حزقيال 34 – NAV & HCV

New Arabic Version

حزقيال 34:1-31

الرب سيرعى إسرائيل

1وَأَوْحَى إِلَيَّ الرَّبُّ بِكَلِمَتِهِ قَائِلاً: 2«يَا ابْنَ آدَمَ، تَنَبَّأْ عَلَى رُعَاةِ إِسْرَائِيلَ وَقُلْ لَهُمْ: هَذَا مَا يُعْلِنُهُ لَهُمُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: وَيْلٌ لِرُعَاةِ إِسْرَائِيلَ الَّذِينَ كَانُوا مُنْهَمِكِينَ فِي رِعَايَةِ أَنْفُسِهِمْ. أَلَيْسَ مِنْ شَأْنِ الرُّعَاةِ رِعَايَةُ الْغَنَمِ؟ 3إِنَّمَا أَنْتُمْ تَأْكُلُونَ الشَّحْمَ، وَتَرْتَدُونَ الصُّوفَ، وَتَذْبَحُونَ الْخَرُوفَ السَّمِينَ، وَلا تَرْعَوْنَ الْغَنَمَ. 4فَالْمَرِيضُ لَمْ تُقَوُّوهُ، وَالْمَجْرُوحُ لَمْ تَعْصِبُوهُ، وَالْمَكْسُورُ لَمْ تَجْبُرُوهُ، وَالْمَطْرُودُ لَمْ تَسَتَرْجِعُوهُ، وَالضَّالُّ لَمْ تَبْحَثُوا عَنْهُ، بَلْ تَسَلَّطْتُمْ عَلَيْهِمْ بِقَسْوَةٍ وَعُنْفٍ. 5فَتَشَتَّتَتِ الرَّعِيَّةُ وَأَضْحَتْ بِلا رَاعٍ، وَصَارَتْ قُوتاً لِجَمِيعِ وُحُوشِ الْبَرِّيَّةِ. 6ضَلَّتْ غَنَمِي بَيْنَ الْجِبَالِ وَفَوْقَ كُلِّ أَكَمَةٍ مُرْتَفِعَةٍ. تَبَدَّدَتْ غَنَمِي فِي الْعَرَاءِ وَلَمْ يُوْجَدْ مَنْ يَنْشُدُهَا أَوْ يَلْتَمِسُهَا.

