هوشع 2 – NAV & HCV

New Arabic Version

هوشع 2:1-23

1«قُولُوا لإِخْوَتِكُمْ عَمِّي (أَنْتُمْ شَعْبِي) وَلأَخَوَاتِكُمْ رُحَامَةَ (أَنَا أَرْحَمُكُم).

عقاب إسرائيل واستعادتها

2حَاكِمُوا أُمَّكُمْ، لأَنَّهَا لَيْسَتْ زَوْجَتِي، وَأَنَا لَسْتُ رَجُلَهَا، حَتَّى تَخْلَعَ زِنَاهَا عَنْ وَجْهِهَا وَفُجُورَهَا مِنْ بَيْنِ ثَدْيَيْهَا. 3لِئَلّا أُعَرِّيَهَا وَأَرُدَّهَا كَمَا كَانَتْ يَوْمَ مَوْلِدِهَا، وَأَجْعَلَهَا كَالْقَفْرِ أَوْ كَأَرْضٍ جَرْدَاءَ، وَأُمِيتَهَا ظَمَأً. 4وَلا أَرْحَمُ أَبْنَاءَهَا لأَنَّهُمْ أَوْلادُ زِنىً.

5فَأُمُّهُمْ قَدْ زَنَتْ، وَالَّتِي حَمَلَتْهُمُ ارْتَكَبَتِ الْمُوبِقَاتِ، لأَنَّهَا قَالَتْ: أَسْعَى وَرَاءَ عُشَّاقِي الَّذِينَ يُقَدِّمُونَ لِي خُبْزِي وَمَائِي وَصُوفِي وَكَتَّانِي وَزَيْتِي وَمَشْرُوبَاتِي. 6لِذَلِكَ أُسَيِّجُ طَرِيقَهَا بِالشَّوْكِ وَأَحُوطُهَا بِسُورٍ حَتَّى لَا تَجِدَ لَهَا مَسْلَكاً. 7فَتَسْعَى وَرَاءَ عُشَّاقِهَا وَلَكِنَّهَا لَا تُدْرِكُهُمْ، وَتَلْتَمِسُهُمْ فَلا تَجِدُهُمْ، ثُمَّ تَقُولُ، لأَنْطَلِقَنَّ وَأَرْجِعَنَّ إِلَى زَوْجِي الأَوَّلِ، فَقَدْ كُنْتُ مَعَهُ فِي حَالٍ خَيْرٍ مِمَّا أَنَا عَلَيْهِ الآنَ.

8إِنَّهَا لَمْ تَعْرِفْ أَنَّنِي أَنَا الَّذِي أَعْطَيْتُهَا الْقَمْحَ وَالْخُبْزَ وَالزَّيْتَ، وَأَغْدَقْتُ عَلَيْهَا الْفِضَّةَ وَالذَّهَبَ الَّتِي قَدَّمُوهَا لِلْبَعْلِ. 9لِذَلِكَ أَسْتَرِدُّ حِنْطَتِي فِي حِينِهَا، وَخَمْرِي فِي أَوَانِهِ، وَأَنْتَزِعُ صُوفِي وَكَتَّانِي اللَّذَيْنِ تَسْتُرُ بِهِمَا عُرْيَهَا. 10وَأَكْشِفُ عَوْرَتَهَا أَمَامَ عُشَّاقِهَا، وَلا يُنْقِذُهَا أَحَدٌ مِنْ يَدِي. 11وَأُبَطِّلُ كُلَّ أَفْرَاحِهَا وَأَعْيَادِهَا وَاحْتِفَالاتِ رُؤُوسِ شُهُورِهَا وَسُبُوتِهَا وَجَمِيعَ مَوَاسِمِهَا. 12وَأُتْلِفُ كُرُومَهَا وَتِينَهَا الَّتِي قَالَتْ عَنْهَا: هِيَ أُجْرَتِي الَّتِي قَبَضْتُهَا مِنْ عُشَّاقِي، فَأُحَوِّلُهَا إِلَى غَابَةٍ يَلْتَهِمُهَا وَحْشُ الصَّحْرَاءِ. 13وَأُعَاقِبُهَا عَلَى أَيَّامِ احْتِفَالاتِهَا بِآلِهَةِ الْبَعْلِ، حِينَ أَحْرَقَتْ لَهَا الْبَخُورَ، وَتَزَيَّنَتْ بِخَوَاتِمِهَا وَحُلِّيِهَا وَضَلَّتْ وَرَاءَ عُشَّاقِهَا وَنَسِيَتْنِي، يَقُولُ الرَّبُّ.

