التكوين 11 – NAV & HCV

New Arabic Version

التكوين 11:1-32

برج بابل

1وَكَانَ أَهْلُ الأَرْضِ جَمِيعاً يَتَكَلَّمُونَ أَوَّلاً بِلِسَانٍ وَاحِدٍ وَلُغَةٍ وَاحِدَةٍ. 2وَإِذِ ارْتَحَلُوا شَرْقاً وَجَدُوا سَهْلاً فِي أَرْضِ شِنْعَارَ فَاسْتَوْطَنُوا هُنَاكَ. 3فَقَالَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «لِنَصْنَعْ طُوباً مَشْوِيًّا أَحْسَنَ شَيٍّ». فَاسْتَخْدَمُوا الطُّوبَ بَدِيلاً لِلْحِجَارَةِ بِالطُّوبِ، وِالْحُمْرَ بَدِيلاً للطِّينِ. 4ثُمَّ قَالُوا: «لِنُشَيِّدْ لأَنْفُسِنَا مَدِينَةً وَبُرْجاً يَبْلُغُ رَأْسُهُ السَّمَاءَ، فَنُخَلِّدَ لَنَا اسْماً لِئَلّا نَتَشَتَّتَ عَلَى وَجْهِ الأَرْضِ كُلِّهَا». 5وَنَزَلَ الرَّبُّ لِيَشْهَدَ الْمَدِينَةَ وَالْبُرْجَ اللَّذَيْنِ شَرَعَ بَنُو الْبَشَرِ فِي بِنَائِهِمَا. 6فَقَالَ الرَّبُّ: «إِنْ كَانُوا، كَشَعْبٍ وَاحِدٍ يَنْطِقُونَ بِلُغَةٍ وَاحِدَةٍ، قَدْ عَمِلُوا هَذَا مُنْذُ أَوَّلِ الأَمْرِ، فَلَنْ يَمْتَنِعَ إِذاً عَلَيْهِمْ أَيُّ شَيْءٍ عَزَمُوا عَلَى فِعْلِهِ. 7هَيَّا نَنْزِلْ إِلَيْهِمْ وَنُبَلْبِلْ لِسَانَهُمْ، حَتَّى لَا يَفْهَمَ بَعْضُهُمْ كَلامَ بَعْضٍ». 8وَهَكَذَا شَتَّتَهُمُ الرَّبُّ مِنْ هُنَاكَ عَلَى سَطْحِ الأَرْضِ كُلِّهَا، فَكَفُّوا عَنْ بِنَاءِ الْمَدِينَةِ، 9لِذَلِكَ سُمِّيَتِ الْمَدِينَةُ «بَابِلَ» لأَنَّ الرَّبَّ بَلْبَلَ لِسَانَ أَهْلِ كُلِّ الأَرْضِ، وَبِالتَّالِي شَتَّتَهُمْ مِنْ هُنَاكَ فِي أَرْجَاءِ الأَرْضِ كُلِّهَا.