7لِذَلِكَ اسْمَعُوا أَيُّهَا الرُّعَاةُ كَلامَ الرَّبِّ: 8حَيٌّ أَنَا يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ، لأَنَّ غَنَمِي بَاتَتْ غَنِيمَةً وَصَارَتْ قُوتاً لِكُلِّ وَحْشِ الْبَرِّيَّةِ، إِذْ لَمْ يَكُنْ هُنَاكَ رَاعٍ وَلا سَأَلَ رُعَاتِي عَنْ غَنَمِي، بَلِ انْهَمَكُوا فِي رِعَايَةِ أَنْفُسِهِمْ وَأَهْمَلُوا غَنَمِي، 9لِذَلِكَ، اسْمَعُوا أَيُّهَا الرُّعَاةُ كَلامَ الرَّبِّ: 10هَا أَنَا أَنْقَلِبُ عَلَى الرُّعَاةِ وَأُطَالِبُهُمْ بِغَنَمِي، وَأَعْزِلُهُمْ عَنْ رِعَايَتِهَا، فَلا يَرْعَوْنَ حَتَّى أَنْفُسَهُمْ بَعْدُ. وَأُنْقِذُ غَنَمِي مِنْ أَفْوَاهِهِم فَلا تَكُونُ لَهُمْ مَأْكَلاً. 11لأَنَّ هَذَا مَا يُعْلِنُهُ السَّيِّدُ الرَّبُّ: هَا أَنَا أَبْحَثُ عَنْ غَنَمِي وَأَفْتَقِدُهَا. 12وَكَمَا يَتَفَقَّدُ الرَّاعِي قَطِيعَهُ فِي الْيَوْمِ الَّذِي يَكُونُ فِيهِ بَيْنَ غَنَمِهِ الْمُشَتَّتَةِ، هَكَذَا أَتَفَقَّدُ قَطِيعِي وَأُخَلِّصُهُ مِنْ كُلِّ الأَمَاكِنِ الَّتِي تَفَرَّقَ إِلَيْهَا فِي يَوْمٍ غَائِمٍ كَئِيبٍ. 13وَأُخْرِجُهُ مِنْ بَيْنِ الشُّعُوبِ وَأَجْمَعُهُ مِنَ الْبُلْدَانِ، وَأَرُدُّهُ إِلَى أَرْضِهِ، حَيْثُ أَرْعَاهُ عَلَى جِبَالِ إِسْرَائِيلَ وَفِي الأَوْدِيَةِ وَفِي جَمِيعِ أَمَاكِنِ الأَرْضِ الآهِلَةِ. 14وَأَرْعَاهُ فِي مُرُوجٍ خَصِيبَةٍ، وَتَكُونُ جِبَالُ إِسْرَائِيلَ الشَّاهِقَةُ مَرَاعِيَ رَائِعَةً يُرْبِضُونَ فِي مَرَاحِهَا الطَّيِّبِ، وَيَرْعَوْنَ فِي مَرَاعٍ خَصِيبَةٍ عَلَى جِبَالِ إِسْرَائِيلَ. 15أَنَا أَرْعَى غَنَمِي وَأُرْبِضُهَا يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ، 16وَأَطْلُبُ الضَّالَّ وَأَسْتَرْجِعُ الْمَطْرُودَ وَأَجْبُرُ الْكَسِيرَ وَأَعْصِبُ الْجَرِيحَ وَأَسْتَأْصِلُ السَّمِينَ وَالْقَوِيَّ، وَأَرْعَاهَا بِعَدْلٍ. 17أَمَّا أَنْتُمْ يَا غَنَمِي فَهَا أَنَا أَقْضِي بَيْنَ شَاةٍ وَشَاةٍ، وَبَيْنَ كِبَاشٍ وَتُيُوسٍ. 18أَتَحْسُبُونَ أَنَّهُ أَمْرٌ تَافِهٌ أَنْ تَرْعَوْا فِي الْمَرْعَى الْخَصِيبِ وَتَدُوسُوا بِأَرْجُلِكُمْ بَقِيَّةَ الْمَرَاعِي؟ وَأَنْ تَشْرَبُوا مِنَ الْمِيَاهِ الصَّافِيَةِ وَتُعَكِّرُوا بَقِيَّتَهَا بِأَقْدَامِكُمْ؟ 19فَيَتَحَتَّمَ عَلَى غَنَمِي أَنْ تَرْعَى مَا دَاسَتْهُ أَقْدَامُكُمْ وَتَشْرَبَ مَا كَدَّرَتْهُ أَرْجُلُكُمْ.

20لِذَلِكَ هَا أَنَا أَقْضِي بَيْنَ الشَّاةِ السَّمِينَةِ وَالشَّاةِ الْهَزِيلَةِ، 21لأَنَّكُمْ دَفَعْتُمْ بِالْجَنْبِ وَالْكَتِفِ الشَّاةَ الْمَرِيضَةَ وَنَطَحْتُمُوهَا بِقُرُونِكُمْ حَتَّى شَتَّتُّمُوهَا إِلَى خَارِجٍ. 22وَلَكِنِّي أُنْقِذُ غَنَمِي فَلا تَكُونُ مِنْ بَعْدُ غَنِيمَةً، وَأَقْضِي بَيْنَ شَاةٍ وَشَاةٍ، 23وَأَنْصِبُ عَلَيْهَا رَاعِياً وَاحِداً عَبْدِي دَاوُدَ يَرْعَاهَا بِنَفْسِهِ وَيَكُونُ لَهَا رَاعِياً أَمِيناً. 24وَأَنَا الرَّبُّ أَكُونُ لَهُمْ إِلَهاً، وَعَبْدِي دَاُودُ يَكُونُ لَهُمْ رَئِيساً. أَنَا الرَّبُّ تَكَلَّمْتُ. 25وَأُبْرِمُ مَعَهُمْ مِيثَاقَ سَلامٍ، وَأَقْضِي عَلَى الْوُحُوشِ الضَّارِيَةِ فِي الأَرْضِ فَيُقِيمُونَ فِي الصَّحْرَاءِ آمِنِينَ، وَيَنَامُونَ فِي الْغَابَاتِ مُطْمَئِنِّينَ. 26وَأَجْعَلُهُمْ مَعَ مَا يُحِيطُ بِأَكَمَتِي بَرَكَةً، وَأَسْكُبُ عَلَيْهِمِ الْمَطَرَ فِي أَوَانِهِ، فَتَكُونُ أَمْطَارَ بَرَكَةٍ. 27وَتُثْمِرُ شَجَرَةُ الْحَقْلِ، وَتُنْتِجُ الأَرْضُ غَلَّتَهَا، وَيَكُونُونَ آمِنِينَ فِي دِيَارِهِمْ، وَيُدْرِكُونَ عِنْدَمَا أُحَطِّمُ نِيرَهُمْ وَأُنْقِذُهُمْ مِنْ قَبْضَةِ مُسْتَعْبِدِيهِمْ أَنِّي أَنَا الرَّبُّ. 28فَلا يَكُونُونَ بَعْدُ غَنِيمَةً لِلأُمَمِ، وَلا يَفْتَرِسُهُمْ وَحْشُ الأَرْضِ، بَلْ يَسْكُنُونَ آمِنِينَ لَا يُفْزِعُهُمْ أَحَدٌ. 29وَأُقِيمُ لَهُمْ مَغْرَساً ذَائِعَ الصِّيتِ، فَلا يَكُونُونَ بَعْدُ ضَحَايَا مَجَاعَةٍ فِي الأَرْضِ، وَلا يَتَحَمَّلُونَ بَعْدُ مَشَقَّةَ تَعْيِيرِ الأُمَمِ، 30فَيُدْرِكُونَ أَنِّي أَنَا الرَّبُّ إِلَهُهُمْ مَعَهُمْ، وَأَنَّهُمْ شَعْبِي بَيْتُ إِسْرَائِيلَ، يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ. 31وَأَنْتُمْ يَا قَطِيعِي غَنَمَ مَرْعَايَ، أَنْتُمْ بَشَرٌ وَأَنَا إِلَهُكُمْ يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ».

