دينونة الأمم
1لأَنَّهُ فِي تِلْكَ الأَيَّامِ، وَفِي ذَلِكَ الْحِينِ عِنْدَمَا أَرُدُّ سَبْيَ يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ، 2أَجْمَعُ الأُمَمَ كُلَّهَا وَأُحْضِرُهُمْ إِلَى وَادِي يَهُوشَافَاطَ، وَأُحَاكِمُهُمْ هُنَاكَ مِنْ أَجْلِ شَعْبِي وَمِيرَاثِي إِسْرَائِيلَ، لأَنَّهُمْ شَتَّتُوهُمْ بَيْنَ الشُّعُوبِ وَاقْتَسَمُوا أَرْضِي. 3وَأَلْقَوْا الْقُرْعَةَ عَلَى شَعْبِي فَقَايَضُوا الزَّانِيَةَ بِالصَّبِيِّ، وَبَاعُوا الصَّبِيَّةَ لِقَاءَ شُرْبَةِ خَمْرٍ.
4مَاذَا لَدَيْكُمْ ضِدِّي يَا صُورُ وَصِيْدُونُ وَسَائِرَ أَقَالِيمِ فِلِسْطِينَ؟ أَتُجَازُونَنِي عَلَى أَمْرٍ أَتَيْتُهُ؟ أَمْ تَسْعَوْنَ لإِيذَائِي؟ إِنِّي أُنْزِلُ الْعِقَابَ عَلَى رُؤُوسِكُمْ بَغْتَةً وَسَرِيعاً. 5لأَنَّكُمْ قَدِ اسْتَوْلَيْتُمْ عَلَى ذَهَبِي وَفِضَّتِي، وَنَقَلْتُمْ نَفَائِسِي إِلَى هَيَاكِلِكُمْ. 6وَبِعْتُمْ يَهُوذَا وَأَبْنَاءَ أُورُشَلِيمَ إِلَى الْيُونَانِيِّينَ لِتُبْعِدُوهُمْ عَنْ تُخُومِ أَرْضِهِمْ. 7وَهَا أَنَا الآنَ أُنْهِضُهُمْ مِنَ الْمَوْضِعِ حَيْثُ بِعْتُمُوهُمْ، وَأَرُدُّ عَلَى رُؤُوسِكُمْ سُوءَ أَعْمَالِكُمْ. 8وَأَبِيعُ أَبْنَاءَكُمْ وَبَنَاتِكُمْ بِأَيْدِي أَبْنَاءِ يَهُوذَا، فَيَبِيعُونَهُمْ بِدَوْرِهِمْ إِلَى السَّبَئِيِّينَ، إِلَى أُمَّةٍ بَعِيدَةٍ، لأَنَّ الرَّبَّ قَدْ أَصْدَرَ قَضَاءَهُ.
9نَادُوا بِهَذَا بَيْنَ الأُمَمِ، وَتَأَهَّبُوا لِلْحَرْبِ. اُحْشُدُوا أَبْطَالَكُمْ. لِيَتَقَدَّمْ وَيَصْعَدْ جَمِيعُ رِجَالِ الْقِتَالِ. 10أَطْرِقُوا أَسْنَانَ مَحَارِيثِكُمْ وَحَوِّلُوهَا إِلَى سُيُوفٍ، وَمَنَاجِلَكُمْ إِلَى رِمَاحٍ، وَلْيَقُلِ الضَّعِيفُ: إِنَّنِي جَبَّارُ قِتَالٍ! 11أَسْرِعُوا وَتَعَالَوْا مِنْ كُلِّ نَاحِيَةٍ يَا كُلَّ الأُمَمِ، وَاجْتَمِعُوا هُنَاكَ، وَأَنْزِلْ يَا رَبُّ مُحَارِبِيكَ. 12لِتَنْهَضِ الأُمَمُ وَتُقْبِلْ إِلَى وَادِي الْقَضَاءِ لأَنَّنِي هُنَاكَ أَجْلِسُ لأُدِينَ الشُّعُوبَ الْمُتَوَافِدَةَ مِنْ كُلِّ جِهَةٍ. 13احْمِلُوا الْمِنْجَلَ لأَنَّ الْحَصِيدَ قَدْ نَضَجَ. تَعَالَوْا وَدُوسُوا فَإِنَّ مِعْصَرَةَ الْخَمْرِ قَدِ امْتَلأَتْ، وَالْحِيَاضَ فَاضَتْ بِكَثْرَةِ شَرِّهِمْ.