من سام إلى أبرام

10وَهَذَا سِجِلُّ مَوَالِيدِ سَامٍ. لَمَّا كَانَ سَامٌ ابْنَ مِئَةِ سَنَةٍ وَلَدَ أَرْفَكْشَادَ بَعْدَ الطُّوفَانِ بِسَنَتَيْنِ. 11وَعَاشَ سَامٌ بَعْدَ ذَلِكَ خَمْسَ مِئَةِ سَنَةٍ، وُلِدَ لَهُ فِيهَا بَنُونَ وَبَنَاتٌ. 12وَعِنْدَمَا بَلَغَ أَرْفَكْشَادُ خَمْساً وَثَلاثِينَ سَنَةً مِنَ الْعُمْرِ وَلَدَ شَالَحَ. 13وَعَاشَ بَعْدَ ذَلِكَ أَرْبَعَ مِئَةٍ وَثَلاثَ سَنَوَاتٍ، وُلِدَ لَهُ فِيهَا بَنُونَ وَبَنَاتٌ. 14وَكَانَ شَالَحُ فِي الثَّلاثِينَ مِنْ عُمْرِهِ عِنْدَمَا وَلَدَ عَابِرَ. 15وَعَاشَ بَعْدَ ذَلِكَ أَرْبَعَ مِئَةٍ وَثَلاثَ سَنَوَاتٍ، وُلِدَ لَهُ فِيهَا بَنُونَ وَبَنَاتٌ. 16وَكَانَ عُمْرُ عَابِرَ أَرْبَعاً وَثَلاثِينَ سَنَةً عِنْدَمَا وَلَدَ فَالَجَ. 17وَعَاشَ عَابِرُ بَعْدَ ذَلِكَ أَرْبَعَ مِئَةٍ وَثَلاثِينَ سَنَةً، وُلِدَ لَهُ فِيهَا بَنُونَ وَبَنَاتٌ. 18وَكَانَ عُمْرُ فَالَجَ ثَلاثِينَ سَنَةً عِنْدَمَا وَلَدَ رَعُوَ. 19وَعَاشَ فَالَجُ بَعْدَ ذَلِكَ مِئَتَيْنِ وَتِسْعَ سِنِينَ وُلِدَ لَهُ فِيهَا بَنُونَ وَبَنَاتٌ. 20وَكَانَ عُمْرُ رَعُوَ اثْنَتَيْنِ وَثَلاثِينَ سَنَةً عِنْدَمَا وَلَدَ سَرُوجَ. 21وَعَاشَ رَعُو بَعْدَ ذَلِكَ مِئَتَيْنِ وَسَبْعَ سِنِينَ، وُلِدَ لَهُ فِيهَا بَنُونَ وَبَنَاتٌ. 22وَكَانَ عُمْرُ سَرُوجَ ثَلاثِينَ سَنَةً عِنْدَمَا وَلَدَ نَاحُورَ. 23وَعَاشَ سَرُوجُ بَعْدَ ذَلِكَ مِئَتَيْ سَنَةٍ، وُلِدَ لَهُ فِيهَا بَنُونَ وَبَنَاتٌ. 24وَكَانَ عُمْرُ نَاحُورَ تِسْعاً وَعِشْرِينَ سَنَةً عِنْدَمَا وَلَدَ تَارَحَ. 25وَعَاشَ نَاحُورُ بَعْدَ ذَلِكَ مِئَةً وَتِسْعَ عَشْرَةَ سَنَةً، وُلِدَ لَهُ فِيهَا بَنُونَ وَبَنَاتٌ. 26وَعِنْدَمَا بَلَغَ تَارَحُ السَّبْعِينَ مِنْ عُمْرِهِ أَنْجَبَ أَبْرَامَ وَنَاحُورَ وَهَارَانَ.

سلسلة نسب أبرام

27وَهَذَا هُوَ سِجِلُّ مَوَالِيدِ تَارَحَ: وَلَدَ تَارَحُ أَبْرَامَ وَنَاحُورَ وَهَارَانَ. وَوَلَدَ هَارَانُ لُوطاً. 28وَمَاتَ هَارَانُ قَبْلَ تَارَحَ أَبِيهِ فِي أَرْضِ مَوْلِدِهِ فِي أُورِ الْكَلْدَانِيِّينَ. 29وَتَزَوَّجَ كُلٌّ مِنْ أَبْرَامَ وَنَاحُورَ. وَكَانَ اسْمُ زَوْجَةِ أَبْرَامَ سَارَايَ، وَاسْمُ زَوْجَةِ نَاحُورَ مِلْكَةَ بِنْتَ هَارَانَ الَّذِي أَنْجَبَ مِلْكَةَ وَيِسْكَةَ. 30وَكَانَتْ سَارَايُ عَاقِراً لَيْسَ لَهَا وَلَدٌ. 31وَأَخَذَ تَارَحُ ابْنَهُ أَبْرَامَ وَحَفِيدَهُ لُوطاً بْنَ هَارَانَ، وَسَارَايَ كَنَّتَهُ زَوْجَةَ ابْنِهِ أَبْرَامَ، وَارْتَحَلَ بِهِمْ مِنْ أُورِ الْكَلْدَانِيِّينَ لِيَذْهَبُوا إِلَى أَرْضِ كَنْعَانَ. 32لَكِنَّهُمْ وَصَلُوا إِلَى حَارَانَ وَاسْتَقَرُّوا فِيهَا. وَهُنَاكَ مَاتَ تَارَحُ وَلَهُ مِنَ الْعُمْرِ مِئَتَانِ وَخَمْسُ سِنِينَ.

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 11:1-32

बेबीलोन की मीनार और भाषाओं में गड़बड़ी

1पूरी पृथ्वी पर एक ही भाषा तथा एक ही बोली थी. 2उस समय लोग पूर्व दिशा की ओर चलते हुए, शीनार देश में मैदान देखकर रुक गये और वहीं रहने लगे.

3वे आपस में कहने लगे, “हम सब मिलकर अच्छी ईंट बनाकर आग में पकायें.” उन्होंने पत्थर के स्थान पर ईंटों का और चुने के स्थान पर मिट्टी के गारे को काम में लिया. 4और उन्होंने कहा, “आओ, हम अपने लिए एक नगर और मीनार बनाएं; मीनार इतनी ऊंची बनाएं कि आकाश तक जा पहुंचे, ताकि हम प्रसिद्ध हो जाएं. अन्यथा हम सारी पृथ्वी में इधर-उधर हो जायेंगे.”

