الخروج 6 – NAV & HCV

New Arabic Version

الخروج 6:1-30

1فَأَجَابَ الرَّبُّ مُوسَى: «سَتَرَى الآنَ مَا أَنَا فَاعِلُهُ بِفِرْعَوْنَ، لأَنَّنِي بِيَدٍ قَدِيرَةٍ سَأَجْعَلُهُ يُطْلِقُهُمْ، بَلْ يَطْرُدُهُمْ طَرْداً أَيْضاً».

2وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: «أَنَا هُوَ الرَّبُّ. 3قَدْ ظَهَرْتُ لإِبْرَاهِيمَ وَإِسْحاقَ وَيَعْقُوبَ إِلَهاً قَدِيراً عَلَى كُلِّ شَيْءٍ. أَمَّا اسْمِي يَهْوَهْ (أَيِ الرَّبُّ) فَلَمْ أُعْلِنْهُ لَهُمْ. 4وَقَدْ قَطَعْتُ مَعَهُمْ أَيْضاً عَهْدِي بِأَنْ أَهَبَهُمْ أَرْضَ كَنْعَانَ حَيْثُ أَقَامُوا فِيهَا كَغُرَبَاءَ. 5كَذَلِكَ أَصْغَيْتُ إِلَى أَنِينِ بَنِي إِسْرَائِيلَ الْمُسْتَعْبَدِينَ الْمِصْرِيِّينَ، وَتَذَكَّرْتُ عَهْدِي 6لِهَذَا قُلْ لِبَنِي إِسْرَائِيلَ إِنَّنِي أَنَا الرَّبُّ وَأَنَا أُحَرِّرُكُمْ مِنْ أَثْقَالِ الْمِصْرِيِّينَ وَأُنْقِذُكُمْ مِنْ عُبُودِيَّتِهِمْ، وَأُخَلِّصُكُمْ بِذِرَاعٍ مَمْدُودَةٍ وَأَحْكَامٍ قَوِيَّةٍ. 7وَأَتَّخِذُكُمْ لِي شَعْباً وَأَكُونُ لَكُمْ إِلَهاً، فَتَعْرِفُونَ أَنِّي أَنَا الرَّبُّ إِلَهُكُمْ مُحَرِّرُكُمْ مِنْ أَثْقَالِ الْمِصْرِيِّينَ. 8وَأَقُودُكُمْ إِلَى الأَرْضِ الَّتِي أَقْسَمْتُ أَنْ أَهَبَهَا لإِبْرَاهِيمَ وإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ لأُعْطِيَهَا لَكُمْ مِلْكاً. أَنَا هُوَ الرَّبُّ». 9فَخَاطَبَ مُوسَى بَنِي إِسْرَائِيلَ، لَكِنَّهُمْ لَمْ يُصْغُوا إِلَيْهِ لِتَوَجُّعِ نُفُوسِهِمْ وَعُبُودِيَّتِهِمِ الْقَاسِيَةِ.

10وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: 11«امْثُلْ أَمَامَ فِرْعَوْنَ مَلِكِ مِصْرَ وَاطْلُبْ إِلَيْهِ أَنْ يُطْلِقَ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنَ الأَرْضِ». 12فَأَجَابَ مُوسَى: «هُوَذَا بَنُو إِسْرَائِيلَ لَمْ يُصْغُوا إِلَيَّ، فَكَيْفَ يَسْتَمِعُ إِلَيَّ فِرْعَوْنُ وَأَنَا ثَقِيلُ اللِّسَانِ؟» 13فَخَاطَبَ الرَّبُّ مُوسَى وَهَرُونَ وَأَمَرَهُمَا أَنْ يَرْجِعَا إِلَى بَنِي إِسْرَائِيلَ، وَفِرْعَوْنَ مَلِكِ مِصْرَ، لِكَيْ يُطْلِقَ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ.

عشيرة موسى وهرون

14وَهَؤُلاءِ هُمْ رُؤَسَاءُ الْعَشَائِرِ الْمُتَفَرِّعَةِ عَنْ أَبْنَاءِ إِسْرَائِيلَ: أَبْنَاءُ رَأُوبَيْنَ بِكْرِ إِسْرَائِيلَ حَنُوكُ وَفَلُّو وَحَصْرُونُ وَكَرْمِي: هَذِهِ عَشَائِرُ رَأُوبَيْنَ. 15أَبْنَاءُ شِمْعُونَ يَمُوئِيلُ وَيَامِينُ وَأُوهَدُ وَيَاكِينُ وَصُوحَرُ وَشَأُولُ وأُمُّهُ كَنْعَانِيَّةٌ: هَذِهِ هِي عَشَائِرُ شِمْعُونَ. 16وَهَذِهِ أَسْمَاءُ أَبْنَاءِ لاوِي حَسَبَ عَشَائِرِهِمْ: جِرْشُونُ وَقَهَاتُ وَمَرَارِي. وَقَدْ عَاشَ لاوِي مِئَةً وَسَبْعاً وَثَلاثِينَ سَنَةً. 17أَمَّا ابْنَا جِرْشُونَ حَسَبَ عَشَائِرِهِمَا فَهُمَا: لِبْنِي وَشِمْعِي. 18وَأَبْنَاءُ قَهَاتَ هُمْ: عَمْرَامُ وَيِصْهَارُ وَحَبْرُونُ وَعُزِّيئِيلُ. وَقَدْ عَاشَ قَهَاتُ مِئَةً وَثَلاثاً وَثَلاثِينَ سَنَةً. 19وَابْنَا مَرَارِي هُمَا مَحْلِي وَمُوشِي. هَذِهِ هِيَ عَشَائِرُ اللّاوِيِّينَ بِحَسَبِ سِجِلِّ مَوَالِيدِهِمْ.

