प्रेरितमन के काम 10 – NCA & NAV

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

प्रेरितमन के काम 10:1-48

कुरनेलियुस के दरसन

1कैसरिया सहर म कुरनेलियुस नांव के एक मनखे रिहिस। ओह इतालियानी रेजिमेन्ट नांव के रोमन सेना के अधिकारी (सूबेदार) रिहिस। 2ओह परमेसर के भक्त रिहिस अऊ अपन जम्मो परिवार के संग परमेसर के भय मानय। ओह गरीब यहूदीमन ला बहुंत दान देवय अऊ परमेसर ले हमेसा पराथना करय। 3ओह एक दिन मंझनियां, तीन बजे एक दरसन देखिस। दरसन म ओह साफ देखिस कि परमेसर के एक स्‍वरगदूत ओकर करा आके कहिस, “हे कुरनेलियुस!”

4कुरनेलियुस ह डर गीस अऊ ओला एक-टक देखके कहिस, “हे परभू, का ए?”

स्‍वरगदूत ह ओला कहिस, “तोर पराथना अऊ गरीबमन बर तोर दान ह परमेसर करा हबरे हवय। 5अब याफा सहर म कुछू मनखेमन ला भेज अऊ सिमोन नांव के एक मनखे, जऊन ला पतरस कहे जाथे, बला ले। 6ओह उहां चमड़ा के धंधा करइया सिमोन के इहां ठहरे हवय, जेकर घर समुंदर के तीर म हवय।”

7जब ओकर ले बात करइया स्‍वरगदूत चले गीस, तब ओह अपन दू झन सेवक अऊ अपन सेना के एक सिपाही ला जऊन ह परमेसर के भक्त रिहिस, बलाईस, 8अऊ ओमन ला जम्मो बात बताके याफा सहर पठोईस।

पतरस के दरसन

9दूसर दिन लगभग मंझन के बेरा, जब ओमन सहर के लकठा म हबरत रहंय, त पतरस ह छानी ऊपर पराथना करे बर चघिस। 10ओही घरी ओला भूख लगिस अऊ ओह कुछू खाय बर चाहत रिहिस अऊ जब खाना ह बनत रहय, त ओह एक दरसन देखिस। 11ओह देखिस कि स्‍वरग ह खुल गे हवय अऊ एक ठन बड़े चादर सहीं चारों खूंट ले ओमरत धरती कोति उतरत हवय। 12ओम धरती के जम्मो किसम के चरगोड़िया, पेट के बल रेंगइया जीव-जन्तु अऊ अकास के चिरईमन रहंय। 13तब पतरस ह ए अवाज सुनिस, “पतरस, उठ! एमन ला मार अऊ खा।”

14पर पतरस ह कहिस, “नइं परभू, कभू नइं। मेंह कभू कुछू असुध अऊ मइलाहा चीज नइं खाय हवंव10:14 यहूदीमन बर कुछू पसुमन असुध रिहिन। यदि यहूदीमन कोनो असुध पसु ला छुवंय या खावंय, त ओमन रिवाज के मुताबिक असुध समझे जावंय (लैब्यवस्था 11)। फेर सुध होय बर ओमन ला बलिदान चघाना पड़य।।”

15फेर दूसर बार पतरस ओ अवाज सुनिस, “जऊन कुछू ला परमेसर ह सुध करे हवय, ओला तेंह असुध झन कह।”

16तीन बार ले अइसने होईस, तब तुरते ओ चादर ला स्‍वरग म वापिस उठा लिये गीस।

17जब पतरस ह ए दरसन के मतलब के बारे म सोचत रिहिस, तभे ओ मनखेमन जऊन ला कुरनेलियुस पठोय रिहिस, सिमोन के घर के पता लगावत दुवारी म आके ठाढ़ होईन। 18ओमन अवाज देके पुछिन, “का सिमोन जऊन ला पतरस कहे जाथे, इहां हवय?”

19पतरस ह ओ दरसन के बारे म सोचत रहय, तब परमेसर के आतमा ह ओला कहिस, “देख, तीन झन मनखेमन तोला खोजत हवंय। 20एकरसेति उठ अऊ खाल्‍हे उतर अऊ ओमन के संग बिगर झिझके चले जा, काबरकि मेंह ओमन ला पठोय हवंव।”

21तब पतरस ह छानी ले उतरिस अऊ ओ मनखेमन ला कहिस, “देखव, जऊन ला तुमन खोजत हवव, ओह में अंव। तुम्‍हर आय के का कारन ए?”

