येरेमियाह 14:1-22
अनावृष्टि, अकाल एवं तलवार
लड़ाई, तलवार एवं महामारी याहवेह की ओर से येरेमियाह को भेजा अनावृष्टि संबंधित संदेश:
“यहूदिया विलाप कर रहा है,
तथा उसके नगर द्वार निस्तेज हो गए हैं;
शोक का पहिरावा पहिने प्रजाजन भूमि पर बैठ गए हैं,
येरूशलेम का गिड़गिड़ाना आकाश तक पहुंच रहा है.
सम्पन्न लोगों ने जल के लिए अपने सेवकों को कुंओं पर भेजा;
कुंओं पर पहुंचकर उन्होंने पाया
कि वहां जल है ही नहीं.
वे रिक्त बर्तन लेकर ही लौट आए हैं;
उन्हें लज्जा एवं दीनता का सामना करना पड़ा,
वे अपने मुखमंडल छिपाए लौटे हैं.
देश में अनावृष्टि के कारण
भूमि तड़क चुकी है;
किसान लज्जा के कारण
मुखमंडल ढांपे हुए हैं.
यहां तक कि हिरणी अपने नवजात बच्चे को
मैदान में ही छोड़कर चली गई है,
क्योंकि चारा कहीं भी नहीं है.
वन्य गधे वनस्पतिहीन पहाड़ियों पर खड़े रह जाते हैं,
वे सियारों के समान हांफते हैं;
उनके नेत्र निस्तेज हो गए हैं
क्योंकि वनस्पति कहीं भी नहीं है.”
यद्यपि हमारे अनाचार ही हमारे विरुद्ध साक्षी बन गए हैं,
याहवेह, अपनी ही प्रतिष्ठा के निमित्त तैयार हो जाइए.
यह सत्य है कि हम अनेक क्षेत्रों में अपने विश्वासमत से भटके हुए हैं;
हमने आपके विरुद्ध पाप किया है.
आप जो इस्राएल की आशा के आधार हैं,
आप जो इसके संकट में इसके बचानेवाले रहे हैं,
आप देश में ही विदेशी सदृश क्यों हो गए हैं, अथवा उस यात्री के सदृश,
जिसने मात्र रात्रि के लिए ही तंबू डाला हुआ है?
आप उस व्यक्ति सदृश कैसे हो गए हैं, जो विस्मित हो चुका है,
उस शूर के सदृश जो रक्षा करने में असमर्थ हो गया है?
कुछ भी हो याहवेह, आप हमारे मध्य में उपस्थित हैं,
हम पर आपके ही स्वामित्व की मोहर लगी है;
हमारा परित्याग न कर दीजिए!
अपनी इस प्रजा के लिए याहवेह का यह संदेश है:
“यद्यपि स्वेच्छानुरूप उन्होंने मुझसे दूर जाना ही उपयुक्त समझा;
उन्होंने अपने पांवों पर नियंत्रण न रखा.
इसलिये याहवेह भी उन्हें स्वीकार नहीं करना चाहते;
इसलिये अब वह उनकी पापिष्ठता को स्मरण कर
उनके पापों का लेखा लेंगे.”
याहवेह ने मुझसे कहा, “इन लोगों के कल्याण के लिए बिनती मत करो. यदि वे उपवास भी करें, मैं उनके गिड़गिड़ाने पर ध्यान न दूंगा; जब वे होमबलि एवं अन्नबलि भी अर्पित करें, मैं उन्हें स्वीकार नहीं करूंगा. इसकी अपेक्षा मैं उन्हें तलवार, अकाल तथा महामारी द्वारा नष्ट कर दूंगा.”