20وَتَزَوَّجَ عَمْرَامُ عَمَّتَهُ يُوكَابَدَ فَأَنْجَبَتْ لَهُ هَرُونَ وَمُوسَى. وَقَدْ عَاشَ عَمْرَامُ مِئَةً وَسَبْعاً وَثَلاثِينَ سَنَةً. 21وَأَبْنَاءُ يِصْهَارَ هُمْ: قُورَحُ وَنَافَجُ وَذِكْرِي. 22أَبْنَاءُ عُزِّيئِيلَ هُمْ: مِيشَائِيلُ وأَلْصَافَانُ وَسِتْرِي 23وَتَزَوَّجَ هَرُونُ مِنْ أَلِيشَابَعَ ابْنَةِ عَمِّينَادَابَ أُخْتِ نَحْشُونَ فَأَنْجَبَتْ لَهُ نَادَابَ وَأَبِيهُوَ وَأَلِعَازَارَ وإِيثَامَارَ. 24وَأَبْنَاءُ قُورَحَ هُمْ: أَسِّيرُ وَأَلْقَانَةُ وَأَبِيَأَسَافُ: هَذِهِ هِيَ عَشَائِرُ الْقُورَحِيِّينَ. 25وَتَزَوَّجَ أَلِعَازَارُ بنُ هَرُونَ مِنْ إِحْدَى بَنَاتِ فُوطِيئِيلَ فَأَنْجَبَتْ لَهُ فِيْنحَاسَ. هَؤُلاءِ رُؤَسَاءُ آبَاءِ اللّاوِيِّينَ بِحَسَبِ تَرْتِيبِ عَشَائِرِهِمْ.

26هَذَانِ هُمَا هَروُنُ وَمُوسَى اللَّذَانِ قَالَ لَهُمَا الرَّبُّ: أَخْرِجَا بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ بِحَسَبِ فِرَقِهِمْ. 27وَهُمَا نَفْسُ مُوسَى وَهَرُونَ اللَّذَيْنِ خَاطَبَا فِرْعَوْنَ مَلِكَ مِصْرَ لِيُطْلِقَ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ مِصْرَ.

هرون يتكلم نيابة عن موسى

28وَحَدَثَ فِي الْيَوْمِ الَّذي كَلَّمَ فِيهِ الرَّبُّ مُوسَى فِي أَرْضِ مِصْرَ 29أَنَّ الرَّبَّ قَالَ لَهُ: «أَنَا الرَّبُّ بَلِّغْ فِرْعَوْنَ كُلَّ مَا أَقُولُهُ لَكَ». 30فَأَجَابَهُ مُوسَى: «أَنَا ثَقِيلُ اللِّسَانِ فَكَيْفَ يَسْتَمِعُ لِي فِرْعَوْنُ؟»

Hindi Contemporary Version

निर्गमन 6:1-30

1इस पर याहवेह ने मोशेह से कहा, “अब तुम देखना कि मैं फ़रोह के साथ क्या करूंगा; मेरे पराक्रमी हाथ की वजह से उसे तुम सबको छोड़ना ही पड़ेगा, मेरे पराक्रमी हाथ की वजह से ही फ़रोह इतना परेशान हो जाएगा, कि वह अपने देश से सबको निकाल देगा.”

2परमेश्वर ने मोशेह से यह भी कहा, “मैं ही याहवेह हूं; 3अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब पर मैं ही सर्वसामर्थी होकर प्रकट हुआ था; परंतु, याहवेह के नाम से कभी अपने आपको प्रकट नहीं किया. 4मैंने कनान देश, जहां वे पराये होकर रहते थे, उनको देने का पक्का वायदा भी किया था. 5परमेश्वर ने इस्राएलियों का रोना सुना है, क्योंकि मिस्रियों ने उन्हें बंदी बना रखा है और मुझे मेरा वायदा जो मैं ने इस्राएलियों से किया था याद है.

