زكريا 14 – NAV & HCV

New Arabic Version

زكريا 14:1-21

الرب يأتي ويملك

1انْظُرُوا هَا هُوَ يَوْمٌ مُقْبِلٌ لِلرَّبِّ، يُقْسَمُ فِيهِ مَا سُلِبَ مِنْكُمْ فِي وَسَطِكُمْ. 2لأَنِّي أَجْمَعُ جَمِيعَ الأُمَمِ عَلَى أُورُشَلِيمَ لِتُحَارِبَهَا، فَتُؤْخَذُ الْمَدِينَةُ وَتُنْهَبُ الْبُيُوتُ وَتُغْتَصَبُ النِّسَاءُ وَيُسْبَى نِصْفُ أَهْلِهَا إِلَى الْمَنْفَى. إِنَّمَا لَا يَنْقَرِضُ بَقِيَّةُ الشَّعْبِ مِنَ الْمَدِينَةِ.

3وَلا يَلْبَثُ أَنْ يَهُبَّ الرَّبُّ لِيُحَارِبَ تِلْكَ الأُمَمَ، كَمَا كَانَ يُحَارِبُ فِي يَوْمِ الْقِتَالِ. 4وَتَقِفُ قَدَمَاهُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ عَلَى جَبَلِ الزَّيْتُونِ الْمُمْتَدِّ أَمَامَ أُورُشَلِيمَ بِاتِّجَاهِ الشَّرْقِ، فَيَنْشَقُّ جَبَلُ الزَّيْتُونِ إِلَى شَطْرَيْنِ مِنَ الشَّرْقِ إِلَى الْغَرْبِ عَنْ وَادٍ عَظِيمٍ جِدّاً، فَيَتَرَاجَعُ نِصْفُ الْجَبَلِ إِلَى الشِّمَالِ، وَالنِّصْفُ الآخَرُ نَحْوَ الْجَنُوبِ. 5وَتَهْرُبُونَ مِنْ خِلالِ وَادِي جِبَالِي الْمُمْتَدِّ إِلَى آصَلَ. تَهْرُبُونَ كَمَا هَرَبْتُمْ مِنَ الزَّلْزَلَةِ فِي أَيَّامِ حُكْمِ عُزِّيَّا مَلِكِ يَهُوذَا، وَيَأْتِي الرَّبُّ إِلَهِي فِي مَوْكِبٍ مِنْ جَمِيعِ قِدِّيسِيهِ.

6فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يَتَلاشَى النُّورُ وَلا يَكُونُ بَرْدٌ وَلا صَقِيعٌ. 7وَيَكُونُ يَوْمٌ مُتَوَاصِلٌ مَعْرُوفٌ عِنْدَ الرَّبِّ، لَا نَهَارَ فِيهِ وَلا لَيْلَ، إِذْ يَغْمُرُ النَّهَارُ سَاعَاتِ الْمَسَاءِ. 8فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ تَجْرِي مِيَاهٌ حَيَّةٌ مِنْ أُورُشَلِيمَ، يَصُبُّ نِصْفُهَا فِي الْبَحْرِ الشَّرْقِيّ (الْبَحْرِ الْمَيِّتِ)، وَنِصْفُهَا الآخَرُ فِي الْبَحْرِ الْغَرْبِيّ (الْبَحْرِ الأَبْيَضِ الْمُتَوَسِّطِ) طَوَالَ الصَّيْفِ وَالشِّتَاءِ. 9وَيَمْلِكُ الرَّبُّ عَلَى الأَرْضِ كُلِّهَا، فَيَكُونُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ رَبٌّ وَاحِدٌ لَا يُذْكَرُ سِوَى اسْمِهِ.

10وَتَتَحَوَّلُ الأَرْضُ كُلُّهَا مِنْ جَبْعَ شِمَالاً إِلَى رَمُّونَ جَنُوباً، إِلَى سَهْلٍ كَسَهْلِ عَرَبَةَ. أَمَّا أُورُشَلِيمُ فَلا تَبْرَحُ شَامِخَةً فِي مَوْقِعِهَا الْمُمْتَدِّ مِنْ بَوَّابَةِ بِنْيَامِينَ حَتَّى الْبَوَّابَةِ الأُولَى وَإِلَى بَوَّابَةِ الزَّوَايَا، وَمِنْ بُرْجِ حَنَنْئِيلَ إِلَى مَعَاصِرِ خَمْرِ الْمَلِكِ. 11وَتُصْبِحُ آهِلَةً إِذْ لَنْ يَحُلَّ بِها دَمَارٌ ثَانِيَةً، وَتَكُونُ أُورُشَلِيمُ آمِنَةً.

