दानिएल 9:20-27, दानिएल 10:1-21, दानिएल 11:1 HCV

दानिएल 9:20-27

सत्तर “सात”

जब मैं अपने पाप और अपने इस्राएली लोगों के पाप को मानते हुए बात और प्रार्थना कर रहा था और याहवेह मेरे परमेश्वर के सामने उसके पवित्र पर्वत के लिये विनती कर रहा था— जब मैं प्रार्थना में ही था, तब गब्रिएल, जिसे मैं पहले दर्शन में देख चुका था, शाम के बलिदान के समय तेज गति से मेरे पास आया. उसने निर्देश देकर मुझसे कहा, “हे दानिएल, मैं तुम्हें अंतर्दृष्टि और समझने की शक्ति देने आया हूं. जब तुमने प्रार्थना करना शुरू किया, तभी एक आज्ञा दी गई, जिसे मैं तुम्हें बताने आया हूं, क्योंकि तुम बहुत सम्मानीय व्यक्ति हो. इसलिये इन बातों पर विचार करके दर्शन को समझ लो:

“तुम्हारे लोगों और तुम्हारे पवित्र शहर के लिए सत्तर ‘सात’9:24 सात यानी सप्‍ताह ठहराए गये हैं कि वे अपराध करना छोड़ दें, पापों का अंत कर दें, दुष्टता का प्रायश्चित करें, अपने में सदाकाल का धर्मीपन लाएं, दर्शन और भविष्यवाणी की बातों पर मुहर लगाई जाए और परम पवित्र स्थान का अभिषेक किया जाए.

“इस बात को जानो और समझ लो: येरूशलेम के फिर से स्थापित और पुनर्निर्माण के लिये वचन के निकलने से लेकर अभिषिक्त जन, शासक के आने तक सात ‘सात’ और बासठ ‘सात’ का समय ठहराया गया है. इसका पुनर्निर्माण गलियों और एक खाई के साथ होगा, किंतु यह कठिन समय में होगा. बासठ ‘सात’ के बाद अभिषिक्त जन मार डाला जाएगा, और कुछ न होगा. शासन करनेवाले के लोग आकर शहर और पवित्र स्थान को नष्ट कर देंगे. बाढ़ के समान अंत आ जाएगा: अंत तक युद्ध होता रहेगा, और उजाड़ का निर्णय लिया जा चुका है. वह बहुतों के साथ एक ‘सात’ के लिये एक वाचा की पुष्टि करेगा. ‘सात’ के बीच में ही, वह बलिदान और भेंट का अंत कर देगा. और मंदिर में एक विनाशकारी घृणित वस्तु को स्थापित करेगा, जो उजाड़ का कारण होगा. यह तब तक होता रहेगा, जब तक कि ठहराये गए समय के अंत में उस पर यह विनाश न उंडेल दिया जाए.”

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दानिएल 10:1-21

दानिएल का एक मनुष्य का दर्शन

फारस के राजा कोरेश के शासनकाल के तीसरे साल में दानिएल (जिसे बैलशत्सर कहा जाता था) पर एक संदेश प्रकाशित किया गया. यह संदेश सत्य था और इसका संबंध एक बड़े युद्ध10:1 बड़े युद्ध यानी सत्य और कष्टकारक से था. संदेश की समझ उसके पास एक दर्शन में आई.

उस समय, मैं, दानिएल, तीन सप्‍ताह तक शोक मनाता रहा. जब तक तीन सप्‍ताह पूरे न हो गए, तब तक मैंने कोई स्वादिष्ट भोजन न किया; न मांस खाया, न दाखमधु को मुंह से लगाया, और न ही किसी प्रकार के सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री का उपयोग किया.

पहले माह के चौबीसवें दिन, जब मैं महा नदी, हिद्देकेल10:4 हिद्देकेल यानी तिगरिस के किनारे खड़ा था, तब मैंने देखा कि वहां एक व्यक्ति सन का वस्त्र पहने, कमर पर उपहाज़ देश का शुद्ध सोने का पट्टा बांधे खड़ा था. उसका शरीर ही फ़िरोजा के समान, उसका चेहरा बिजली के समान, उसकी आंखें जलती मशालो के समान, उसकी भुजा और पैर चमकते कांसे के किरण के समान, और उसकी आवाज एक जनसमूह की समान थी.

