लूका 22 – NCA & NAV

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

लूका 22:1-71

यहूदा ह यीसू ला पकड़वाय बर तियार हो जाथे

(मत्ती 26:14-16; मरकुस 14:10-11)

1यहूदीमन के बिन खमीर के रोटी के तिहार जऊन ला फसह तिहार कहे जाथे, लकठा आवत रहय। 2अऊ मुखिया पुरोहित अऊ कानून के गुरू मन चुपेचाप यीसू ला मार डारे के कुछू उपाय खोजत रहंय, पर ओमन मनखेमन ले डर्रावत रहंय। 3तब सैतान ह यहूदा के भीतर म हमाईस, जऊन ला इस्करियोती घलो कहे जावय; अऊ जऊन ह यीसू के बारह चेलामन ले एक झन रिहिस। 4यहूदा ह मुखिया पुरोहित अऊ मंदिर के रखवार मन के अधिकारीमन करा गीस अऊ ओमन के संग बातचीत करिस कि ओह यीसू ला कइसने ओमन के हांथ म पकड़वाही। 5ओमन खुस होईन अऊ ओला पईसा देय बर राजी हो गीन। 6यहूदा घलो तियार हो गीस, अऊ मऊका खोजे लगिस कि जब उहां भीड़ झन रहय, तब ओह यीसू ला ओमन के हांथ म पकड़वा देवय।

आखिरी भोजन

(मत्ती 26:17-25; मरकुस 14:12-21; यूहन्ना 13:21-30)

7तब यहूदीमन के बिन खमीर के रोटी के दिन ह आईस अऊ ए दिन म फसह तिहार बर मेढ़ा पीला ला बलिदान करना जरूरी रहय। 8यीसू ह पतरस अऊ यूहन्ना ला ए कहिके पठोईस, “जावव अऊ हमर बर फसह तिहार के भोजन के तियारी करव।”

9ओमन पुछिन, “तेंह कहां चाहथस कि हमन एकर तियारी करन?”

10यीसू ह ओमन ला कहिस, “जब तुमन सहर म जाहू, त तुमन ला एक मनखे घघरी म पानी लेवत मिलही। जऊन घर म ओह जावय, तुमन ओकर पाछू-पाछू चले जावव, 11अऊ ओ घर के मालिक ले कहव, ‘गुरू ह पुछत हवय कि ओ पहुना-कमरा कहां हवय, जिहां में अपन चेलामन संग फसह तिहार के भोजन खावंव?’ 12ओह तुमन ला ऊपर म एक सजे-सजाय बड़े कमरा देखा दिही। उहां तुमन तियारी करव।”

13ओमन गीन अऊ हर चीज ला वइसनेच पाईन, जइसने यीसू ह ओमन ला कहे रिहिस, अऊ ओमन फसह तिहार के भोजन के तियारी करिन।

14जब समय आईस, त यीसू अऊ ओकर प्रेरितमन खाय बर बईठिन। 15अऊ ओह ओमन ला कहिस, “एकर पहिली कि मेंह दुःख भोगंव, मोर बहुंत ईछा रिहिस कि मेंह तुम्‍हर संग ए फसह के भोजन ला खावंव। 16काबरकि मेंह तुमन ला कहत हंव, जब तक जम्मो बात परमेसर के राज म पूरा नइं हो जावय, तब तक मेंह एला फेर कभू नइं खावंव।”

17तब यीसू ह अंगूर के मंद के कटोरा ला लेके परमेसर ला धनबाद दीस अऊ कहिस, “एला लेवव अऊ आपस म बांट लेवव। 18काबरकि मेंह तुमन ला कहत हंव कि जब तक परमेसर के राज नइं आ जावय, तब तक मेंह अंगूर के मंद ला फेर नइं पीयंव।”

19तब ओह कुछू रोटी लीस, अऊ परमेसर ला धनबाद देके ओला टोरिस अऊ अपन चेलामन ला देके कहिस, “एह मोर देहें ए, जऊन ह तुम्‍हर बर देय जावत हवय; मोर सुरता म एही करे करव।”

