نشيد الأنشاد 1 – NAV & HCV

New Arabic Version

نشيد الأنشاد 1:1-17

1هَذَا نَشِيدُ الأَنَاشِيدِ لِسُلَيْمَانَ.

2(الْمَحْبُوبَةُ): لِيَلْثِمْنِي بِقُبْلاتِ فَمِهِ، لأَنَّ حُبَّكَ أَلَذُّ مِنَ الْخَمْرِ. 3رَائِحَةُ عُطُورِكَ شَذِيَّةٌ، وَاسْمُكَ أَرِيجٌ مَسْكُوبٌ؛ لِذَلِكَ أَحَبَّتْكَ الْعَذَارَى. 4اجْذُبْنِي وَرَاءَكَ فَنَجْرِيَ، أَدْخَلَنِي الْمَلِكُ إِلَى مَخَادِعِهِ. نَبْتَهِجُ بِكَ وَنَفْرَحُ، وَنَمْدَحُ حُبَّكَ أَكْثَرَ مِنَ الْخَمْرِ، فَالَّذِينَ أَحَبُّوكَ مُحِقُّونَ.

5سَمْرَاءُ أَنَا، وَلَكِنَّنِي رَائِعَةُ الْجَمَالِ يَا بَنَاتِ أُورُشَلِيمَ. أَنَا سَمْرَاءُ كَخِيَامِ قِيدَارَ. أَوْ كَسُرَادِقِ سُلَيْمَانَ.

6لَا تَنْظُرْنَ إِلَيَّ لأَنَّنِي سَمْرَاءُ، فَإِنَّ الشَّمْسَ قَدْ لَوَّحَتْنِي. إِخْوَتِي قَدْ غَضِبُوا مِنِّي فَأَقَامُونِي حَارِسَةً لِلْكُرُومِ، أَمَّا كَرْمِي فَلَمْ أَنْطُرْهُ. 7قُلْ لِي يَا مَنْ تُحِبُّهُ نَفْسِي، أَيْنَ تَرْعَى قُطْعَانَكَ وَأَيْنَ تُرْبِضُ بِها عِنْدَ الظَّهِيرَةِ؟ فَلِمَاذَا أَكُونُ كَامْرَأَةٍ مُقَنَّعَةٍ، أَتَجَوَّلُ بِجُوَارِ قُطْعَانِ أَصْحَابِكَ؟

8(الْمُحِبُّ): إِنْ كُنْتِ لَا تَعْلَمِينَ يَا أَجْمَلَ النِّسَاءِ، فَاقْتَفِي أَثَرَ الْغَنَمِ، وَارْعَيْ جِدَاءَكِ عِنْدَ مَسَاكِنِ الرُّعَاةِ.

9إِنِّي أُشَبِّهُكِ يَا حَبِيبَتِي بِفَرَسٍ فِي مَرْكَبَاتِ فِرْعَوْنَ. 10مَا أَجْمَلَ خَدَّيْكِ بِالْحُلِيِّ، وَعُنُقَكِ بِالْقَلائِدِ الذَّهَبِيَّةِ. 11سَنَصْنَعُ لَكِ أَقْرَاطاً مِنْ ذَهَبٍ مَعَ جُمَانٍ مِنْ فِضَّةٍ.

12(الْمَحْبُوبَةُ): بَيْنَمَا الْمَلِكُ مُسْتَلْقٍ عَلَى أَرِيكَتِهِ فَاحَ نَارِدِينِي رَائِحَتِهِ. 13حَبِيبِي صُرَّةُ مُرٍّ لِي، هَاجِعٌ بَيْنَ نَهْدَيَّ. 14حَبِيبِي لِي عُنْقُودُ حِنَّاءَ فِي كُرُومِ عَيْنِ جَدْيٍ.

15(المُحِبُّ): كَمْ أَنْتِ جَمِيلَةٌ يَا حَبِيبَتِي، كَمْ أَنْتِ جَمِيلَةٌ! عَيْنَاكِ حَمَامَتَانِ!

