Mithali 29 – NEN & HCV

Kiswahili Contemporary Version

Mithali 29:1-27

129:1 2Nya 36:16; Mit 6:15Mtu anayeendelea kuwa na shingo ngumu baada ya maonyo mengi,

ataangamia ghafula, wala hapati dawa.

229:2 2Fal 11:20; Es 8:15; Mit 28:12Wenye haki wanapostawi, watu hufurahi;

waovu watawalapo, watu hulia kwa huzuni.

329:3 1Fal 1:48; Mit 10:1; 23:15-16; 5:8-10; Lk 15:11-32Mtu apendaye hekima huleta furaha kwa baba yake,

bali aambatanaye na makahaba hutapanya mali yake.

429:4 Mit 8:15-16Kwa haki mfalme huipa nchi uthabiti,

bali mfalme aliye na tamaa ya rushwa huiangamiza.

529:5 Ay 32:21; Mit 26:28Yeyote amsifuye jirani yake isivyostahili,

anautandaza wavu kuitega miguu yake.

629:6 Ay 5:13; Mhu 9:12Mtu mbaya hutegwa na dhambi yake mwenyewe

bali mwenye haki huweza kuimba na kufurahi.

729:7 Ay 29:16; Za 41:1; Isa 35:3-4Mwenye haki hujali haki kwa ajili ya maskini,

bali mwovu hajishughulishi na hilo.

829:8 Mit 11:11; 16:14Wenye mzaha huuchochea mji,

bali watu wenye hekima hugeuzia mbali hasira.

929:9 Mt 11:17Kama mwenye hekima akienda mahakamani na mpumbavu,

mpumbavu hukasirika na kudhihaki, wala hakuna amani.

1029:10 Mwa 4:5-8; 1Yn 3:12Watu wamwagao damu humchukia mtu mwadilifu

na hutafuta kumuua mtu mnyofu.

1129:11 Ay 15:13; Mit 12:16Mpumbavu huonyesha hasira yake yote,

bali mwenye hekima hujizuia.

1229:12 2Fal 21:9; Ay 34:30Kama mtawala akisikiliza uongo,

maafisa wake wote huwa waovu.

1329:13 Mit 22:2; Mt 5:45Mtu maskini na mtu anayeonea wanafanana kwa jambo hili:

Bwana hutia nuru macho yao wote wawili.

1429:14 Mit 29:4; Za 72:1-5; Mit 16:12Kama mfalme akiwaamua maskini kwa haki,

kiti chake cha enzi kitakuwa thabiti siku zote.

1529:15 Mit 29:17; 13:24Fimbo ya maonyo hutia hekima,

bali mtoto aliyeachiwa bila maonyo

humwaibisha mama yake.

1629:16 Za 37:36; 58:10; 91:8Wakati waovu wanapostawi,

pia dhambi vivyo hivyo,

lakini wenye haki wataliona anguko lao.

1729:17 Mit 13:24; 29:15Mrudi mwanao, naye atakupa amani,

atakufurahisha nafsi yako.

1829:18 Za 19:11; Yn 13:17; Amo 8:11-12; 1Sam 3:1Mahali pasipo na ufunuo, watu kujizuia,

bali ana heri mtu yule aishikaye sheria.

19Mtumishi hawezi kuonywa kwa maneno matupu,

ajapoelewa, hataitikia.

2029:20 Mit 14:17Je, unamwona mtu azungumzaye kwa haraka?

Kuna matumaini zaidi kwa mpumbavu kuliko yeye.

21Kama mtu akimdekeza mtumishi wake tangu ujanani,

atamletea sikitiko mwishoni.

2229:22 Mit 14:17Mtu mwenye hasira huchochea ugomvi,

naye mtu mwenye hasira ya haraka

hutenda dhambi nyingi.

2329:23 Isa 66:2; Mt 23:12; Yak 4:6Kiburi cha mtu humshusha,

bali mtu mwenye roho ya unyenyekevu

hupata heshima.

2429:24 Law 5:1Anayekubaliana na mwizi ni adui wa nafsi yake mwenyewe;

huapishwa lakini hathubutu kushuhudia.

2529:25 1Sam 15:24; Mit 28:25; 16:20Kuwaogopa watu huwa ni mtego,

bali yeyote amtumainiaye Bwana atakuwa salama.

2629:26 Mit 19:6; 16:33Wengi hutafuta kusikilizwa na mtawala,

bali mtu hupata haki kutoka kwa Bwana.

2729:27 Mit 29:10Mwenye haki huwachukia sana wasio waaminifu;

waovu huwachukia sana wenye haki.

Hindi Contemporary Version

सूक्ति संग्रह 29:1-27

1वह, जिसे बार-बार डांट पड़ती रहती है, फिर भी अपना हठ नहीं छोड़ता,

उस पर विनाश अचानक रूप से टूट पड़ेगा और वह पुनः उठ न सकेगा.