20ओही किसम ले भोजन के पाछू, यीसू ह कटोरा ला लीस अऊ कहिस, “ए कटोरा ह मोर लहू म परमेसर के नवां करार ए, जऊन ह तुम्‍हर बर ढारे जावथे। 21पर जऊन ह मोला धोखा दिही, ओकर हांथ ह मोर संग टेबल म हवय। 22मनखे के बेटा ह मरही, जइसने परमेसर ह ठहराय हवय; पर धिक्‍कार ए ओ मनखे ला, जऊन ह ओला धोखा दिही।” 23तब चेलामन आपस म पुछे लगिन, “हमन म ओह कोन हो सकथे, जऊन ह ए काम करही।”

चेलामन म कोन बड़े

24ओमन म ए बिवाद घलो होय लगिस कि ओमन के बीच म कोन चेला सबले बड़े माने जाही। 25यीसू ह ओमन ला कहिस, “आनजातमन के राजामन अपन मनखेमन ऊपर हुकूम चलाथें; अऊ जऊन मन ओमन के ऊपर अधिकार रखथें, ओमन अपन-आप ला भलई करइया कहिथें। 26पर तुमन ला वइसने नइं बनना हवय। एकर बदले, जऊन ह तुम्‍हर बीच म सबले बड़े ए, ओह सबले छोटे सहीं बनय, अऊ जऊन ह हुकूम चलाथे, ओह सेवक के सहीं बनय। 27कोन ह बड़े ए, ओ – जऊन ह खाय बर बईठथे या ओ – जऊन ह ओकर सेवा करथे? ओही ह जऊन ह खाय बर बईठथे। पर मेंह तुम्‍हर बीच म एक सेवक के सहीं अंव। 28तुमन ओ मनखे अव, जऊन मन मोर दुःख के समय म मोर संग रहेव। 29अऊ मेंह तुमन ला एक राज के ऊपर सासन करे के अधिकार देवत हंव, जइसने मोर ददा ह मोला एक राज के ऊपर सासन करे के अधिकार दे हवय, 30ताकि तुमन मोर राज म मोर संग बईठके खावव अऊ पीयव अऊ सिंघासनमन म बईठके, इसरायल के बारह गोत्र के नियाय करव।

31सिमोन, सिमोन, सुन! सैतान ह तुमन ला परखे बर अनुमती मांगे हवय कि जइसने किसान ह गहूं ला भूंसी से अलग करथे, वइसने ओह तुमन ला अलग करय। 32पर मेंह तोर बर पराथना करे हवंव, सिमोन! ताकि तोर बिसवास ह बने रहय। अऊ जब तेंह मोर करा लहुंटके आ जाबे, त अपन भाईमन ला बिसवास म मजबूत करबे।”

33पर सिमोन पतरस ह यीसू ला कहिस, “हे परभू, मेंह तोर संग जेल जाय बर तियार हवंव अऊ मरे बर घलो तियार हवंव।”

34यीसू ह कहिस, “पतरस, मेंह तोला कहत हंव कि आज कुकरा बासे के पहिली, तेंह तीन बार इनकार करबे कि तेंह मोला जानथस।”

35तब यीसू ह ओमन ले पुछिस, “जब मेंह तुमन ला बिगर पईसा, झोला या पनही के पठोय रहेंव, त का तुमन ला कोनो चीज के कमी होईस?”

ओमन कहिन, “कोनो चीज के कमी नइं होईस।”

36यीसू ह ओमन ला कहिस, “पर अब जेकर करा पईसा हवय, ओह ओला ले लेय, अऊ झोला घलो धर ले; अऊ जेकर करा तलवार नइं ए, ओह अपन ओन्ढा ला बेंचके एक ठन तलवार बिसो ले। 37परमेसर के बचन म ए लिखे हवय: ‘अऊ ओकर गनती अपराधी मन संग होईस,’ अऊ मेंह तुमन ला कहथंव कि ए बात के मोर ऊपर पूरा होना जरूरी ए। काबरकि जऊन बात ह मोर बारे म लिखे गे हवय, ओह पूरा होवत हवय।”22:37 यसायाह 53:12

38चेलामन कहिन, “हे परभू, देख, इहां दू ठन तलवार हवय।”

ओह कहिस, “ए किसम के बात बहुंत हो गीस।”

