प्रेरितमन के काम 14 – NCA & HCV

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

प्रेरितमन के काम 14:1-28

इकुनियुम म

1अपन आदत के मुताबिक, इकुनियुम म घलो पौलुस अऊ बरनबास यहूदीमन के सभा घर म गीन। उहां ओमन अइसने परभावसाली ढंग ले गोठियाईन कि बहुंते यहूदी अऊ आनजातमन बिसवास करिन। 2पर बिसवास नइं करइया यहूदीमन आनजातमन ला भड़काईन अऊ ए भाईमन के बिरोध म ओमन के मन म जहर भरिन। 3पौलुस अऊ बरनबास उहां बहुंत दिन तक रिहिन, अऊ परभू के सेवा बड़े हिम्मत के संग करिन। परभू ह ओमन के दुवारा चिन्‍हां-चमतकार अऊ अचरज के काम देखाके अपन अनुग्रह के संदेस ला मजबूत करत गीस। 4पर सहर के मनखेमन म फूट पड़ गे; कुछू मनखेमन यहूदीमन कोति अऊ कुछू मनखेमन प्रेरितमन कोति हो गीन। 5आनजातमन अऊ यहूदीमन अपन अगुवामन संग प्रेरितमन ला सताय बर अऊ ओमन के ऊपर पत्थरवाह करे बर सडयंत्र करिन। 6पर प्रेरितमन ला ए बात के पता चल गीस, अऊ उहां ले ओमन लुकाउनिया छेत्र के लुस्त्रा अऊ दिरबे सहर म अऊ आस-पास के जगह म भाग गीन, 7अऊ उहां सुघर संदेस सुनाय लगिन।

लुस्त्रा अऊ दिरबे म

8लुस्त्रा सहर म एक खोरवा मनखे बईठे रिहिस, जेकर गोड़मन जनम ले दुरबल रिहिन अऊ ओह कभू नइं रेंगे रिहिस। 9ओह पौलुस के गोठ ला सुनत रिहिस। पौलुस ह ओला टकटकी लगाके देखिस अऊ जान गीस कि ओला बने होय के बिसवास हवय। 10तब पौलुस ह ऊंचहा अवाज म ओला कहिस, “अपन गोड़ म ठाढ़ हो जा!” अतकी म ओ मनखे ह कूदके ठाढ़ हो गीस अऊ चले फिरे लगिस।

11जब मनखेमन पौलुस के ए काम ला देखिन, त ओमन लुकाउनिया भासा म चिचियाके कहिन, “देवतामन मनखेमन के रूप म हमर करा उतर आय हवंय।” 12ओमन बरनबास ला “ज्यूस” देवता अऊ पौलुस ला “हिरमेस” देवता कहिन, काबरकि पौलुस ह गोठ-बात करे म मुखिया रिहिस14:12 “ज्यूस” ह यूनानी मनखेमन के देवतामन के मुखिया रिहिस। “हिरमेस” ह ज्यूस के बेटा रिहिस अऊ ओह, ज्यूस अऊ आने देवतामन कोति ले गोठ-बात करय।13ज्यूस देवता के मंदिर ओमन के सहर के बाहिरेच म रिहिस। ओ मंदिर के पुजारी ह बइला अऊ फूलमाला धरके सहर के दुवारी (गेट) म गीस, काबरकि ओह अऊ भीड़ के मनखेमन बरनबास अऊ पौलुस ला देवता समझके ओमन के आघू म बलि चघाय चाहत रिहिन।

14जब प्रेरित बरनबास अऊ पौलुस ए बात ला सुनिन, त दुःखी होके अपन कपड़ा ला चीरिन अऊ भीड़ के भीतर दऊड़के गीन अऊ चिचियाके ए कहिन, 15“हे मनखेमन हो! तुमन ए का करत हव? हमन घलो तुम्‍हर सहीं मनखे अन। हमन तुमन ला सुघर संदेस सुनावत हन ताकि तुमन ए बेकार चीजमन ला छोंड़के जीयत परमेसर कोति फिरव, जऊन ह स्‍वरग, धरती, समुंदर अऊ जऊन कुछू ओम हवय, ओ जम्मो ला बनाय हवय। 16बिते जमाना म, ओह जम्मो मनखेमन ला अपन-अपन रसता म चलन दीस। 17तभो ले ओह अपन हाजिरी के सबूत देवत रिहिस; ओह अकास ले बारिस अऊ सही समय म फसल देके तुम्‍हर ऊपर दया देखाईस; ओह तुमन ला बहुंतायत ले भोजन देथे अऊ तुम्‍हर हिरदय ला आनंद ले भर देथे।” 18ए कहे के बाद घलो, ओमन लटपट मनखेमन ला ओमन बर बलि चघाय ले रोकिन।