22ओ मनखेमन कहिन, “हमन ला कुरनेलियुस सूबेदार ह पठोय हवय। ओह धरमी अऊ परमेसर के भय मनइया मनखे ए अऊ जम्मो यहूदी मनखेमन ओकर आदर करथें। ओला एक पबितर स्‍वरगदूत ले ए हुकूम मिले हवय कि ओह तोला अपन घर म बलाके तोर ले परमेसर के बचन सुनय।” 23तब पतरस ह ओमन ला घर म बलाईस अऊ ओमन के पहुनई करिस।

पतरस ह कुरनेलियुस के घर म

दूसर दिन पतरस ह ओमन के संग गीस अऊ याफा के कुछू भाईमन घलो ओकर संग गीन। 24ओकर दूसर दिन ओमन कैसरिया हबरिन। उहां कुरनेलियुस अपन रिस्तेदार अऊ मयारू संगीमन संग ओमन के डहार जोहत रहय। 25जब पतरस ह घर भीतर आवत रिहिस, त कुरनेलियुस ह ओकर ले भेंट करिस अऊ ओकर गोड़ खाल्‍हे गिरके ओकर आदर करिस। 26पर पतरस ह ओला उठाके कहिस, “ठाढ़ हो जा, मेंह घलो एक मनखे अंव।”

27पतरस ह ओकर संग गोठियावत भीतर गीस अऊ उहां अब्‍बड़ मनखेमन ला देखके कहिस, 28“तुमन जानत हव कि एह हमर यहूदी कानून के बिरोध म अय कि एक यहूदी ह आनजात के संगति करय या ओकर इहां जावय। पर परमेसर ह मोला देखाय हवय कि मेंह कोनो मनखे ला असुध या मइलाहा झन कहंव। 29एकरसेति जब मोला बलाय गीस, त बिगर कुछू आपत्ति के मेंह आ गेंव। अब मेंह पुछत हंव कि तेंह मोला काबर बलाय हवस?”

30तब कुरनेलियुस ह जबाब दीस, “चार दिन पहिली, मेंह इहीच बेरा मंझनियां के तीन बजे, अपन घर म पराथना करत रहेंव कि अचानक एक झन मनखे चिकमिकी कपड़ा पहिरे मोर आघू म आके ठाढ़ हो गीस, 31अऊ ओह कहिस, ‘हे कुरनेलियुस! परमेसर ह तोर पराथना ला सुने हवय अऊ तोर दान, जऊन ला गरीबमन ला देथस, ओला सुरता करे हवय। 32एकरसेति अब कोनो ला याफा सहर पठोके उहां ले सिमोन जऊन ला पतरस कहे जाथे, बला ले। ओह चमड़ा के धंधा करइया सिमोन के घर म पहुना हवय, जऊन ह समुंदर के तीर म रहिथे।’ 33तब मेंह तुरते तोर करा मनखेमन ला पठोएंव। तेंह बने करय कि इहां आ गय। अब हमन जम्मो झन इहां परमेसर के आघू म हवन कि ओ हर बात ला सुनन, जऊन ला परभू ह तोला सुनाय के हुकूम दे हवय।”