सिर्फ मुझे, दानिएल को, ही वह दर्शन दिखाई दे रहा था; जो लोग मेरे साथ थे, उन्हें वह नहीं दिखा, परंतु उन पर ऐसा आतंक छा गया कि वे वहां से भागकर छिप गए. इसलिये मैं अकेला रह गया, और इस बड़े दर्शन को टकटकी लगाकर देखता रहा; मुझमें कुछ बल न रहा, मेरा चेहरा पूरी तरह पीला पड़ गया और मैं निस्सहाय हो गया. तब मैंने उसे कहते हुए सुना, और जैसे ही मैंने उसकी बातों को सुनी, मैं भूमि पर औंधे मुंह पड़ा गहरी नींद में चला गया.

तब किसी के एक हाथ ने मुझे छुआ और मेरे थरथराते शरीर को मेरे हाथों और घुटनों के बल खड़ा कर दिया. उसने कहा, “हे दानिएल, तुम जो बहुत सम्मानीय व्यक्ति हो, जो बातें मैं तुम्हें बताने जा रहा हूं, उन बातों पर ध्यानपूर्वक विचार करो, और अब खड़े हो जाओ, क्योंकि मुझे तुम्हारे पास भेजा गया है.” जब उसने मुझसे यह कहा, मैं कांपता हुआ खड़ा हो गया.

तब उसने मुझसे आगे कहा, “हे दानिएल, डरो मत. पहले ही दिन से, जब तुमने अपना मन, समझ प्राप्‍त करने और अपने परमेश्वर के सामने अपने आपको नम्र करने के लिये लगाया, तब से तुम्हारी बातें सुनी गईं, और इसी के प्रत्युत्तर में, मैं यहां आया हूं. परंतु फारस राज्य का राजकुमार इक्कीस दिन तक मेरा प्रतिरोध करता रहा. तब मुख्य राजकुमारों में से एक, मिखाएल, मेरी सहायता करने आया, क्योंकि मैं वहां फारस के राजा के पास रोका गया था. अब मैं तुम्हें वह बातें बताने आया हूं, जो भविष्य में तुम्हारे लोगों के साथ होनेवाली है, क्योंकि इस दर्शन का संबंध आनेवाले एक समय से है.”

जब वह मुझसे यह कह रहा था, तो मैं ज़मीन की ओर चेहरा झुकाकर खड़ा रहा और कुछ बोल न सका. तब कोई जो एक मनुष्य की तरह दिख रहा था, मेरे होंठों को छुआ, और मेरा मुंह खुल गया और मैं बातें करने लगा. मैंने उससे कहा जो मेरे सामने खड़ा था, “हे मेरे प्रभु, उस दर्शन के कारण, मैं पीड़ा से भर गया हूं, और मैं बहुत कमजोर महसूस कर रहा हूं. हे मेरे प्रभु, मैं, आपका सेवक, मैं आपसे कैसे बात कर सकता हूं? मुझमें बल नहीं रहा और मैं बड़ी कठिनाई से सांस ले पा रहा हूं.”

तब वह जो एक मनुष्य की तरह दिख रहा था, फिर से मुझे छुआ और मुझे बल दिया. उसने कहा, “मत डरो, तुम बहुत सम्मानीय व्यक्ति हो, तुम्हें शांति मिले! अब मजबूत रहो; दृढ़ रहो.”

जब उसने मुझसे बात की, तब मुझे बल मिला और मैंने उससे कहा, “हे मेरे प्रभु, मुझसे बातें करिये, क्योंकि आपने मुझे बल दिया है.”

इसलिये उसने कहा, “क्या तुम जानते हो कि मैं तुम्हारे पास क्यों आया हूं? बहुत जल्दी, मैं लौटकर फारस के राजकुमार से लड़ाई करनेवाला हूं, और जब मैं जाऊंगा, तब यावन का राजकुमार आयेगा; पर पहले मैं तुम्हें यह बताऊंगा कि सत्य के किताब में क्या लिखा है. (तुम्हारे राजकुमार, मिखाएल को छोड़ और कोई भी इनसे लड़ने के लिये मेरी मदद नहीं करता.

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दानिएल 11:1

मादी वंश के राजा दारयावेश के शासन के पहले साल में, मैं उसको समर्थन देने और उसके बचाव के लिए खड़ा हुआ.)

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