मत्ती 28 – NCA & HCV

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

मत्ती 28:1-20

यीसू के फेर जी उठई

(मरकुस 16:1-10; लूका 24:1-12; यूहन्ना 20:1-10)

1बिसराम दिन के बाद, हप्‍ता के पहिली दिन बड़े बिहनियां मरियम मगदलिनी अऊ दूसर मरियम कबर ला देखे बर गीन।

2ओ समय एक भयंकर भुइंडोल होईस, काबरकि परभू के एक दूत ह स्‍वरग ले उतरिस अऊ कबर करा आईस अऊ पथरा ला ढुनगा के ओकर ऊपर बईठ गीस। 3ओकर रूप ह बिजली सहीं चमकत रहय अऊ ओकर कपड़ा ह झक पंडरा रिहिस। 4पहरेदारमन ओकर डर के मारे थर-थर कांपे लगिन अऊ मुरदा के सहीं हो गीन।

5स्‍वरगदूत ह माईलोगनमन ला कहिस, “झन डर्रावव, काबरकि मेंह जानत हंव कि तुमन यीसू ला खोजत हव, जऊन ला कुरुस ऊपर चघाय गे रिहिस। 6ओह इहां नइं ए; ओह जी उठे हवय, जइसने ओह कहे रिहिस। आवव अऊ ओ ठऊर ला देखव, जिहां ओला रखे गे रिहिस। 7अब तुमन तुरते जाके ओकर चेलामन ला ए बतावव: ‘ओह मरे म ले जी उठे हवय अऊ ओह तुम्‍हर ले आघू गलील प्रदेस जावत हवय। उहां तुमन ओकर दरसन करहू।’ देखव! मेंह तुमन ला बता देंव।”

8एकरसेति ओ माईलोगनमन जल्दी कबर ले चले गीन। ओमन डर्रा गे रिहिन, पर आनंद सहित चेलामन ला बताय बर दऊड़के गीन। 9अचानक यीसू ह ओमन ले मिलिस अऊ कहिस, “खुस रहव।” ओमन ओकर करा आईन अऊ ओकर गोड़ ला धरके ओकर दंडवत करिन। 10तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “झन डर्रावव। जावव अऊ मोर भाईमन ला कहव कि ओमन गलील प्रदेस जावंय। उहां ओमन मोला देखहीं।”

पहरेदारमन के सूचना

11जब माईलोगनमन डहार म रिहिन, त कुछू पहरेदारमन सहर म गीन अऊ जऊन कुछू होय रिहिस, ओ जम्मो बात मुखिया पुरोहितमन ला बताईन। 12तब मुखिया पुरोहितमन अगुवामन संग मिलके एक योजना बनाईन। ओमन सैनिकमन ला बहुंत अकन पईसा देके कहिन, 13“तुमन मनखेमन ला ए कहव, ‘जब हमन रतिहा सुते रहेंन, त ओकर चेलामन आईन अऊ ओला चुरा के ले गीन।’ 14यदि ए बात राजपाल के कान म पड़ही, त हमन ओला समझा देबो अऊ तुमन ला मुसिबत ले बचा लेबो।” 15सैनिकमन पईसा ला लीन अऊ वइसने करिन, जइसने ओमन ला सिखाय गे रिहिस। अऊ ए बात यहूदीमन के बीच म आज तक फइले हवय।

महान हुकूम

(मरकुस 16:14-18; लूका 24:36-49; यूहन्ना 20:19-23; प्रेरितमन के काम 1:6-8)

16तब गियारह चेलामन गलील प्रदेस के ओ पहाड़ ऊपर गीन, जिहां जाय बर यीसू ह ओमन ला कहे रिहिस। 17अऊ जब ओमन यीसू ला देखिन, त ओला दंडवत करिन, पर कोनो-कोनो ला संका होईस। 18तब यीसू ह ओमन करा आईस अऊ कहिस, “स्‍वरग अऊ धरती ऊपर मोला पूरा अधिकार देय गे हवय। 19एकरसेति जावव अऊ जम्मो जाति के मनखेमन ला मोर चेला बनावव अऊ ओमन ला ददा, बेटा अऊ पबितर आतमा के नांव म बतिसमा देवव, 20अऊ ओमन ला ओ जम्मो बात मानना सीखोवव, जेकर हुकूम मेंह तुमन ला देय हवंव। अऊ देखव, मेंह संसार के अंत होवत तक हमेसा तुम्‍हर संग हवंव।”

