روما 10 – NAV & NCA

Ketab El Hayat

روما 10:1-21

1أَيُّهَا الإِخْوَةُ، إِنَّ رَغْبَةَ قَلْبِي وَتَضَرُّعِي إِلَى اللهِ لأَجْلِهِمْ، هُمَا أَنْ يَخْلُصُوا. 2فَإِنِّي أَشْهَدُ لَهُمْ أَنَّ عِنْدَهُمْ غَيْرَةً لِلهِ، وَلكِنَّهَا لَيْسَتْ عَلَى أَسَاسِ الْمَعْرِفَةِ. 3فَبِمَا أَنَّهُمْ جَهِلُوا بِرَّ اللهِ وَسَعَوْا إِلَى إِثْبَاتِ بِرِّهِمِ الذَّاتِيِّ، لَمْ يَخْضَعُوا لِلْبِرِّ الإِلهِيِّ. 4فَإِنَّ غَايَةَ الشَّرِيعَةِ هِيَ الْمَسِيحُ لِتَبْرِيرِ كُلِّ مَنْ يُؤْمِنُ.

5فَقَدْ كَتَبَ مُوسَى عَنِ الْبِرِّ الآتِي مِنَ الشَّرِيعَةِ: «إِنَّ الإِنْسَانَ الَّذِي يَعْمَلُ بِهذِهِ الأُمُورِ، يَحْيَا بِها». 6غَيْرَ أَنَّ الْبِرَّ الآتِيَ مِنَ الإِيمَانِ يَقُولُ هَذَا: «لا تَقُلْ فِي قَلْبِكَ: مَنْ يَصْعَدُ إِلَى السَّمَاوَاتِ؟» (أَيْ لِيُنْزِلَ الْمَسِيحَ)، 7وَلا: «مَنْ يَنْزِلُ إِلَى الأَعْمَاقِ؟» أَيْ لِيُصْعِدَ الْمَسِيحَ مِنْ بَيْنِ الأَمْوَاتِ! 8فَمَاذَا يَقُولُ إِذاً؟ إِنَّهُ يَقُولُ: «إِنَّ الْكَلِمَةَ قَرِيبَةٌ مِنْكَ. إِنَّهَا فِي فَمِكَ وَفِي قَلْبِكَ!» وَمَا هذِهِ الْكَلِمَةُ إِلّا كَلِمَةُ الإِيمَانِ الَّتِي نُبَشِّرُ بِها: 9أَنَّكَ إِنِ اعْتَرَفْتَ بِفَمِكَ بِيَسُوعَ رَبّاً، وَآمَنْتَ فِي قَلْبِكَ بِأَنَّ اللهَ أَقَامَهُ مِنَ الأَمْوَاتِ، نِلْتَ الْخَلاصَ. 10فَإِنَّ الإِيمَانَ فِي القَلْبِ يُؤَدِّي إِلَى الْبِرِّ، وَالاعْتِرَافَ بِالْفَمِ يُؤَيِّدُ الْخَلاصَ، 11لأَنَّ الْكِتَابَ يَقُولُ: «كُلُّ مَنْ هُوَ مُؤْمِنٌ بِهِ، لَا يَخِيبُ». 12فَلا فَرْقَ بَيْنَ اليَهُودِيِّ وَالْيُونَانِيِّ، لأَنَّ لِلْجَمِيعِ رَبّاً وَاحِداً، غَنِيًّا تُجَاهَ كُلِّ مَنْ يَدْعُوهُ. 13«فَإِنَّ كُلَّ مَنْ يَدْعُو بِاسْمِ الرَّبِّ يَخْلُصُ».

14وَلكِنْ، كَيْفَ يَدْعُونَ مَنْ لَمْ يُؤْمِنُوا بِهِ؟ وَكَيْفَ يُؤْمِنُونَ بِمَنْ لَمْ يَسْمَعُوا بِهِ؟ وَكَيْفَ يَسْمَعُونَ بِلا مُبَشِّرٍ؟ 15وَكَيْفَ يُبَشِّرُ أَحَدٌ إِلّا إِذَا كَانَ قَدْ أُرْسِلَ؟ كَمَا قَدْ كُتِبَ: «مَا أَجْمَلَ أَقْدَامَ الْمُبَشِّرِينَ بِالْخَيْرَاتِ!»

