रोमीमन 9 – NCA & NAV

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

रोमीमन 9:1-33

परमेसर अऊ ओकर चुने मनखेमन

1मेंह मसीह म होके सच कहत हंव; मेंह लबारी नइं मारत हंव। मोर बिवेक घलो पबितर आतमा म होके गवाही देवत हवय – 2कि मोला बहुंते दुःख हवय अऊ मोर हिरदय ह हमेसा दुःख ले भरे हवय। 3मेंह चाहत रहेंव कि मोर भाईमन बर जऊन मन मोर खुद के बंस के अंय, ओमन के हित म मेंह खुदे सरापित हो जातेंव अऊ मसीह ले अलग हो जातेंव। 4ओमन इसरायली मनखे अंय। परमेसर ह ओमन ला गोद लेके बेटा बनाईस; ओमन के ऊपर महिमा परगट करिस; ओमन के संग करार करिस; ओमन ला मूसा के कानून दीस। ओमन ला बताईस कि मंदिर म ओकर अराधना कइसने करे जावय अऊ ओह ओमन ले परतिगियां करिस। 5कुल के मुखियामन एमन के पुरखा रिहिन अऊ मसीह ह मनखे के रूप म एमन के बंस ले आईस, जऊन ह जम्मो के ऊपर परमेसर अय, ओकर परसंसा सदा होवय! आमीन।

6अइसने नो हय कि परमेसर के बचन ह सच नइं होईस। काबरकि ओ जम्मो, जऊन मन इसरायल के बंस म जनम ले हवंय, जम्मो के जम्मो इसरायली नो हंय, 7अऊ ओ जम्मो अब्राहम के संतान नो हंय, जऊन मन ओकर बंस म जनम लीन, काबरकि परमेसर के बचन ह कहिथे, “इसहाक के जरिये तोर बंस चलही।”9:7 उतपत्ती 21:12 8एकर मतलब ए अय कि मनखे के ईछा के मुताबिक जनमे लइकामन परमेसर के संतान नो हंय, पर परमेसर के परतिगियां के मुताबिक जनमे लइकामन सही बंसज समझे जाथें। 9काबरकि परमेसर के बचन म ए किसम ले परतिगियां के बचन कहे गे हवय, “सही समय म, मेंह फेर आहूं, अऊ सारा ह एक बेटा ला जनम दिही।”9:9 उतपत्ती 18:10

10अऊ सिरिप अतका ही नइं, पर रिबिका के दूनों लइकामन के एके ददा रिहिस, याने कि हमर पुरखा इसहाक। 11पर जब ओ जुड़वां लइकामन जनमे घलो नइं रिहिन अऊ कुछू भला-बुरा घलो नइं करे रिहिन, तभे रिबिका ला ए कहे गीस, “बड़े ह छोटे के सेवा करही।” एह एकरसेति होईस ताकि परमेसर के चुनाव के उदेस्य ह बने रहय, 12अऊ एह ओमन के कुछू करम के कारन नइं, पर परमेसर के बुलाहट के कारन होईस। 13जइसने कि परमेसर के बचन म लिखे हवय, “याकूब ले मेंह मया करेंव पर एसाव ला अप्रिय जानेंव।”9:13 मलाकी 1:2, 3

14तब हमन का कहन? का परमेसर ह अनियाय करथे? बिलकुल नइं! 15काबरकि ओह मूसा ले कहिस,

“जेकर ऊपर मेंह दया करे चाहंव,

ओकर ऊपर दया करहूं, अऊ जेकर ऊपर मेंह तरस खाय चाहंव, ओकर ऊपर तरस खाहूं।”9:15 निरगमन 33:19

16एकरसेति एह मनखे के ईछा या काम के ऊपर निरभर नइं करय, पर परमेसर के दया ऊपर निरभर करथे। 17काबरकि परमेसर के बचन म फिरौन राजा ला ए कहे गे हवय, “मेंह तोला एकरसेति राजा बनाय हवंव कि मेंह तोर ऊपर अपन सक्ति ला देखावंव अऊ धरती के जम्मो मनखेमन मोला जानंय।”9:17 निरगमन 9:16 18एकरसेति परमेसर ह जेकर ऊपर दया करे चाहथे, ओकर ऊपर दया करथे, अऊ जेकर हिरदय ला कठोर करे चाहथे, ओला कठोर कर देथे।

19तब तुमन ह मोला कहिहू, “त फेर परमेसर ह मनखे ऊपर काबर दोस लगाथे? कोन ह ओकर ईछा के बिरोध कर सकथे?” 20हे मनखे! तेंह कोन अस कि परमेसर ला जबाब देथस? का गढ़े गे चीज ह अपन गढ़इया ला कहे सकथे, “तेंह मोला अइसने काबर बनाय हवस?”9:20 यसायाह 29:16 21का कुम्‍हार ला ए अधिकार नइं ए कि माटी के एके लोंदा ले, ओह एक बरतन ला बिसेस उपयोग खातिर अऊ दूसर बरतन ला सधारन उपयोग खातिर बनावय?

