رؤيا يوحنا 19 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

رؤيا يوحنا 19:1-21

هللويا، سقطت بابل

1وَبَعْدَ هَذَا سَمِعْتُ صَوْتاً عَالِياً كَأَنَّهُ صَادِرٌ مِنْ جَمْعٍ كَبِيرٍ فِي السَّمَاءِ يَقُولُ: «هَلِّلُويَا! الْخَلاصُ وَالْمَجْدُ وَالْكَرَامَةُ وَالْقُدْرَةُ لِلرَّبِّ إِلَهِنَا 2فَإِنَّ أَحْكَامَهُ حَقٌّ وَعَدْلٌ، لأَنَّهُ عَاقَبَ الزَّانِيَةَ الْكُبْرَى الَّتِي أَفْسَدَتِ الأَرْضَ، وَانْتَقَمَ لِدَمِ عَبِيدِهِ مِنْهَا». 3وَهَتَفُوا ثَانِيَةً: «هَلِّلُويَا! دُخَانُ حَرِيقِهَا يَتَصَاعَدُ إِلَى أَبَدِ الآبِدِينَ!» 4وَجَثَا الشُّيُوخُ الأَرْبَعَةُ وَالْعِشْرُونَ وَالْكَائِنَاتُ الْحَيَّةُ الأَرْبَعَةُ سُجُوداً لِلهِ الْجَالِسِ عَلَى الْعَرْشِ، وَهَتَفُوا: «آمِينَ! هَلِّلُويَا!» 5وَخَرَجَ مِنَ الْعَرْشِ صَوْتٌ يَقُولُ: «سَبِّحُوا إِلهَنَا يَا جَمِيعَ عَبِيدِهِ الَّذِينَ يَتَّقُونَهُ صِغَاراً وَكِبَاراً!» 6ثُمَّ سَمِعْتُ صَوْتاً كَأَنَّهُ صَوْتُ جَمْعٍ كَبِيرٍ أَوْ شَلّالٍ غَزِيرٍ أَوْ رَعْدٍ شَدِيدٍ، يَقُولُ: «هَلِّلُويَا! فَإِنَّ الرَّبَّ الإِلهَ الْقَادِرَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدْ مَلَكَ، 7لِنَفْرَحْ وَنَبْتَهِجْ وَنُمَجِّدْهُ، فَإِنَّ عُرْسَ الْحَمَلِ قَدْ حَانَ مَوْعِدُهُ، وَعَرُوسَهُ قَدْ هَيَّأَتْ نَفْسَهَا، 8وَوُهِبَ لَهَا أَنْ تَلْبَسَ الكَتَّانَ الأَبْيَضَ النَّاصِعَ!» وَالْكَتَّانُ يَرْمِزُ إِلَى أَعْمَالِ الصَّلاحِ الَّتِي قَامَ بِها الْقِدِّيسُونَ.

9وَأَمْلَى عَلَيَّ الْمَلاكُ أَنْ أَكْتُبَ: «طُوبَى لِلْمَدْعُوِّينَ إِلَى وَلِيمَةِ عُرْسِ الْحَمَلِ». ثُمَّ قَالَ: «اللهُ نَفْسُهُ يَقُولُ هَذَا الْقَوْلَ الْحَقَّ». 10فَجَثَوْتُ عِنْدَ قَدَمَيْهِ لأَسْجُدَ لَهُ، فَقَالَ لِي: «لا تَفْعَلْ! إِنِّي عَبْدٌ لِلهِ، مِثْلُكَ وَمِثْلُ إِخْوَتِكَ الْمُؤْمِنِينَ الَّذِينَ لَدَيْهِمِ الشَّهَادَةُ الْمُخْتَصَّةُ بِيَسُوعَ: لِلهِ اسْجُدْ! فَإِنَّ الشَّهَادَةَ الْمخْتَصَّةَ بِيَسُوعَ هِيَ رُوحُ النُّبُوءَةِ».