34तब पतरस ह कहे के सुरू करिस, “अब मेंह जान गेंव कि एह सच ए कि परमेसर ह काकरो पखियपात नइं करय, 35पर हर जाति के मनखेमन ला गरहन करथे, जऊन मन ओकर भय मानथें अऊ सही काम करथें। 36परमेसर ह इसरायलीमन करा संदेस पठोईस; ओमन ला यीसू मसीह के जरिये जऊन ह जम्मो झन के परभू ए, सांति के सुघर संदेस सुनाईस। 37ओ बात ला तुमन जानत हव, जऊन ह यूहन्ना के बतिसमा के परचार के पाछू गलील राज ले सुरू होके पूरा यहूदिया राज म फइल गे हवय – 38कि कइसने परमेसर ह नासरत के यीसू ला पबितर आतमा अऊ सामरथ ले अभिसेक करिस, अऊ यीसू ह हर जगह भलई करत अऊ सैतान के सताय जम्मो मनखेमन ला बने करत रिहिस, काबरकि परमेसर ह ओकर संग म रिहिस। 39हमन ओ जम्मो काम के गवाह अन, जऊन ला ओह यहूदीमन के देस म अऊ यरूसलेम म करिस। ओमन ओला एक ठन रूख (कुरुस) म लटकाके मार डारिन। 40पर ओला परमेसर ह तीसरा दिन मरे म ले जियाईस अऊ ओला परगट घलो करिस कि मनखेमन ओला देखंय। 41ओह जम्मो मनखेमन ला देखाई नइं दीस, पर ओ गवाहमन ला देखाई दीस, जऊन मन ला परमेसर ह पहिली ले चुन ले रिहिस; याने कि हमन ला, जऊन मन ओकर मरे म ले जी उठे के पाछू ओकर संग खायेन पीयेन। 42परभू यीसू ह हमन ला हुकूम दीस कि हमन जम्मो मनखेमन म परचार करन अऊ गवाही देवन कि एह ओही ए, जऊन ला परमेसर ह जीयत अऊ मरे मन के नियाय करइया ठहराईस। 43जम्मो अगमजानीमन गवाही देथें कि जऊन कोनो यीसू ऊपर बिसवास करही, ओला यीसू के नांव म पाप के छेमा मिलही।”

44जब पतरस ह ए बचन कहत रिहिस, तभे पबितर आतमा ओ जम्मो झन ऊपर उतरिस, जऊन मन संदेस ला सुनत रहंय। 45जऊन यहूदी बिसवासीमन पतरस के संग आय रिहिन, ओमन ए देखके चकित होईन कि पबितर आतमा के दान ह आनजातमन ऊपर घलो उंड़ेरे गीस। 46काबरकि ओमन आनजातमन ला आने-आने भासा बोलत अऊ परमेसर के महिमा करत सुनिन।

47तब पतरस ह कहिस, “का कोनो अब ए मनखेमन ला पानी ले बतिसमा ले बर मना कर सकथे? एमन घलो हमर सहीं पबितर आतमा पाय हवंय।” 48एकरसेति ओह हुकूम दीस कि ओमन ला यीसू मसीह के नांव म बतिसमा देय जावय। तब ओमन पतरस ले बिनती करिन कि ओह कुछू दिन ओमन के संग रहय।

Ketab El Hayat

أعمال 10:1-48

كرنيليوس يدعو بطرس

1وَكَانَ يَسْكُنُ فِي قَيْصَرِيَّةَ قَائِدُ مِئَةٍ اسْمُهُ كَرْنِيلِيُوسُ، يَنْتَمِي إِلَى الْكَتِيبَةِ الإِيطَالِيَّةِ، 2وَكَانَ تَقِيًّا يَخَافُ اللهَ، هُوَ وَأَهْلُ بَيْتِهِ جَمِيعاً، يَتَصَدَّقُ عَلَى الشَّعْبِ كَثِيراً، وَيُصَلِّي إِلَى اللهِ دَائِماً.

3وَذَاتَ نَهَارٍ نَحْوَ السَّاعَةِ الثَّالِثَةِ بَعْدَ الظُّهْرِ، رَأَى كَرْنِيلِيُوسُ فِي رُؤْيَا وَاضِحَةٍ مَلاكاً مِنْ عِنْدِ اللهِ يَدْخُلُ إِلَيْهِ وَيَقُولُ: «يَا كَرْنِيلِيُوسُ!» 4فَنَظَرَ إِلَى الْمَلاكِ وَقَدِ اسْتَوْلَى عَلَيْهِ الْخَوْفُ، وَسَأَلَ: «مَاذَا يَا سَيِّدُ؟» فَأَجَابَهُ: «صَلَوَاتُكَ وَصَدَقَاتُكَ صَعِدَتْ أَمَامَ اللهِ تَذْكَاراً. 5وَالآنَ أَرْسِلْ بَعْضَ الرِّجَالِ إِلَى يَافَا وَاسْتَدْعِ سِمْعَانَ الْمُلَقَّبَ بُطْرُسَ. 6إِنَّهُ يُقِيمُ فِي بَيْتِ سِمْعَانَ الدَّبَّاغِ عِنْدَ الْبَحْرِ». 7فَمَا إِنْ ذَهَبَ الْمَلاكُ الَّذِي كَانَ يُكَلِّمُ كَرْنِيلِيُوسَ، حَتَّى دَعَا اثْنَيْنِ مِنْ خَدَمِهِ، وَجُنْدِيًّا تَقِيًّا مِنْ مُرَافِقِيهِ الدَّائِمِينَ، 8وَرَوَى لَهُمُ الْخَبَرَ كُلَّهُ، وَأَرْسَلَهُمْ إِلَى يَافَا.