14جَمَاهِيرُ جَمَاهِيرُ مُتَزَاحِمَةٌ فِي وَادِي الْقَضَاءِ، لأَنَّ يَوْمَ الرَّبِّ قَرِيبٌ فِي وَادِي الْقَضَاءِ. 15قَدْ أَظْلَمَتِ الشَّمْسُ وَالْقَمَرُ، وَكَفَّتِ الْكَوَاكِبُ عَنِ الضِّيَاءِ. 16يَزْأَرُ الرَّبُّ فِي صِهْيَوْنَ، وَيُجَلْجِلُ بِصَوْتِهِ مِنْ أُورُشَلِيمَ فَتَرْجُفُ السَّمَاوَاتُ وَالأَرْضُ؛ لَكِنَّ الرَّبَّ يَكُونُ مَلْجَأً لِشَعْبِهِ، وَحِصْناً لِبَنِي إِسْرَائِيلَ.
بركات شعب الله
17فَتُدْرِكُونَ أَنِّي أَنَا هُوَ الرَّبُّ إِلَهُكُمُ السَّاكِنُ فِي صِهْيَوْنَ جَبَلِي الْمُقَدَّسِ، وَتَكُونُ أُورُشَلِيمُ مُقَدَّسَةً وَلا يَجْتَازُ فِيهَا الْغُرَبَاءُ أَبَداً.
18وَتَقْطُرُ الْجِبَالُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ خَمْرَةً عَذْبَةً، وَتَفِيضُ التِّلالُ بِاللَّبَنِ وَجَمِيعُ يَنَابِيعِ يَهُوذَا تَتَدَفَّقُ مَاءً، وَيَخْرُجُ يَنْبُوعٌ مِنْ هَيْكَلِ الرَّبِّ يَرْوِي وَادِي السَّنْطِ، 19وَتُصْبِحُ مِصْرُ خَرَاباً، وَأَدُومُ قَفْراً مُوْحِشاً لِفَرْطِ مَا أَنْزَلُوهُ مِنْ ظُلْمٍ بِأَبْنَاءِ يَهُوذَا، وَلأَنَّهُمْ سَفَكُوا دَماً بَرِيئاً فِي دِيَارِهِمْ. 20أَمَّا يَهُوذَا فَإِنَّهُ يَسْكُنُ الأَرْضَ إِلَى الأَبَدِ، وَتَعْمُرُ أُورُشَلِيمُ مَدَى الأَجْيَالِ. 21وَأُزَكِّي دَمَهُمُ الَّذِي لَمْ أُبَرِّئْهُ، لأَنَّ الرَّبَّ يَسْكُنُ فِي صِهْيَوْنَ.
राष्ट्रों का न्याय किया जाना
1“उन दिनों में और उस समय पर,
जब मैं यहूदिया और येरूशलेम के लोगों को बंधुआई से लौटा लाऊंगा,
2तब मैं सब जाति के लोगों को इकट्ठा करूंगा
और उन्हें नीचे यहोशाफ़ात3:2 यहोशाफ़ात अर्थ याहवेह न्याय करते हैं की घाटी में ले आऊंगा.
वहां मैं उनकी परीक्षा करूंगा
उन्होंने मेरे निज भाग अर्थात् मेरे लोग इस्राएलियों के साथ जो कुछ किया, उसके लिये.
क्योंकि उन्होंने मेरे लोगों को जाति-जाति के लोगों के बीच तितर-बितर कर दिया है
और उन्होंने मेरे देश को बांट दिया है.
3वे मेरे लोगों के लिये पांसा फेंकते हैं
और उन्होंने वेश्याओं के बदले में लड़कों को दे दिया है;
उन्होंने दाखमधु पीने के लिये लड़कियों को बेच दिया है.