14لِهَذَا، هَا أَنَا أَتَمَلَّقُهَا وَآخُذُهَا إِلَى الصَّحْرَاءِ وَأُخَاطِبُهَا بِحَنَانٍ، 15وَأَرُدُّ لَهَا كُرُومَهَا هُنَاكَ، وَأَجْعَلُ مِنْ وَادِي عَخُورَ (أَيْ وَادِي الإِزْعَاجِ) بَاباً لِلرَّجَاءِ، فَتَتَجَاوَبُ مَعِي كَالْعَهْدِ بِها فِي أَيَّامِ صِبَاهَا، حِينَ خَرَجَتْ مِنْ دِيَارِ مِصْرَ. 16فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ، يَقُولُ الرَّبُّ، تَدْعِينَنِي: زَوْجِي، وَلا تَدْعِينَنِي أَبَداً: بَعْلِي. 17لأَنِّي أَنْزِعُ أَسْمَاءَ الْبَعْلِ مِنْ فَمِكِ، وَلا يَرِدُ ذِكْرُهَا بِأَسْمَائِهَا مِنْ بَعْدُ. 18وَأُبْرِمُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ مِنْ أَجْلِكِ عَهْداً مَعَ وَحْشِ الْبَرِّيَّةِ وَطُيُورِ السَّمَاءِ وَزَوَاحِفِ الأَرْضِ وَأُحَطِّمُ الْقَوْسَ وَالسَّيْفَ، وَأُبْطِلُ الْحَرْبَ مِنَ الأَرْضِ، وَأَجْعَلُكِ تَنَامِينَ مُطْمَئِنَّةً 19وَأَخْطُبُكِ لِنَفْسِي إِلَى الأَبَدِ، أَخْطُبُكِ بِالْعَدْلِ وَالْحَقِّ وَالإِحْسَانِ وَالْمَرَاحِمِ. 20أَخْطُبُكِ لِنَفْسِي بِالأَمَانَةِ فَتَعْرِفِينَ الرَّبَّ. 21فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ أَسْتَجِيبُ لِشَعْبِي إِسْرَائِيلَ، وَأَغْمُرُ أَرْضَهُمْ بِالْمَطَرِ، فَتُثْمِرُ. 22فَتُنْبِتُ الأَرْضُ الْقَمْحَ وَالْعِنَبَ وَالزَّيْتَ، وَكُلُّهَا تَسْتَجِيبُ لِيَزْرَعِيلَ (أَيْ: اللهُ يَزْرَعُ) 23وَأَزْرَعُ شَعْبِي فِي الأَرْضِ لِنَفْسِي، وَأَرْحَمُ لُورُحَامَةَ (أَيْ: لَا رَحْمَةَ)، وَأَقُولُ: لِلُوعَمِّي (أَيْ: لَيْسَ شَعْبِي) أَنْتَ شَعْبِي، فَيَقُولُ: أَنْتَ إِلَهِي».

Hindi Contemporary Version

होशेआ 2:1-23

1“अपने भाइयों से कहो, ‘मेरे लोग,’ और अपनी बहनों से कहो, ‘मेरे प्रिय लोग.’

इस्राएल का दंड और पुनःस्थापना

2“अपनी माता को डांटो, उसे डांटो,

क्योंकि वह मेरी पत्नी नहीं है,

और मैं उसका पति नहीं हूं.

वह अपने चेहरे से व्यभिचारी भावना

और अपने स्तनों के बीच से विश्वासघात को दूर करे.

3अन्यथा मैं उसके कपड़े उतारकर उसे ऐसी नंगी कर दूंगा

जैसे वह अपने जन्म के समय थी;

मैं उसे मरुस्थल के समान बना दूंगा,

उसे एक सूखी भूमि में बदल दूंगा,

और उसे प्यास से मारूंगा.

4मैं उसके बच्चों के प्रति प्रेम नहीं दिखाऊंगा,

क्योंकि वे व्यभिचार से पैदा हुए बच्‍चे हैं.

5उनकी माता ने विश्वासघात किया है

और वे कलंक से उसके गर्भ में पड़े.

उसने कहा, ‘मैं अपने प्रेमियों के पीछे जाऊंगी,

जो मुझे मेरा भोजन-पानी, मेरा ऊनी और सन के कपड़े,

मेरा जैतून तेल और मेरा दाखमधु देते हैं.’

6इसलिये मैं उसके रास्ते को कंटीली झाड़ियों से बंद कर दूंगा;

मैं उसके आगे दीवार खड़ी कर दूंगा, जिससे उसे उसका रास्ता नहीं मिलेगा.

7वह अपने प्रेमियों का पीछा करेगी पर उन्हें पकड़ नहीं सकेगी;

वह उन्हें खोजेगी पर वे उसे नहीं मिलेंगे.

