उद्बोधक 9:13-18
मूर्खता से बेहतर है बुद्धि
मैंने सूरज के नीचे बुद्धि का एक और उदाहरण देखा, जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया. बहुत ही थोड़े लोगों का एक छोटा नगर था इसमें एक बहुत ही सम्मानित राजा आया और उसने इस नगर के विरुद्ध घेराव किया. मगर उस नगर के एक साधारण लेकिन बुद्धिमान ने अपनी बुद्धि द्वारा इस नगर को छुड़वा दिया. फिर भी उस सीधे-सादे को किसी ने याद नहीं किया. इसलिये मैंने यह कहा, “बुद्धि शक्ति से बढ़कर है.” लेकिन किसी सीधे-सादे की बुद्धि को तुच्छ ही जाना जाता है और उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता.
मूर्खों के बीच राजा की चिल्लाहट से अकेले में
बुद्धिमान की बातें सुन लेना कहीं ज्यादा अच्छा है.
युद्ध के शस्त्रों की तुलना में बुद्धि ज्यादा अच्छी है,
मगर एक पापी हर एक अच्छी चीज़ का नाश कर देता है.
उद्बोधक 10:1-20
जिस प्रकार मरी हुई मक्खियां सुगंध तेल को बदबूदार बना देती हैं,
उसी प्रकार थोड़ी सी मूर्खता बुद्धि और सम्मान पर भारी पड़ती है.
बुद्धिमान का हृदय तो उसे सही ओर ले जाता है,
किंतु मूर्ख का हृदय उसे उस ओर जो गलत है.
रास्ते पर चलते समय भी मूर्खों के हृदय में,
समझ की कमी होती है,
और सबसे उसका कहना यही होता है कि वह एक मूर्ख है.
यदि राजा का क्रोध तुम्हारे विरुद्ध भड़क गया है,
तो भी तुम अपनी जगह को न छोड़ना;
क्योंकि तुम्हारा धीरज उसके क्रोध को बुझा देगा.
सूरज के नीचे मैंने एक और बुराई देखी,
जैसे इसे कोई राजा अनजाने में ही कर बैठता है.
वह यह कि मूर्खता ऊंचे पदों पर बैठी होती है,
मगर धनी लोग निचले पदों पर ही होते हैं.
मैंने दासों को तो घोड़ों पर,
लेकिन राजाओं को दासों के समान पैदल चलते हुए देखा है.
जो गड्ढा खोदता है वह खुद उसमें गिरेगा;
और जो दीवार में सेंध लगाता है, सांप उसे डस लेगा.
जो पत्थर खोदता है वह उन्हीं से चोटिल हो जाएगा;
और जो लकड़ी फाड़ता है, वह उन्हीं से जोखिम में पड़ जाएगा.
यदि कुल्हाड़े की धार तेज नहीं है
और तुम उसको पैना नहीं करते,
तब तुम्हें अधिक मेहनत करनी पड़ेगी;
लेकिन बुद्धि सफलता दिलाने में सहायक होती है.
और यदि सांप मंत्र पढ़ने से पहले ही डस ले तो,
मंत्र पढ़ने वाले का कोई फायदा नहीं.
बुद्धिमान की बातों में अनुग्रह होता है,
जबकि मूर्खों के ओंठ ही उनके विनाश का कारण हो जाते है.
उसकी बातों की शुरुआत ही मूर्खता से होती है
और उसका अंत दुखदाई पागलपन होता है.
जबकि वह अपनी बातें बढ़ाकर भी बोलता है.
यह किसी व्यक्ति को मालूम नहीं होता कि क्या होनेवाला है,
और कौन उसे बता सकता है कि उसके बाद क्या होगा?
मूर्ख की मेहनत उसे इतना थका देती है;
कि उसे नगर का रास्ता भी पता नहीं होता.
धिक्कार है उस देश पर जिसका राजा एक कम उम्र का युवक है
और जिसके शासक सुबह से ही मनोरंजन में लग जाते हैं.
मगर सुखी है वह देश जिसका राजा कुलीन वंश का है
और जिसके शासक ताकत के लिए भोजन करते हैं,
न कि मतवाले बनने के लिए.
आलस से छत की कड़ियों में झोल पड़ जाते हैं;
और जिस व्यक्ति के हाथों में सुस्ती होती है उसका घर टपकने लगता है.
लोग मनोरंजन के लिए भोजन करते हैं,
दाखमधु जीवन में आनंद को भर देती है,
और धन से हर एक समस्या का समाधान होता है.
अपने विचारों में भी राजा को न धिक्कारना,
और न ही अपने कमरे में किसी धनी व्यक्ति को शाप देना,
क्योंकि हो सकता है कि आकाश का पक्षी तुम्हारी वह बात ले उड़े
और कोई उड़नेवाला जंतु उन्हें इस बारे में बता देगा.
उद्बोधक 11:1-10
कई उद्यमों में निवेश करें
पानी के ऊपर अपनी रोटी डाल दो;
क्योंकि बहुत दिनों के बाद यह तुम्हें दोबारा मिल जाएगी.
अपना अंश सात भागों बल्कि आठ भागों में बांट दो,
क्योंकि तुम्हें यह पता ही नहीं कि पृथ्वी पर क्या हो जाए!
