تيموثاوس الثانية 2 – NAV & HCV

New Arabic Version

تيموثاوس الثانية 2:1-26

تجديد الدعوة

1وَأَنْتَ يَا وَلَدِي، فَكُنْ قَوِيًّا فِي النِّعْمَةِ الَّتِي فِي الْمَسِيحِ يَسُوعَ. 2وَالتَّعَالِيمُ الَّتِي سَمِعْتَهَا مِنِّي بِحُضُورِ شُهُودٍ عَدِيدِينَ، أَوْدِعْهَا أَمَانَةً بَيْنَ أَيْدِي أُنَاسٍ جَدِيرِينَ بِالثِّقَةِ، يَكُونُونَ قَادِرِينَ عَلَى تَعْلِيمِ الآخَرِينَ. 3شَارِكْ فِي احْتِمَالِ الآلامِ كَجُنْدِيٍّ صَالِحٍ لِلْمَسِيحِ يَسُوعَ. 4وَمَا مِنْ مُجَنَّدٍ يُرْبِكُ نَفْسَهُ بِشُؤُونِ الْحَيَاةِ إِذَا رَغِبَ فِي إِرضَاءِ مَنْ جَنَّدَهُ. 5كَمَا أَنَّ الْمُصَارِعَ لَا يَفُوزُ بِالإِكْلِيلِ إِلَّا إِذَا صَارَعَ بِحَسَبِ الْقَوَانِينِ. 6كَذَلِكَ الْفَلَّاحُ الَّذِي يَشْتَغِلُ بِجِدٍّ يَجِبُ أَنْ يَكُونَ أَوَّلَ مَنْ يَنَالُ حِصَّتَهُ مِنَ الْغَلَّةِ.

7فَكِّرْ فِي مَا أَقُولُهُ، فَإِنَّ الرَّبَّ سَيَهَبُكَ فَهْماً فِي كُلِّ شَيْءٍ. 8اذْكُرْ يَسُوعَ الْمَسِيحَ الَّذِي أُقِيمَ مِنَ الْمَوْتِ، وَهُوَ مِنْ نَسْلِ دَاوُدَ، كَمَا أُعْلِنُهُ فِي الإِنْجِيلِ 9الَّذِي لأَجْلِ التَّبْشِيرِ بِهِ أُقَاسِي حَتَّى الْقُيُودَ كَأَنِّي فَاعِلُ شَرٍّ. إِلَّا أَنَّ كَلِمَةَ اللهِ لَا تُكَبِّلُهَا الْقُيُودُ. 10لِهَذَا السَّبَبِ أَحْتَمِلُ كُلَّ شَيْءٍ بِصَبْرٍ لأَجْلِ الَّذِينَ اخْتَارَهُمُ اللهُ، لِكَيْ يَحْصُلُوا، هُمْ أَيْضاً، عَلَى الْخَلاصِ الَّذِي فِي الْمَسِيحِ يَسُوعَ مَعَ الْمَجْدِ الأَبَدِيِّ. 11وَمَا أَصْدَقَ الْقَوْلَ: «إِنْ كُنَّا قَدْ مُتْنَا مَعَهُ، فَسَوْفَ نَحْيَا أَيْضاً مَعَهُ؛ 12إِنْ تَحَمَّلْنَا الآلامَ، فَسَوْفَ نَمْلِكُ أَيْضاً مَعَهُ؛ إِنْ أَنْكَرْنَاهُ، فَسَوْفَ يُنْكِرُنَا أَيْضاً؛ 13إِنْ تَخَلَّيْنَا عَنْ أَمَانَتِنَا، فَهُوَ يَبْقَى عَلَى أَمَانَتِهِ، إِذْ لَا يُمْكِنُ أَنْ يَتَنَكَّرَ لِذَاتِهِ!»

التعامل مع المعلمين الكذبة

14بِهذِهِ الأُمُورِ ذَكِّرْ، شَاهِداً فِي حَضْرَةِ اللهِ أَنْ لَا تَنْشَأَ الْمُجَادَلاتُ الْكَلامِيَّةُ، وَهِيَ لَا تَنْفَعُ شَيْئاً، غَيْرَ تَخْرِيبِ سَامِعِيهَا. 15اجْتَهِدْ أَنْ تُقَدِّمَ نَفْسَكَ لِلهِ فَائِزاً فِي الامْتِحَانِ، عَامِلاً لَيْسَ عَلَيْهِ مَا يَدْعُو لِلْخَجَلِ، مُفَصِّلاً كَلِمَةَ الْحَقِّ بِاسْتِقَامَةٍ. 16أَمَّا الأَحَادِيثُ الْبَاطِلَةُ الدَّنِسَةُ، فَتَجَنَّبْهَا؛ فَإِنَّ الْمُنْصَرِفِينَ إِلَيْهَا يَتَقَدَّمُونَ إِلَى فُجُورٍ أَفْظَعَ، 17وَكَلامُهُمْ يَنْهَشُ كَالآكِلَةِ، وَمِنْهُمْ هِيمِنَايُوسُ وَفِيلِيتُوسُ، 18اللَّذَانِ زَاغَا عَنِ الْحَقِّ؛ إِذْ يَزْعُمَانِ أَنَّ الْقِيَامَةَ قَدْ حَدَثَتْ، وَيَهْدِمَانِ إِيمَانَ بَعْضِ النَّاسِ.

