निर्गमन 15:1-27
मोशेह तथा इस्राएल का विजय गान
तब मोशेह तथा इस्राएलियों ने याहवेह के लिए यह गीत गाया:
“मैं याहवेह के लिए गीत गाऊंगा,
क्योंकि वे अति महान परमेश्वर हैं.
घोड़ों एवं चालकों को
उन्होंने समुद्र में डाल दिया.
“याहवेह मेरा बल और मेरा गीत हैं,
वही मेरा उद्धार बना हैं.
यही हैं मेरे परमेश्वर, मैं उनकी स्तुति करूंगा;
मेरे पिता के परमेश्वर, उनकी मैं प्रशंसा करूंगा,
याहवेह योद्धा हैं
और उनका नाम याहवेह है.
याहवेह ने फ़रोह के रथों एवं उसकी सेना को
समुद्र में फेंक दिया;
उसके सभी अधिकारी
लाल सागर में डूब गए,
वे पत्थर के समान गहराइयों में डूब गये,
और गहरा पानी ने उन्हें ढंक दिया.
हे याहवेह, आपका दायां हाथ
सामर्थ्य से भरा है.
और आपका बायां हाथ
शत्रु को चूर-चूर कर देता है.
“शत्रुओं को अपने बड़े पराक्रम से
आप पराजित कर देते हैं,
जो आपके विरुद्ध सिर उठाते हैं; आप उन पर अपना क्रोध प्रकट करते हैं.
और उन्हें भूसे के समान जला देते है.
आपके नथुनों की सांस से समुद्र का जल इकट्ठा हो गया
और जल का बहाव रुक जाता है.
बढ़ता पानी दीवार की तरह उठ खड़ा हुआ,
समुद्र के हृदय में गहरा जल जमा हो गया!
शत्रु ने कहा था,
‘मैं पीछा करूंगा, मैं उन्हें पकड़ लूंगा
और लूटकर चीज़ों को बांट लूंगा
तब मुझे तसल्ली मिलेगी,
मैं तलवार निकालूंगा
और अपने हाथ से उन्हें नष्ट कर दूंगा.’
आपने अपना सांस फूंका
तब सागर ने उन्हें ढंक लिया.
वे महा समुद्र में
सीसे के समान डूब गए.
हे याहवेह,
देवताओं में आपके तुल्य कौन है?
कौन है आपके समान,
पवित्रता में सर्वोपरि,
स्तुति के योग्य
और अनोखे काम करनेवाले?
“आपने अपना दायां हाथ बढ़ाया
और पृथ्वी ने उन्हें निगल लिया.
आपने अपनी कृपा से
छुड़ाए हुए लोगों को चलाया,
आप अपने सामर्थ्य से
उन्हें अपनी पवित्रता के स्थान में ले गए.
देश-देश के लोग यह सब सुनकर घबरा जाएंगे;
फिलिस्तीनियों पर डर छा जाएगा,
एदोम के प्रधान निराश हो जायेंगे;
मोआब के ताकतवर कांपने लगेंगे;
कनान के निवासी उदास हो जाएंगे.
याहवेह, जब तक आपकी प्रजा वहां से निकल न जाए,
जब तक आपके द्वारा बचाये हुए
लोग वहां से आ न जाए
तब तक उनमें डर बना रहेगा;
आपके बाहों की ताकत से वे अब पत्थर समान बन जाएंगे;
आप उन्हें लाकर अपने पहाड़ पर बसाएंगे.
उस स्थान पर,
हे याहवेह, जो आपने अपने लिए अलग किया है;
वही पवित्र स्थान, जिसे आपने अपने हाथों से बनाया है.
“याहवेह का राज्य
सदा-सर्वदा स्थिर रहेगा.”
जब फ़रोह के घोड़े, उसके रथों तथा चालकों के साथ सब समुद्र में डूब गए और याहवेह समुद्र के जल को उनके ऊपर ले आए—लेकिन इस्राएली समुद्र के बीच से सूखी भूमि पर चलते हुए निकल गए. तब अहरोन की बहन मिरियम ने, जो नबिया थी, खंजरी उठाई और उसके साथ सभी स्त्रियां अपने-अपने हाथों में खंजरी लेकर नाचने लगीं. मिरियम खुशी से गाने लगी,
“याहवेह का गीत गाओ,
क्योंकि वे अति महान हैं;
उन्होंने तो घोड़ों को चालकों
सहित समुद्र में डूबा दिया.”