19तब कुछू यहूदीमन अंताकिया अऊ इकुनियुम सहर ले आईन अऊ ओमन मनखे के भीड़ ला अपन कोति कर लीन। ओमन पौलुस ऊपर पत्थरवाह करिन अऊ ओला मरे समझके सहर के बाहिर घसीटके ले गीन। 20पर जब चेलामन पौलुस के चारों कोति जुरिन, त ओह उठिस अऊ सहर ला वापिस चल दीस। दूसर दिन ओह अऊ बरनबास दिरबे सहर ला चल दीन।

सीरिया के अंताकिया सहर म वापसी

21ओमन ओ सहर के मनखेमन ला सुघर संदेस सुनाईन, अऊ उहां बहुंत चेला बनाईन। ओकर बाद ओमन लुस्त्रा, इकुनियुम अऊ अंताकिया ला लहुंट गीन। 22अऊ ओमन चेलामन ला मजबूत करत अऊ बिसवास म बने रहे बर उत्साहित करत गीन। ओमन ए कहंय, “हमन ला परमेसर के राज म प्रवेस करे बर बहुंत तकलीफ उठाना पड़ही।” 23पौलुस अऊ बरनबास हर एक कलीसिया म अगुवा ठहराईन अऊ उपास अऊ पराथना करके ओमन ला परभू के हांथ म सऊंप दीन, जेकर ऊपर ओमन बिसवास करे रिहिन। 24ओमन पिसिदिया ले होवत पंफूलिया प्रदेस म आईन 25अऊ पिरगा सहर म परमेसर के बचन सुनाय के बाद, ओमन अत्तलिया चल दीन।

26अत्तलिया ले ओमन पानी जहाज म चघके अंताकिया म वापिस आईन, जिहां ओमन ला परमेसर के अनुग्रह म ओ काम सऊंपे गे रिहिस, जऊन ला ओमन अब पूरा करिन। 27उहां हबरे के बाद, ओमन कलीसिया के मनखेमन ला एक जगह बलाईन अऊ ओ जम्मो काम जऊन ला परमेसर ह ओमन के दुवारा करे रिहिस, ओ मनखेमन ला बताईन, अऊ ए घलो बताईन कि कइसने परमेसर ह आनजातमन बर बिसवास के रसता खोलिस। 28अऊ ओमन उहां चेलामन के संग बहुंत दिन तक रिहिन।

Hindi Contemporary Version

प्रेरितों 14:1-28

इकोनियॉन नगर में ईश्वरीय सुसमाचार

1इकोनियॉन नगर में पौलॉस और बारनबास यहूदी सभागृहों में गए. वहां उनका प्रवचन इतना प्रभावशाली रहा कि बड़ी संख्या में यहूदियों और यूनानियों ने विश्वास किया. 2किंतु जिन यहूदियों ने विश्वास नहीं किया था, उन्होंने गैर-यहूदियों को भड़का दिया तथा उनके मनों में इनके विरुद्ध ज़हर भर दिया. 3वहां उन्होंने प्रभु पर आश्रित हो, निडरता से संदेश देते हुए काफ़ी समय बिताया. प्रभु उनके द्वारा किए जा रहे अद्भुत चिह्नों के माध्यम से अपने अनुग्रह के संदेश को साबित कर रहे थे. 4वहां के नागरिकों में फूट पड़ गई थी. कुछ यहूदियों के पक्ष में थे तो कुछ प्रेरितों के. 5यह मालूम होने पर कि शासकों के सहयोग से यहूदियों और गैर-यहूदियों द्वारा उन्हें अपमानित कर उनका पथराव करने की योजना बनाई जा रही है, 6वे लुकाओनिया, लुस्त्रा तथा दरबे नगरों और उनके उपनगरों की ओर चले गए 7और वहां ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करने लगे.

अपंग को चंगाई

8लुस्त्रा नगर में एक व्यक्ति था, जो जन्म से अपंग था और कभी चल फिर ही न सका था. 9वह पौलॉस का प्रवचन सुन रहा था. पौलॉस उसको ध्यान से देख रहा था और यह पाकर कि उसमें स्वस्थ होने का विश्वास है. 10पौलॉस ने ऊंचे शब्द में उसे आज्ञा दी, “अपने पैरों पर सीधे खड़े हो जाओ!” उसी क्षण वह व्यक्ति उछलकर खड़ा हो गया और चलने लगा.