رؤيا بطرس

9وَفِي الْيَوْمِ التَّالِي، بَيْنَمَا كَانَ الرِّجَالُ الثَّلاثَةُ يَقْتَرِبُونَ مِنْ مَدِينَةِ يَافَا، صَعِدَ بُطْرُسُ نَحْوَ الظُّهْرِ إِلَى السَّطْحِ لِيُصَلِّيَ. 10وَأَحَسَّ جُوعاً شَدِيداً، فَاشْتَهَى أَنْ يَأْكُلَ. وَبَيْنَمَا الطَّعَامُ يُعَدُّ لَهُ، وَقَعَتْ عَلَيْهِ غَيْبُوبَةٌ، 11فَرَأَى رُؤْيَا: السَّمَاءَ مَفْتُوحَةً، وَوِعَاءً يُشْبِهُ قِطْعَةً كَبِيرَةً مِنَ الْقُمَاشِ مَرْبُوطَةً بِأَطْرَافِهَا الأَرْبَعَةِ يَتَدَلَّى إِلَى الأَرْضِ، 12وَهُوَ مَلِيءٌ بِأَنْوَاعِ الْحَيَوَانَاتِ الدَّابَّةِ عَلَى الأَرْضِ وَالْوُحُوشِ وَالزَّوَاحِفِ وَطُيُورِ السَّمَاءِ جَمِيعاً. 13وَنَادَاهُ صَوْتٌ: «يَا بُطْرُسُ، قُمِ اذْبَحْ وَكُلْ!» 14وَلَكِنَّ بُطْرُسَ أَجَابَ: «كَلَّا يَا رَبُّ، فَأَنَا لَمْ آكُلْ قَطُّ شَيْئاً مُحَرَّماً أَوْ نَجِساً». 15فَقَالَ لَهُ الصَّوْتُ أَيْضاً: «مَا طَهَّرَهُ اللهُ لَا تَحْسَبْهُ أَنْتَ نَجِساً!» 16وَتَكَرَّرَ هَذَا ثَلاثَ مَرَّاتٍ، ثُمَّ ارْتَفَعَ الْوِعَاءُ إِلَى السَّمَاءِ.

17تَحَيَّرَ بُطْرُسُ وَأَخَذَ يُسَائِلُ نَفْسَهُ عَنْ مَعْنَى الرُّؤْيَا الَّتِي رَآهَا. وَإذَا الرِّجَالُ الَّذِينَ أَرْسَلَهُمْ كَرْنِيلِيُوسُ قَدْ سَأَلُوا عَنْ بَيْتِ سِمْعَانَ الدَّبَّاغِ وَوَقَفُوا بِالْبَابِ 18يَسْتَخْبِرُونَ: «هَلْ سِمْعَانُ الْمُلَقَّبُ بُطْرُسَ مُقِيمٌ هُنَا؟»

19فِي هَذِهِ الأَثْنَاءِ كَانَ بُطْرُسُ يُوَاصِلُ التَّفْكِيرَ فِي مَعْنَى الرُّؤْيَا، فَقَالَ لَهُ الرُّوحُ: «بِالْبَابِ ثَلاثَةُ رِجَالٍ يَطْلُبُونَكَ 20فَانْزِلْ إِلَيْهِمْ وَرَافِقْهُمْ بِلا تَرَدُّدٍ، فَإِنِّي أَنَا أَرْسَلْتُهُمْ». 21فَنَزَلَ إِلَيْهِمْ وَقَالَ: «أَنَا الَّذِي تَطْلُبُونَ. فَمَا سَبَبُ حُضُورِكُمْ؟» 22فَأَجَابُوهُ: «قَائِدُ الْمِئَةِ كَرْنِيلِيُوسُ رَجُلٌ صَالِحٌ يَتَّقِي اللهَ، وَيَشْهَدُ لَهُ بِذَلِكَ شَعْبُ الْيَهُودِ جَمِيعاً. وَقَدْ أَوْحَى اللهُ إِلَيْهِ بِوَاسِطَةِ مَلاكٍ طَاهِرٍ أَنْ يَسْتَدْعِيَكَ إِلَى بَيْتِهِ لِيَسْمَعَ مَا عِنْدَكَ مِنْ كَلامٍ».