5याहवेह उस नगर तथा मीनार को देखने उतर आए, जिसे लोग बना रहे थे. 6याहवेह ने सोचा, “ये लोग एक झुंड हैं, इनकी एक ही भाषा है, और इन्होंने सोचकर काम करने की शुरुआत की है; अब आगे भी इस प्रकार और काम करेंगे, तो इनके लिए कोई काम मुश्किल नहीं होगा. 7आओ, हम उनकी भाषा में गड़बड़ी लाएं ताकि वे एक दूसरे की बात को समझ न सकें.”

8इस प्रकार याहवेह ने उन्हें अलग कर दिया और वे पृथ्वी पर अलग-अलग जगह पर चले गये और नगर व मीनार का काम रुक गया. 9इसी कारण इस स्थान का नाम बाबेल11:9 बाबेल अर्थात् गड़बड़ या संभ्रम पड़ा, क्योंकि यहीं याहवेह ने भाषा में गड़बड़ी डाली थी तथा यहीं से याहवेह ने उन्हें पूरी पृथ्वी पर फैला दिया.

शेम के वंशज

10शेम के वंश का विवरण यह है:

जलप्रलय के दो साल बाद अरफाक्साद का जन्म हुआ तब शेम 100 साल के थे. 11अरफाक्साद के जन्म के बाद शेम 500 वर्ष और जीवित रहे. इनके अतिरिक्त उनके और पुत्र-पुत्रियां पैदा हुईं.

12जब अरफाक्साद 35 साल के हुए, तब शेलाह का जन्म हुआ. 13शेलाह के जन्म के बाद अरफाक्साद 403 वर्ष और जीवित रहे तथा उनके और पुत्र-पुत्रियां पैदा हुईं.

14जब शेलाह 30 वर्ष के हुए, तब एबर का जन्म हुआ. 15एबर के जन्म के बाद शेलाह 403 वर्ष और जीवित रहे तथा उनके और पुत्र-पुत्रियां पैदा हुईं.

16जब एबर 34 वर्ष के हुए, तब पेलेग का जन्म हुआ. 17पेलेग के जन्म के बाद एबर 430 वर्ष और जीवित रहे तथा उनके और पुत्र-पुत्रियां पैदा हुईं.

18जब पेलेग 30 वर्ष के हुए, तब रेउ का जन्म हुआ. 19रेउ के जन्म के बाद पेलेग 209 वर्ष और जीवित रहे तथा उनके और पुत्र-पुत्रियां पैदा हुईं.

20जब रेउ 32 वर्ष के हुए, तब सेरुग का जन्म हुआ. 21सेरुग के जन्म के बाद रेउ 207 वर्ष और जीवित रहे तथा उनके और पुत्र-पुत्रियां पैदा हुईं.

22जब सेरुग 30 वर्ष के हुए, तब नाहोर का जन्म हुआ. 23नाहोर के जन्म के बाद सेरुग 200 वर्ष और जीवित रहे तथा उनके और पुत्र-पुत्रियां पैदा हुईं.

24जब नाहोर 29 वर्ष के हुए, तब तेराह का जन्म हुआ. 25तेराह के जन्म के बाद नाहोर 119 वर्ष और जीवित रहे तथा उनके और पुत्र-पुत्रियां पैदा हुईं.

26जब तेराह 70 वर्ष के हुए, तब अब्राम, नाहोर तथा हारान का जन्म हुआ.

अब्राम के वंशज

27तेराह के वंशज ये हैं:

तेराह से अब्राम, नाहोर तथा हारान का जन्म हुआ; हारान ने लोत को जन्म दिया. 28हारान की मृत्यु उनके पिता के जीवित रहते उसकी जन्मभूमि कसदियों के ऊर में हुई. 29अब्राम तथा नाहोर ने विवाह किया. अब्राम की पत्नी का नाम सारय तथा नाहोर की पत्नी का नाम मिलकाह था, जो हारान की पुत्री थी. हारान की अन्य पुत्री का नाम यिसकाह था. 30सारय बांझ थी. उनकी कोई संतान न थी.

31तेराह ने अपने पुत्र अब्राम तथा अपने पोते लोत को, जो हारान का पुत्र था तथा अब्राम की पत्नी सारय को अपने साथ लिया और वे सब कसदियों के ऊर से हारान नामक जगह पहुंचे और वहीं रहने लगे.

32हारान में तेराह की मृत्यु हो गई, तब वे 205 वर्ष के थे.