القضاة 10 – NAV & HCV

New Arabic Version

القضاة 10:1-18

تولع

1وَقَامَ بَعْدَ مَوْتِ أَبِيمَالِكَ تُولَعُ بْنُ فُوَاةَ بْنِ دُودُو مِنْ سِبْطِ يَسَّاكَرَ لإِنْقَاذِ إِسْرَائِيلَ، وَكَانَ هَذَا قَاطِناً فِي شَامِيرَ فِي جَبَلِ أَفْرَايِمَ، 2وَظَلَّ قَاضِياً لإِسْرَائِيلَ مُدَّةَ ثَلاثٍ وَعِشْرِينَ سَنَةً، ثُمَّ مَاتَ وَدُفِنَ فِي شَامِيرَ.

يائير

3ثُمَّ تَوَلَّى بَعْدَهُ قَضَاءَ إِسْرَائِيلَ يَائِيرُ الْجِلْعَادِيُّ طَوَالَ اثْنَتَيْنِ وَعِشْرِينَ سَنَةً. 4وَكَانَ لِيَائِيرَ ثَلاثُونَ ابْناً يَرْكَبُونَ عَلَى ثَلاثِينَ جَحْشاً وَيَمْلِكُونَ ثَلاثِينَ مَدِينَةً فِي أَرْضِ جِلْعَادَ، وَهِيَ تُدْعَى حَوُّوثَ يَائِيرَ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ. 5ثُمَّ مَاتَ يَائِيرُ وَدُفِنَ فِي قَامُونَ.

يفتاح

6وَعَادَ بَنُو إِسْرَائِيلَ يَرْتَكِبُونَ الإِثْمَ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ، وَعَبَدُوا الْبَعْلِيمَ وَعَشْتَارُوثَ وَآلِهَةَ أَرَامَ وَآلِهَةَ صِيدُونَ وَآلِهَةَ بَنِي عَمُّونَ وَآلِهَةَ الْفِلِسْطِينِيِّينَ وَتَرَكُوا الرَّبَّ وَلَمْ يَعْبُدُوهُ. 7وَاحْتَدَمَ غَضَبُ الرَّبِّ عَلَى إِسْرَائِيلَ وَسَلَّطَ عَلَيْهِمِ الْفِلِسْطِينِيِّينَ وَبَنِي عَمُّونَ، 8مُدَّةَ ثَمَانِي عَشْرَةَ سَنَةً، فَأَذَاقُوا الإِسْرَائِيلِيِّينَ الْمُقِيمِينَ فِي أَرْضِ الأَمُورِيِّينَ فِي جِلْعَادَ. شَرْقِيَّ نَهْرِ الأُرْدُنِّ، سُوءَ الْعَذَابِ 9وَعَبَرَ الْعَمُّونِيُّونَ نَهْرَ الأُرْدُنِّ لِمُحَارَبَةِ أَسْبَاطِ يَهُوذَا وَبَنْيَامِينَ وَأَفْرَايِمَ، فَاعْتَرَى الإِسْرَائِيلِيِّينَ ضِيقٌ عَظِيمٌ.

10فَاسْتَغَاثُوا بِالرَّبِّ قَائِلِينَ: «لَقَدْ أَخْطَأْنَا إِلَيْكَ لأَنَّنَا تَرَكْنَا إِلَهَنَا وَعَبَدْنَا الْبَعْلِيمَ». 11فَأَجَابَهُمُ الرَّبُّ: «أَلَمْ أُنْقِذْكُمْ مِنَ الْمِصْرِيِّينَ وَالأَمُورِيِّينَ وَبَنِي عَمُّونَ وَالْفِلِسْطِينِيِّينَ؟ 12وَعِنْدَمَا اسْتَغَثْتُمْ بِي مِنَ الصِّيدُونِيِّينَ وَالْعَمَالِقَةِ وَالْعَمُّونِيِّينَ الَّذِينَ ضَايَقُوكُمْ، أَلَمْ أُخَلِّصْكُمْ؟ 13أَمَّا أَنْتُمْ فَقَدْ تَرَكْتُمُونِي وَعَبَدْتُمْ آلِهَةً أُخْرَى، لِهَذَا لَا أَعُودُ أُنْقِذُكُمْ، 14فَهَيَّا اسْتَجِيرُوا بِالآلِهَةِ الَّتِي اخْتَرْتُمُوهَا لِتُخَلِّصَكُمْ فِي وَقْتِ ضِيْقِكُمْ». 15فَقَالَ بَنُو إِسْرَائِيلَ لِلرَّبِّ: «لَقَدْ أَخْطَأْنَا، فَافْعَلْ بِنَا مَا تَشَاءُ، وَلَكِنْ أَنْقِذْنَا فِي هَذَا الْيَوْمِ». 16وَأَزَالُوا الأَوْثَانَ الْغَرِيبَةَ مِنْ وَسَطِهِمْ وَعَبَدُوا الرَّبَّ، فَرَقَّ قَلْبُهُ لِمَشَقَّةِ إِسْرَائِيلَ.