यीसू ह जैतून के पहाड़ म पराथना करथे

(मत्ती 26:36-46; मरकुस 14:32-42)

39यीसू ह घर के बाहिर निकरिस अऊ अपन रीति के मुताबिक ओह जैतून पहाड़ ला गीस अऊ ओकर चेलामन ओकर पाछू-पाछू गीन। 40ओ जगह म हबरके यीसू ह ओमन ला कहिस, “पराथना करव ताकि तुमन परिछा म झन पड़व।” 41तब ओह ओमन ले कुछू दूरिहा गीस अऊ माड़ी टेकके ए पराथना करे लगिस, 42“हे ददा, कहूं तोर ईछा हवय, त ए दुःख के कटोरा ला मोर करा ले टार दे; तभो ले मोर नइं, पर तोर ईछा पूरा होवय।”

43तब स्‍वरग ले एक स्‍वरगदूत ओकर करा आईस अऊ ओला मजबूत करिस। 44अऊ ओह बहुंते बियाकुल होके, अऊ लगन से पराथना करे लगिस, अऊ ओकर पसीना ह लहू के बूंद सहीं भुइयां म गिरत रहय।

45जब ओह पराथना करके उठिस, अऊ चेलामन करा गीस, त ओह ओमन ला दुःख के मारे सोवत अऊ थके पाईस। 46ओह ओमन ला कहिस, “तुमन काबर सुतत हवव? उठव अऊ पराथना करव ताकि तुमन परिछा म झन पड़व।”

यीसू ह बंदी बनाय जाथे

(मत्ती 26:47-56; मरकुस 14:43-50; यूहन्ना 18:3-12)

47जब यीसू ह गोठियावत रिहिस, तभे मनखेमन के एक भीड़ आईस; अऊ यहूदा जऊन ह यीसू के बारह चेलामन ले एक झन रिहिस, ओमन के आघू-आघू चलत रहय। ओह यीसू करा ओला चूमे बर आईस। 48पर यीसू ह ओला कहिस, “हे यहूदा, चूमा देके का तेंह मनखे के बेटा ला पकड़वावत हस?”

49यीसू के चेलामन जब देखिन कि का होवइया हवय, त ओमन कहिन, “हे परभू, का हमन अपन तलवार चलावन?” 50अऊ ओम ले एक झन महा पुरोहित के सेवक ऊपर तलवार चलाके ओकर जेवनी कान उड़ा दीस।

51तब यीसू ह कहिस, “एला बंद करव।” अऊ ओह मनखे के कान ला छुईस अऊ ओला बने कर दीस।

52तब यीसू ह ओ मुखिया पुरोहित, मंदिर के रखवारमन के अधिकारी अऊ अगुवामन ला कहिस, जऊन मन ओला पकड़े बर आय रिहिन, “का मेंह डाकू अंव कि तुमन तलवार अऊ बड़े-बड़े लउठी लेके आय हवव? 53मेंह हर दिन तुम्‍हर संग मंदिर म रहेंव, अऊ तुमन मोला नइं पकड़ेव। पर एह तुम्‍हर समय ए, जब अंधियार के सक्ति ह राज करथे।”

पतरस ह यीसू के इनकार करथे

(मत्ती 26:57-58, 69-75; मरकुस 14:53-54, 66-72; यूहन्ना 18:12-18, 25-27)

54तब ओमन यीसू ला पकड़िन अऊ ओला महा पुरोहित के घर ले गीन। पतरस ह कुछू दूरिहा म रहत ओकर पाछू-पाछू आईस। 55पर जब ओमन मांझा अंगना म आगी बारके चारों अंग बईठ गीन, त पतरस ह ओमन के संग जाके बईठ गीस। 56एक झन नौकरानी टूरी ओला आगी के अंजोर म उहां बईठे देखिस। ओ टूरी ह ओला धियान लगाके देखिस अऊ कहिस, “ए मनखे ह यीसू के संग रिहिस।”

57पर पतरस ह इनकार करिस अऊ कहिस, “ए टूरी, मेंह ओला नइं जानंव।”

58थोरकन देर बाद, एक आने मनखे ओला देखिस अऊ कहिस, “तेंह घलो ओमन ले एक झन अस।”