Hindi Contemporary Version

मत्तियाह 28:1-20

येशु का पुनरुत्थान

1शब्बाथ के बाद, सप्‍ताह के पहले दिन, जब भोर हो ही रही थी, मगदालावासी मरियम तथा वह अन्य मरियम, येशु की कंदरा-क़ब्र पर आईं.

2उसी समय एक बड़ा भूकंप आया क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से प्रकट हुआ था. उसने कब्र के प्रवेश से पत्थर लुढ़काया और उस पर बैठ गया. 3उसका रूप बिजली-सा तथा उसके कपड़े बर्फ के समान सफ़ेद थे. 4पहरुए उससे भयभीत हो मृतक के समान हो गए.

5स्वर्गदूत ने उन स्त्रियों को संबोधित किया, “मत डरो! मुझे मालूम है कि तुम क्रूस पर चढ़ाए गए येशु को खोज रही हो. 6वह यहां नहीं हैं क्योंकि वह मरे हुओं में से जीवित हो गए हैं—ठीक जैसा उन्होंने कहा था. स्वयं आकर उस स्थान को देख लो, जहां उन्हें रखा गया था. 7अब शीघ्र जाकर उनके शिष्यों को यह सूचना दो कि वह मरे हुओं में से जीवित हो गए हैं. और हां, वह तुम लोगों से पूर्व गलील प्रदेश जा रहे हैं. तुम उन्हें वहीं देखोगी. याद रखना कि मैंने तुमसे क्या-क्या कहा है.”

8वे वहां से भय और अत्यंत आनंद के साथ जल्दी से शिष्यों को इसकी सूचना देने दौड़ गईं. 9मार्ग में ही सहसा येशु उनसे मिले और उनका अभिनंदन किया. उन्होंने उनके चरणों पर गिरकर उनकी वंदना की. 10येशु ने उनसे कहा, “डरो मत! मेरे भाइयों तक यह समाचार पहुंचा दो कि वे गलील प्रदेश को प्रस्थान करें, मुझसे उनकी भेंट वहीं होगी.”

यहूदी अगुओं का प्रहरियों को घूस देना

11वे जब मार्ग में ही थी, कुछ प्रहरियों ने नगर में जाकर प्रधान पुरोहितों को इस घटना की सूचना दी. 12उन्होंने पुरनियों को इकट्ठा कर उनसे विचार-विमर्श किया और पहरुओं को बड़ी धनराशि देते हुए उन्हें यह आज्ञा दी, 13“तुम्हें यह कहना होगा, ‘रात में जब हम सो रहे थे, उसके शिष्य उसे चुरा ले गए.’ 14यदि राज्यपाल को इसके विषय में कुछ मालूम हो जाए, हम उन्हें समझा लेंगे और तुम पर कोई आंच न आने देंगे.” 15धनराशि लेकर पहरुओं ने वही किया जो उनसे कहा गया था. यहूदियों में यही धारणा आज तक प्रचलित है.

महान आयोग

16ग्यारह शिष्यों ने गलील को प्रस्थान किया. वे येशु द्वारा पहले से बताए हुए पर्वत पर पहुंचे. 17उन्होंने वहां येशु को देखा और उनकी वंदना की परंतु कुछ को अभी भी संदेह था. 18येशु ने पास आकर उनसे कहा, “सारा अधिकार—स्वर्ग में तथा पृथ्वी पर—मुझे दिया गया है. 19इसलिये यहां से जाते हुए तुम सारे राष्ट्रों को मेरा शिष्य बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम में बपतिस्मा दो. 20उन्हें इन सभी आदेशों का पालन करने की शिक्षा दो, जो मैंने तुम्हें दिए हैं. याद रखो: जगत के अंत तक मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं.”