इसे सुन मैंने कहा, “प्रभु परमेश्वर, आप ही देखिए! भविष्यद्वक्ता ही उनसे कह रहे हैं, ‘न तो तुम्हें तलवार का सामना करना पड़ेगा, न ही अकाल का; बल्कि याहवेह तुम्हें इस स्थान पर ही स्थायी शांति प्रदान करेंगे.’ ”
तब याहवेह ने मुझ पर यह प्रकट किया, “ये भविष्यद्वक्ता मेरा नाम लेकर झूठी भविष्यवाणी कर रहे हैं. वे न तो मेरे द्वारा भेजे गए हैं और न ही मैंने उन्हें कोई आदेश दिया है और यहां तक कि मैंने तो उनसे बात तक नहीं की है. जिसे वे तुम्हारे समक्ष भविष्यवाणी स्वरूप प्रस्तुत कर रहे हैं, वह निरा झूठा दर्शन, भविष्यवाणी तथा व्यर्थ मात्र है, उनके अपने ही मस्तिष्क द्वारा बनाया छलावा. याहवेह का यह संदेश उन भविष्यवक्ताओं के विषय में है जो मेरे नाम में भविष्यवाणी कर रहे हैं: जबकि मैंने उन्हें प्रगट किया ही नहीं, फिर भी वे यह दावा करते रहते हैं, ‘इस देश में न तो तलवार का प्रहार होगा न ही अकाल का.’ तब इन भविष्यवक्ताओं का अंत ही तलवार तथा लड़ाई द्वारा होगा. वे लोग भी, जिनके लिए ये भविष्यद्वक्ता भविष्यवाणी कर रहे हैं, लड़ाई तथा तलवार से मारे गये ये लोग बाहर येरूशलेम की गलियों में फेंक दिए जाएंगे. उन्हें गाड़ने के लिए शेष कोई भी न रहेगा; यही होगी उन सभी की हालत; स्वयं उनकी, उनकी पत्नियों की, उनके पुत्रों की तथा उनकी पुत्रियों की. क्योंकि मैं उनकी पापिष्ठता उन्हीं पर उंडेल दूंगा.
“तुम्हें उन्हें यह संदेश देना होगा:
“ ‘मेरे नेत्रों से दिन-रात अश्रुप्रवाह होने दिया जाए,
इन प्रवाहों को रुकने न दिया जाए;
क्योंकि मेरी प्रजा की कुंवारी पुत्री को,
प्रचंड प्रहार से कुचल दिया गया है,
उसका घाव अत्यंत गंभीर है.
यदि मैं खुले मैदान में निकल जाता हूं,
मुझे वहां तलवार से मरे ही मरे दिखाई दे रहे हैं;
अथवा यदि मैं नगर में प्रवेश करता हूं,
मुझे वहां महामारी तथा अकाल ही दिखाई देते हैं.
क्योंकि भविष्यद्वक्ता और पुरोहित दोनों ही
एक ऐसे देश में भटक रहे हैं जो उनके लिए सर्वथा अज्ञात है.’ ”
याहवेह, क्या आपने यहूदिया का पूर्ण परित्याग कर दिया है?
क्या आपका हृदय ज़ियोन के प्रति घृणा से परिपूर्ण है?
आपने हम पर ऐसा प्रचंड प्रहार क्यों किया है
कि हमारा घाव असाध्य हो गया है?
हम शांति की प्रतीक्षा करते रहे
किंतु कुछ भी अनुकूल घटित नहीं हुआ,
हम अच्छे हो जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे
किंतु हमने आतंक ही पाया.
याहवेह, हम अपनी बुराई स्वीकार करते हैं,
हम अपने पूर्वजों की पापिष्ठता भी स्वीकार करते हैं;
क्योंकि हमने आपके विरुद्ध पाप किया है.
याहवेह, अपनी ही प्रतिष्ठा के निमित्त हमसे घृणा न कीजिए;
अपने वैभव के सिंहासन को अपमानित न होने दीजिए.
हमसे स्थापित की गई अपनी वाचा का
नाश न कीजिए.
क्या जनताओं के देवताओं में कोई ऐसा है, जो वृष्टि दे सके?