पर पतरस ह कहिस, “ए मनखे, मेंह नो हंव।”

59करीब एक घंटा के बाद, एक आने मनखे ह जोर देके कहिस, “सही म, ए मनखे ह ओकर संग रिहिस, काबरकि एह घलो गलील प्रदेस के रहइया ए।”

60पतरस ह जबाब देके कहिस, “ए मनखे, मेंह नइं जानंव कि तेंह का कहथस।” जब ओह ए कहितेच रिहिस कि तुरते कुकरा ह बासिस। 61अऊ परभू ह लहुंटके पतरस ला सीधा देखिस, तब पतरस ह परभू के कहे ओ बात ला सुरता करिस, “एकर पहिली कि आज कुकरा ह बासे, तेंह तीन बार मोर इनकार करबे।” 62पतरस ह अंगना के बाहिर गीस अऊ फूट-फूट के रोईस।

सैनिकमन यीसू के हंसी उड़ाथें

(मत्ती 26:67-68; मरकुस 14:65)

63जऊन मनखेमन यीसू के रखवारी करत रहंय, ओमन यीसू के ठट्ठा करिन अऊ ओला मारे-पीटे लगिन। 64ओमन यीसू के आंखी ऊपर कपड़ा बांधके ओकर ले पुछिन, “अगमबानी करके हमन ला बता कि तोला कोन मारिस?” 65ओमन अऊ बहुंत बेजत्ती के बात ओला कहिन।

यीसू धरम-महासभा के आघू म

(मत्ती 26:59-66; मरकुस 14:55-64; यूहन्ना 18:19-24)

66जब दिन होईस, त मनखेमन के अगुवा, मुखिया पुरोहित अऊ कानून के गुरू मन एक सभा के रूप म जुरिन, अऊ यीसू ह ओमन के आघू म लाने गीस। 67ओमन यीसू ले पुछिन, “यदि तेंह मसीह अस, त हमन ला बता?”

यीसू ह जबाब दीस, “यदि मेंह तुमन ला बताहूं, त तुमन मोर ऊपर बिसवास नइं करहू, 68अऊ यदि मेंह तुमन ले पुछहूं, त तुमन जबाब नइं दूहू। 69पर अब ले, मनखे के बेटा ह सर्वसक्तिमान परमेसर के जेवनी हांथ कोति बईठही।”

70ओमन जम्मो झन पुछिन, “त का तेंह परमेसर के बेटा अस?”

ओह ओमन ला जबाब दीस, “तुमन सही कहथव, काबरकि मेंह अंव।”

71तब ओमन कहिन, “हमन ला अऊ गवाह के जरूरत नइं ए। हमन खुदे ओकर मुहूं ले सुन लेय हवन।”

Ketab El Hayat

إنجيل لوقا 22:1-71

المؤامرة وخيانة يهوذا

1وَاقْتَرَبَ عِيدُ الْفَطِيرِ، الْمَعْرُوفُ بِالْفِصْحِ 2وَمَازَالَ رُؤَسَاءُ الْكَهَنَةِ وَالْكَتَبَةُ يَسْعَوْنَ كَيْ يَقْتُلُوا يَسُوعَ، لأَنَّهُمْ كَانُوا خَائِفِينَ مِنَ الشَّعْبِ.

3وَدَخَلَ الشَّيْطَانُ فِي يَهُوذَا الْمُلَقَّبِ بِالإِسْخَرْيُوطِيِّ، وَهُوَ فِي عِدَادِ الاِثْنَيْ عَشَرَ. 4فَمَضَى وَتَكَلَّمَ مَعَ رُؤَسَاءِ الْكَهَنَةِ وَقُوَّادِ حَرَسِ الْهَيْكَلِ كَيْفَ يُسَلِّمُهُ إِلَيْهِمْ. 5فَفَرِحُوا، وَاتَّفَقُوا أَنْ يُعْطُوهُ بَعْضَ الْمَالِ. 6فَرَضِيَ، وَأَخَذَ يَتَحَيَّنُ فُرْصَةً لِيُسَلِّمَهُ إِلَيْهِمْ بَعِيداً عَنِ الْجَمْعِ.