2जब खरे की संख्या में वृद्धि होती है, लोगों में हर्ष की लहर दौड़ जाती है;

किंतु जब दुष्ट शासन करने लगते हैं, तब प्रजा कराहने लगती है.

3बुद्धि से प्रेम करनेवाला पुत्र अपने पिता के हर्ष का विषय होता है,

किंतु जो वेश्याओं में संलिप्‍त रहता है वह अपनी संपत्ति उड़ाता जाता है.

4न्याय्यता पर ही राजा अपने राष्ट्र का निर्माण करता है,

किंतु वह, जो जनता को करो के बोझ से दबा देता है, राष्ट्र के विनाश को आमंत्रित करता है.

5जो अपने पड़ोसियों की चापलूसी करता है,

वह अपने पड़ोसी के पैरों के लिए जाल बिछा रहा होता है.

6दुष्ट अपने ही अपराधों में उलझा रहता है,

किंतु धर्मी सदैव उल्‍लसित हो गीत गाता रहता है.

7धर्मी को सदैव निर्धन के अधिकारों का बोध रहता है,

किंतु दुष्ट को इस विषय का ज्ञान ही नहीं होता.

8ठट्ठा करनेवाले नगर को अग्नि लगाते हैं,

किंतु बुद्धिमान ही कोप को शांत करते हैं.

9यदि बुद्धिमान व्यक्ति किसी मूर्ख को न्यायालय ले जाता है,

तो विवाद न तो शीघ्र क्रोधी होने से सुलझता है न ही हंसी में उड़ा देने से.

10खून के प्यासे हिंसक व्यक्ति खराई से घृणा करते हैं,

वे धर्मी के प्राणों के प्यासे हो जाते हैं.

11क्रोध में मूर्ख व्यक्ति अनियंत्रित हो जाता है,

किंतु बुद्धिमान संयमपूर्वक शांत बना रहता है.

12यदि शासक असत्य को सुनने लगता है,

उसके सभी मंत्री कुटिल बन जाते हैं.

13अत्याचारी और निर्धन व्यक्ति में एक साम्य अवश्य है:

दोनों ही को याहवेह ने दृष्टि प्रदान की है.

14यदि राजा पूर्ण खराई में निर्धन का न्याय करता है,

उसका सिंहासन स्थायी रहता है.

15ज्ञानोदय के साधन हैं डांट और छड़ी,

किंतु जिस बालक पर ये प्रयुक्त न हुए हों, वह माता की लज्जा का कारण हो जाता है.

16दुष्टों की संख्या में वृद्धि अपराध दर में वृद्धि करती है,

किंतु धर्मी उनके पतन के दर्शक होते हैं.

17अपने पुत्र को अनुशासन में रखो कि तुम्हारा भविष्य सुखद हो;

वही तुम्हारे हृदय को आनंदित रखेगा.

18भविष्य के दर्शन के अभाव में लोग प्रतिबन्ध तोड़ फेंकते हैं;

किंतु धन्य होता है वह, जो नियमों का पालन करता है.

19सेवकों के अनुशासन के लिए मात्र शब्द निर्देश पर्याप्‍त नहीं होता;

वे इसे समझ अवश्य लेंगे, किंतु इसका पालन नहीं करेंगे.

20एक मूर्ख व्यक्ति से उस व्यक्ति की अपेक्षा अधिक आशा की जा सकती है,

जो बिना विचार अपना मत दे देता है.

21यदि सेवक को बाल्यकाल से ही जो भी चाहे दिया जाए,

तो अंततः वह घमंडी हो जाएगा.

22शीघ्र क्रोधी व्यक्ति कलह करनेवाला होता है,

और अनियंत्रित क्रोध का दास अनेक अपराध कर बैठता है.

23अहंकार ही व्यक्ति के पतन का कारण होता है,

किंतु वह, जो आत्मा में विनम्र है, सम्मानित किया जाता है.

24जो चोर का साथ देता है, वह अपने ही प्राणों का शत्रु होता है;

वह न्यायालय में सबके द्वारा शापित किया जाता है, किंतु फिर भी सत्य प्रकट नहीं कर सकता.

25लोगों से भयभीत होना उलझन प्रमाणित होता है,

किंतु जो कोई याहवेह पर भरोसा रखता है, सुरक्षित रहता है.

26शासक के प्रिय पात्र सभी बनना चाहते हैं,

किंतु वास्तविक न्याय याहवेह के द्वारा निष्पन्‍न होता है.

27अन्यायी खरे के लिए तुच्छ होते हैं;

किंतु वह, जिसका चालचलन खरा है, दुष्टों के लिए तुच्छ होता है.