11जब पौलॉस द्वारा किए गए इस काम को लोगों ने देखा वे लुकाओनियाई भाषा में चिल्लाने लगे, “देवता हमारे मध्य मानव रूप में उतर आए हैं.” 12उन्होंने बारनबास को ज़्यूस नाम से संबोधित किया तथा पौलॉस को हेर्मेस नाम से क्योंकि वह प्रधान प्रचारक थे. 13नगर के बाहर ज़्यूस का मंदिर था. ज़्यूस का पुरोहित बैल तथा पुष्पहार लिए हुए नगर फ़ाटक पर आ गया क्योंकि वह भीड़ के साथ बलि चढ़ाना चाह रहा था.

14यह मालूम होने पर प्रेरित पौलॉस व बारनबास अपने कपड़े फाड़कर, यह चिल्लाते हुए भीड़ की ओर लपके, 15“प्रियजन, तुम यह सब क्यों कर रहे हो! हम भी तुम्हारे समान मनुष्य हैं. हम तुम्हारे लिए यह ईश्वरीय सुसमाचार लाए हैं कि तुम इन व्यर्थ की परंपराओं को त्याग कर जीवित परमेश्वर की ओर मन फिराओ, जिन्होंने स्वर्ग, पृथ्वी, समुद्र और इनमें निवास कर रहे प्राणियों की सृष्टि की है. 16हालांकि उन्होंने पिछले युगों में जनताओं को उनकी अपनी मान्यताओं के अनुसार व्यवहार करने दिया. 17तो भी उन्होंने स्वयं अपने विषय में गवाह स्पष्ट रखा—वह भलाई करते हुए आकाश से वर्षा तथा ऋतुओं के अनुसार हमें उपज प्रदान करते रहे. वह पर्याप्‍त भोजन और आनंद प्रदान करते हुए हमारे मनों को तृप्‍त करते रहे हैं.” 18उनके इतनी सफ़ाई देने के बाद भी भीड़ को उनके लिए बलि भेंट चढ़ाने से बड़ी कठिनाई से रोका जा सका.

19तब कुछ यहूदी अंतियोख़ तथा इकोनियॉन नगरों से वहां आ पहुंचे. भीड़ को अपने पक्ष में करके उन्होंने पौलॉस का पथराव किया तथा उन्हें मरा हुआ समझ घसीटकर नगर के बाहर छोड़ आए. 20किंतु जब शिष्य उनके आस-पास इकट्ठा हुए, वह उठ खड़े हुए और नगर में लौट गए. अगले दिन वह बारनबास के साथ वहां से दरबे नगर को चले गए.

अंतियोख़ नगर में वापसी

21उन्होंने उस नगर में ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार किया और अनेक शिष्य बनाए. इसके बाद वे लुस्त्रा और इकोनियॉन नगर होते हुए अंतियोख़ नगर लौट गए. 22वे शिष्यों को दृढ़ करते और प्रोत्साहित करते हुए यह शिक्षा देते रहे कि उनका परमेश्वर के राज्य में प्रवेश हेतु इस विश्वास में स्थिर रहना तथा अनेक विपत्तियों को सहना ज़रूरी है. 23पौलॉस और बारनबास हर एक कलीसिया में उपवास और प्रार्थना के साथ प्राचीनों को चुना करते तथा उन्हें उन्हीं प्रभु के हाथों में सौंप देते थे जिस प्रभु में उन्होंने विश्वास किया था. 24पिसिदिया क्षेत्र में से जाते हुए वे पम्फ़ूलिया नगर में आए. 25वहां से पेरगे नगर में वचन सुनाकर वे अट्टालिया नगर गए.

26वहां से जलमार्ग वे अंतियोख़ नगर पहुंचे, जहां से उन्हें परमेश्वर के अनुग्रह में सौंपकर उस काम के लिए भेजा गया था, जिसे वे अब पूरा कर लौट आए थे. 27वहां पहुंचकर उन्होंने सारी कलीसिया को इकट्ठा किया और सबके सामने उन सभी कामों का वर्णन किया, जो परमेश्वर द्वारा उनके माध्यम से पूरे किए गए थे और यह भी कि किस प्रकार परमेश्वर ने गैर-यहूदियों के लिए विश्वास का द्वार खोल दिया है. 28वहां वे शिष्यों के बीच लंबे समय तक रहे.