएल वंशजों को मिस्र देश से निकाल लाया था,’ किंतु यह, ‘जीवित याहवेह की शपथ, जो इस्राएल वंशजों को उत्तर दिशा के देशों से तथा उन सभी देशों से निकालकर लाए हैं, जहां उन्हें बंदी किया गया था.’ क्योंकि मैं उन्हें उन्हीं के देश में पुनःस्थापित कर दूंगा, जिसे मैंने उनके पूर्वजों को दिया था.

“तुम देखोगे कि मैं अनेक मछुवारे बुलवाऊंगा,” यह याहवेह की वाणी है, “ये मछुवारे उन्हें पकड़ लेंगे. तत्पश्चात मैं अनेक शिकारियों को बुलवाऊंगा, वे हर एक पर्वत, हर एक पहाड़ी तथा चट्टानों के दरार में से उनको निकाल डालेंगे. उनकी सारी गतिविधियों पर मेरी दृष्टि बनी हुई है; वे मेरे नेत्रों की ओट में नहीं हैं और न उनकी पापिष्ठता मेरी दृष्टि से छिप सकी है. मैं उनकी अधर्मिता तथा पापिष्ठता का दूना दंड उन्हें दूंगा, क्योंकि उन्होंने मेरे देश को अशुद्ध कर छोड़ा है; मेरे इस निज भाग को उन्होंने उनकी घृणास्पद प्रतिमाओं के शवों एवं उनकी तिरस्कार कृतियों से भर रखा है.”

याहवेह, मेरे बल तथा मेरे अजेयगढ़,

संकट की स्थिति में मेरे आश्रय,

पृथ्वी के चारों ओर से चलकर

राष्ट्र आपके निकट आकर यह स्वीकार करेंगे,

“हमारे पूर्वजों ने इस निज भाग में असत्य,

व्यर्थ तथा निरर्थकता के सिवा और कुछ भी प्राप्‍त नहीं किया है.

क्या मनुष्य के लिए यह संभव है कि वह अपने लिए देवताओं को निर्माण कर ले?

फिर भी ये देवता नहीं होते!”

“इसलिये यह देख लेना मैं उन्हें यह बोध करा ही दूंगा,

अब तो वे अवश्य ही मेरे अधिकार एवं सामर्थ्य से परिचित हो जाएंगे.

तब उन्हें यह ज्ञात हो जाएगा

कि मेरा ही नाम याहवेह है.

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येरेमियाह 17:1-27

“यहूदिया का पाप लौह लेखनी से

लिख दिया गया,

हीरक-नोक से उनके हृदय-पटल पर

तथा उनकी वेदियों के सींगों पर भी.

वे अपनी वेदियों तथा अशेराओं का

स्मरण हरे वृक्षों के नीचे,

उच्च पहाड़ियों पर उसी रीति से करते हैं,

जिस रीति से वे अपनी संतान को स्मरण करते हैं.

नगर से दूर मेरे पर्वत,

पाप के लिए निर्मित तुम्हारी सीमा में प्रतिष्ठित तुम्हारे पूजा स्थलों के कारण

मैं तुम्हारी संपदा तथा तुम्हारे सारे निधियों को,

लूट की सामग्री बनाकर दे दूंगा.

तुम स्वयं ही अपने इस निज भाग को

जो मैंने ही तुम्हें दिया है,

अपने हाथों से निकल जाने दोगे; मैं ऐसा करूंगा कि तुम्हें एक ऐसे देश में

जो तुम्हारे लिए सर्वथा अज्ञात है अपने शत्रुओं की सेवा करनी पड़ेगी,

क्योंकि तुमने मेरे क्रोध में एक ऐसी अग्नि प्रज्वलित कर दी है,

जो सदैव ही प्रज्वलित रहेगी.”

याहवेह ने यह कहा है:

“शापित है वह मनुष्य, जिसने मानव की क्षमताओं को अपना आधार बनाया हुआ है,

जिनका भरोसा मनुष्य की शक्ति में है

तथा जो मुझसे विमुख हो चुका है.

क्योंकि वह उस झाड़ी के सदृश है,

जो मरुभूमि में उगी हुई है. समृद्धि उससे दूर ही रहेगी.

वह निर्जन प्रदेश की गर्मी से झुलसने वाली भूमि में निवास करेगा. उस भूमि की मिट्टी लवणमय है,

वहां किसी भी मनुष्य का निवास नहीं है.

“धन्य है वह मनुष्य जिसने याहवेह पर भरोसा रखा है,

तथा याहवेह ही जिसका भरोसा हैं.

वह व्यक्ति जल के निकट रोपित वृक्ष के सदृश है,

जो जल प्रवाह की ओर अपनी जड़ें फैलाता जाता है.

ग्रीष्मकाल का उसे कोई भय नहीं होता;

उसकी पत्तियां सदैव हरी ही रहेंगी.

अकाल उसके लिए चिंता का विषय न होगा

और इसमें समय पर फल लगना बंद नहीं होगा.”

अन्य सभी से अधिक कपटी है हृदय,

असाध्य रोग से संक्रमित.

कौन है उसे समझने में समर्थ?

“मैं याहवेह, हृदय की विवेचना करता हूं.

मैं मस्तिष्क का परीक्षण करता हूं,

कि हर एक व्यक्ति को उसके आचरण के अनुरूप प्रतिफल दूं,

उसके द्वारा किए कार्यों के परिणामों के अनुरूप.”