अथवा क्या वृष्टि आकाश से स्वयमेव ही हो जाती है?
याहवेह, हमारे परमेश्वर, क्या आप ही वृष्टि के बनानेवाले नहीं?
हमारा भरोसा आप पर ही है,
क्योंकि आप ही हैं जिन्होंने यह सब बनाया है.
येरेमियाह 15:1-21
तब याहवेह मुझसे बात करने लगे: “यद्यपि मोशेह तथा शमुएल भी मेरे सम्मुख उपस्थित हो जाएं, इन लोगों के लिए मेरा हृदय द्रवित न होगा. उन्हें मेरी उपस्थिति से दूर ले जाओ! दूर हो जाएं वे मेरे समक्ष से! जब वे तुमसे यह पूछें, ‘कहां जाएं हम?’ तब तुम उन्हें उत्तर देना, ‘यह वाणी याहवेह की है:
“ ‘वे जो मृत्यु के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी मृत्यु होगी;
जो तलवार के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी तलवार से,
जो अकाल के लिए पूर्व-निर्दिष्ट हैं, उनकी अकाल से;
तथा जिन्हें बंधुआई में ले जाया जाना है, वे बंधुआई में ही ले जाए जाएंगे.’
“मैं उनके लिए चार प्रकार के विनाश निर्धारित कर दूंगा,” यह याहवेह की वाणी है, “संहार के लिए तलवार और उन्हें खींचकर ले जाने के लिए कुत्ते तथा आकाश के पक्षी एवं पृथ्वी के पशु उन्हें खा जाने तथा नष्ट करने के लिए. यहूदिया के राजा हिज़किय्याह के पुत्र मनश्शेह द्वारा येरूशलेम में किए गए कुकृत्यों के कारण, मैं उन्हें पृथ्वी के सारे राज्यों के लिए आतंक का विषय बना दूंगा.
“येरूशलेम, कौन तुम पर तरस खाने के लिए तैयार होगा?
अथवा कौन तुम्हारे लिए विलाप करेगा?
अथवा कौन तुम्हारा कुशल क्षेम ज्ञात करने का कष्ट उठाएगा?
तुम, जिन्होंने मुझे भूलना पसंद कर दिया है,” यह याहवेह की वाणी है.
“तुम जो पीछे ही हटते जा रहे हो.
इसलिये मैं अपना हाथ तुम्हारे विरुद्ध उठाऊंगा और तुम्हें नष्ट कर दूंगा;
थक चुका हूं मैं तुम पर कृपा करते-करते.
मैं सूप लेकर देश के प्रवेश द्वारों पर
उनको फटकूंगा.
मैं उनसे उनकी संतान ले लूंगा और मैं अपनी ही प्रजा को नष्ट कर दूंगा,
उन्होंने अपने आचरण के लिए पश्चात्ताप नहीं किया है.
अब मेरे समक्ष उनकी विधवाओं की संख्या में
सागर तट के बांध से अधिक वृद्धि हो जाएगी.
मैं जवान की माता के विरुद्ध दोपहर में एक विनाशक ले आऊंगा;
मैं उस पर सहसा व्यथा एवं निराशा ले आऊंगा.
वह, जिसके सात पुत्र पैदा हुए थे, व्यर्थ और दुर्बल हो रही है
और उसका श्वसन भी श्रमपूर्ण हो गया है.
उसका सूर्य तो दिन ही दिन में अस्त हो गया;
उसे लज्जित एवं अपमानित किया गया.
और मैं उनके शत्रुओं के ही समक्ष
उन्हें तलवार से घात कर दूंगा जो उनके उत्तरजीवी हैं,”
यह याहवेह की वाणी है.
मेरी माता, धिक्कार है मुझ पर, जो आपने मुझे जन्म दिया है,
मैं, सारे देश के लिए संघर्ष एवं विवाद का कारण हो गया हूं!