12وَهَذَا هُوَ الْبَلاءُ الَّذِي يُعَاقِبُ بِهِ الرَّبُّ جَمِيعَ الشُّعُوبِ الَّذِينَ اجْتَمَعُوا عَلَى أُورُشَلِيمَ: تَتَهَرَّأُ لُحُومُهُمْ وَهُمْ وَاقِفُونَ عَلَى أَرْجُلِهِمْ، وَتَتَآكَلُ عُيُونُهُمْ فِي مَآقِيهَا، وَتَتْلَفُ أَلْسِنَتُهُمْ فِي أَفْوَاهِهِمْ. 13فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يُلْقِي الرَّبُّ الرُّعْبَ فِي قُلُوبِهِمْ حَتَّى تَرْتَفِعَ يَدُ الرَّجُلِ ضِدَّ يَدِ رَفِيقِهِ فِي آنٍ وَاحِدٍ وَيَهْلِكَانِ مَعاً. 14وَيُحَارِبُ أَبْنَاءُ يَهُوذَا أَيْضاً دِفَاعاً عَنْ أُورُشَلِيمَ، وَيَغْنَمُونَ ثَرْوَاتٍ مِنَ الأُمَمِ الْمُحِيطَةِ بِها مِنْ ذَهَبٍ وَفِضَّةٍ وَأَثْوَابٍ، بِوَفْرَةٍ عَظِيمَةٍ. 15وَيُصِيبُ بَلاءٌ مُمَاثِلٌ الْخُيُولَ وَالْبِغَالَ وَالْجِمَالَ وَالْحَمِيرَ وَسَائِرَ الْبَهَائِمِ الْمَوْجُودَةِ دَاخِلَ هَذِهِ الْمُعَسْكَرَاتِ.

16فَيَصْعَدُ النَّاجُونَ مِنَ الأُمَمِ الَّتِي تَأَلَّبَتْ عَلَى أُورُشَلِيمَ، سَنَةً بَعْدَ سَنَةٍ لِيَعْبُدُوا الْمَلِكَ الرَّبَّ الْقَدِيرَ وَيَحْتَفِلُوا بِعِيدِ الْمَظَالِّ. 17وَإِنْ تَقَاعَسَتْ أَيَّةُ عَشِيرَةٍ مِنْ عَشَائِرِ أُمَمِ الأَرْضِ عَنِ الصُّعُودِ إِلَى أُورُشَلِيمَ لِتَسْجُدَ لِلْمَلِكِ الرَّبِّ الْقَدِيرِ، يَمْتَنِعُ الْمَطَرُ عَنِ الْهُطُولِ عَلَى دِيَارِهِمْ. 18وَإِنْ أَبَى أَهْلُ مِصْرَ الصُّعُودَ لِلاشْتِرَاكِ فِي الاحْتِفَالِ، يَحُلُّ بِهِمِ الْبَلاءُ الَّذي يُعَاقِبُ بِهِ الرَّبُّ الأُمَمَ الَّتِي لَا تَجِيءُ لِلاحْتِفَالِ بِعِيدِ الْمَظَالِّ. 19هَذَا هُوَ عِقَابُ مِصْرَ وَعِقَابُ سَائِرِ الشُّعُوبِ الَّتِي تَأْبَى الْمَجِيءَ لِلاحْتِفَالِ بِعِيدِ الْمَظَالِّ.

20وَيُنْقَشُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ عَلَى أَجْرَاسِ الْخَيْلِ: «قُدْسٌ لِلرَّبِّ». وَتَكُونُ الْقُدُورُ فِي الْهَيْكَلِ مُقَدَّسَةً كَالْمَنَاضِحِ الَّتِي أَمَامَ الْمَذْبَحِ. 21بَلْ يَكُونُ كُلُّ قِدْرٍ فِي أُورُشَلِيمَ وَفِي يَهُوذَا مُقَدَّساً لِلرَّبِّ الْقَدِيرِ، فَيُصْبِحُ فِي وُسْعِ الْمُقَرِّبِينَ أَنْ يَأْتُوا وَيَسْتَخْدِمُوا مَا يَشَاؤُونَ مِنْهَا، لِيَطْبُخُوا فِيهَا لَحْمَ الذَّبِيحَةِ. وَلا يَبْقَى فِي هَيْكَلِ الرَّبِّ الْقَدِيرِ تُجَّارٌ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ.

Hindi Contemporary Version

ज़करयाह 14:1-21

याहवेह आकर राज्य करते हैं

1हे येरूशलेम, याहवेह का एक ऐसा दिन आनेवाला है, जब तुम्हारी संपत्ति लूट ली जाएगी और तुम्हारे अपने घेरे के अंदर ही बांट ली जाएगी.