16وَلكِنْ، لَيْسَ كُلُّهُمْ أَطَاعُوا الإِنْجِيلَ. فَإِنَّ إِشَعْيَاءَ يَقُولُ: «يَا رَبُّ! مَنْ صَدَّقَ مَا أَسْمَعْنَاهُ إِيَّاهُ؟» 17إِذاً، الإِيمَانُ نَتِيجَةُ السَّمَاعِ، وَالسَّمَاعُ هُوَ مِنَ التَّبْشِيرِ بِكَلِمَةِ الْمَسِيحِ!

18وَلكِنِّي أَقُولُ: أَمَا سَمِعُوا؟ بَلَى، فَإِنَّ الْمُبَشِّرِينَ «انْطَلَقَ صَوْتُهُمْ إِلَى الأَرْضِ كُلِّهَا، وَكَلامُهُمْ إِلَى أَقَاصِي الْعَالَمِ». 19وَأَعُودُ فَأَقُولُ: أَمَا فَهِمَ إِسْرَائِيلُ؟ إِنَّ مُوسَى، أَوَّلاً، يَقُولُ: «سَأُثِيرُ غَيْرَتَكُمْ بِمَنْ لَيْسُوا أُمَّةً، وَبِأُمَّةٍ بِلا فَهْمٍ سَوْفَ أُغْضِبُكُمْ!» 20وَأَمَّا إِشَعْيَاءُ فَيَجْرُؤُ عَلَى الْقَوْلِ: «وَجَدَنِي الَّذِينَ لَمْ يَطْلُبُونِي وَصِرْتُ مُعْلَناً لِلَّذِينَ لَمْ يَبْحَثُوا عَنِّي». 21وَلَكِنَّهُ عَنْ إِسْرَائِيلَ يَقُولُ: «طُولَ النَّهَارِ مَدَدْتُ يَدَيَّ إِلَى شَعْبٍ عَاصٍ مُعَارِضٍ!»

New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी)

रोमीमन 10:1-21

1हे भाईमन हो! इसरायलीमन बर मोर दिल के ईछा अऊ परमेसर ले पराथना हवय कि ओमन उद्धार पावंय। 2काबरकि मेंह ओमन बर गवाही दे सकथंव कि ओमन के हिरदय म परमेसर खातिर उत्साह हवय, पर ओमन के उत्साह ह गियान के ऊपर अधारित नइं ए। 3ओमन ओ बात ला नइं जानिन कि कइसने परमेसर ह मनखे ला धरमी बनाथे, पर ओमन मूसा के कानून ला माने के दुवारा खुद धरमी बने के कोसिस करिन। ओमन परमेसर के मुताबिक धरमी बने नइं चाहिन। 4मसीह ह मूसा के कानून के अंत अय, ताकि जऊन कोनो ओकर ऊपर बिसवास करय, ओह परमेसर के नजर म धरमी ठहरय।