الراكب على الحصان الأبيض

11ثُمَّ رَأَيْتُ السَّمَاءَ مَفْتُوحَةً، وَإذَا حِصَانٌ أَبْيَضُ يُسَمَّى رَاكِبُهُ «الأَمِينَ الصَّادِقَ» الَّذِي يَقْضِي وَيُحَارِبُ بِالْعَدْلِ. 12عَيْنَاهُ كَلَهِيبِ نَارٍ، وَعَلَى رَأْسِهِ أَكَالِيلُ كَثِيرَةٌ، وَقَدْ كُتِبَ عَلَى جَبْهَتِهِ اسْمٌ لَا يَعْرِفُهُ أَحَدٌ إِلّا هُوَ. 13وَكَانَ يَرْتَدِي ثَوْباً مُغَمَّساً بِالدَّمِ؛ أَمَّا اسْمُهُ فَهُوَ «كَلِمَةُ اللهِ» 14وَكَانَ الأَجْنَادُ الَّذِينَ فِي السَّمَاءِ يَتْبَعُونَهُ رَاكِبِينَ خُيُولاً بَيْضَاءَ، وَلابِسِينَ كَتَّاناً نَقِيًّا نَاصِعَ الْبَيَاضِ، 15وَكَانَ يَخْرُجُ مِنْ فَمِهِ سَيْفٌ حَادٌّ لِيَضْرِبَ بِهِ الأُمَمَ وَيَحْكُمَهُمْ بِعَصاً مِنْ حَدِيدٍ، وَيَدُوسَهُمْ فِي مِعْصَرَةِ شِدَّةِ غَضَبِ اللهِ الْقَادِرِ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ. 16وَقَدْ كُتِبَ عَلَى ثَوْبِهِ وَعَلَى فَخْذِهِ «مَلِكُ الْمُلُوكِ وَرَبُّ الأَرْبَابِ».

17ثُمَّ رَأَيْتُ مَلاكاً وَاقِفاً فِي الشَّمْسِ، يُنَادِي الطُّيُورَ الطَّائِرَةَ فِي وَسَطِ السَّمَاءِ بِصَوْتٍ عَالٍ قَائِلاً: «هَلُمِّي اجْتَمِعِي مَعاً إِلَى وَلِيمَةِ اللهِ الْكُبْرَى! 18تَعَالَيْ وَالْتَهِمِي لُحُومَ الْمُلُوكِ وَالْقَادَةِ وَالأَبْطَالِ، وَالْخُيُولِ وَفُرْسَانِهَا، وَلُحُومَ الْبَشَرِ جَمِيعاً مِنْ أَحْرَارٍ وَعَبِيدٍ، وَصِغَارٍ وَكِبَارٍ».

19وَرَأَيْتُ الْوَحْشَ وَمُلُوكَ الأَرْضِ وَجُيُوشَهُمْ وَقَدِ احْتَشَدُوا لِيُحَارِبُوا هَذَا الْفَارِسَ وَجَيْشَهُ. 20فَقُبِضَ عَلَى الْوَحْشِ وَعَلَى النَّبِيِّ الدَّجَّالِ الَّذِي قَامَ بِالْمُعْجِزَاتِ فِي حُضُورِ الْوَحْشِ وَأَضَلَّ بِها الَّذِينَ قَبِلُوا عَلامَةَ الْوَحْشِ، وَسَجَدُوا لِتِمْثَالِهِ. وَطُرِحَ كِلاهُمَا حَيًّا فِي بُحَيْرَةِ النَّارِ وَالْكِبْرِيتِ الْمُتَّقِدَةِ، 21وَقَتَلَ السَّيْفُ الْخَارِجُ مِنْ فَمِ الْفَارِسِ جَمِيعَ الْبَاقِينَ، وَشَبِعَتِ الطُّيُورُ كُلُّهَا مِنْ لُحُومِهِمْ.

Hindi Contemporary Version

प्रकाशन 19:1-21

स्वर्ग में विजय का यशगान

1इसके बाद मुझे स्वर्ग से एक ऐसी आवाज सुनाई दी मानो एक बड़ी भीड़ ऊंचे शब्द में कह रही हो:

“हाल्लेलूयाह!

उद्धार, महिमा और सामर्थ्य हमारे परमेश्वर की हैं,

2क्योंकि सही और धर्मी हैं उनके निर्णय.

क्योंकि दंड दिया है उन्होंने उस कुख्यात व्यभिचारिणी को,

जो अपने वेश्यागामी से पृथ्वी को भ्रष्‍ट करती रही है.

उन्होंने उससे अपने दासों के लहू का बदला लिया.”

3उनका शब्द दोबारा सुनाई दिया:

“हाल्लेलूयाह!

उसे भस्म करती ज्वाला का धुआं हमेशा उठता रहेगा.”

4वे चौबीसों प्राचीन तथा चारों जीवित प्राणी परमेश्वर के सामने, जो सिंहासन पर विराजमान हैं, दंडवत ओर वंदना करते हुए कहने लगे:

“आमेन, हाल्लेलूयाह!”