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 34:1-31

याहवेह इस्राएल का चरवाहा

1याहवेह का वचन मेरे पास आया: 2“हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के चरवाहों के विरुद्ध भविष्यवाणी करो; भविष्यवाणी करके कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: धिक्कार है तुम पर, हे इस्राएल के चरवाहों, जो सिर्फ अपना ही ध्यान रखते हो! क्या चरवाहों को झुंड का ध्यान नहीं रखना चाहिये? 3तुम दही खाते हो, ऊनी कपड़े पहनते हो और खाने के लिये चुनकर पशुओं को काटते हो, पर तुम झुंड का ध्यान नहीं रखते हो. 4तुमने कमजोर को बलवान नहीं किया, बीमार को चंगा नहीं किया या घायल की मरहम पट्टी नहीं किया. तुम भटके हुओं को सही रास्ते पर नहीं लाए या खोये हुओं को नहीं ढूंढ़े. तुमने उन पर कठोरता और निर्दयता से शासन किया है. 5इसलिये वे तितर-बितर हो गये, क्योंकि उनका कोई चरवाहा न था, और जब वे तितर-बितर हो गये, तो वे सब जंगली पशुओं का आहार बन गये. 6मेरी भेड़ें सब पहाड़ों और ऊंचे पठारों पर भटकती रहीं. वे सारी पृथ्वी पर तितर-बितर हो गईं, और किसी ने भी उनको नहीं ढूंढ़ा या उनकी सुधि नहीं ली.

7“ ‘इसलिये हे चरवाहों, याहवेह की बात सुनो: 8परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, क्योंकि मेरे झुंड का कोई चरवाहा नहीं है और इसलिये उसे लूटा गया है और वह सब जंगली पशुओं का आहार बन गया है, और क्योंकि मेरे चरवाहों ने मेरे झुंड की खोज नहीं की और मेरे झुंड पर ध्यान देने के बदले अपने आप पर ध्यान दिया, 9इसलिये हे चरवाहों, तुम याहवेह की बात सुनो: 10परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं चरवाहों के विरुद्ध हूं और मैं उनसे अपने झुंड का लेखा लूंगा. मैं उनको झुंड को चराने के काम से हटा दूंगा ताकि चरवाहे फिर अपना भरण-पोषण न कर सकें. मैं उनके मुंह से अपने झुंड को छुड़ाऊंगा, और वे फिर उनका आहार नहीं होंगे.