19إِلَّا أَنَّ الأَسَاسَ الرَّاسِخَ الَّذِي وَضَعَهُ اللهُ يَظَلُّ ثَابِتاً، وَعَلَيْهِ هَذَا الْخَتْمُ: «الرَّبُّ يَعْرِفُ خَاصَّتَهُ»، وَأَيْضاً: «لِيَنْفَصِلْ عَنِ الإِثْمِ كُلُّ مَنْ يُسَمِّي اسْمَ الرَّبِّ!»

20وَإِنَّمَا، فِي بَيْتٍ كَبِيرٍ، لَا تَكُونُ الأَوَانِي كُلُّهَا مِنَ الذَّهَبِ وَالْفِضَّةِ وَحَسْبُ، بَلْ يَكُونُ بَعْضُهَا مِنَ الْخَشَبِ وَالْفَخَّارِ أَيْضاً. كَمَا يَكُونُ بَعْضُهَا لِلاسْتِعْمَالِ الرَّفِيعِ، وَبَعْضُهَا لِلاسْتِعْمَالِ الْوَضِيعِ. 21إِذَن، الَّذِي يَنْفَصِلُ عَنْ هَذِهِ الأَخِيرَةِ، مُطَهِّراً نَفْسَهُ، يَكُونُ إِنَاءً لِلاسْتِعْمَالِ الرَّفِيعِ، مُقَدَّساً، نَافِعاً لِرَّبِّ الْبَيْتِ، مُتَأَهِّباً لِكُلِّ عَمَلٍ صَالِحٍ.

22إِنَّمَا اهْرُبْ مِنَ الشَّهَوَاتِ الشَّبَابِيَّةِ، وَاسْعَ وَرَاءَ الْبِرِّ وَالإِيمَانِ وَالْمَحَبَّةِ وَالسَّلامِ، مُشَارِكاً الَّذِينَ يَدْعُونَ الرَّبَّ مِنْ قَلْبٍ نَقِيٍّ. 23أَمَّا الْمُجَادَلاتُ الْغَبِيَّةُ الْحَمْقَاءُ، فَتَجَنَّبْهَا، عَالِماً أَنَّهَا تُوَلِّدُ الْمُشَاجَرَاتِ. 24وَعَبْدُ الرَّبِّ يَجِبُ أَلَّا يَتَشَاجَرَ، بَلْ أَنْ يَكُونَ مُتَرَفِّقاً تُجَاهَ الْجَمِيعِ، قَادِراً عَلَى التَّعْلِيمِ، يَتَحَمَّلُ الْمَشَقَّاتِ بِصَبْرٍ، 25وَيُصَحِّحُ بِالْوَدَاعَةِ الْمُقَاوِمِينَ، عَسَى أَنْ يَمْنَحَهُمُ اللهُ التَّوْبَةَ، فَيَعْرِفُوا الْحَقَّ بِالتَّمَامِ، 26فَيَعُودُوا إِلَى الصَّوَابِ نَاجِينَ مِنْ فَخِّ إِبْلِيسَ الَّذِي أَطْبَقَ عَلَيْهِمْ، لِيَعْمَلُوا إِرَادَتَهُ.

Hindi Contemporary Version

2 तिमोथियॉस 2:1-26

अनुरोध का दोहराना

1इसलिये, हे पुत्र, मसीह येशु में प्राप्‍त हुए अनुग्रह में बलवान हो जाओ. 2उन शिक्षाओं को, जो तुमने अनेकों गवाहों की उपस्थिति में मुझसे प्राप्‍त की हैं, ऐसे विश्वासयोग्य व्यक्तियों को सौंप दो, जिनमें बाकियों को भी शिक्षा देने की क्षमता है. 3मसीह येशु के अच्छे योद्धा की तरह मेरे साथ दुःखों का सामना करो. 4कोई भी योद्धा रणभूमि में दैनिक जीवन के झंझटों में नहीं पड़ता कि वह योद्धा के रूप में अपने भर्ती करनेवाले को संतुष्ट कर सके. 5इसी प्रकार यदि कोई अखाड़े की प्रतियोगिता में भाग लेता है किंतु नियम के अनुसार प्रदर्शन नहीं करता, विजय पदक प्राप्‍त नहीं करता. 6यह सही ही है कि परिश्रमी किसान उपज से अपना हिस्सा सबसे पहले प्राप्‍त करे. 7मेरी शिक्षाओं पर विचार करो. प्रभु तुम्हें सब विषयों में समझ प्रदान करेंगे.

