रोमीमन 5 – NCA & NAV

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

रोमीमन 5:1-21

सांति अऊ आनंद

1एकरसेति, जब हमन बिसवास के दुवारा सही ठहिराय गे हवन, त हमर अपन परभू यीसू मसीह के जरिये परमेसर के संग सांति हवय। 2मसीह के जरिये बिसवास के दुवारा हमन ए अनुग्रह ला पाय हवन, जऊन म हमन अब रहिथन। अऊ हमन ह ए आसा म आनंद मनाथन कि हमन परमेसर के महिमा के भागी होबो। 3सिरिप एही भर नइं, पर हमन दुःख-पीरा म घलो आनंद मनाथन, काबरकि हमन जानथन कि दुःख-पीरा ले सहनसीलता, 4सहनसीलता ले बने चाल-चलन अऊ बने चाल-चलन ले आसा पैदा होथे। 5अऊ आसा ह हमन ला निरास नइं करय, काबरकि परमेसर ह हमन ला पबितर आतमा दे हवय, अऊ ए पबितर आतमा के जरिये ओह अपन मया ला हमर हिरदय म डारे हवय।

6जब हमन निरबल ही रहेंन, तभे सही समय म मसीह ह भक्तिहीन मनखेमन बर मरिस। 7एह मुसकुल अय कि एक धरमी मनखे बर कोनो मरय, सायद ए हो सकथे कि एक बने मनखे बर कोनो मरे के हिम्मत करय। 8पर परमेसर ह हमर बर अपन मया ला ए किसम ले देखाथे: जब हमन पापी ही रहेंन, तभे मसीह ह हमर बर मरिस।

9जब हमन मसीह के लहू के कारन सही ठहिराय गे हवन, त फेर ओकर दुवारा हमन परमेसर के कोरोध ले काबर नइं बांचबो? 10काबरकि जब हमन परमेसर के बईरी रहेंन, त ओकर बेटा के मिरतू के दुवारा ओकर संग हमर मेल-मिलाप होईस, त फेर मेल-मिलाप होय के बाद, मसीह के जिनगी के दुवारा हमन उद्धार काबर नइं पाबो? 11सिरिप एहीच नइं, पर हमन परमेसर म घलो, हमर परभू यीसू मसीह के जरिये आनंद मनाथन, जेकर दुवारा अब परमेसर के संग हमर मेल-मिलाप होय हवय।

आदम के दुवारा मिरतू, मसीह के दुवारा जिनगी

12जइसने कि एक मनखे के दुवारा पाप ह संसार म आईस, अऊ पाप के दुवारा मिरतू आईस, अऊ ए किसम ले मिरतू ह जम्मो मनखे ऊपर आईस, काबरकि जम्मो झन पाप करिन। 13मूसा के कानून ला देय जाय के पहिली, पाप ह संसार म रिहिस; पर जिहां कानून नइं ए, उहां पाप नइं गने जावय। 14तभो ले आदम ले लेके मूसा तक मिरतू ह जम्मो मनखे ऊपर आईस, इहां तक कि ओमन ऊपर घलो मिरतू आईस, जऊन मन आदम सहीं हुकूम ला टोरे के पाप नइं करे रिहिन। आदम ह ओ मनखे के एक नमूना रिहिस, जऊन ह अवइया रहय5:14 जऊन मनखे अवइया रिहिस, ओह मसीह अय।

15पर परमेसर के बरदान ह पाप के सहीं नो हय। काबरकि यदि एक मनखे के पाप के कारन बहुंते झन मरिन, त परमेसर के अनुग्रह अऊ बरदान ह बहुंते मनखेमन ऊपर बहुंतायत ले आईस। अऊ ए बरदान ह एक मनखे याने कि यीसू मसीह के अनुग्रह के दुवारा आईस। 16परमेसर के बरदान अऊ एक मनखे के पाप के परतिफल एक सहीं नो हय। एक पाप के पाछू परमेसर के फैसला आईस अऊ एह दंड लानिस, पर बहुंत पाप होय के पाछू, बरदान आईस अऊ एह नियाय लानिस। 17काबरकि यदि एक मनखे के पाप के कारन मिरतू ह ओ एक मनखे के दुवारा राज करिस, त जऊन मन परमेसर के अधिकाधिक अनुग्रह अऊ धरमीपन के बरदान ला बहुंतायत म पाईन, ओमन एक मनखे याने कि यीसू मसीह के जरिये जिनगी म जरूर राज करहीं।