न तो मैंने किसी को ऋण दिया है न ही किसी ने मुझे,
फिर भी सभी मुझे शाप देते रहते हैं.
याहवेह ने उत्तर दिया,
“निःसंदेह मैं कल्याण के लिए तुम्हें मुक्त कर दूंगा;
निःसंदेह मैं ऐसा करूंगा कि
शत्रु संकट एवं पीड़ा के अवसर पर तुमसे विनती करेगा.
“क्या कोई लौह को तोड़ सकता है,
उत्तर दिशा के लौह एवं कांस्य को?
“तुम्हारी ही सीमाओं के भीतर तुम्हारे सारे पापों के कारण
मैं तुम्हारा धन तथा तुम्हारी निधियां लूट की सामग्री बनाकर ऐसे दे दूंगा,
जिसके लिए किसी को
कुछ प्रयास न करना पड़ेगा.
तब मैं तुम्हारे शत्रुओं को इस प्रकार प्रेरित करूंगा,
कि वे उसे ऐसे देश में ले जाएंगे जिसे तुम नहीं जानते,
क्योंकि मेरे क्रोध में एक अग्नि प्रज्वलित हो गई है
जो सदैव ही प्रज्वलित रहेगी.”
याहवेह, आप सब जानते हैं;
मुझे स्मरण रखिए, मेरा ध्यान रखिए, उनसे बदला लीजिए.
जिन्होंने मुझ पर अत्याचार किया है.
आप धीरज धरनेवाले हैं—मुझे दूर मत कीजिये;
यह बात आपके समक्ष स्पष्ट रहे कि मैं आपके निमित्त निंदा सह रहा हूं.
मुझे आपका संदेश प्राप्त हुआ, मैंने उसे आत्मसात कर लिया;
मेरे लिए आपका संदेश आनंद का स्रोत और मेरे हृदय का उल्लास है,
याहवेह सेनाओं के परमेश्वर,
इसलिये कि मुझ पर आपके स्वामित्व की मोहर लगाई गई है.
न मैं उनकी संगति में जाकर बैठा हूं जो मौज-मस्ती करते रहते हैं,
न ही स्वयं मैंने आनंद मनाया है;
मैं अकेला ही बैठा रहा क्योंकि मुझ पर आपका हाथ रखा हुआ था,
क्योंकि आपने मुझे आक्रोश से पूर्ण कर दिया है.
क्या कारण है कि मेरी पीड़ा सदा बनी रही है
तथा मेरे घाव असाध्य हो गए हैं, वे स्वस्थ होते ही नहीं?
क्या आप वास्तव में मेरे लिए धोखा देनेवाले सोता के समान हो जाएंगे,
जिसमें जल होना, न होना अनिश्चित ही होता है.
इसलिये याहवेह का संदेश यह है:
“यदि तुम लौट आओ, तो मैं तुम्हें पुनःस्थापित करूंगा
कि तुम मेरे समक्ष खड़े रह पाओगे;
यदि तुम व्यर्थ बातें नहीं, बल्कि अनमोल बातें कहें,
तुम मेरे प्रवक्ता बन जाओगे.
संभव है कि वे तुम्हारे निकट आ जाएं,
किंतु तुम स्वयं उनके निकट न जाना.
तब मैं तुम्हें इन लोगों के लिए
कांस्य की दृढ़ दीवार बना दूंगा;
वे तुमसे युद्ध तो अवश्य करेंगे
किंतु तुम पर प्रबल न हो सकेंगे,
क्योंकि तुम्हारी सुरक्षा के लिए मैं तुम्हारे साथ हूं,
मैं तुम्हारा उद्धार करूंगा,”
यह याहवेह की वाणी है.
“इस प्रकार मैं तुम्हें बुरे लोगों के आधिपत्य से विमुक्त करूंगा
और मैं तुम्हें हिंसक के बंधन से छुड़ा लूंगा.”