अगर बादल पानी से भरे होते हैं,
तो वे धरती पर जल बरसाते हैं.
और पेड़ चाहे दक्षिण की ओर गिरे या उत्तर की ओर,
यह उसी जगह पर पड़ा रहता है जहां यह गिरता है.
जो व्यक्ति हवा को देखता है वह बीज नहीं बो पाएगा;
और जो बादलों को देखता है वह उपज नहीं काटेगा.
जिस तरह तुम्हें हवा के मार्ग
और गर्भवती स्त्री के गर्भ में हड्डियों के बनने के बारे में मालूम नहीं,
उसी तरह सारी चीज़ों के बनानेवाले
परमेश्वर के काम के बारे में तुम्हें मालूम कैसे होगा?
बीज सुबह-सुबह ही बो देना
और शाम में भी आराम न करना क्योंकि तुम्हें यह मालूम नहीं है,
कि सुबह या शाम का बीज बोना फलदायी होगा
या दोनों ही एक बराबर अच्छे होंगे.
जवानी में अपनी सृष्टिकर्ता की याद रखो
उजाला मनभावन होता है,
और आंखों के लिए सूरज सुखदायी.
अगर किसी व्यक्ति की उम्र बड़ी है,
तो उसे अपने जीवनकाल में आनंदित रहने दो.
किंतु वह अपने अंधकार भरे दिन भुला न दे क्योंकि वे बहुत होंगे.
ज़रूरी है कि हर एक चीज़ बेकार ही होगी.
हे जवान! अपनी जवानी में आनंदित रहो,
इसमें तुम्हारा हृदय तुम्हें आनंदित करे.
अपने हृदय और अपनी आंखों की इच्छा पूरी करो.
किंतु तुम्हें यह याद रहे
कि परमेश्वर इन सभी कामों के बारे में तुम पर न्याय और दंड लाएंगे.
अपने हृदय से क्रोध
और अपने शरीर से बुराई करना छोड़ दो क्योंकि बचपन,
और जवानी भी बेकार ही हैं.
उद्बोधक 12:1-14
जवानी में अपने बनानेवाले को याद रख:
अपनी जवानी में अपने बनानेवाले को याद रखो,
इससे पहले कि बुराई
और वह समय आए जिनमें तुम्हारा कहना यह हो,
“मुझे इनमें ज़रा सी भी खुशी नहीं,”
इससे पहले कि सूरज, चंद्रमा
और तारे अंधियारे हो जाएंगे,
और बादल बारिश के बाद लौट आएंगे;
उस दिन पहरेदार कांपने लगेंगे,
बलवान पुरुष झुक जाएंगे,
जो पीसते हैं वे काम करना बंद कर देंगे, क्योंकि वे कम हो गए हैं,
और जो झरोखों से झांकती हैं वे अंधी हो जाएंगी;
चक्की की आवाज धीमी होने के कारण
नगर के फाटक बंद हो जाएंगे;
और कोई व्यक्ति उठ खड़ा होगा,
तथा सारे गीतों की आवाज शांत हो जाएगी.
लोग ऊंची जगहों से डरेंगे
और रास्ते भी डरावने होंगे;
बादाम के पेड़ फूलेंगे
और टिड्डा उनके साथ साथ घसीटता हुआ चलेगा
और इच्छाएं खत्म हो जाएंगी.
क्योंकि मनुष्य तो अपने सदा के घर को चला जाएगा
जबकि रोने-पीटने वाले रास्तों में ही भटकते रह जाएंगे.
याद करो उनको इससे पहले कि चांदी की डोर तोड़ी जाए,
और सोने का कटोरा टूट जाए,
कुएं के पास रखा घड़ा फोड़ दिया जाए
और पहिया तोड़ दिया जाए;
धूल जैसी थी वैसी ही भूमि में लौट जाएगी,
और आत्मा परमेश्वर के पास लौट जाएगी जिसने उसे दिया था.
“बेकार! ही बेकार है!” दार्शनिक कहता है,
“सब कुछ बेकार है!”
दार्शनिक का उद्देश्य
बुद्धिमान होने के साथ साथ दार्शनिक ने लोगों को ज्ञान भी सिखाया उसने खोजबीन की और बहुत से नीतिवचन को इकट्ठा किया. दार्शनिक ने मनभावने शब्दों की खोज की और सच्चाई की बातों को लिखा.
बुद्धिमानों की बातें छड़ी के समान होती हैं तथा शिक्षकों की बातें अच्छे से ठोकी गई कीलों के समान; वे एक ही चरवाहे द्वारा दी गईं हैं. पुत्र! इनके अलावा दूसरी शिक्षाओं के बारे में चौकस रहना;
बहुत सी पुस्तकों को लिखकर रखने का कोई अंत नहीं है और पुस्तकों का ज्यादा पढ़ना भी शरीर को थकाना ही है.
इसलिये इस बात का अंत यही है:
कि परमेश्वर के प्रति श्रद्धा और भय की भावना रखो
और उनकी व्यवस्था और विधियों का पालन करो,
क्योंकि यही हर एक मनुष्य पर लागू होता है.
क्योंकि परमेश्वर हर एक काम को,
चाहे वह छुपी हुई हो,
भली या बुरी हो, उसके लिए न्याय करेंगे.