18एकरसेति, जइसने एक पाप ह जम्मो मनखेमन बर दंड के कारन बनिस, वइसनेच धरमीपन के एक काम ह घलो नियाय दीस अऊ ओह जम्मो मनखेमन बर जिनगी लानिस। 19जइसने एक मनखे के हुकूम नइं माने के कारन बहुंते मनखेमन पापी ठहरिन, वइसनेच एक मनखे के हुकूम माने के कारन बहुंते मनखेमन धरमी ठहरहीं।

20मूसा के कानून ह दिये गीस, ताकि पाप ह बढ़य। पर जिहां पाप अधिक होईस, उहां अनुग्रह ओकर ले अऊ जादा होईस, 21ताकि जइसने पाप ह मिरतू के दुवारा राज करिस, वइसने परमेसर के अनुग्रह ह घलो धरमीपन के दुवारा राज करय, कि यीसू मसीह हमर परभू के दुवारा हमन ला सदाकाल के जिनगी मिलय।

Ketab El Hayat

روما 5:1-21

سلام وفرح

1فَبِمَا أَنَّنَا قَدْ تَبَرَّرْنَا عَلَى أَسَاسِ الإِيمَانِ، صِرْنَا فِي سَلامٍ مَعَ اللهِ بِرَبِّنَا يَسُوعَ الْمَسِيحِ. 2وَبِهِ أَيْضاً تَمَّ لَنَا الدُّخُولُ بِالإِيمَانِ إِلَى هذِهِ النِّعْمَةِ الَّتِي نُقِيمُ فِيهَا الآنَ؛ وَنَحْنُ نَفْتَخِرُ بِرَجَائِنَا فِي التَّمَتُّعِ بِمَجْدِ اللهِ. 3لَيْسَ هَذَا فَقَطْ، بَلْ نَفْتَخِرُ أَيْضاً فِي وَسَطِ الضِّيقَاتِ، لِعِلْمِنَا أَنَّ الضِّيقَ يُنْتِجُ فِينَا الصَّبْرَ، 4وَالصَّبْرَ يُؤَهِّلُنَا لِلْفَوْزِ فِي الامْتِحَانِ، وَالْفَوْزَ يَبْعَثُ فِينَا الرَّجَاءَ، 5وَالرَّجَاءَ لَا يُخَيِّبُنَا، لأَنَّ اللهَ أَفَاضَ مَحَبَّتَهُ فِي قُلُوبِنَا بِالرُّوحِ الْقُدُسِ الَّذِي وَهَبَنَا إِيَّاهُ. 6فَإِنَّهُ وَنَحْنُ بَعْدُ عَاجِزُونَ، مَاتَ الْمَسِيحُ عَنِ الْعُصَاةِ فِي الْوَقْتِ الْمُعَيَّنِ. 7إِذْ قَلَّمَا يَمُوتُ أَحَدٌ فِدَى إِنْسَانٍ بَارٍّ، بَلْ قَدْ يَتَجَرَّأُ أَحَدٌ أَنْ يَمُوتَ فِدَى إِنْسَانٍ صَالِحٍ. 8وَلَكِنَّ اللهَ أَثْبَتَ لَنَا مَحَبَّتَهُ، إِذْ وَنَحْنُ مَازِلْنَا خَاطِئِينَ مَاتَ الْمَسِيحُ عِوَضاً عَنَّا. 9وَمَادُمْنَا الآنَ قَدْ تَبَرَّرْنَا بِدَمِهِ، فَكَمْ بِالأَحْرَى نَخْلُصُ بِهِ مِنَ الْغَضَبِ الآتِي! 10فَإِنْ كُنَّا، وَنَحْنُ أَعْدَاءُ، قَدْ تَصَالَحْنَا مَعَ اللهِ بِمَوْتِ ابْنِهِ، فَكَمْ بِالأَحْرَى نَخْلُصُ بِحَيَاتِهِ وَنَحْنُ مُتَصَالِحُونَ! 11وَلَيْسَ هَذَا فَقَطْ، بَلْ إِنَّنَا نَفْتَخِرُ أَيْضاً بِاللهِ، بِفَضْلِ رَبِّنَا يَسُوعَ الْمَسِيحِ الَّذِي بِهِ نِلْنَا الْمُصَالَحَةَ الآنَ.

