यशायाह 38:1-22, यशायाह 39:1-8, यशायाह 40:1-31 HCV

यशायाह 38:1-22

हिज़किय्याह का रोग

उन्हीं दिनों में हिज़किय्याह को ऐसा रोग हो गया कि वह मरने पर था. आमोज़ के पुत्र भविष्यद्वक्ता यशायाह उससे मिलने आए. उन्होंने हिज़किय्याह से कहा, “याहवेह का संदेश यह है—अपने परिवार की व्यवस्था कर लीजिए क्योंकि आपकी मृत्यु होनी ही है, आपका रोग से ठीक हो पाना संभव नहीं.”

यह सुन हिज़किय्याह ने अपना मुंह दीवार की ओर कर याहवेह से यह प्रार्थना की, “याहवेह, कृपा कर याद करें कि मैं पूरे मन से कैसे सच्चाई में आपके सामने आचरण करता रहा हूं. और मैंने वही किया है, जो आपकी दृष्टि में सही है.” तब हिज़किय्याह फूट-फूटकर रोने लगा.

तब यशायाह को याहवेह का यह संदेश प्राप्‍त हुआ: “जाकर हिज़किय्याह से कहो, ‘तुम्हारे पूर्वज दावीद के परमेश्वर याहवेह का संदेश यह है: मैंने तुम्हारी विनती सुनी है, तुम्हारे आंसू मैंने देखे हैं; अब देखना कि मैं तुम्हारे जीवन में पन्द्रह वर्ष और बढ़ा रहा हूं. मैं तुम्हें तथा इस नगर को अश्शूर के राजा के अधिकार से मुक्त करूंगा. इस नगर की रक्षा मैं करूंगा.

“ ‘जो कुछ याहवेह ने कहा वह उसे पूरा करेंगे, याहवेह की ओर से तुम्हारे लिए इसका चिन्ह यह होगा: तुम देखोगे कि सूर्य की छाया को मैं दस अंश पीछे हटा दूंगा.’ ” तब सूर्य द्वारा उत्पन्‍न छाया दस अंश पीछे हट गई.

यहूदिया के राजा हिज़किय्याह की बात, जो उसने अपने रोगी होकर चंगा होने के बाद लिखी है:

मैंने सोचा, “कि मेरे जीवन के बीच में ही

मुझे नर्क के फाटकों में से जाना होगा

और मेरे जीवन का कोई पल अब बचा नहीं?”

मैंने सोचा, “मैं जीवितों की पृथ्वी पर38:11 मैं जीवितों की पृथ्वी पर जब तक मैं ज़िंदा रहूंगा, तब तक! याहवेह को38:11 मूल में “याह को” देख न सकूंगा;

मैं अब याहवेह को और मनुष्य को नहीं देख सकूंगा.

मेरा घर चरवाहे के तंबू के समान

हटा लिया गया है.

मैंने तो अपना जीवन बुनकर लपेट लिया था,

प्रभु ने मुझे करघे से काटकर अलग कर दिया है;

एक ही दिन में तू मेरा अंत कर डालेगा.

सुबह तक मैं अपने आपको शांत करता रहा,

प्रभु सिंह के समान मेरी हड्डियों को तोड़ते रहे;

दिन से शुरू कर रात तक आपने मेरा अंत कर दिया है.

मैं सुपाबेनी या सारस के समान चहकता हूं,

मैं पण्डुक के समान कराहता हूं.

मेरी आंखें ऊपर की ओर देखते-देखते थक गई है.

हे प्रभु, मैं परेशान हूं आप मेरे सहायक हों!”

अब मैं क्या कहूं?

क्योंकि उन्होंने मुझसे प्रतिज्ञा की और पूरी भी की है.

मैं जीवन भर दुःख के साथ

जीवित रहूंगा.

हे प्रभु, ये बातें ही तो मनुष्यों को जीवित रखती हैं;

इन्हीं से मेरी आत्मा को जीवन मिलता है.

आप मुझे चंगा कीजिए

और जीवित रखिए.

शांति पाने के लिए

मुझे बड़ी कड़वाहट मिली.

आपने मेरे प्राण को

नाश के गड्ढे से निकाला है;

क्योंकि मेरे सब पापों को

आपने पीठ पीछे फेंक दिया है.

अधोलोक आपका धन्यवाद नहीं कर सकता,

न मृत्यु आपकी महिमा कर सकती है;

जो कब्र में पड़े हैं

वे आपकी विश्वासयोग्यता की आशा नहीं कर सकते.

जीवित व्यक्ति ही आपका धन्यवाद कर सकते हैं,

जिस प्रकार मैं आज कर रहा हूं;

पिता अपनी संतान से

आपकी विश्वस्तता की बात बताता है.

निश्चयतः याहवेह मेरा उद्धार करेंगे,

इसलिये याहवेह के भवन में

पूरे जीवनकाल में

मेरे गीत तार वाले बाजों पर गाते रहेंगे.