بطرس في بيت كرنيليوس

23فَدَعَاهُمْ بُطْرُسُ لِيُمْضُوا اللَّيْلَةَ ضُيُوفاً بِذَلِكَ الْبَيْتِ. وَفِي الصَّبَاحِ ذَهَبَ مَعَهُمْ، يُرَافِقُهُ بَعْضُ الإِخْوَةِ مِنْ يَافَا، 24فَوَصَلُوا قَيْصَرِيَّةَ فِي الْيَوْمِ الثَّانِي. وَكَانَ كَرْنِيلِيُوسُ يَنْتَظِرُ وُصُولَهُمْ، وَقَدْ دَعَا أَقَارِبَهُ وَأَصْدِقَاءَهُ الْمُقَرَّبِينَ. 25فَمَا إِنْ دَخَلَ بُطْرُسُ حَتَّى اسْتَقْبَلَهُ كَرْنِيلِيُوسُ سَاجِداً لَهُ، 26فَأَنْهَضَهُ بُطْرُسُ وَقَالَ: «قُمْ! مَا أَنَا إِلّا إِنْسَانٌ مِثْلُكَ!» 27وَدَخَلَ بُطْرُسُ وَهُوَ يُحَادِثُهُ، فَرَأَى جَمْعاً كَبِيراً مِنَ النَّاسِ، 28فَقَالَ لَهُمْ: «أَنْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّهُ مُحَرَّمٌ عَلَى الْيَهُودِيِّ أَنْ يَتَعَامَلَ مَعَ الأَجْنَبِيِّ أَوْ يَزُورَهُ فِي بَيْتِهِ. غَيْرَ أَنَّ اللهَ أَرَانِي أَلّا أَقُولَ عَنْ إِنْسَانٍ مَا إِنَّهُ دَنِسٌ أَوْ نَجِسٌ. 29فَلِذَلِكَ جِئْتُ مِنْ غَيْرِ اعْتِرَاضٍ، تَلْبِيَةً لِدَعْوَتِكُمْ. فَمَا هُوَ سَبَبُ دَعْوَتِكُمْ لِي؟» 30فَأَجَابَ كَرْنِيلِيُوسُ: «مُنْذُ أَرْبَعَةِ أَيَّامٍ، فِي مِثْلِ هَذِهِ السَّاعَةِ كُنْتُ أُصَلِّي فِي بَيْتِي صَلاةَ السَّاعَةِ الثَّالِثَةِ بَعْدَ الظُّهْرِ فَظَهَرَ أَمَامِي فَجْأَةً رَجُلٌ يَلْبَسُ ثَوْباً بَرَّاقاً 31وَقَالَ لِي: يَا كَرْنِيلِيُوسُ، سَمِعَ اللهُ صَلاتَكَ وَذَكَرَ صَدَقَاتِكَ. 32وَالآنَ أَرْسِلْ رِجَالاً إِلَى يَافَا، وَاسْتَدْعِ سِمْعَانَ الْمُلَقَّبَ بُطْرُسَ. إِنَّهُ يُقِيمُ فِي بَيْتِ سِمْعَانَ الدَّبَّاغِ عِنْدَ الْبَحْرِ. 33فَأَرْسَلْتُ حَالاً أَدْعُوكَ، وَقَدْ أَحْسَنْتَ بِمَجِيئِكَ. وَنَحْنُ الآنَ جَمِيعاً حَاضِرُونَ أَمَامَ اللهِ لِنَسْمَعَ كُلَّ مَا أَمَرَكَ بِهِ الرَّبُّ».

