العدد 12 – NAV & HCV

New Arabic Version

العدد 12:1-16

مريم وهرون يعارضان موسى

1وَانْتَقَدَتْ مَرْيَمُ وَهروُنُ مُوسَى لِزَوَاجِهِ مِنِ امْرَأَةٍ كُوشِيَّةٍ، 2وَقَالا: «هَلْ كَلَّمَ الرَّبُّ مُوسَى وَحْدَهُ؟ أَلَمْ يُكَلِّمْنَا نَحْنُ أَيْضاً؟» فَسَمِعَ الرَّبُّ. 3أَمَّا مُوسَى فَقَدْ كَانَ أَكْثَرَ حِلْماً مِنْ جَمِيعِ النَّاسِ الَّذِينَ عَلَى وَجْهِ الأَرْضِ.

4فَقَالَ الرَّبُّ حَالاً لِمُوسَى وَهَرُونَ وَمَرْيَمَ: «اذْهَبُوا أَنْتُمُ الثَّلاثَةُ إِلَى خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ». فَمَضَى ثَلاثَتُهُمْ. 5فَنَزَلَ الرَّبُّ فِي عَمُودِ سَحَابٍ وَحَلَّ عِنْدَ بَابِ الْخَيْمَةِ، وَنَادَى هَرُونَ وَمَرْيَمَ، فَتَقَدَّمَا وَحْدَهُمَا، 6فَقَالَ: «اسْمَعَا كَلامِي: إِنْ كَانَ بَيْنَكُمْ نَبِيٌّ لِلرَّبِّ فَإِنِّي أَسْتَعْلِنُ لَهُ بِالرُّؤْيَا، وَأُكَلِّمُهُ بِالْحُلْمِ، 7أَمَّا عَبْدِي مُوسَى فَلَسْتُ أُعَامِلُهُ هَكَذَا، بَلْ هُوَ أَمِينٌ فِي بَيْتِي، 8لِذَلِكَ أُكَلِّمُهُ وَجْهاً لِوَجْهٍ، وَبِوُضُوحٍ مِنْ غَيْرِ أَلْغَازٍ، وَيُعَايِنُ صُورَةَ الرَّبِّ. فَلِمَاذَا جَرُؤْتُمَا عَلَى انْتِقَادِ عَبْدِي مُوسَى؟»

9وَاحْتَدَّ غَضَبُ الرَّبِّ عَلَيْهِمَا، ثُمَّ مَضَى عَنْهُمَا. 10فَلَمَّا ارْتَفَعَتِ السَّحَابَةُ عَنْ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، إِذَا مَرْيَمُ بَرْصَاءُ كَالثَّلْجِ فَالْتَفَتَ هَرُونُ وَمُوسَى نَحْوَ مَرْيَمَ، وَإذَا هِيَ مُصَابَةٌ بِالْبَرَصِ.

11فَقَالَ هَروُنُ لِمُوسَى: «أَرْجُوكَ يَا سَيِّدِي، لَا تُحَمِّلْنَا الْخَطِيئَةَ الَّتِي ارْتَكَبْنَاهَا كَالْحَمْقَى، وَأَسَأْنَا بِها إِلَيْكَ. 12وَلا تَجْعَلْ مَرْيَمَ كَالْجَنِينِ الْمَيْتِ الْخَارِجِ مِنْ رَحِمِ أُمِّهِ وَقَدْ تَهَرَّأَ نِصْفُ لَحْمِهِ». 13فَصَرَخَ مُوسَى إِلَى الرَّبِّ قَائِلاً: «اللهُمَّ اشْفِهَا». 14فَأَجَابَهُ الرَّبُّ: «لَوْ أَنَّ أَبَاهَا بَصَقَ فِي وَجْهِهَا، أَمَا كَانَتْ تَمْكُثُ خَجِلَةً سَبْعَةَ أَيَّامٍ؟ فَلْتُحْجَزْ خَارِجَ الْمُخَيَّمِ سَبْعَةَ أَيَّامٍ وَبَعْدَ ذَلِكَ تَرْجِعُ». 15فَحُجِزَتْ مَرْيَمُ سَبْعَةَ أَيَّامٍ خَارِجَ الْمُخَيَّمِ، وَلَمْ يَرْتَحِلِ الشَّعْبُ حَتَّى عَادَتْ مَرْيَمُ، 16وَبَعْدَ ذَلِكَ ارْتَحَلَ الشَّعْبُ مِنْ حَضَيْرُوتَ وَنَزَلُوا فِي صَحْرَاءِ فَارَانَ.

