यशायाह 30:19-33, यशायाह 31:1-9, यशायाह 32:1-20 HCV

यशायाह 30:19-33

हे ज़ियोन के लोगो, येरूशलेम के वासियो, तुम अब और न रोओगे. याहवेह तुम्हारे रोने को सुनकर तुम पर दयालु होंगे और तुम्हें उत्तर देंगे. यद्यपि प्रभु ने तुम्हें विपत्ति की रोटी और दुःख का जल दिया है, वह, तुमसे अब दूर नहीं जायेंगे. तुम्हें उपदेश देंगे और तुम अपनी आंखों से उपदेशक को देखोगे. जब कभी भी तुम दायें अथवा बायें मुड़ो तुम्हें पीछे से एक आवाज सुनाई देगी, “यही है वह मार्ग; इसी पर चला करो.” तुम्हारे सोने और चांदी जिसमें मूर्तियां खुदी हुई है; उसे अशुद्ध करोगे और उसे पुराने कपड़ों के समान उठाकर फेंक दोगे, “दूर हो जाओ!”

तब याहवेह उस बीज के लिए तुम्हें बारिश देंगे जो तुमने भूमि में लगाई है, और भोजन अर्थात् वह उपज जो भूमि से मिलती है उत्तम और भरपूर होगी. बैल और गधे जो खेतों के लिए काम में लाए जाते हैं, वे सूप और डलिया से फटकी हुई भूसी खाकर तृप्‍त होंगे. उस महा संहार के समय जब दुर्ग गिरेंगे, तब पहाड़ों और हर ऊंची पहाड़ियों से सोते बहेंगे. उस समय जब याहवेह अपने लोगों के घाव पर पट्टी बांधेंगे और उन खरोचों को ठीक करेंगे, जो उन्होंने उन्हें पहुंचाई थी, उस दिन चंद्रमा का तेज सूर्य के तेज के समान होगा और सूर्य का प्रकाश सात गुणा अर्थात् वह सात दिन के प्रकाश के समान होगा.

देखो, याहवेह अपनी महिमा में दूर से आ रहे हैं,

उनका क्रोध भड़क उठा है और धुंए का बादल उठ रहा है;

उसके होंठ क्रोध से भरे हैं,

और उनकी जीभ भस्म करनेवाली आग के समान है.

उनकी श्वास उमड़ती हुई धारा के समान है,

जो गले तक पहुंचती है.

वह सब जनताओं को छलनी में आगे-पीछे हिला देंगे;

और लोगों के जबड़ों में ऐसी लगाम कस देंगे

जो नाश की ओर ले जाती है.

तुम्हारे गीत

पवित्र पर्व पर रात में गाए गीतों के समान होंगे;

और तुम्हारा दिल ऐसे आनंदित होगा

जैसे कोई याहवेह के पर्वत

इस्राएल की चट्टान पर,

बांसुरी की आवाज के साथ आगे बढ़ता जाता है.

तब याहवेह अपनी प्रतापमय वाणी सुनायेंगे

और स्वर्ग से उनका बल उनके प्रचंड क्रोध,

भस्म करनेवाली आग, भारी वर्षा

और ओलों के द्वारा दिखाई देगा.

क्योंकि याहवेह की शक्ति पर अश्शूर डर जाएगा;

जब याहवेह उनको दंड देंगे.

उस समय खंजरी और नेबेल की आवाज सुनाई देगी,

याहवेह हथियार से उनसे युद्ध करेंगे.

क्योंकि पहले से ही एक अग्निकुण्ड30:33 अग्निकुण्ड मूल में तोफेथ जलाने की जगह तैयार किया गया है;

यह राजा के लिए तैयार किया गया है.

अनेक लकड़ियों से बनाई गयी एक चिता;

गंधक की धारा के समान,

याहवेह अपनी श्वास इसमें डाल देते हैं.

Read More of यशायाह 30

यशायाह 31:1-9

सहायता मिस्र में नहीं किंतु प्रभु में

हाय उन पर जो मिस्र देश में सहायता के लिए जाते हैं,

और जो घोड़ों पर आश्रित होते हैं,

उनका भरोसा रथों पर है क्योंकि वे बहुत हैं,

और सवारों पर क्योंकि वे बलवान है,

किंतु वे इस्राएल के पवित्र परमेश्वर की ओर सहायता के लिए नहीं देखते,

और न ही वे याहवेह को खोजते हैं.

परंतु वह भी बुद्धिमान हैं याहवेह और दुःख देंगे;

याहवेह अपने वायदे को नहीं बदलेंगे.

वह अनर्थकारियों के विरुद्ध लड़ेंगे,

और उनके खिलाफ़ भी, जो अपराधियों की सहायता करते हैं.

मिस्र के लोग मनुष्य हैं, ईश्वर नहीं; और उनके घोड़े हैं,

और उनके घोड़े आत्मा नहीं बल्कि मांस हैं.

याहवेह अपना हाथ उठाएंगे और जो सहायता करते हैं,

वे लड़खड़ाएंगे और जिनकी सहायता की जाती है;

वे गिरेंगे और उन सबका अंत हो जाएगा.