8उस ईश्वरीय सुसमाचार के अनुसार, जिसका मैं प्रचारक हूं, मरे हुओं में से जीवित, दावीद के वंशज मसीह येशु को याद रखो. 9उसी ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मैं कष्ट सह रहा हूं, यहां तक कि मैं अपराधी जैसा बेड़ियों में जकड़ा गया हूं—परंतु परमेश्वर का वचन कैद नहीं किया जा सका. 10यही कारण है कि मैं उनके लिए, जो चुने हुए हैं, सभी कष्ट सह रहा हूं कि उन्हें भी वह उद्धार प्राप्‍त हो, जो मसीह येशु में मिलता है तथा उसके साथ अनंत महिमा भी.

11यह बात सत्य है:

यदि उनके साथ हमारी मृत्यु हुई है तो

हम उनके साथ जीवित भी होंगे;

12यदि हम धीरज धारण किए रहें तो,

हम उनके साथ शासन भी करेंगे,

यदि हम उनका इनकार करेंगे तो,

वह भी हमारा इनकार करेंगे.

13हम चाहे सच्चाई पर चलना त्याग दें,

तो भी वह विश्वासयोग्य रहते हैं,

क्योंकि वह अपने स्वभाव के विरुद्ध नहीं जा सकते.

झूठे शिक्षकों से निपटना

14उन्हें इन विषयों की याद दिलाते रहो. परमेश्वर की उपस्थिति में उन्हें चेतावनी दो कि वे शब्दों पर वाद-विवाद न किया करें. इससे किसी का कोई लाभ नहीं होता परंतु इससे सुननेवालों का विनाश ही होता है. 15सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाते हुए परमेश्वर के ऐसे ग्रहण योग्य सेवक बनने का पूरा प्रयास करो, जिसे लज्जित न होना पड़े. 16सांसारिक और व्यर्थ की बातचीत से दूर रहो, नहीं तो सांसारिकता बढ़ती ही जाएगी. 17और इस प्रकार की शिक्षा सड़े घाव की तरह फैल जाएगी. ह्यूमैनेऑस तथा फ़िलेतॉस इसी के समर्थकों में से हैं, 18जो यह कहते हुए सच से भटक गए कि पुनरुत्थान तो पहले ही हो चुका. इस प्रकार उन्होंने कुछ को विश्वास से अलग कर दिया है. 19फिर भी परमेश्वर की पक्की नींव स्थिर है, जिस पर यह मोहर लगी है: “प्रभु उन्हें जानते हैं, जो उनके हैं.” तथा “हर एक, जिसने प्रभु को अपनाया है, अधर्म से दूर रहे.”

20एक सम्पन्‍न घर में केवल सोने-चांदी के ही नहीं परंतु लकड़ी तथा मिट्टी के भी बर्तन होते हैं—कुछ अच्छे उपयोग के लिए तथा कुछ अनादर के लिए. 21इसलिये जो व्यक्ति स्वयं को इस प्रकार की गंदगी से साफ़ कर लेता है, उसे अच्छा, अलग किया हुआ, स्वामी के लिए उपयोगी तथा हर एक भले काम के लिए तैयार किया हुआ बर्तन माना जाएगा.

22जवानी की अभिलाषाओं से दूर भागो तथा उनकी संगति में धार्मिकता, विश्वास, प्रेम और शांति का स्वभाव करो, जो निर्मल हृदय से प्रभु को पुकारते हैं 23मूर्खता तथा अज्ञानतापूर्ण विवादों से दूर रहो; यह जानते हुए कि इनसे झगड़ा उत्पन्‍न होता है. 24प्रभु के दास का झगड़ालू होना सही नहीं है. वह सबके साथ कृपालु, निपुण शिक्षक, अन्याय की स्थिति में धीरजवंत हो, 25जो विरोधियों को नम्रतापूर्वक इस संभावना की आशा में समझाए कि क्या जाने परमेश्वर उन्हें सत्य के ज्ञान की प्राप्‍ति के लिए पश्चाताप की ओर भेजें. 26वे सचेत हो जाएं तथा शैतान के उस फंदे से छूट जाएं जिसमें उसने उन्हें अपनी इच्छा पूरी करने के लिए जकड़ रखा है.