العشاء الأخير

7وَجَاءَ يَوْمُ الْفَطِيرِ الَّذِي كَانَ يَجِبُ أَنْ يُذْبَحَ فِيهِ (حَمَلُ) الْفِصْحِ. 8فَأَرْسَلَ يَسُوعُ بُطْرُسَ وَيُوحَنَّا قَائِلاً: «اذْهَبَا وَجَهِّزَا لَنَا الْفِصْحَ، لِنَأْكُلَ!» 9فَسَأَلاهُ: «أَيْنَ تُرِيدُ أَنْ نُجَهِّزَ؟» 10فَقَالَ لَهُمَا: «حَالَمَا تَدْخُلانِ الْمَدِينَةَ، يُلاقِيكُمَا إِنْسَانٌ يَحْمِلُ جَرَّةَ مَاءٍ، فَالْحَقَا بِهِ إِلَى الْبَيْتِ الَّذِي يَدْخُلُهُ. 11وَقُولا لِرَبِّ ذلِكَ الْبَيْتِ: يَقُولُ لَكَ الْمُعَلِّمُ: أَيْنَ غُرْفَةُ الضُّيُوفِ الَّتِي آكُلُ فِيهَا (حَمَلَ) الْفِصْحِ مَعَ تَلامِيذِي؟ 12فَيُرِيكُمَا غُرْفَةً فِي الطَّبَقَةِ الْعُلْيَا، كَبِيرَةً وَمَفْرُوشَةً. هُنَاكَ تُجَهِّزَانِ!» 13فَانْطَلَقَا، وَوَجَدَا كَمَا قَالَ لَهُمَا، وَجَهَّزَا الْفِصْحَ.

14وَلَمَّا حَانَتِ السَّاعَةُ، اتَّكَأَ وَمَعَهُ الرُّسُلُ، 15وَقَالَ لَهُمْ: «اشْتَهَيْتُ بِشَوْقٍ أَنْ آكُلَ هَذَا الْفِصْحَ مَعَكُمْ قَبْلَ أَنْ أَتَأَلَّمَ. 16فَإِنِّي أَقُولُ لَكُمْ: لَنْ آكُلَ مِنْهُ بَعْدُ، حَتَّى يَتَحَقَّقَ فِي مَلَكُوتِ اللهِ». 17وَإِذْ تَنَاوَلَ كَأْساً وَشَكَرَ، قَالَ: «خُذُوا هذِهِ وَاقْتَسِمُوهَا بَيْنَكُمْ. 18فَإِنِّي أَقُولُ لَكُمْ إِنِّي لَا أَشْرَبُ مِنْ نِتَاجِ الْكَرْمَةِ حَتَّى يَأْتِيَ مَلَكُوتُ اللهِ!» 19وَإِذْ أَخَذَ رَغِيفاً، شَكَرَ، وَكَسَّرَ، وَأَعْطَاهُمْ قَائِلاً: «هَذَا جَسَدِي الَّذِي يُبْذَلُ لأَجْلِكُمْ. هَذَا افْعَلُوهُ لِذِكْرِي!» 20وَكَذلِكَ أَخَذَ الْكَأْسَ أَيْضاً بَعْدَ الْعَشَاءِ، وَقَالَ: «هَذِهِ الْكَأْسُ هِيَ الْعَهْدُ الْجَدِيدُ بِدَمِي الَّذِي يُسْفَكُ لأَجْلِكُمْ. 21ثُمَّ إِنَّ يَدَ الَّذِي يُسَلِّمُنِي هِيَ مَعِي عَلَى الْمَائِدَةِ. 22فَابْنُ الإِنْسَانِ لابُدَّ أَنْ يَمْضِيَ كَمَا هُوَ مَحْتُومٌ، وَلكِنِ الْوَيْلُ لِذلِكَ الرَّجُلِ الَّذِي يُسَلِّمُهُ!» 23فَأَخَذُوا يَتَسَاءَلُونَ فِيمَا بَيْنَهُمْ: مَنْ مِنْهُمْ يُوشِكُ أَنْ يَفْعَلَ هَذَا.