34فَبَدَأَ بُطْرُسُ كَلامَهُ قَائِلاً: «تَبَيَّنَ لِي فِعْلاً أَنَّ اللهَ لَا يُفَضِّلُ أَحَداً عَلَى أَحَدٍ، 35بَلْ يَقْبَلُ مَنْ يَتَّقِيهِ وَيَعْمَلُ الصَّلاحَ مَهْمَا كَانَتْ جِنْسِيَّتُهُ. 36وَقَدْ أَرْسَلَ كَلِمَتَهُ إِلَى بَنِي إِسْرَائِيلَ، وَبَشَّرَهُمْ بِالسَّلامِ بِوَاسِطَةِ يَسُوعَ الْمَسِيحِ، رَبِّ الْجَمِيعِ. 37وَلابُدَّ أَنَّكُمْ عَرَفْتُمْ بِكُلِّ مَا جَرَى فِي بِلادِ الْيَهُودِ، وَكَانَ بَدْءُ الأَمْرِ فِي الْجَلِيلِ بَعْدَ الْمَعْمُودِيَّةِ الَّتِي نَادَى بِها يُوحَنَّا. 38فَقَدْ مَسَحَ اللهُ يَسُوعَ النَّاصِرِيَّ بِالرُّوحِ الْقُدُسِ وَبِالْقُدْرَةِ، فَكَانَ يَنْتَقِلُ مِنْ مَكَانٍ إِلَى مَكَانٍ يَعْمَلُ الْخَيْرَ، وَيَشْفِي جَمِيعَ الَّذِينَ تَسَلَّطَ عَلَيْهِمْ إِبْلِيسُ، لأَنَّ اللهَ كَانَ مَعَهُ. 39وَنَحْنُ شُهُودٌ عَلَى كُلِّ مَا قَامَ بِهِ فِي بِلادِ الْيَهُودِ وَفِي أُورُشَلِيمَ، وَقَدْ قَتَلُوهُ حَقّاً، مُعَلَّقاً عَلَى خَشَبَةٍ. 40وَلَكِنَّ اللهَ أَقَامَهُ مِنَ الْمَوْتِ فِي الْيَوْمِ الثَّالِثِ، وَجَعَلَهُ يَظْهَرُ، 41لَا لِلشَّعْبِ كُلِّهِ، بَلْ لِلشُّهُودِ الَّذِينَ اخْتَارَهُمُ اللهُ مِنْ قَبْلُ، لَنَا نَحْنُ الَّذِينَ أَكَلْنَا وَشَرِبْنَا مَعَهُ بَعْدَ قِيَامَتِهِ مِنْ بَيْنِ الأَمْوَاتِ. 42ثُمَّ أَمَرَنَا أَنْ نُبَشِّرَ شَعْبَنَا بِهِ، وَنَشْهَدَ أَنَّهُ هُوَ الَّذِي عَيَّنَهُ اللهُ دَيَّاناً لِلأَحْيَاءِ وَلِلأَمْوَاتِ. 43لَهُ يَشْهَدُ جَمِيعُ الأَنْبِيَاءِ أَنَّ كُلَّ مَنْ يُؤْمِنْ بِهِ يَنَلْ بِاسْمِهِ غُفْرَانَ الْخَطَايَا».

حلول الروح القدس على غير اليهود

44وَبَيْنَمَا كَانَ بُطْرُسُ يَتَكَلَّمُ بِهَذَا الْكَلامِ، حَلَّ الرُّوحُ الْقُدُسُ عَلَى جَمِيعِ الَّذِينَ كَانُوا يَسْمَعُونَ. 45فَدُهِشَ الْمُؤْمِنُونَ الْيَهُودُ الَّذِينَ جَاءُوا بِرِفْقَةِ بُطْرُسَ، لأَنَّ هِبَةَ الرُّوحِ الْقُدُسِ فَاضَتْ أَيْضاً عَلَى غَيْرِ الْيَهُودِ، 46إِذْ سَمِعُوهُمْ يَتَكَلَّمُونَ بِلُغَاتٍ، وَيُسَبِّحُونَ اللهَ. فَقَالَ بُطْرُسُ: 47«أَيَسْتَطِيعُ أَحَدٌ أَنْ يَمْنَعَ الْمَاءَ فَلا يَتَعَمَّدَ أَيْضاً هَؤُلاءِ الَّذِينَ نَالُوا الرُّوحَ الْقُدُسَ مِثْلَنَا؟» 48وَأَمَرَ أَنْ يَتَعَمَّدُوا بِاسْمِ يَسُوعَ الْمَسِيحِ. ثُمَّ دَعَوْهُ أَنْ يُقِيمَ عِنْدَهُمْ بِضْعَةَ أَيَّامٍ.