तब वह कहेगी,

‘मैं पहले के समान अपने पति के पास लौट जाऊंगी,

क्योंकि तब मेरी स्थिति अब की अपेक्षा बेहतर थी.’

8उसने इस बात को नहीं माना है कि वह मैं ही था,

जिसने उसे अन्‍न, नई दाखमधु और तेल दिया था,

जिसने उस पर खुले हाथों से सोना-चांदी लुटाया था—

जिसका उपयोग उन्होंने बाल देवता के लिए किया.

9“इसलिये मैं अपने अन्‍न को ले लूंगा जब वह पक जाएगा,

और अपनी नई दाखमधु को ले लूंगा जब वह तैयार हो जाएगा.

मैं अपने ऊन और सन के कपड़े वापस ले लूंगा,

जिसे मैंने उसे उसके नंगे तन को ढांपने के लिये दिये थे.

10इसलिये अब मैं उसकी अश्लीलता को

उसके प्रेमियों के सामने प्रकट करूंगा;

कोई भी उसे मेरे हाथ से छुड़ा न सकेगा.

11मैं उसके सब उत्सवों को बंद कर दूंगा:

उसके वार्षिक त्योहार, उसके नये चांद का उत्सव,

उसके शब्बाथ2:11 शब्बाथ सातवां दिन जो विश्राम का पवित्र दिन है का उत्सव—उसके सब निर्धारित त्योहारों को बंद कर दूंगा.

12मैं उसके अंगूर की लताओं और अंजीर के पेड़ों को नष्ट कर दूंगा,

जिनके बारे में वह कहती है कि यह मेरी मजदूरी है जिसे मेरे प्रेमियों ने दिया था;

मैं उनको एक झाड़ी बना दूंगा,

और जंगली जानवर उन्हें खा जाएंगे.

13मैं उसे उस बात के लिये दंड दूंगा

कि उसने बाल देवताओं के लिये धूप जलाया;

वह अपने आपको नथनी और गहनों से सजाती,

और अपने प्रेमियों के पीछे जाती थी,

पर मुझको वह भूल गई,” याहवेह की घोषणा है.

14“इसलिये मैं उसे ललचाऊंगा;

मैं उसे निर्जन जगह में ले जाऊंगा

और उससे कोमलता से बात करूंगा.

15वहां मैं उसे उसकी अंगूर की बारियां लौटा दूंगा,

और आकोर2:15 आकोर अर्थ मुसीबत घाटी को आशा का द्वार बना दूंगा.

वहां वह ऐसे जवाब देगी2:15 या वह गाएगी जैसे वह अपने जवानी के दिनों में दिया करती थी,

अर्थात् जैसे वह मिस्र देश से निकलकर आने के समय दिया करती थी.”

16याहवेह घोषणा करते हैं,

“उस दिन, तुम मुझे ‘मेरा पति’ कहोगी;

तुम मुझे फिर कभी अपना मालिक नहीं कहोगी.

17मैं उसके मुंह से बाल देवताओं का नाम मिटा दूंगा;

उनका नाम फिर कभी न लिया जाएगा.

18उस दिन मैं उनके लिये

जंगली जानवरों, आकाश के पक्षियों

और भूमि पर रेंगनेवाले जंतुओं के साथ एक वाचा बांधूंगा.

धनुष और तलवार और युद्ध को

मैं देश से समाप्‍त कर दूंगा,

ताकि लोग निडर होकर आराम करें.

19मैं तुम्हें सदा के लिए विवाह का वचन दूंगा;

मैं तुमको धर्मीपन और सच्चाई,

प्रेम और करुणा के साथ विवाह का वचन दूंगा.

20मैं तुम्हें विश्वासयोग्यता के साथ विवाह का वचन दूंगा,

और तुम याहवेह को जान जाओगी.”

21याहवेह की घोषणा है,

“उस दिन मैं जवाब दूंगा,

मैं आकाशमंडल को जवाब दूंगा,

और वे पृथ्वी को जवाब देंगे;

22और पृथ्वी अन्‍न, नई दाखमधु

और जैतून तेल को जवाब देगी,

और वे येज़्रील2:22 येज़्रील अर्थ परमेश्वर रोपता है को जवाब देंगे.

23तब मैं स्वयं उस देश में उसका रोपण करूंगा;

मैं उसे अपना प्रेम दिखाऊंगा, जिसे मैं अपना प्रिय नहीं कहता,

वे जो मेरे लोग नहीं कहे जाते, उन्हें मैं कहूंगा, ‘तुम मेरे लोग हो’;

और वे कहेंगे, ‘आप हमारे परमेश्वर हैं.’ ”