जिस प्रकार तीतर उन अण्डों को सेती है जो उसके द्वारा दिए हुए नहीं होते,

उस व्यक्ति की स्थिति भी इसी तीतर के सदृश होती है जो धन जमा तो कर लेता है.

किंतु अनुचित रीति से ऐसा धन असमय ही उसके हाथ से निकल जाएगा,

तथा अपने जीवन के अंत में वह स्वयं मूर्ख प्रमाणित हो जायेगा.

प्रारंभ ही से उच्च स्थल पर प्रतिष्ठित आपका वैभवशाली सिंहासन

हमारा आश्रय रहा है.

याहवेह, आप में ही निहित है इस्राएल की आशा;

लज्जित उन्हें होना पड़ेगा जिन्होंने आपका परित्याग किया है.

जो आपसे विमुख होते हैं उनका नामांकन उनमें होगा जो अधोलोक के लिए तैयार हैं,

क्योंकि उन्होंने जीवन्त जल के बहते झरने का,

अर्थात् याहवेह का ही परित्याग कर दिया है.

याहवेह, यदि आप मुझे सौख्य प्रदान करें, तो मैं वास्तव में निरोगी हो जाऊंगा;

यदि आप मेरी रक्षा करें तो मैं सुरक्षित ही रहूंगा,

कारण आप ही मेरे स्तवन का विषय हैं.

सुनिए, वे यह कहते हुए मुझ पर व्यंग्य-बाण छोड़ते रहते हैं,

“कहां है याहवेह का संदेश?

हम भी तो सुनें!”

किंतु मैं आपका चरवाहा होने के दायित्व से भागा नहीं;

और न ही मैंने उस घातक दिवस की कामना ही की.

आपकी उपस्थिति में मेरे मुख से मुखरित उच्चारण आपको ज्ञात ही हैं.

मेरे लिए आप आतंक का विषय न बन जाइए;

संकट के अवसर पर आप ही मेरे आश्रय होते हैं.

मेरे उत्पीड़क लज्जित किए जाएं,

किंतु मुझे लज्जित न होना पड़ें;

निराश उन्हें होना

पड़ें; मुझे नहीं.

विनाश का दिन उन पर टूट पड़ें, दो गुने विध्वंस से उन्हें कुचल दीजिए.

शब्बाथ की पवित्रता रखना

याहवेह ने मुझसे यह कहा: “जाकर जनसाधारण के लिए निर्धारित प्रवेश द्वार पर खड़े हो जाओ, यह वही द्वार है जिसमें से यहूदिया के राजा आते जाते हैं; और येरूशलेम के अन्य द्वारों पर भी जाना. वहां तुम्हें यह वाणी करनी होगी, ‘याहवेह का संदेश सुनो, यहूदिया के राजाओं, सारे यहूदिया तथा येरूशलेम वासियों, जो इन प्रवेश द्वारों में से प्रवेश करते हो. यह याहवेह का आदेश इसी प्रकार है: अपने विषय में सावधान हो जाओ, शब्बाथ17:21 शब्बाथ सातवां दिन जो विश्राम का पवित्र दिन है पर कोई भी बोझ न उठाना अथवा येरूशलेम के प्रवेश द्वारों से कुछ भी लेकर भीतर न आना. शब्बाथ पर अपने आवासों से बोझ बाहर न लाना और न किसी भी प्रकार के कार्य में संलग्न होना, बल्कि शब्बाथ को पवित्र रखना, जैसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को आदेश दिया था. न तो उन्होंने मेरे आदेशों का पालन किया और न उन पर ध्यान ही दिया; बल्कि उन्होंने हठ में अपनी-अपनी गर्दनें कठोर कर लीं, कि वे इन्हें न तो सुनें अथवा अपना आचरण सुधार लें. किंतु होगा यह यदि तुम सावधानीपूर्वक मेरी बात सुनोगे, यह याहवेह की वाणी है, कि तुम इस नगर के प्रवेश द्वार से शब्बाथ पर कोई बोझ लेकर प्रवेश न करोगे, बल्कि शब्बाथ को पवित्र रखने के लिए तुम इस दिन कोई भी कार्य न करोगे, तब इस नगर के प्रवेश द्वारों से राजा तथा उच्च अधिकारी प्रवेश करेंगे, जो दावीद के सिंहासन पर विराजमान होंगे, जो रथों एवं घोड़ों पर चला फिरा करेंगे. वे तथा उनके उच्च अधिकारी, यहूदिया तथा येरूशलेमवासी, तब यह नगर स्थायी रूप से बस जाएगा. वे यहूदिया के नगरों से, येरूशलेम के परिवेश से, बिन्यामिन प्रदेश से, तराई से, पर्वतीय क्षेत्र से तथा नेगेव से बलि, होमबलि, अन्‍नबलि तथा सुगंधधूप अपने साथ लेकर प्रवेश करेंगे. वे याहवेह के भवन में आभार-बलि लेकर भी आएंगे. किंतु यदि तुम शब्बाथ को पवित्र रखने, बोझ न उठाने, शब्बाथ पर येरूशलेम के प्रवेश द्वारों से प्रवेश न करने के मेरे आदेश की अवहेलना करो, तब मैं इन द्वारों के भीतर अग्नि प्रज्वलित कर दूंगा. यह अग्नि येरूशलेम में महलों को भस्म करने के बाद भी अलग न होगी.’ ”

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