5कानून ला माने के दुवारा जऊन धरमीपन होथे, ओकर बारे म मूसा ह ए किसम ले लिखथे, “जऊन मनखे कानून के पालन करही, ओह एकर दुवारा जीयत रहिही।”10:5 लैब्यवस्था 18:5 6पर जऊन धरमीपन ह बिसवास ऊपर अधारित अय, ओकर बारे म ए कहे गे हवय, “तुमन अपन हिरदय म ए झन कहव, कि स्‍वरग ऊपर कोन जाही।”10:6 ब्यवस्था 30:12 (कि ओह मसीह ला उहां ले उतार लानय), 7या अइसने घलो झन कहव, “गहिरई म कोन उतरही।”10:7 ब्यवस्था 30:13 (कि ओह मसीह ला मरे म ले जियाके ऊपर लानय)। 8पर ओम ए घलो लिखाय हवय: “परमेसर के बचन ह तोर लकठा म हवय; एह तोर मुहूं म अऊ तोर हिरदय म हवय।”10:8 ब्यवस्था 30:14 एह ओही बिसवास के बचन अय, जेकर परचार हमन करथन। 9यदि तेंह अपन मुहूं ले कबूल करथस कि यीसू ह परभू अय अऊ अपन हिरदय म बिसवास करथस कि परमेसर ह ओला मरे म ले जियाईस, त तेंह उद्धार पाबे। 10काबरकि मनखे ह अपन हिरदय म बिसवास करे के दुवारा परमेसर के नजर म सही ठहिरथे अऊ मुहूं ले कबूल करे के दुवारा उद्धार पाथे। 11परमेसर के बचन ह ए कहिथे, “जऊन कोनो ओकर (यीसू) ऊपर बिसवास करही, ओला लज्‍जित होय बर नइं पड़ही।”10:11 यसायाह 28:16 12यहूदी अऊ आनजात म कोनो फरक नइं ए। ओही परभू ह जम्मो झन के परभू अय, अऊ ओह ओमन ला बहुंते आसिस देथे, जऊन मन ओकर नांव लेथें, 13काबरकि “हर ओ मनखे जऊन ह परभू के नांव लेथे, ओह उद्धार पाही।”10:13 योएल 2:32

14पर जब ओमन ओकर ऊपर बिसवास नइं करे हवंय, त ओकर नांव कइसने ले सकथें? अऊ ओमन ओकर ऊपर कइसने बिसवास कर सकथें, जब ओमन ओकर बारे म कभू नइं सुने हवंय? अऊ ओमन ओकर बारे म कइसने सुनंय, जब तक कि कोनो ओमन ला नइं बतावय? 15अऊ ओमन ओकर परचार कइसने कर सकथें, जब तक ओमन ला पठोय नइं जावय? जइसने कि परमेसर के बचन म लिखे हवय, “कतेक सुघर होथे ओमन के अवई ह, जऊन मन सुघर संदेस लेके आथें।”10:15 यसायाह 52:7

16पर जम्मो इसरायलीमन सुघर संदेस ला नइं मानिन। यसायाह अगमजानी ह कहे हवय, “हे परभू! कोन ह हमर संदेस ऊपर बिसवास करिस?”10:16 यसायाह 53:1 17बिसवास ह संदेस के सुने ले होथे, अऊ संदेस के सुनई ह मसीह के बचन ले होथे। 18पर मेंह पुछत हंव – का ओमन नइं सुनिन? ओमन जरूर सुनिन; काबरकि परमेसर के बचन म लिखे हवय:

“ओमन के अवाज ह जम्मो धरती म,

अऊ ओमन के बचन ह संसार के छोर तक हबर गे हवय।”10:18 भजन-संहिता 19:4

19मेंह फेर पुछत हंव – का इसरायलीमन नइं समझिन? पहिली मूसा ह कहिस,

“जऊन मन जाति नो हंय, ओमन के दुवारा मेंह तुमन म जलन पैदा करहूं,

एक मुरुख जाति के दुवारा, मेंह तुमन म कोरोध पैदा करहूं।”10:19 ब्यवस्था 32:21

20यसायाह अगमजानी ह बहुंत हिम्मत के संग कहिथे,

“जऊन मन मोला नइं खोजत रिहिन,

ओमन मोला पा गीन,

अऊ जऊन मन मोर बारे म पुछत घलो नइं रिहिन,

ओमन ऊपर मेंह अपन-आप ला परगट करेंव।”10:20 यसायाह 65:1

21पर इसरायलीमन के बारे म, ओह कहिथे,

“मेंह दिन भर अइसने मनखेमन कोति अपन हांथ ला ओमन के सुवागत खातिर पसारे रहेंव,

जऊन मन हुकूम मनइया नो हंय अऊ ढीठ अंय।”10:21 यसायाह 65:2