यशायाह ने कहा, “अंजीर की टिकिया हिज़किय्याह के फोड़े पर लगा दो, ताकि उसे इससे आराम मिल सके.”

इसी पर हिज़किय्याह ने पूछा था, “इसका चिन्ह क्या होगा कि मैं याहवेह के भवन में फिर से जा पाऊंगा?”

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यशायाह 39:1-8

बाबेल का प्रतिनिधिमण्डल

उसी समय बाबेल के राजा बलादन के पुत्र मेरोदाख-बलादान ने हिज़किय्याह के लिए पत्र तथा एक उपहार भेजा, क्योंकि उन्हें यह समाचार मिला, कि हिज़किय्याह अस्वस्थ था तथा अब वह ठीक है. हिज़किय्याह उनकी बातें ध्यान से सुनता रहा, फिर उनका स्वागत करते हुए उसने उन्हें अपना सारा खजाना, सोना-चांदी और सभी मसाले, कीमती तेल, अपना हथियार घर और अपने भंडार घर की सारी वस्तुएं दिखा दीं; यानी सभी कुछ, जो उसके खजानों में जमा था. उसके घर में या उसके सारी राज्य में ऐसा कुछ न था, जो उसने उन्हें न दिखाया हो.

यह होने के बाद भविष्यद्वक्ता यशायाह राजा हिज़किय्याह से भेंट करने गए और उससे कहा, “क्या कह रहे हैं ये लोग, कहां से आए थे?”

“हिज़किय्याह ने उत्तर दिया, वे एक दूर देश से—बाबेल से मेरे पास आए थे.”

भविष्यद्वक्ता यशायाह ने राजा से पूछा, “क्या-क्या देखा उन्होंने आपके घर का?”

हिज़किय्याह ने उत्तर दिया, “जो कुछ मेरे घर में है, वे सभी कुछ देख गए हैं, मेरे खजाने में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो उन्होंने न देखा हो.”

यह सुन यशायाह ने हिज़किय्याह से कहा, “याहवेह का संदेश सुनिए: ‘यह देख लेना कि वे दिन आ रहे हैं, जब वह सभी कुछ, जो आपके घर में है, वह सब, जो आपके पूर्वजों द्वारा आज तक इकट्ठा किया गया है, बाबेल को ले जाया जाएगा—कुछ भी बाकी न रह जाएगा,’ यह याहवेह का संदेश है. तुम्हारे ही अपने पुत्रों में से कुछ को, जो तुम्हारे अपने पुत्र होंगे उन्हें बंधुआई में ले जाया जाएगा. वे बाबेल के राजा के राजघराने में नपुंसक बना दिए जाएंगे.”

तब हिज़किय्याह ने यशायाह से कहा, “याहवेह का वचन जो तुमने कहा वह भला ही है,” फिर कहा, “कम से कम मेरे जीवनकाल में तो शांति एवं सुरक्षा बनी रहेगी.”

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यशायाह 40:1-31

परमेश्वर की प्रजा को शांति

तुम्हारा परमेश्वर यह कहता है,

कि मेरी प्रजा को शांति दो, शांति दो!

येरूशलेम से शांति की बात करो,

उनसे कहो

कि अब उनकी कठिन सेवा खत्म हो चुकी है,

क्योंकि उनके अधर्म का मूल्य दे चुका है,

उसने याहवेह ही के हाथों से अपने सारे पापों के लिए

दो गुणा दंड पा लिया है.

एक आवाज, जो पुकार-पुकारने वाले की, कह रही है,

“याहवेह के लिए जंगल

में मार्ग को तैयार करो;

हमारे परमेश्वर के लिए उस मरुस्थल में

एक राजमार्ग सीधा कर दो.

हर एक तराई भर दो,

तथा हर एक पर्वत तथा पहाड़ी को गिरा दो;

असमतल भूमि को चौरस मैदान बना दो,

तथा ऊंचा नीचा है वह चौड़ा किया जाए.

तब याहवेह का प्रताप प्रकट होगा,

तथा सब जीवित प्राणी इसे एक साथ देख सकेंगे.

क्योंकि यह याहवेह के मुंह से निकला हुआ वचन है.”

फिर बोलनेवाले कि आवाज सुनाई दी कि प्रचार करो.

मैंने कहा, “मैं क्या प्रचार करूं?”

“सभी मनुष्य घास समान हैं,

उनकी सुंदरता40:6 सुंदरता या धार्मिकता मैदान के फूल समान है.

घास मुरझा जाती है तथा फूल सूख जाता है,

जब याहवेह की श्वास चलती है.

तब घास सूख जाती है.

घास मुरझा जाती है तथा फूल सूख जाता है,

किंतु हमारे परमेश्वर का वचन स्थिर रहेगा.”

किसी ऊंचे पर्वत पर चले जाओ,

हे ज़ियोन, तुम तो शुभ संदेश सुनाते हो.