الموت بآدم والحياة بالمسيح

12وَلِهَذَا، فَكَمَا دَخَلَتِ الْخَطِيئَةُ إِلَى الْعَالَمِ عَلَى يَدِ إِنْسَانٍ وَاحِدٍ، وَبِدُخُولِ الْخَطِيئَةِ دَخَلَ الْمَوْتُ، هَكَذَا جَازَ الْمَوْتُ عَلَى جَمِيعِ الْبَشَرِ، لأَنَّهُمْ جَمِيعاً أَخْطَأُوا. 13فَإِنَّ الْخَطِيئَةَ كَانَتْ مُنْتَشِرَةً فِي الْعَالَمِ قَبْلَ مَجِيءِ الشَّرِيعَةِ. إِلّا أَنَّ الْخَطِيئَةَ لَمْ تَكُنْ تُسَجَّلُ، لأَنَّ الشَّرِيعَةَ لَمْ تَكُنْ مَوْجُودَةً. 14أَمَّا الْمَوْتُ، فَقَدْ مَلَكَ مُنْذُ آدَمَ إِلَى مُوسَى، حَتَّى عَلَى الَّذِينَ لَمْ يَرْتَكِبُوا خَطِيئَةً شَبِيهَةً بِمُخَالَفَةِ آدَمَ، الَّذِي هُوَ رَمْزٌ لِلآتِي بَعْدَهُ. 15وَلَكِنَّ الْمَعْصِيَةَ لَيْسَتْ كَالنِّعْمَةِ! فَإِذَا كَانَ الْكَثِيرُونَ بِمَعْصِيَةِ إِنْسَانٍ وَاحِدٍ قَدْ مَاتُوا، فَكَمْ بِالأَحْرَى فِي الإِنْسَانِ الْوَاحِدِ يَسُوعَ الْمَسِيحِ تَتَوَافَرُ لِلْكَثِيرِينَ نِعْمَةُ اللهِ وَالْعَطِيَّةُ الْمَجَّانِيَّةُ بِالنِّعْمَةِ. 16ثُمَّ إِنَّ أَثَرَ خَطِيئَةِ إِنْسَانٍ وَاحِدٍ لَيْسَ كَأَثَرِ الْهِبَةِ! فَإِنَّ الْحُكْمَ مِنْ جَرَّاءِ مَعْصِيَةٍ وَاحِدَةٍ يُؤَدِّي إِلَى الدَّيْنُونَةِ. وَأَمَّا فِعْلُ النِّعْمَةِ، مِنْ جَرَّاءِ مَعَاصٍ كَثِيرَةٍ، فَيُؤَدِّي إِلَى التَّبْرِيرِ. 17فَمَادَامَ الْمَوْتُ بِمَعْصِيَةِ الإِنْسَانِ الْوَاحِدِ، قَدْ مَلَكَ بِذَلِكَ الْوَاحِدِ، فَكَمْ بِالأَحْرَى يَمْلِكُ فِي الْحَيَاةِ بِيَسُوعَ الْمَسِيحِ الْوَاحِدِ أُولَئِكَ الَّذِينَ يَنَالُونَ فَيْضَ النِّعْمَةِ وَعَطِيَّةَ الْبِرِّ الْمَجَّانِيَّةَ.

18فَإِذَنْ، كَمَا أَنَّ مَعْصِيَةً وَاحِدَةً جَلَبَتِ الدَّيْنُونَةَ عَلَى جَمِيعِ الْبَشَرِ، كَذَلِكَ فَإِنَّ بِرَّ الْوَاحِدِ يَجْلِبُ التَّبْرِيرَ الْمُؤَدِّيَ إِلَى الْحَيَاةِ لِجَمِيعِ الْبَشَرِ. 19فَكَمَا أَنَّهُ بِعِصْيَانِ الإِنْسَانِ الْوَاحِدِ جُعِلَ الْكَثِيرُونَ خَاطِئِينَ، فَكَذلِكَ أَيْضاً بِطَاعَةِ الْوَاحِدِ سَيُجْعَلُ الْكَثِيرُونَ أَبْرَاراً.

20وَأَمَّا الشَّرِيعَةُ فَقَدْ أُدْخِلَتْ لِتُظْهِرَ كَثْرَةَ الْمَعْصِيَةِ. وَلَكِنْ، حَيْثُ كَثُرَتِ الْخَطِيئَةُ، تَتَوَافَرُ النِّعْمَةُ أَكْثَرَ جِدّاً، 21حَتَّى إِنَّهُ كَمَا مَلَكَتِ الْخَطِيئَةُ بِالْمَوْتِ، فَكَذَلِكَ أَيْضاً تَمْلِكُ النِّعْمَةُ عَلَى أَسَاسِ الْبِرِّ مُؤَدِّيَةً إِلَى الْحَيَاةِ الأَبَدِيَّةِ بِيَسُوعَ الْمَسِيحِ رَبِّنَا.