17فَاحْتَشَدَ الْعَمُّونِيُّونَ وَعَسْكَرُوا فِي جِلْعَادَ، وَتَجَمَّعَ بَنُو إِسْرَائِيلَ وَخَيَّمُوا فِي الْمِصْفَاةِ. 18فَتَدَاوَلَ قَادَةُ إِسْرَائِيلَ فِي مَا بَيْنَهُمْ قَائِلِينَ: «مَنْ يَبْدَأْ فِي شَنِّ الْهُجُومِ عَلَى الْعَمُّونِيِّينَ، يُصْبِحْ رَئِيساً عَلَى جَمِيعِ سُكَّانِ جِلْعَادَ».

Hindi Contemporary Version

प्रशासक 10:1-18

तोला

1अबीमेलेक की मृत्यु के बाद इस्साखार प्रदेश से दोदो के पोते, पुआह के पुत्र तोला का उदय इस्राएल के छुड़ानेवाले के रूप में हुआ. वह एफ्राईम के पहाड़ी इलाके के शामीर नगर का निवासी था. 2उसने तेईस वर्ष इस्राएल पर शासन किया, इसके बाद उसकी मृत्यु हो गई और शामीर में उसे गाड़ा गया.

याईर

3उसके बाद गिलआदवासी याईर का उदय हुआ. उसने बाईस वर्ष इस्राएल पर शासन किया. 4उसके तीस पुत्र थे, जो तीस गधों पर यात्रा करते थे. गिलआद प्रदेश में तीस नगर उनके अधिकार में थे. जो आज तक हव्वोथ-याईर10:4 हव्वोथ-याईर अर्थात् याईर की बस्तियां नाम से मशहूर हैं. 5याईर की मृत्यु होने पर उसे कामोन में गाड़ा गया.

यिफ्ताह

6इस्राएल के वंशजों ने दोबारा वही किया, जो याहवेह की नज़रों में गलत था. उन्होंने बाल तथा अश्तोरेथ, अराम के, सीदोन के, मोआब के, अम्मोन वंशजों के तथा फिलिस्तीनियों के देवताओं की सेवा-उपासना करना शुरू कर दिया. उन्होंने याहवेह को भुला दिया, और उनकी सेवा-वन्दना का त्याग कर दिया. 7याहवेह का क्रोध इस्राएल पर भड़क उठा. याहवेह ने उन्हें फिलिस्तीनियों तथा अम्मोन वंशजों के हाथों में बेच दिया. 8उस पूरे साल वे इस्राएल वंशजों को सताते और पीसते रहे. वे गिलआद में यरदन के पार बसे हुए इस्राएल के वंशजों को अठारह वर्ष तक सताते रहे. 9अम्मोन वंशज यरदन पार कर यहूदिया, बिन्यामिन प्रदेश तथा एफ्राईम वंशजों से भी युद्ध करते रहे, इससे इस्राएल वंशज बहुत ही संकट में पड़ गए थे. 10तब इस्राएल वंशजों ने याहवेह की दोहाई दी, “हमने आपके विरुद्ध पाप किया है. हमने वास्तव में अपने परमेश्वर को छोड़कर बाल देवताओं की सेवा-उपासना की है.”

11याहवेह ने इस्राएल संतानों को उत्तर दिया, “क्या मैं ही वह न था, जिसने तुम्हें मिस्रियों, अमोरियों, अम्मोनियों तथा फिलिस्तीनियों की बंधुआई से, 12और, जब सीदोनी, अमालेक तथा माओनी तुम्हें सता रहे थे, तुमने मेरी दोहाई दी, और क्या मैंने तुम्हें उनकी अधीनता से नहीं छुड़ाया? 13यह सब होने पर भी तुमने मुझे भुला दिया और अन्य देवताओं की सेवा-उपासना की, इस कारण अब मैं तुम्हें न छुड़ाऊंगा. 14जाओ, उन्हीं देवताओं की दोहाई दो, जिन्हें तुमने अपने लिए चुन रखा है. उन्हें ही तुम्हें तुम्हारे संकट के अवसर पर सहायता करने दो.”

15इस्राएल वंशजों ने याहवेह से विनती की, “हमने पाप किया है. हमारे साथ वही कीजिए, जो आपको सही लगे; मगर आज हमें कृपा कर छुटकारा दे दीजिए.” 16उन्होंने अपने बीच से सारे पराए देवता हटा दिए और वे याहवेह की सेवा-वन्दना करने लगे. अब याहवेह से इस्राएल की दुर्दशा देखी न गई.

17वहां अम्मोन वंशजों को बुलाया गया और उन्होंने गिलआद में पड़ाव खड़े कर दिए. इस्राएल वंशज इकट्‍ठे हुए और उन्होंने मिज़पाह में पड़ाव खड़े किए. 18गिलआद के नायक आपस में विचार करने लगे: “कौन होगा वह व्यक्ति, जो अम्मोन वंशजों से युद्ध शुरू करेगा? वही बनेगा गिलआद वासियों का प्रधान.”