4“हे सोर और सीदोन और फिलिस्तिया के सारे क्षेत्र के लोगों, अब तुम्हारे पास मेरे विरुद्ध में क्या है? क्या तुम उस बात का बदला चुका रहे हो, जो मैंने किया है? यदि तुम मुझे वापस बदला चुका रहे हो, तो मैं शीघ्र ही, तेजी से, तुम्हारे द्वारा किए गए कामों को वापस तुम्हारे ही सिर पर डाल दूंगा. 5क्योंकि तुमने मेरी चांदी और मेरा सोना ले लिया है और मेरे बहुमूल्य खजानों को अपने मंदिरों में रख लिया है. 6तुमने यहूदिया और येरूशलेम के लोगों को यूनानियों के हाथ बेच दिया, ताकि तुम उन्हें उनके देश से दूर कर सको.
7“देखो, मैं उन्हें उन स्थानों से लौटाकर लानेवाला हूं, जहां तुमने उन्हें बेच दिया था, और तुम्हारे किए गये कामों को वापस तुम्हारे ही सिर पर डाल दूंगा. 8मैं तुम्हारे बेटे और बेटियों को यहूदिया के लोगों के हाथ बेच दूंगा, और वे उन्हें बहुत दूर रहनेवाली एक जाति शबाईयों के हाथ बेच देंगे.” याहवेह ने कहा है.
9जाति-जाति के लोगों के बीच यह घोषणा करो:
युद्ध की तैयारी करो!
योद्धाओं को आव्हान करो!
लड़ने वाले सब लोग निकट आये और आक्रमण करें.
10अपने हल की फालों को पीटकर उनकी तलवारें बना लो
और अपने हंसियों को पीटकर उनकी बर्छियां बना लो.
जो दुर्बल है वह कहे,
“मैं बलवान हूं!”
11चारों तरफ के जाति-जाति के सब लोगों, जल्दी करके आओ,
और वहां तुम इकट्ठे हो जाओ.
हे याहवेह, अपने योद्धाओं को नीचे ले आइए!
12“जाति-जाति के लोग उत्तेजित हों;
और वे यहोशाफ़ात की घाटी में जाएं,
क्योंकि वहां मैं चारों तरफ के जाति-जाति के
सब लोगों का न्याय करने बैठूंगा.
13हंसिया चलाना शुरू करो,
क्योंकि फसल पक गयी है.
आओ, अंगूर को रौंदो,
क्योंकि अंगूर-रस का कुंड भर गया है
और हौज छलक रहे हैं—
उनकी दुष्टता बहुत ज्यादा है!”
14निर्णय की घाटी में
लोगों की भीड़ ही भीड़ है!
क्योंकि निर्णय की घाटी में
याहवेह का दिन निकट है.
15सूर्य और चंद्रमा पर अंधकार छा गया है,
और तारे चमकना बंद कर देंगे.
16याहवेह ज़ियोन से गरजेंगे
और येरूशलेम से गर्जन सुनाई देगा;
आकाश और पृथ्वी कांप उठेंगे.
पर याहवेह अपने लोगों के लिए एक शरणस्थान,
और इस्राएल के लोगों के लिए एक सुरक्षा गढ़ होंगे.
परमेश्वर के लोगों के लिये आशीष
17“तब तुम जानोगे कि मैं, याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं,
जो अपने पवित्र पर्वत, ज़ियोन पर निवास करता हूं.
येरूशलेम एक पवित्र स्थान होगा;
परदेशी फिर कभी उस पर आक्रमण न कर पाएंगे.
18“उस दिन पहाड़ों से नई अंगूर की दाखमधु टपकेगी,
और पहाड़ियों से दूध बहेगा;
यहूदिया के सब दर्रों में पानी बहेगा.
याहवेह के भवन से पानी का एक सोता फूट निकलेगा
और शित्तीम घाटी3:18 शित्तीम घाटी अर्थात्बबूल की घाटी की सिंचाई करेगा.
19पर मिस्र देश उजाड़ हो जाएगा,
और एदोम एक बेकार निर्जन देश,
क्योंकि इन्होंने यहूदिया के लोगों पर अत्याचार किया था,
और इन्होंने उनके देश में निर्दोष लोगों का खून बहाया था.
20यहूदिया में लोग सदा-सर्वदा निवास करते रहेंगे
और येरूशलेम में लोग पीढ़ी-पीढ़ी तक रहेंगे.
21क्या मैं उन निर्दोष लोगों के खून का बदला लिये बिना छोड़ दूंगा?
नहीं, बिलकुल नहीं.”
याहवेह ज़ियोन में निवास करते हैं!