क्योंकि याहवेह ने मुझसे कहा:

“जिस प्रकार एक सिंह अथवा,

जवान सिंह अपने शिकार पर गुर्राता है—

और सब चरवाहे मिलकर

सिंह का सामना करने की कोशिश करते हैं,

परंतु सिंह न तो उनकी ललकार से डरता है

और न ही उनके डराने से भागता है—

उसी प्रकार सर्वशक्तिमान याहवेह ज़ियोन पर्वत पर

उनके विरुद्ध युद्ध करने के लिए तैयार हो जाएंगे.

पंख फैलाए हुए31:5 पंख फैलाए हुए अर्थात् एक पक्षी के समान

पक्षी के समान

सर्वशक्तिमान याहवेह येरूशलेम की रक्षा करेंगे;

और उन्हें छुड़ाएंगे.”

हे इस्राएल तुमने जिसका विरोध किया है, उसी की ओर मुड़ जाओ. उस समय हर व्यक्ति अपनी सोने और चांदी की मूर्तियों को फेंक देगा, जो तुमने बनाकर पाप किया था.

“अश्शूरी के लोग तलवार से मार दिये जाएंगे, वह मनुष्य की तलवार से नहीं;

एक तलवार उन्हें मार डालेगी, किंतु वह तलवार मनुष्य की नहीं है.

इसलिये वह उस तलवार से बच नहीं पाएगा

और उसके जवान पुरुष पकड़े जाएंगे.

डर से उसका गढ़ गिर जाएगा;

और उसके अधिकारी डर के अपना झंडा छोड़कर भाग जाएंगे,”

याहवेह की यह वाणी है कि,

जिनकी अग्नि ज़ियोन में,

और जिनका अग्निकुण्ड येरूशलेम की पहाड़ी पर युद्ध करने को उतरेंगे.

Read More of यशायाह 31

यशायाह 32:1-20

धार्मिकता का राज्य

देखो, राजा धर्म से शासन करेंगे

और अधिकारी न्याय से शासन करेंगे.

सब मानो आंधी से छिपने

का स्थान और बौछार के लिये आड़ के समान होगा,

मरुभूमि में झरने

एक विशाल चट्टान की छाया के समान होंगे.

तब जो देखते हैं, उनकी आंख कमजोर न होगी,

और जो सुनते हैं वे सुनेंगे.

उतावले लोगों के मन ज्ञान की बातें समझेंगे,

और जो हकलाते हैं वे साफ़ बोलेंगे.

मूर्ख फिर उदार न कहलायेगा

न कंजूस दानी कहलायेगा.

क्योंकि एक मूर्ख मूढ़ता की बातें ही करता है,

और उसका मन व्यर्थ बातों पर ही लगा रहता है:

वह कपट और याहवेह के विषय में झूठ बोलता है

जिससे वह भूखे को भूखा और प्यासे को प्यासा ही रख सके.

दुष्ट गलत बात सोचता है,

और सीधे लोगों को भी अपनी बातों में फंसा देता है.

किंतु सच्चा व्यक्ति तो अच्छा ही करता है,

और अच्छाईयों पर स्थिर रहता है.

येरूशलेम की स्त्रियां

हे आलसी स्त्रियों तुम जो निश्चिंत हो,

मेरी बात को सुनो;

हे निश्चिंत पुत्रियो उठो,

मेरे वचन पर ध्यान दो!

हे निश्चिंत पुत्रियो एक वर्ष

और कुछ ही दिनों में तुम व्याकुल कर दी जाओगी;

क्योंकि दाख का समय खत्म हो गया है,

और फल एकत्र नहीं किए जाएंगे.

हे निश्चिंत स्त्रियो, कांपो;

कांपो, हे निश्चिंत पुत्रियो!

अपने वस्त्र उतारकर

अपनी कमर पर टाट बांध लो.

अच्छे खेतों के लिए

और फलदार अंगूर के लिये रोओ,

क्योंकि मेरी प्रजा,

जो बहुत खुश और आनंदित है,

उनके खेत में झाड़

और कांटे उग रहे हैं.

क्योंकि राजमहल छोड़ दिया जायेगा,

और नगर सुनसान हो जायेगा;

पर्वत और उनके पहरेदारों के घर जहां है,

वहां जंगली गधे मौज करेंगे, पालतू पशुओं की चराई बन जाएंगे.

जब तक हम पर ऊपर से आत्मा न उंडेला जाए,

और मरुभूमि फलदायक खेत न बन जाए,

और फलदायक खेत वन न बन जाए.

तब तक उस बंजर भूमि में याहवेह का न्याय रहेगा,

और फलदायक खेत में धर्म रहेगा.

धार्मिकता का फल है शांति, उसका परिणाम चैन;

और हमेशा के लिए साहस!

तब मेरे लोग शांति से,

और सुरक्षित एवं स्थिर रहेंगे.

और वन विनाश होगा

और उस नगर का घमंड चूर-चूर किया जाएगा,

क्या ही धन्य हो तुम,

जो जल के स्रोतों के पास बीज बोते हो,

और गधे और बैल को आज़ादी से चराते हो.

Read More of यशायाह 32