6“इस कारण इस्राएलियों से यह कहना: ‘मैं ही याहवेह हूं. मैं ही तुम्हें मिस्रियों की परेशानी से निकालूंगा. मैं तुम्हें उनके बंधन से छुड़ाऊंगा. मैं तुम्हें अपनी बाहों में लेकर तथा उन्हें दंड देकर तुम्हें छुड़ा लूंगा. 7फिर तुम मेरे लोग ठहरोगे और मैं तुम्हारा परमेश्वर. और तुम्हें तसल्ली मिलेगी कि मैं ही याहवेह, तुम्हारा परमेश्वर हूं, जिसने तुम्हें मिस्रियों के दबाव और बोझ से निकाला है. 8मैं तुम्हें उस देश में लाऊंगा, जिसे देने का शपथ मैंने हाथ उठाकर अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब से ली थी, और वह देश तुम्हारा ही हो जाएगा. मैं ही वह याहवेह हूं.’ ”

9मोशेह ने वह सब बात जो याहवेह ने कही थी, सबको बता दी, लेकिन इस्राएलियों ने फ़रोह के द्वारा हो रहे अत्याचार के कारण इन पर विश्वास नहीं किया.

10याहवेह मोशेह के पास आए और उनसे कहा, 11“जाकर मिस्र देश के राजा फ़रोह से कहो कि वह इस्राएलियों को इस देश से बाहर जाने दे.”

12मोशेह ने याहवेह से कहा, “इस्राएलियों ने मेरी बात नहीं मानी है, तो फ़रोह कैसे मेरी बात मानेगा, मैं तो हकलाता बात करता हूं.”

मोशेह और अहरोन की वंशावली

13फिर याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन से इस्राएल एवं मिस्र के राजा फ़रोह के लिए यह आदेश दिया कि इस्राएली मिस्र देश से निकाले जाएं.

14इस्राएल के परिवार के मुखिया इस प्रकार थे:

इस्राएल का पहला बेटा रियूबेन.

रियूबेन के पुत्र: हनोख, पल्लू, हेज़रोन, कारमी;

ये सभी रियूबेन के परिवार के लोग हैं.

15शिमओन के पुत्र:

येमुएल, यामिन, ओहद, याकिन, ज़ोहार तथा शाऊल, जो एक कनानी स्त्री से जन्मे थे;

ये सभी शिमओन के परिवार के लोग हैं.

16लेवी के पुत्रों के नाम:

गेरशोन, कोहाथ तथा मेरारी.

(लेवी की कुल आयु एक सौ सैंतीस वर्ष की हुई.)

17गेरशोन के पुत्र उनके परिवारों के अनुसार:

लिबनी और शिमेई.

18कोहाथ के पुत्र:

अमराम, इज़हार, हेब्रोन तथा उज्ज़िएल.

(कोहाथ की कुल आयु एक सौ सैंतीस वर्ष की हुई.)

19मेरारी के पुत्र:

माहली तथा मूशी.

ये उनकी पीढ़ियों के अनुसार लेवियों के परिवार हैं.

20अमराम ने अपने पिता की बहन से विवाह किया, जिससे अहरोन एवं मोशेह पैदा हुए.

(अमराम की कुल आयु एक सौ सैंतीस वर्ष की हुई.)

21इज़हार के पुत्र:

कोराह, नेफ़ेग तथा ज़ीकरी.

22उज्ज़िएल के पुत्र:

मिषाएल, एलज़ाफन तथा सिथरी.

23अहरोन ने अम्मीनादाब की पुत्री, नाहशोन की बहन एलिशेबा से विवाह किया, जिसने नादाब, अबीहू, एलिएज़र तथा इथामार को जन्म दिया.

24कोराह के पुत्र:

अस्सिर, एलकाना तथा अबीयासाफ़.

कोराह के वंशजों के परिवार ये हैं.

25अहरोन के पुत्र एलिएज़र ने पुतिएल की पुत्री से विवाह किया, जिससे फिनिहास पैदा हुए.

ये लेवी वंश के कुलों के मुखिया थे.

26ये अहरोन तथा मोशेह थे, जिन्हें याहवेह द्वारा कहा गया था, “इस्राएलियों को अपनी समझदारी से मिस्र देश से निकाल लाओ.” 27मोशेह और अहरोन, जो इस्राएलियों को मिस्र देश से निकालने के लिए फ़रोह से बार-बार कहते रहे.

मोशेह का प्रवक्ता अहरोन

28जिस दिन याहवेह ने मिस्र देश में मोशेह से बात की, 29और कहा, “मैं ही याहवेह हूं. और जो कुछ मैं तुमसे कहता हूं, वह सब तुम मिस्र देश के राजा फ़रोह से कहना.”

30लेकिन मोशेह ने याहवेह से कहा, “मैं अच्छी तरह बोल नहीं सकता; फ़रोह मेरी बात क्यों सुनेगा?”