22एह कोनो अचरज के बात नो हय, यदि परमेसर ह अपन कोरोध अऊ सक्ति देखाय के ईछा करिस अऊ ओमन ला बड़े धीर धरके सहिस जऊन मन कोरोध के पात्र रिहिन अऊ बिनास खातिर बनाय गे रिहिन। 23एह कोनो अचरज के बात नो हय, यदि परमेसर ह ए करे के दुवारा, अपन बड़े महिमा ओमन ला देखाय चाहिस, जऊन मन दया के पात्र रिहिन अऊ महिमा के खातिर पहिली ले तियार करे गे रिहिन। 24अऊ त अऊ हमन ला घलो ओह बलाईस, न सिरिप यहूदी जात म ले, पर आनजात म ले घलो बलाईस। 25जइसने कि ओह होसे के किताब म कहिथे:

“जऊन मन मोर मनखे नो हंय, ओमन ला मेंह अपन मनखे कहिहूं;

अऊ जऊन ह मोर मयारू नो हय, ओला मेंह अपन मयारू कहिहूं,”9:25 होसे 2:23

26अऊ,

“जऊन जगह म ओमन ला ए कहे गे रिहिस,

‘तुमन मोर मनखे नो हव, ओही जगह म,

ओमन ला जीयत परमेसर के संतान कहे जाही।’ ”9:26 होसे 1:10

27यसायाह अगमजानी ह इसरायलीमन के बारे म पुकारके कहिथे,

“हालाकि इसरायलीमन के गनती ह समुंदर के बालू सहीं होही,

पर ओम ले थोरकन मनखे ही बंचाय जाहीं।

28काबरकि परभू ह अपन फैसला ला

धरती म जल्दी अऊ कड़ई से लागू करही।”9:28 यसायाह 10:22-23

29जइसने कि यसायाह अगमजानी ह पहिली कहे रिहिस:

“यदि सर्वसक्तिमान परभू ह हमर बर बंस ला नइं छोंड़े होतिस,

त हमन सदोम अऊ अमोरा सहर मन सहीं पूरापूरी नास हो गे रहितेन।”9:29 यसायाह 1:9

इसरायलीमन के अबिसवास

30तब, हमन का कहन? कि आनजात के मनखे जऊन मन परमेसर के धरमीपन के खोज नइं करत रिहिन, ओमन धरमीपन ला पा गीन, याने कि ओ धरमीपन जऊन ह बिसवास करे के दुवारा मिलथे। 31इसरायलीमन ओ धरमीपन के खोज मूसा के कानून ला माने के आधार म करिन, पर ओ धरमीपन ओमन ला नइं मिलिस। 32ओमन ला काबर नइं मिलिस? काबरकि ओमन ओ धरमीपन के खोज बिसवास के दुवारा नइं, पर अपन काम के आधार म करिन। ओमन “ठोकर के पथरा” म हपट के गिरिन9:32 ए पद म “ठोकर के पथरा” के मतलब अय – यीसू मसीह।33जइसने कि परमेसर के बचन म लिखे हवय:

“देखव, मेंह सियोन म एक पथरा मंढ़ावत हवंव,

जऊन ह मनखे के ठोकर खाय के अऊ गिरे के कारन होही।

पर जऊन ह ओकर ऊपर बिसवास करथे, ओकर ऊपर कभू कलंक नइं लगय9:33 यरूसलेम ह यहूदी राज के खास सहर ए। ए सहर ह सियोन पहाड़ ऊपर बसे हवय। यरूसलेम सहर म परमेसर के मंदिर रिहिस। परमेसर के बचन म “सियोन” के मतलब कभू “यरूसलेम”, त कभू “इसरायल के मनखे” हो सकथे। इहां, ए पद म सियोन के मतलब “इसरायल के मनखे” अय।।”9:33 यसायाह 8:14; 28:16