Hindi Contemporary Version

गणना 12:1-16

मिरियम तथा अहरोन का असंतोष

1मोशेह ने कूश देश की स्त्री से विवाह किया था, और उनका इस स्त्री से विवाह करना मिरियम तथा अहरोन का उनके विरुद्ध हो जाने का कारण बन गया. 2उन्होंने यह कहना शुरू कर दिया, “क्या यह सच है कि याहवेह ने सिर्फ मोशेह के द्वारा ही बातचीत की है? क्या उन्होंने हमारे द्वारा भी बातें नहीं की?” याहवेह ने उनकी ये बातें सुन लीं.

3(सब जानते थे कि मोशेह अपने स्वभाव में बहुत ही विनीत थे; पृथ्वी पर किसी भी व्यक्ति से कहीं अधिक.)

4इसलिये अचानक याहवेह ने मोशेह, अहरोन तथा मिरियम से कहा, “तुम तीनों मिलनवाले तंबू के पास आ जाओ.” तब वे तीनों बाहर आ गए. 5तब याहवेह बादल के खंभे में उतरकर उस तंबू के द्वार पर खड़े हो गए और अहरोन तथा मिरियम को बुलाया. जब वे दोनों पास आ गए, 6तब याहवेह ने कहा, “अब तुम मेरी बात सुनो:

“यदि तुम्हारे बीच कोई भविष्यद्वक्ता है,

मैं, याहवेह, उस पर दर्शन के द्वारा स्वयं को प्रकट करूंगा,

मैं स्वप्न में उससे बातचीत करना सही समझूंगा.

7किंतु मेरे सेवक मोशेह के साथ नहीं;

मेरे सारे परिवार में वही विश्वासयोग्य है.

8मोशेह के साथ मेरी बातचीत आमने-सामने हुआ करती है,

इतना ही नहीं, हमारी बातचीत में कुछ भी गुप्‍त नहीं होता है,

और न पहेली के समान,

उसे तो मुझ याहवेह का स्वरूप दिखाई देता है.

फिर तुम्हें मेरे सेवक मोशेह के विरुद्ध यह सब कहते हुए भय क्यों न लगा?”

9तब याहवेह का क्रोध उन पर भड़क गया और वह उन्हें छोड़कर चले गए.

10जब तंबू के ऊपर का वह बादल गायब हो गया, तब उन्होंने देखा कि मिरियम कोढ़ से भरकर हिम के समान सफेद हो चुकी थी. जब अहरोन ने मिरियम की ओर दृष्टि की, तो पाया कि वह कोढ़ रोग से भर गई थी. 11इस पर अहरोन ने मोशेह से विनती की, “मेरे गुरु, मेरी आपसे विनती है, यह पाप हम पर न लगने दीजिए. यह हमारी निरी मूर्खता थी, जो हम यह पाप कर बैठे. 12ओह, उसे उस स्थिति में न छोड़ दीजिए, जो मृत-जात शिशु के समान, मानो प्रसव होते-होते उसकी आधी देह गल गई हो!”

13मोशेह ने याहवेह की दोहाई दी, “परमेश्वर, मेरी प्रार्थना है, उसे शुद्ध कर दीजिए!”

14किंतु याहवेह का मोशेह को उत्तर यह था: “यदि उसके पिता ने उसके मुंह पर थूक दिया होता, तो क्या वह सात दिन तक लज्जा की स्थिति में न रहती? रहने दो उसे इस लज्जा की स्थिति में छावनी के बाहर सात दिनों तक. इसके बाद वह छावनी में स्वीकार कर ली जाए.” 15तब मिरियम को सात दिनों के लिए छावनी के बाहर कर दिया गया. प्रजा ने उस स्थान से तब तक कूच नहीं किया, जब तक मिरियम को छावनी में वापस न ले लिया गया.

16किंतु इसके बाद इस्राएली प्रजा ने हाज़ोरौथ से कूच किया तथा पारान नामक मरुभूमि में डेरा डाल दिया.