याहवेह द्वारा जल आपूर्ति
फिर मोशेह इस्राएलियों को लाल सागर से शूर के निर्जन देश में ले गए. वे तीन दिन पानी ढूंढ़ते रहे, किंतु उन्हें कहीं भी पानी का सोता नहीं दिखा. वे माराह नामक स्थान पर पहुंचे, किंतु माराह का पानी कड़वा था; इस कारण इस स्थान का नाम माराह पड़ा; इसलिये लोग मोशेह पर बड़बड़ाने लगे. वे कहने लगे, “हम क्या पिएंगे?”
मोशेह ने याहवेह को पुकारा और याहवेह ने उन्हें एक लकड़ी का टुकड़ा दिखाया. जब मोशेह ने उस पेड़ को पानी में डाला, पानी मीठा बन गया.
उसी जगह याहवेह ने उनके लिए एक नियम और विधि बनाई. याहवेह ने उनसे कहा, “यदि तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के वचन को पूरे मन से मानोगे और सही काम करोगे, उनकी बातों पर ध्यान दोगे तथा उनके सब नियमों को मानोगे तो मिस्रियों के साथ घटित, ऐसी कोई परेशानी तुम पर नहीं आने दूंगा; क्योंकि मैं याहवेह राफ़ा हूं, अर्थात् चंगा करनेवाला हूं.”
तब वे एलिम नामक स्थान पर पहुंचे, जहां बारह झरने तथा सत्तर खजूर के पेड़ थे. इस्राएलियों ने जल के स्रोतों के पास ही अपना पड़ाव डाला.
निर्गमन 16:1-36
मन्ना और बटेरें
फिर इस्राएली एलिम से चलकर सिन नामक निर्जन देश पहुंचे. यह एलिम एवं सीनायी के बीच में था. मिस्र देश से निकले दो महीने तथा पन्द्रह दिन हो चुके थे. इस निर्जन क्षेत्र में सभी इस्राएली मोशेह तथा अहरोन से नाराज होने लगे. इस्राएली कहने लगे, “अच्छा होता कि याहवेह ने हम लोगों को मिस्र में ही मार डाला होता, वहां हम मांस की हांडियों के पास बैठते थे और पेट भरकर रोटी खाते थे; आप तो हमें इस निर्जन देश में इसलिये ले आए हैं कि हम सारे लोग भूख से मर जाएं.”
इस पर याहवेह ने मोशेह से कहा, “सुनो, मैं तुम्हारे लिए स्वर्ग से रोटी बरसाऊंगा, और प्रतिदिन लोग बाहर जाकर रोज अपनी ज़रूरत के अनुसार रोटी बटोर लें, मैं उन्हें जाचूंगा और देखूंगा कि वे मेरी आज्ञा मानते हैं या नहीं. छठे दिन जब वह बटोरे हुए भोजन वस्तु से खाना बनाएं तब वह अन्य दिनों से दुगना होगा.”
मोशेह एवं अहरोन ने सब इस्राएलियों को कहा, “शाम को तुम समझ जाओगे कि याहवेह ही ने तुम्हें मिस्र देश से निकाला है. सुबह तुम्हें याहवेह का तेज दिखाई देगा, क्योंकि याहवेह ने तुम्हारा बड़बड़ाना सुन लिया है—हम कौन हैं, जो तुम इतना गुस्सा दिखा रहे हो?” मोशेह ने कहा, “अब याहवेह तुम्हें शाम को मांस और सुबह रोटी देंगे, क्योंकि याहवेह ने उनके विरुद्ध तुम्हारा बड़बड़ाना सुन लिया हैं. हम कौन होते हैं? तुम्हारा गुस्सा हम पर नहीं, परंतु याहवेह पर होता है.”
फिर मोशेह ने अहरोन से कहा, “सभी इस्राएलियों से कहो, ‘याहवेह के पास आओ, क्योंकि उन्होंने तुम्हारा बड़बड़ाना सुन लिया है.’ ”
जब अहरोन सभी इस्राएलियों से बात कर रहे थे, तब उन्होंने निर्जन देश की ओर देखा और उनको याहवेह का तेज बादल में दिखाई दिया.
याहवेह ने मोशेह से कहा, “मैंने इस्राएलियों का बड़बड़ाना सुन लिया है; उन्हें बता दो, ‘शाम को तुम्हें मांस और सुबह तुम्हें रोटी, पेट भरकर मिलेगी; तब तुम जान जाओगे कि मैं ही याहवेह, तुम्हारा परमेश्वर हूं.’ ”
सायंकाल बटेरें उड़ती हुई आईं और छावनी को ढक लिया तथा सुबह छावनी के आस-पास ओस की एक परत पड़ी हुई दिखी. जब ओस की परत उठ गई, तब उन्होंने देखा कि ज़मीन पर एक पतली परत पड़ी हुई है, जैसे बर्फ. वे आपस में कहने लगे, “क्या है यह?” वे समझ नहीं पा रहे थे कि वह क्या चीज़ है!