Ketab El Hayat

روما 9:1-33

ألم نحو إسرائيل

1أَقُولُ الْحَقَّ فِي الْمَسِيحِ، لَسْتُ أَكْذِبُ، وَضَمِيرِي شَاهِدٌ لِي بِالرُّوحِ الْقُدُسِ، 2إِنَّ بِي حُزْناً شَدِيداً، وَبِقَلْبِي أَلَمٌ لَا يَنْقَطِعُ: 3فَقَدْ كُنْتُ أَتَمَنَّى لَوْ أَكُونُ أَنَا نَفْسِي مَحْرُوماً مِنَ الْمَسِيحِ فِي سَبِيلِ إِخْوَتِي، بَنِي جِنْسِي حَسَبَ الْجَسَدِ. 4فَإِنَّهُمْ إِسْرَائِيلِيُّونَ، وَقَدْ مُنِحُوا التَّبَنِّيَ وَالْمَجْدَ وَالْعُهُودَ وَالتَّشْرِيعَ وَالْعِبَادَةَ وَالْمَوَاعِيدَ، 5وَمِنْهُمْ كَانَ الآبَاءُ وَمِنْهُمْ جَاءَ الْمَسِيحُ حَسَبَ الْجَسَدِ، وَهُوَ فَوْقَ الْجَمِيعِ اللهُ الْمُبَارَكُ إِلَى الأَبَدِ. آمِين.

6لَسْتُ أَعْنِي أَنَّ كَلِمَةَ اللهِ قَدْ خَابَتْ. إِذْ لَيْسَ جَمِيعُ بَنِي إِسْرَائِيلَ هُمْ إِسْرَائِيلُ؛ 7وَلَيْسُوا، لأَنَّهُمْ نَسْلُ إِبْرَاهِيمَ، كُلُّهُمْ أَوْلاداً لِلهِ، بَلْ، كَمَا قَدْ كُتِبَ: «بِإِسْحَاقَ سَيَكُونُ لَكَ نَسْلٌ يَحْمِلُ اسْمَكَ». 8أَيْ أَنَّ أَوْلادَ الْجَسَدِ لَيْسُوا هُمْ أَوْلادَ اللهِ، بَلْ أَوْلادُ الْوَعْدِ يُحْسَبُونَ نَسْلاً. 9فَهذِهِ هِيَ كَلِمَةُ الْوَعْدِ: «فِي مِثْلِ هَذَا الْوَقْتِ أَعُودُ، وَيَكُونُ لِسَارَةَ ابْنٌ».

10لَيْسَ ذَلِكَ فَقَطْ، بَلْ إِنَّ رِفْقَةَ أَيْضاً، وَقَدْ حَبِلَتْ مِنْ رَجُلٍ وَاحِدٍ، مِنْ إِسْحَاقَ أَبِينَا، 11وَلَمْ يَكُنِ الْوَلَدَانِ قَدْ وُلِدَا بَعْدُ وَلا فَعَلا خَيْراً أَوْ شَرّاً، وَذلِكَ كَيْ يَبْقَى قَصْدُ اللهِ مِنْ جِهَةِ الاخْتِيَارِ 12لا عَلَى أَسَاسِ الأَعْمَالِ بَلْ عَلَى أَسَاسِ دَعْوَةٍ مِنْهُ، قِيلَ لَهَا: «إِنَّ الْوَلَدَ الأَكْبَرَ يَكُونُ عَبْداً لِلأَصْغَرِ»، 13كَمَا قَدْ كُتِبَ: «أَحْبَبْتُ يَعْقُوبَ، وَأَبْغَضْتُ عِيسُوَ».

14إِذاً، مَاذَا نَقُولُ، أَيَكُونُ عِنْدَ اللهِ ظُلْمٌ، حَاشَا! 15فَإِنَّهُ يَقُولُ لِمُوسَى: «إِنِّي أَرْحَمُ مَنْ أَرْحَمُهُ، وَأُشْفِقُ عَلَى مَنْ أُشْفِقُ عَلَيْهِ!» 16إِذاً، لَا يَتَعَلَّقُ الأَمْرُ بِرَغْبَةِ الإِنْسَانِ وَلا بِسَعْيِهِ، وَإِنَّمَا بِرَحْمَةِ اللهِ فَقَطْ. 17فَإِنَّ اللهَ يَقُولُ لِفِرْعَوْنَ فِي الْكِتَابِ: «لِهَذَا الأَمْرِ بِعَيْنِهِ أَقَمْتُكَ: لأُظْهِرَ فِيكَ قُدْرَتِي وَيُعْلَنَ اسْمِي فِي الأَرْضِ كُلِّهَا». 18فاللهُ إِذاً يَرْحَمُ مَنْ يَشَاءُ، وَيُقَسِّي مَنْ يَشَاءُ.