16(الْمَحْبُوبَةُ): كَمْ أَنْتَ وَسِيمٌ يَا حَبِيبِي وَجَذَّابٌ حَقّاً! أَنْتَ حُلْوٌ وَأَرِيكَتُنَا مُخْضَرَّةٌ. 17عَوَارِضُ بَيْتِنَا خَشَبُ أَرْزٍ وَرَوَافِدُنَا خَشَبُ سَرْوٍ.

Hindi Contemporary Version

सर्वश्रेष्ठ गीत 1:1-17

1शलोमोन द्वारा रचित गीतों का गीत.

नायिका

2वह अपने मुख के चुम्बनों से मेरा चुंबन करे!

क्योंकि तुम्हारा प्रेम दाखमधु से उत्तम है.

3तुम्हारे विभिन्‍न ईत्रों की सुगंध सुखद है,

तुम्हारा नाम उण्डेले हुए इत्र के समान है;

इसलिये आश्चर्य नहीं कि तुम कन्याओं के आकर्षण का केंद्र हो.

4मुझे अपने पास ले लो कि हम दोनों दूर चले जाएं!

राजा मुझे अपने कमरों में ले आए हैं.

सहेलियां

हम तुममें आनंदित हो मगन होंगी;

हम दाखमधु से ज्यादा तुम्हारे प्रेम का गुणगान करेंगी.

नायिका

ठीक ही है तुम्हारे प्रति उनका आकर्षण.

5मेरा रंग सांवला तो अवश्य है, मगर मैं सुंदर हूं,

येरूशलेम की कन्याओ,

केदार के तंबुओं के समान,

शलोमोन के पर्दों के समान.

6मुझे इस तरह से न देखो कि मैं सांवली हूं,

यह तो धूप में झुलसने से हुआ है.

मेरी माता के पुत्र मुझ पर गुस्सा हो गए;

उन्होंने मुझे अंगूर के बगीचे की देखरेख की जवाबदारी सौंप दी,

मगर मैं खुद ही अपने अंगूर के बगीचे का ध्यान न रख सकी.

7मेरे प्राणप्रिय, मुझे यह तो बता दो, कहां हैं वे चरागाह,

जहां तुम अपनी भेड़-बकरियां चराते हो,

वह कौन सी जगह है जहां तुम दोपहर में उन्हें आराम के लिए बैठा देते हो?

क्योंकि मैं तुम्हारे साथियों की भेड़-बकरियों के पास उसके समान क्यों बनूं,

जो अपना मुंह छिपाए रखती है?

मित्रगण

8स्त्रियों में परम सुंदरी, यदि स्वयं तुम्हें ही यह मालूम नहीं है,

भेड़-बकरियों के पांव के निशानों पर चलती जाओ

और अपने मेमनों को चरवाहों के

तंबुओं के पास चराओ.

नायक

9मेरी प्रियतमा, मेरे लिए तुम वैसी ही हो,

जैसी फ़रोह के रथों के बीच मेरी घोड़ी.

10गहनों के साथ तुम्हारे गाल क्या ही सुंदर लगते हैं,

वैसे ही हीरों के हार के साथ तुम्हारी गर्दन.

11हम तुम्हारे लिए ऐसे गहने गढ़ेंगे,

जो चांदी में जड़े हुए सोने के होंगे.

नायिका

12जब महाराज बैठे हुए थे,

मेरा इत्र अपनी खुशबू फैला रहा था.

13मेरा प्रियतम मेरे लिए उस गन्धरस की थैली है,

जो सारी रात मेरे स्तनों के बीच रहती है.

14मेरा प्रियतम मेरे लिए मेंहदी के फूलों के गुच्छे के समान है,

जो एन-गेदी के अंगूरों के बगीचों में पाए जाते हैं.

नायक

15मेरी प्रियतमा, कितनी सुंदर हो तुम!

ओह, तुम वास्तव में कितनी सुंदर हो!

तुम्हारी आंखें कबूतरी के समान हैं.

नायिका

16कितने सुंदर लगते हो, तुम, मेरे प्रियतम!

तथा आनन्द-दायक भी!

वास्तव में कितना भव्य है हमारा बिछौना.

नायक

17हमारे घरों की धरनें देवदार की हैं;

तथा छतें सनोवर की.