मोशेह ने बताया, “यही है वह रोटी, जो तुम्हारे खाने के लिए याहवेह ने दी है. और याहवेह की आज्ञा है, ‘हर व्यक्ति जितना खा सके उतना ही ले सब व्यक्ति अपने-अपने तंबू में हर व्यक्ति के लिये एक ओमेर के हिसाब से ले.’ ”
इस्राएलियों ने वैसा ही किया. किसी ने कम तो किसी ने ज्यादा लिया. जिसने अधिक मात्रा में इकट्ठा कर लिया, उसने कुछ भी ज्यादा नहीं पाया और जिसने कम इकट्ठा किया, उसे कोई कमी न हुई.
मोशेह ने उनसे कहा, “कोई भी व्यक्ति इस भोजन को दूसरे दिन के लिए मत रखना.”
लेकिन कुछ लोगों ने मोशेह की बात नहीं मानी; और दूसरे दिन के लिए कुछ बचा रखा. दूसरे दिन उन्होंने देखा कि उसमें पूरे कीड़े पड़ गए और बदबू आने लगी. मोशेह ने उन पर गुस्सा किया.
फिर रोज सुबह जितनी उनको ज़रूरत होती थी उतना ही वे लेते थे. और छठवें दिन हर व्यक्ति ने अगले दिन का भी खाना अपने-अपने लिए लिया और सभी ने जाकर मोशेह को बताया. यह सुनकर मोशेह ने उन्हें समझाया: “याहवेह ने यही कहा था: क्योंकि ‘कल विश्राम दिन16:23 कल विश्राम दिन विश्राम दिन यानी शब्बाथ का दिन है जो याहवेह को समर्पित महा पवित्र दिन, इसलिये आज ही जो कुछ पकाना है पका लो, और जो कुछ उबालना है उबाल लो और जो बच जाता है उसे अगले दिन के लिए अलग रख देना.’ ”
उन्होंने बचा हुआ अगले दिन के लिए अलग रख दिया—जैसे मोशेह ने कहा. इसमें न तो बदबू आई और न कीड़े लगे. फिर मोशेह ने उनसे कहा, “आज तुम इसे खा लो, क्योंकि आज याहवेह को समर्पित विश्राम का पवित्र दिन है; आज बाहर खाना नहीं मिलेगा. तुम्हें छः दिन ऐसा ही करना होगा किंतु सातवें दिन, विश्राम का दिन है, उस दिन यह नहीं मिलेगा.”
कुछ व्यक्ति सातवें दिन भी खाना बटोरने गये लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला. तब याहवेह ने मोशेह से कहा, “तुम और कब तक मेरे आदेशों और नियमों को नहीं मानोगे? यह विश्राम का दिन, याहवेह ने, अलग किया हुआ दिन है; याहवेह ही तुम्हें छठे दिन दो दिन का खाना देते हैं. और सातवें दिन सब अपने-अपने घर पर ही रहें—सातवें दिन कोई भी व्यक्ति अपने घर से बाहर न जाए.” इस्राएलियों ने सातवें दिन विश्राम का दिन मानना शुरू किया.
इस्राएलियों ने इस वस्तु को मन्ना16:31 मन्ना अर्थ: यह क्या है नाम दिया. यह धनिये के बीज जितना सफेद और स्वाद शहद से बने पुओं के जैसा मीठा था. फिर मोशेह ने उनसे कहा, “याहवेह की यह आज्ञा है: ‘पीढ़ी से पीढ़ी तक सबको यह बताने और दिखाने के लिए एक ओमेर माप मन्ना रख लो ताकि तुम उनको बता सको कि जब मैं ने तुम्हें मिस्र देश से निकालकर लाया तब निर्जन देश में यही खाना खिलाया था.’ ”
मोशेह ने अहरोन से कहा, “एक बर्तन में मन्ना लेकर याहवेह के सामने रखना ताकि आनेवाली पीढ़ियों के लिए वह यादगार रहे.”
याहवेह के द्वारा मोशेह को दिए गए आदेश के अनुसार अहरोन ने मन्ना को वाचा के संदूक के पास रख दिया. इस्राएली मन्ना तब तक खाते रहे जब तक उस प्रदेश में नहीं आ गए जहां उन्हें बसना था. वे कनान की सीमा जब तक नहीं पहुंच गए, तब तक उसे खाते रहे.
(एक माप ओमेर एफाह का दसवां भाग है.)