24وَقَامَ بَيْنَهُمْ أَيْضاً جِدَالٌ فِي أَيِّهِمْ يُحْسَبُ الأَعْظَمَ. 25فَقَالَ لَهُمْ: «إِنَّ مُلُوكَ الأُمَمِ يَسُودُونَهُمْ، وَأَصْحَابَ السُّلْطَةِ عِنْدَهُمْ يُدْعَوْنَ مُحْسِنِينَ. 26وَأَمَّا أَنْتُمْ، فَلا يَكُنْ ذلِكَ بَيْنَكُمْ، بَلْ لِيَكُنِ الأَعْظَمُ بَيْنَكُمْ كَالأَصْغَرِ، وَالْقَائِدُ كَالْخَادِمِ. 27فَمَنْ هُوَ أَعْظَمُ: الَّذِي يَتَّكِئُ أَمِ الَّذِي يَخْدِمُ؟ أَلَيْسَ الَّذِي يَتَّكِئُ؟ وَلكِنِّي أَنَا فِي وَسَطِكُمْ كَالَّذِي يَخْدِمُ. 28أَنْتُمْ الَّذِينَ صَمَدْتُمْ مَعِي فِي مِحَنِي. 29وَأَنَا أُعَيِّنُ لَكُمْ، كَمَا عَيَّنَ لِي أَبِي، مَلَكُوتاً، 30لِكَيْ تَأْكُلُوا وَتَشْرَبُوا عَلَى مَائِدَتِي فِي مَلَكُوتِي، وَتَجْلِسُوا عَلَى عُرُوشٍ تَدِينُونَ أَسْبَاطَ إِسْرَائِيلَ الاِثْنَيْ عَشَرَ».

31وَقَالَ الرَّبُّ «سِمْعَانُ، سِمْعَانُ! هَا إِنَّ الشَّيْطَانَ قَدْ طَلَبَكُمْ لِكَيْ يُغَرْبِلَكُمْ كَمَا يُغَرْبَلُ الْقَمْحُ، 32وَلكِنِّي تَضَرَّعْتُ لأَجْلِكَ لِكَيْ لَا يَخِيبَ إِيمَانُكَ. وَأَنْتَ، بَعْدَ أَنْ تَرْجِعَ، ثَبِّتْ إِخْوَتَكَ». 33فَقَالَ لَهُ: «يَا رَبُّ، إِنِّي مُسْتَعِدٌّ أَنْ أَذْهَبَ مَعَكَ إِلَى السِّجْنِ وَإِلَى الْمَوْتِ مَعاً!» 34فَقَالَ: «إِنِّي أَقُولُ لَكَ يَا بُطْرُسُ إِنَّ الدِّيكَ لَا يَصِيحُ الْيَوْمَ حَتَّى تَكُونَ قَدْ أَنْكَرْتَ ثَلاثَ مَرَّاتٍ أَنَّكَ تَعْرِفُنِي!»

35ثُمَّ قَالَ لَهُمْ: «حِينَ أَرْسَلْتُكُمْ بِلا صُرَّةِ مَالٍ وَلا كِيسِ زَادٍ وَلا حِذَاءٍ، هَلِ احْتَجْتُمْ إِلَى شَيْءٍ؟» فَقَالُوا: «لا!» 36فَقَالَ لَهُمْ: «أَمَّا الآنَ، فَمَنْ عِنْدَهُ صُرَّةُ مَالٍ، فَلْيَأْخُذْهَا؛ وَكَذلِكَ مَنْ عِنْدَهُ حَقِيبَةُ زَادٍ. وَمَنْ لَيْسَ عِنْدَهُ، فَلْيَبِعْ رِدَاءَهُ وَيَشْتَرِ سَيْفاً. 37فَإِنِّي أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ هَذَا الَّذِي كُتِبَ عُدَّ مَعَ الْمُجْرِمِينَ لابُدَّ أَنْ يَتِمَّ فِيَّ، لأَنَّ كُلَّ نُبُوءَةٍ تَخْتَصُّ بِي لَهَا إِتْمَامٌ!» 38فَقَالُوا: «يَا رَبُّ هَا هُنَا سَيْفَانِ». فَقَالَ لَهُمْ: «كَفَى!»