अत्यंत ऊंचे स्वर में घोषणा करो,

हे येरूशलेम, तुम जो शुभ संदेश सुनाते हो,

बिना डरे हुए ऊंचे शब्द से

कहो; यहूदिया के नगरों को बताओ,

“देखो ये हैं हमारे परमेश्वर!”

तुम देखोगे कि प्रभु याहवेह बड़ी सामर्थ्य के साथ आएंगे,

वह अपने भुजबल से शासन करेंगे.

वह अपने साथ मजदूरी लाए हैं,

उनका प्रतिफल उनके आगे-आगे चलता है.

वह चरवाहे के समान अपने झुंड की देखभाल करेंगे:

वह मेमनों को अपनी बाहों में ले लेंगे

वह उन्हें अपनी गोद में उठा लेंगे और बाहों में लेकर चलेंगे;

उनके साथ उनके चरवाहे भी होंगे.

कौन है जिसने अपनी हथेली से महासागर को नापा है,

किसने बित्ते से आकाश को नापा है?

किसने पृथ्वी की धूल को माप कर उसकी गिनती की है,

तथा पर्वतों को कांटे से

तथा पहाड़ियों को तौल से मापा है?

किसने याहवेह के आत्मा को मार्ग बताया है,

अथवा याहवेह का सहायक होकर उन्हें ज्ञान सिखाया है?

किससे उसने सलाह ली,

तथा किसने उन्हें समझ दी?

किसने उन्हें न्याय की शिक्षा दी तथा उन्हें ज्ञान सिखाया,

किसने उन्हें बुद्धि का मार्ग बताया?

यह जान लो, कि देश पानी की एक बूंद

और पलड़ों की धूल के समान है;

वह द्वीपों को धूल के कण समान उड़ा देते हैं.

न तो लबानोन ईंधन के लिए पर्याप्‍त है,

और न ही होमबलि के लिए पशु है.

उनके समक्ष पूरा देश उनके सामने कुछ नहीं है;

उनके सामने वे शून्य समान हैं.

तब? किससे तुम परमेश्वर की तुलना करोगे?

या किस छवि से उनकी तुलना की जा सकेगी?

जैसे मूर्ति को शिल्पकार रूप देता है,

स्वर्णकार उस पर सोने की परत चढ़ा देता है

तथा चांदी से उसके लिए कड़ियां गढ़ता है.

कंगाल इतनी भेंट नहीं दे सकता

इसलिये वह अच्छा पेड़ चुने, जो न सड़े;

फिर एक योग्य शिल्पकार को ढूंढ़कर

मूरत खुदवाकर स्थिर करता है ताकि यह हिल न सके.

क्या तुम नहीं जानते?

क्या तुमने सुना नहीं?

क्या शुरू में ही तुम्हें नहीं बताया गया था?

क्या पृथ्वी की नींव रखे जाने के समय से ही तुम यह समझ न सके थे?

यह वह हैं जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर

आकाश में विराजमान हैं.

पृथ्वी के निवासी तो टिड्डी के समान हैं,

वह आकाश को मख़मल के वस्त्र के समान फैला देते हैं.

यह वही हैं, जो बड़े-बड़े हाकिमों को तुच्छ मानते हैं

और पृथ्वी के अधिकारियों को शून्य बना देते हैं.

कुछ ही देर पहले उन्हें बोया गया,

जड़ पकड़ते ही हवा चलती

और वे सूख जाति है,

और आंधी उन्हें भूसी के समान उड़ा ले जाती है.

“अब तुम किससे मेरी तुलना करोगे?

कि मैं उसके तुल्य हो जाऊं?” यह पवित्र परमेश्वर का वचन है.

अपनी आंख ऊपर उठाकर देखो:

किसने यह सब रचा है?

वे अनगिनत तारे जो आकाश में दिखते हैं

जिनका नाम लेकर बुलाया जाता है.

और उनके सामर्थ्य तथा उनके अधिकार की शक्ति के कारण,

उनमें से एक भी बिना आए नहीं रहता.

हे याकोब, तू क्यों कहता है?

हे इस्राएल, तू क्यों बोलता है,

“मेरा मार्ग याहवेह से छिपा है;

और मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की चिंता नहीं करता”?

क्या तुम नहीं जानते?

तुमने नहीं सुना?

याहवेह सनातन परमेश्वर है,

पृथ्वी का सृजनहार, वह न थकता,

न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अपरंपार है.

वह थके हुओं को बल देता है,

शक्तिहीनों को सामर्थ्य देता है.

यह संभव है कि जवान तो थकते,

और मूर्छित हो जाते हैं और लड़खड़ा जाते हैं;

परंतु जो याहवेह पर भरोसा रखते हैं

वे नया बल पाते जाएंगे.

वे उकाबों की नाई उड़ेंगे;

वे दौड़ेंगे, किंतु श्रमित न होंगे,

चलेंगे, किंतु थकित न होंगे.

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