11“ ‘क्योंकि परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं स्वयं अपनी भेड़ों को खोजूंगा और उनकी देखभाल करूंगा. 12जिस प्रकार एक चरवाहा अपने बिखरे हुए झुंड की देखभाल करता है, जब वह उनके साथ होता है, उस प्रकार मैं भी अपने भेड़ों की देखभाल करूंगा. मैं उन्हें उन सब जगहों से बचाऊंगा, जहां वे बादलों और अंधकार से घिरे दिन में तितर-बितर हो गये थे. 13मैं उन्हें जाति-जाति के लोगों बीच से निकालकर लाऊंगा और देश-देश से उन्हें इकट्ठा करूंगा, और मैं उन्हें उनके स्वयं के देश में ले आऊंगा. मैं उन्हें इस्राएल के पर्वतों पर, घाटियों में और देश के उन सारे जगहों में चराऊंगा, जहां लोग बसे हुए हैं. 14मैं उन्हें अच्छे चरागाह में चराऊंगा, और इस्राएल के पर्वत की ऊंचाइयां उनके चरने के स्थान होंगे. वहां वे अच्छे चरने की जगह पर लेटेंगे, और वहां वे इस्राएल के पर्वतों पर एक अच्छे चरागाह में चरेंगे. 15मैं स्वयं अपनी भेड़ों को चराऊंगा और उन्हें आराम कराऊंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. 16मैं खोए हुओं को खोजूंगा और भटके हुओं को वापस ले आऊंगा. मैं घायलों की मरहम पट्टी करूंगा और जो कमजोर हैं, उन्हें बलवान बनाऊंगा, पर जो चिकने और पुष्ट हैं, उन्हें नष्ट कर दूंगा. मैं न्याय के साथ झुंड की देखभाल करूंगा.

17“ ‘जहां तक तुम्हारा सवाल है, हे मेरे झुंड, परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं एक भेड़ और दूसरी भेड़ के बीच, और मेढ़ों और बकरों-बकरियों के बीच न्याय करूंगा. 18क्या तुम्हारे लिये यह पर्याप्‍त नहीं है कि तुम अच्छे चरागाह में चरो? क्या ज़रूरी है कि अपने बचे हुए चरागाह को अपने पैरों से रौंदो? क्या साफ पानी पीना तुम्हारे लिये पर्याप्‍त नहीं है? क्या ज़रूरी है कि बाकी को अपने पैरों से गंदा करो? 19क्या ज़रूरी है कि मेरा झुंड उसमें से खाएं, जिसे तुमने रौंद दिया है और उसमें से पिए जिसे तुमने अपने पैरों से गंदा कर दिया है?

20“ ‘इसलिये परम प्रधान याहवेह का उनसे यह कहना है: देखो, मैं स्वयं मोटी भेड़ और पतली भेड़ के बीच न्याय करूंगा. 21क्योंकि तुम सब दुर्बल भेड़ों को अपने बाजू और अपने कंधों से तब तक ढकेलते और उन्हें सींग मारते हो, जब तक कि वे दूर नहीं चले जाते, 22मैं अपनी भेड़ों को बचाऊंगा, और उन्हें फिर लूटा नहीं जाएगा. मैं एक भेड़ और दूसरी भेड़ के बीच न्याय करूंगा. 23मैं उनके ऊपर एक चरवाहा, अपने सेवक दावीद को ठहराऊंगा, और वह उनको चराएगा; वह उनको चराएगा और उनका चरवाहा होगा. 24मैं याहवेह उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और मेरा सेवक दावीद उनके बीच राजकुमार होगा. मैं याहवेह ने कहा है.

25“ ‘मैं उनके साथ शांति की एक वाचा बांधूंगा और देश को दुष्ट पशुओं से छुटकारा दूंगा, ताकि वे निर्जन प्रदेश में सुरक्षित रहें और जंगलों में चैन से सोएं. 26मैं उन्हें तथा मेरी पहाड़ी के आस-पास के जगहों को आशीष का कारण बनाऊंगा.34:26 उत्प 48:20 मैं समय पर बारिश भेजूंगा; वहां आशीष की बारिश होगी. 27पेड़ों में फल लगेंगे और भूमि अपना उपज देगी; लोग अपने देश में सुरक्षित रहेंगे. जब मैं उनके जूए को तोड़ूंगा और उन्हें उन लोगों के हाथों से छुड़ाऊंगा, जिन्होंने उन्हें गुलाम बना लिया है, तब वे जानेंगे कि मैं याहवेह हूं. 28वे जाति-जाति के लोगों के द्वारा फिर लूटे नहीं जाएंगे, और न ही जंगली जानवर उन्हें फाड़ खाएंगे. वे सुरक्षित रहेंगे, और उन्हें कोई नहीं डराएगा. 29मैं उन्हें एक ऐसा देश दूंगा, जो अपने फसल के लिये जाना जाता है, और वे देश में फिर अकाल से पीड़ित न होंगे या जाति-जाति के लोग उन्हें अपमानित नहीं करेंगे. 30तब वे जानेंगे कि मैं, याहवेह उनका परमेश्वर उनके साथ हूं और यह भी कि वे, इस्राएली मेरे लोग हैं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. 31तुम मेरी भेड़ें हो, मेरे चरागाह की भेड़ें, और मैं तुम्हारा परमेश्वर हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’ ”