يسوع يصلي في جبل الزيتون

39ثُمَّ انْطَلَقَ وَذَهَبَ كَعَادَتِهِ إِلَى جَبَلِ الزَّيْتُونِ، وَتَبِعَهُ التَّلامِيذُ أَيْضاً. 40وَلَمَّا وَصَلَ إِلَى الْمَكَانِ، قَالَ لَهُمْ: «صَلُّوا لِكَيْ لَا تَدْخُلُوا فِي تَجْرِبَةٍ». 41وَابْتَعَدَ عَنْهُمْ مَسَافَةً تُقَارِبُ رَمْيَةَ حَجَرٍ، وَرَكَعَ يُصَلِّي 42قَائِلاً: «يَا أَبِي، إِنْ شِئْتَ أَبْعِدْ عَنِّي هذِهِ الْكَأْسَ. وَلكِنْ، لِتَكُنْ لَا مَشِيئَتِي بَلْ مَشِيئَتُكَ». 43وَظَهَرَ لَهُ مَلاكٌ مِنَ السَّمَاءِ يُشَدِّدُهُ. 44وَإِذْ كَانَ فِي صِرَاعٍ، أَخَذَ يُصَلِّي بِأَشَدِّ إِلْحَاحٍ؛ حَتَّى إِنَّ عَرَقَهُ صَارَ كَقَطَرَاتِ دَمٍ نَازِلَةٍ عَلَى الأَرْضِ. 45ثُمَّ قَامَ مِنَ الصَّلاةِ وَجَاءَ إِلَى التَّلامِيذِ، فَوَجَدَهُمْ نَائِمِينَ مِنَ الْحُزْنِ. 46فَقَالَ لَهُمْ: «مَا بَالُكُمْ نَائِمِينَ؟ قُومُوا وَصَلُّوا لِكَيْ لَا تَدْخُلُوا فِي تَجْرِبَةٍ!»

القبض على يسوع

47وَفِيمَا هُوَ يَتَكَلَّمُ، إِذَا جَمْعٌ يَتَقَدَّمُهُمُ الْمَدْعُوُّ يَهُوذَا، وَهُوَ وَاحِدٌ مِنَ الاِثْنَيْ عَشَرَ. فَتَقَدَّمَ إِلَى يَسُوعَ لِيُقَبِّلَهُ. 48فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «يَا يَهُوذَا، أَبِقُبْلَةٍ تُسَلِّمُ ابْنَ الإِنْسَانِ؟»

49فَلَمَّا رَأَى الَّذِينَ حَوْلَهُ مَا يُوشِكُ أَنْ يَحْدُثَ، قَالُوا: «يَا رَبُّ، أَنَضْرِبُ بِالسَّيْفِ؟»

50وَضَرَبَ أَحَدُهُمْ عَبْدَ رَئِيسِ الْكَهَنَةِ فَقَطَعَ أُذُنَهُ الْيُمْنَى. 51فَأَجَابَ يَسُوعُ قَائِلاً: «قِفُوا عِنْدَ هَذَا الْحَدِّ!» وَلَمَسَ أُذُنَهُ فَشَفَاهُ.

52وَقَالَ يَسُوعُ لِرُؤَسَاءِ الْكَهَنَةِ وَقُوَّادِ حَرَسِ الْهَيْكَلِ وَالشُّيُوخِ، الَّذِينَ أَقْبَلُوا عَلَيْهِ: «أَكَمَا عَلَى لِصٍّ خَرَجْتُمْ بِالسُّيُوفِ وَالْعِصِيِّ؟ 53عِنْدَمَا كُنْتُ مَعَكُمْ كُلَّ يَوْمٍ فِي الْهَيْكَلِ، لَمْ تَمُدُّوا أَيْدِيَكُمْ عَلَيَّ. وَلكِنَّ هذِهِ السَّاعَةَ لَكُمْ، وَالسُّلْطَةُ الآنَ لِلظَّلامِ!»

بطرس ينكر يسوع

54وَإِذْ قَبَضُوا عَلَيْهِ، سَاقُوهُ حَتَّى دَخَلُوا بِهِ قَصْرَ رَئِيسِ الْكَهَنَةِ. وَتَبِعَهُ بُطْرُسُ مِنْ بَعِيدٍ.