2मैं जाति-जाति के लोगों को येरूशलेम के विरुद्ध युद्ध करने के लिए इकट्ठा करूंगा; शहर पर अधिकार कर लिया जाएगा, घर-द्वार लूट लिये जाएंगे, और स्त्रियों से बलात्कार किया जाएगा. शहर की आधी जनसंख्या बंधुआई में चली जाएगी, पर बचे लोग शहर में ही रहेंगे. 3तब याहवेह जाकर उन जातियों के विरुद्ध ऐसे लड़ेंगे जैसे वे युद्ध के दिन लड़ते हैं. 4उस दिन याहवेह येरूशलेम के पूर्व में जैतून पहाड़ पर जा खड़े होंगे, और जैतून पहाड़ पूर्व और पश्चिम दो भाग में बंट जाएगा और बीच में एक बड़ी घाटी बन जाएगी, जिससे आधा पहाड़ उत्तर की ओर तथा आधा पहाड़ दक्षिण की ओर हट जाएगा. 5तब तुम मेरी इस पहाड़ की घाटी से होकर भागोगे, क्योंकि यह घाटी आत्सल तक फैली होगी. तुम ऐसे भागोगे, जैसे तुम यहूदिया के राजा उज्जियाह के दिनों में हुए भूकंप के समय भागे थे. तब याहवेह मेरे परमेश्वर सब पवित्र लोगों के साथ आएंगे.

6उस दिन न तो सूर्य का प्रकाश होगा और न ही ठंडा, कुहरे से भरा अंधेरा. 7वह एक अतुलनीय दिन होगा—ऐसा दिन जिसे सिर्फ याहवेह ही जानते हैं—दिन और रात के बीच कोई अंतर न होगा. जब शाम होगी, तभी प्रकाश होगा.

8उस दिन जीवन का जल येरूशलेम से बह निकलेगा, इसमें का आधा पानी पूर्व से मृत सागर की ओर तथा आधा पानी पश्चिम से भूमध्य सागर की ओर बहेगा, और यह ग्रीष्मकाल और साथ ही साथ शीतकाल में भी बहता रहेगा.

9सारी पृथ्वी पर याहवेह ही राजा होंगे. उस दिन एक ही याहवेह होंगे, और सिर्फ उन्हीं का ही नाम होगा.

10सारी भूमि, गेबा से लेकर येरूशलेम के दक्षिण में रिम्मोन तक अराबाह के समान हो जाएगी. परंतु बिन्यामिन द्वार से लेकर पहले द्वार के लिए चिन्हित स्थान तक, तथा कोने के द्वार तक और हनानेल के मीनार से लेकर राजा के रसकुण्डों तक येरूशलेम को ऊंचा उठाया जाएगा, और यह अपने स्थान में बना रहेगा. 11लोग आकर इसमें बसेंगे; और यह फिर कभी नाश नहीं किया जाएगा. येरूशलेम सुरक्षित होगा.

12वे जनता, जिन्होंने येरूशलेम से युद्ध किया है, उन सब पर याहवेह ऐसी महामारी लायेंगे कि जब वे अपने पैरों पर खड़े ही होंगे तो उनका मांस सड़ जाएगा, उनकी आंखें उनके गोलकों में ही सड़ जाएंगी, और उनकी जीभ उनके मुंह में ही सड़ जाएगी. 13उस दिन याहवेह की ओर से लोगों में बड़े आतंक के साथ घबराहट फैलेगी. वे एक दूसरे को हाथ से पकड़कर एक दूसरे पर वार करेंगे. 14यहूदिया भी आकर येरूशलेम में लड़ेगा. आस-पास की सभी जनताओं की संपत्ति इकट्ठी की जाएगी—जिसमें बहुत सारा सोना, चांदी और कपड़ा होगा. 15घोड़ों, खच्चरों, ऊंटों, गधों और उन शिविरों में सब पशुओं पर भी इसी प्रकार की महामारी आ पड़ेगी.

16तब वे सब जनता, जिन्होंने येरूशलेम पर आक्रमण किया था, उनमें से बचे लोग हर साल येरूशलेम जाकर राजा, सर्वशक्तिमान याहवेह की आराधना करेंगे, और तंबुओं का त्योहार मनायेंगे. 17और यदि पृथ्वी के लोगों में से कोई भी राजा, सर्वशक्तिमान याहवेह की आराधना करने के लिये येरूशलेम नहीं जाएगा, तो उनके यहां वर्षा न होगी. 18यदि मिस्र के लोग आराधना और उत्सव में भाग लेने के लिये नहीं जाएंगे, तो उनके यहां भी वर्षा न होगी. याहवेह उन पर वह महामारी लायेगा, जो वह उन जनताओं पर लाता है, जो तंबुओं का उत्सव मनाने नहीं जाते हैं. 19यह मिस्र देश के लोगों की सजा और उन सब जनताओं की सजा होगी, जो तंबुओं का उत्सव मनाने नहीं जाते हैं.

20उस दिन घोड़ों की गर्दन में लटकी घण्टियों पर ये शब्द खुदे हुए होंगे, “याहवेह के लिए पवित्र,” और याहवेह के भवन में भोजन पकाने के बर्तन, वेदी के सामने रखे पवित्र कटोरों के समान होंगे. 21येरूशलेम और यहूदिया में हर एक बर्तन सर्वशक्तिमान याहवेह के लिये पवित्र होगा, और वे सब जो बलि चढ़ाने के लिए आएंगे, वे उन बर्तनों में से कुछ को लेंगे और उनमें पकायेंगे. और उस दिन सर्वशक्तिमान याहवेह के भवन में फिर कोई कनानी (व्यापारी) न होगा.