19هُنَا سَتَقُولُ لِي: «لِمَاذَ يَلُومُ بَعْدُ؟ مَنْ يُقَاوِمُ قَصْدَهُ؟» 20فَأَقُولُ: مَنْ أَنْتَ أَيُّهَا الإِنْسَانُ حَتَّى تَرُدَّ جَوَاباً عَلَى اللهِ؟ أَيَقُولُ الشَّيْءُ الْمَصْنُوعُ لِصَانِعِهِ: لِمَاذَا صَنَعْتَنِي هَكَذَا؟ 21أَوَ لَيْسَ لِصَانِعِ الْفَخَّارِ سُلْطَةٌ عَلَى الطِّينِ لِيَصْنَعَ مِنْ كُتْلَةٍ وَاحِدَةٍ وِعَاءً لِلاِسْتِعْمَالِ الرَّفِيعِ وَآخَرَ لِلاِسْتِعْمَالِ الوَضِيعِ؟ 22فَمَاذَا إِذاً إِنْ كَانَ اللهُ، وَقَدْ شَاءَ أَنْ يُظْهِرَ غَضَبَهُ وَيُعْلِنَ قُدْرَتَهُ، احْتَمَلَ بِكُلِّ صَبْرٍ أَوْعِيَةَ غَضَبٍ جَاهِزَةً لِلْهَلاكِ، 23وَذَلِكَ بِقَصْدِ أَنْ يُعْلِنَ غِنَى مَجْدِهِ فِي أَوْعِيَةِ الرَّحْمَةِ الَّتِي سَبَقَ فَأَعَدَّهَا لِلْمَجْدِ، 24فِينَا نَحْنُ الَّذِينَ دَعَاهُمْ لَا مِنْ بَيْنِ الْيَهُودِ فَقَطْ بَلْ مِنْ بَيْنِ الأُمَمِ أَيْضاً؟ 25وَذَلِكَ عَلَى حَدِّ مَا يَقُولُ أَيْضاً فِي نُبُوءَةِ هُوشَعَ: «مَنْ لَمْ يَكُونُوا شَعْبِي سَأَدْعُوهُمْ شَعْبِي، وَمَنْ لَمْ تَكُنْ مَحْبُوبَةً سَأَدْعُوهَا مَحْبُوبَةً. 26وَيَكُونُ أَنَّهُ حَيْثُ قِيلَ لَهُمْ: لَسْتُمْ شَعْبِي، فَهُنَاكَ يُدْعَوْنَ أَبْنَاءَ اللهِ الْحَيِّ». 27أَمَّا إِشَعْيَاءُ، فَيَهْتِفُ مُتَكَلِّماً عَلَى إِسْرَائِيلَ: «وَلَوْ كَانَ بَنُو إِسْرَائِيلَ كَرَمْلِ الْبَحْرِ عَدَداً، فَإِنَّ بَقِيَّةً مِنْهُمْ سَتَخْلُصُ. 28فَإِنَّ الرَّبَّ سَيَحْسِمُ الأَمْرَ وَيُنْجِزُ كَلِمَتَهُ سَرِيعاً عَلَى الأَرْضِ». 29وَكَمَا قَالَ إِشَعْيَاءُ سَابِقاً: «لَوْ لَمْ يُبْقِ لَنَا رَبُّ الْجُنُودِ نَسْلاً، لَصِرْنَا مِثْلَ سَدُومَ وَشَابَهْنَا عَمُورَةَ!»

عدم إيمان بني إسرائيل

30فَمَا هِيَ خُلاصَةُ الْقَوْلِ؟ إِنَّ الأُمَمَ الَّذِينَ لَمْ يَكُونُوا يَسْعَوْنَ وَرَاءَ الْبِرِّ، قَدْ بَلَغُوا الْبِرَّ، وَلَكِنَّهُ الْبِرُّ الْقَائِمُ عَلَى أَسَاسِ الإِيمَانِ. 31أَمَّا إِسْرَائِيلُ، وَقَدْ كَانُوا يَسْعَوْنَ وَرَاءَ شَرِيعَةٍ تَهْدِفُ إِلَى الْبِرِّ، فَقَدْ فَشَلُوا حَتَّى فِي بُلُوغِ الشَّرِيعَةِ. 32وَلأَيِّ سَبَبٍ؟ لأَنَّ سَعْيَهُمْ لَمْ يَكُنْ عَلَى أَسَاسِ الإِيمَانِ، بَلْ كَانَ وَكَأَنَّ الأَمْرَ قَائِمٌ عَلَى الأَعْمَالِ. فَقَدْ تَعَثَّرُوا بِحَجَرِ الْعَثْرَةِ، 33كَمَا كُتِبَ: «هَا أَنَا وَاضِعٌ فِي صِهْيَوْنَ حَجَرَ عَثْرَةٍ وَصَخْرَةَ سُقُوطٍ. وَمَنْ يُؤْمِنُ بِهِ لَا يَخِيبُ».