5तब सिंहासन से एक शब्द सुनाई दिया:

“तुम सब, जो परमेश्वर के दास हो,

तुम सब, जो उनके श्रद्धालु हो,

साधारण या विशेष,

परमेश्वर की स्तुति करो.”

6तब मुझे बड़ी भीड़ का शब्द तेज लहरों तथा बादलों की गर्जन की आवाज के समान यह कहता सुनाई दिया:

“हाल्लेलूयाह!

प्रभु हमारे परमेश्वर, जो सर्वशक्तिमान हैं, राज्य-कर रहे हैं.

7आओ, हम आनंद मनाएं, मगन हों

और उनकी महिमा करें!

क्योंकि मेमने के विवाहोत्सव का समय आ गया है,

और उसकी वधू ने स्वयं को सजा लिया है.

8उसे उत्तम मलमल के उज्जवल तथा स्वच्छ वस्त्र,

धारण करने की आज्ञा दी गई.”

(यह उत्तम मलमल है पवित्र लोगों के धर्मी काम.)

9तब स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, “लिखो: ‘धन्य हैं वे, जो मेमने के विवाह-भोज में आमंत्रित हैं!’ ” तब उसने यह भी कहा, “परमेश्वर के द्वारा भेजा गया-यह संदेश सच है.”

10इसलिये मैं उस स्वर्गदूत को दंडवत करने उसके चरणों में गिर पड़ा किंतु उसने मुझसे कहा, “मेरी वंदना न करो! मैं तो तुम्हारे और तुम्हारे भाई बहनों के समान ही, जो मसीह येशु के गवाह हैं, दास हूं. दंडवत परमेश्वर को करो! क्योंकि मसीह येशु के विषय का प्रचार ही भविष्यवाणी का आधार है.”

घुड़सवार सफ़ेद घोड़े पर

11तब मैंने स्वर्ग खुला हुआ देखा. वहां मेरे सामने एक घोड़ा था. उसका रंग सफ़ेद था तथा जो उस पर सवार है, वह विश्वासयोग्य और सत्य कहलाता है. वह धार्मिकता में न्याय और युद्ध करता है. 12उसकी आंखें अग्नि की ज्वाला हैं, उसके सिर पर अनेक मुकुट हैं तथा उसके शरीर पर एक नाम लिखा है, जो उसके अलावा दूसरे किसी को मालूम नहीं. 13वह लहू में डुबाया हुआ वस्त्र धारण किए हुए है और उसका नाम है परमेश्वर का शब्द. 14स्वर्ग की सेनाएं उत्तम मलमल के सफ़ेद तथा स्वच्छ वस्त्रों में सफ़ेद घोड़े पर उसके पीछे-पीछे चल रही थी. 15उसके मुंह से एक तेज तलवार निकली कि वह उससे राष्ट्रों का विनाश करे. वह लोहे के राजदंड से उन पर राज्य करेगा.19:15 स्तोत्र 2:9 वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के क्रोध की जलजलाहट के दाखरस का रसकुंड रौंदेगा. 16उसके वस्त्र और उसकी जांघ पर जो नाम लिखा है, वह यह है:

राजाओं का राजा, प्रभुओं का प्रभु.

17तब मैंने एक स्वर्गदूत को सूर्य में खड़ा हुआ देखा, जिसने ऊंचे आकाश में उड़ते हुए पक्षियों को संबोधित करते हुए कहा, “आओ, प्रभु के आलीशान भोज के लिए इकट्ठा हो जाओ 18कि तुम राजाओं, सेनापतियों, शक्तिशाली मनुष्यों, घोड़ों, घुड़सवारों तथा सब मनुष्यों का—स्वतंत्र या दास, साधारण या विशेष, सबका मांस खाओ.”

19तब मैंने देखा कि हिंसक पशु तथा पृथ्वी के राजा और उनकी सेनाएं उससे, जो घोड़े पर बैठा है तथा उसकी सेना से युद्ध करने के लिए इकट्ठा हो रही हैं. 20तब उस हिंसक पशु को पकड़ लिया गया. उसके साथ ही उस झूठे भविष्यवक्ता को भी, जो उस पशु के नाम में चमत्कार चिह्न दिखाकर उन्हें छल रहा था, जिन पर उस हिंसक पशु की मुहर छपी थी तथा जो उसकी मूर्ति की पूजा करते थे. इन दोनों को जीवित ही गंधक से धधकती झील में फेंक दिया गया. 21शेष का संहार उस घुड़सवार के मुंह से निकली हुई तलवार से कर दिया गया तथा सभी पक्षियों ने ठूंस-ठूंस कर उनका मांस खाया.