55وَلَمَّا أُشْعِلَتْ نَارٌ فِي سَاحَةِ الدَّارِ وَجَلَسَ بَعْضُهُمْ حَوْلَهَا، جَلَسَ بُطْرُسُ بَيْنَهُمْ. 56فَرَأَتْهُ خَادِمَةٌ جَالِساً عِنْدَ الضَّوْءِ، فَدَقَّقَتِ النَّظَرَ فِيهِ، وَقَالَتْ: «وَهَذَا كَانَ مَعَهُ!» 57وَلكِنَّهُ أَنْكَرَ قَائِلاً: «يَا امْرَأَةُ، لَسْتُ أَعْرِفُهُ!» 58وَبَعْدَ وَقْتٍ قَصِيرٍ رَآهُ آخَرُ فَقَالَ: «وَأَنْتَ مِنْهُمْ!» وَلكِنَّ بُطْرُسَ قَالَ: «يَا إِنْسَانُ، لَيْسَ أَنَا!» 59وَبَعْدَ مُضِيِّ سَاعَةٍ تَقْرِيباً، قَالَ آخَرُ مُؤَكِّداً: «حَقّاً إِنَّ هَذَا كَانَ مَعَهُ أَيْضاً، لأَنَّهُ أَيْضاً مِنَ الْجَلِيلِ!» 60فَقَالَ بُطْرُسُ: «يَا إِنْسَانُ، لَسْتُ أَدْرِي مَا تَقُولُ!» وَفِي الْحَالِ وَهُوَ مَازَالَ يَتَكَلَّمُ، صَاحَ الدِّيكُ. 61فَالْتَفَتَ الرَّبُّ وَنَظَرَ إِلَى بُطْرُسَ. فَتَذَكَّرَ بُطْرُسُ كَلِمَةَ الرَّبِّ إِذْ قَالَ لَهُ: «قَبْلَ أَنْ يَصِيحَ الدِّيكُ تَكُونُ قَدْ أَنْكَرْتَنِي ثَلاثَ مَرَّاتٍ». 62وَانْطَلَقَ إِلَى الْخَارِجِ، وَبَكَى بُكَاءً مُرّاً.

الحرس يستهزئون بيسوع

63أَمَّا الرِّجَالُ الَّذِينَ كَانُوا يَحْرُسُونَ يَسُوعَ، فَقَدْ أَخَذُوا يَسْخَرُونَ مِنْهُ وَيَضْرِبُونَهُ، 64وَيُغَطُّونَ وَجْهَهُ وَيَسْأَلُونَهُ: «تَنَبَّأْ! مَنِ الَّذِي ضَرَبَكَ؟» 65وَوَجَّهُوا إِلَيْهِ شَتَائِمَ أُخْرَى كَثِيرَةً.

66وَلَمَّا طَلَعَ النَّهَارُ، اجْتَمَعَ مَجْلِسُ شُيُوخِ الشَّعْبِ الْمُؤَلَّفُ مِنْ رُؤَسَاءِ الْكَهَنَةِ وَالْكَتَبَةِ، وَسَاقُوهُ أَمَامَ مَجْلِسِهِمْ.

يسوع أمام بيلاطس وهيرودس

67وَقَالُوا: «إِنْ كُنْتَ أَنْتَ الْمَسِيحَ، فَقُلْ لَنَا!» فَقَالَ لَهُمْ: «إِنْ قُلْتُ لَكُمْ، لَا تُصَدِّقُونَ، 68وَإِنْ سَأَلْتُكُمْ، لَا تُجِيبُونَنِي. 69إِلّا أَنَّ ابْنَ الإِنْسَانِ مِنَ الآنَ سَيَكُونُ جَالِساً عَنْ يَمِينِ قُدْرَةِ اللهِ!» 70فَقَالُوا كُلُّهُمْ: «أَأَنْتَ إِذَنِ ابْنُ اللهِ؟» قَالَ لَهُمْ: «أَنْتُمْ قُلْتُمْ، إِنِّي أَنَا هُوَ!» 71فَقَالُوا: «أَيَّةُ حَاجَةٍ بِنَا بَعْدُ إِلَى شُهُودٍ؟ فَهَا نَحْنُ قَدْ سَمِعْنَا مِنْ فَمِهِ!»