إنجيل يوحنا 17 – NAV & HCV

New Arabic Version

إنجيل يوحنا 17:1-26

المسيح يصلي من أجل نفسه

1وَلَمَّا أَنْهَى يَسُوعُ هَذَا الْحَدِيثَ رَفَعَ عَيْنَيْهِ نَحْوَ السَّمَاءِ، وَقَالَ: «أَيُّهَا الآبُ، قَدْ حَانَتِ السَّاعَةُ! مَجِّدِ ابْنَكَ، لِيُمَجِّدَكَ ابْنُكَ أَيْضاً، 2فَقَدْ أَعْطَيْتَهُ السُّلْطَةَ عَلَى جَمِيعِ الْبَشَرِ، لِيَمْنَحَ جَمِيعَ الَّذِينَ قَدْ وَهَبْتَهُمْ لَهُ حَيَاةً أَبَدِيَّةً. 3وَالْحَيَاةُ الأَبَدِيَّةُ هِيَ أَنْ يَعْرِفُوكَ أَنْتَ الإِلهَ الْحَقَّ وَحْدَكَ، وَيَسُوعَ الْمَسِيحَ الَّذِي أَرْسَلْتَهُ. 4أَنَا مَجَّدْتُكَ عَلَى الأَرْضِ، وَأَنْجَزْتُ الْعَمَلَ الَّذِي كَلَّفْتَنِي. 5فَمَجِّدْنِي فِي حَضْرَتِكَ الآنَ، أَيُّهَا الآبُ، بِمَا كَانَ لِي مِنْ مَجْدٍ عِنْدَكَ قَبْلَ تَكْوِينِ الْعَالَمِ.

المسيح يصلي من أجل تلاميذه

6أَظْهَرْتُ اسْمَكَ لِلنَّاسِ الَّذِينَ وَهَبْتَهُمْ لِي مِنَ الْعَالَمِ. كَانُوا لَكَ، فَوَهَبْتَهُمْ لِي. وَقَدْ عَمِلُوا بِكَلِمَتِكَ، 7وَعَرَفُوا الآنَ أَنَّ كُلَّ مَا وَهَبْتَهُ لِي فَهُوَ مِنْكَ، 8لأَنِّي نَقَلْتُ إِلَيْهِمِ الْوَصَايَا الَّتِي أَوْصَيْتَنِي بِها، فَقَبِلُوهَا، وَعَرَفُوا حَقّاً أَنِّي خَرَجْتُ مِنْ عِنْدِكَ، وَآمَنُوا أَنَّكَ أَنْتَ أَرْسَلْتَنِي.

9مِنْ أَجْلِ هؤُلاءِ أُصَلِّي إِلَيْكَ. لَسْتُ أُصَلِّي الآنَ مِنْ أَجْلِ الْعَالَمِ، بَلْ مِنْ أَجْلِ الَّذِينَ وَهَبْتَهُمْ لِي، لأَنَّهُمْ لَكَ. 10وَكُلُّ مَا هُوَ لِي فَهُوَ لَكَ، وَكُلُّ مَا هُوَ لَكَ فَهُوَ لِي؛ وَأَنَا قَدْ تَمَجَّدْتُ فِيهِمْ. 11هؤُلاءِ بَاقُونَ فِي الْعَالَمِ؛ أَمَّا أَنَا فَلَسْتُ بَاقِياً فِيهِ، لأَنِّي عَائِدٌ إِلَيْكَ. أَيُّهَا الآبُ الْقُدُّوسُ احْفَظْ فِي اسْمِكَ الَّذِينَ وَهَبْتَهُمْ لِي، لِيَكُونُوا وَاحِداً، كَمَا نَحْنُ وَاحِدٌ. 12حِينَ كُنْتُ مَعَهُمْ، كُنْتُ أَحْفَظُهُمْ فِي اسْمِكَ. فَالَّذِينَ وَهَبْتَهُمْ لِي، رَعَيْتُهُمْ، وَلَمْ يَهْلِكْ مِنْهُمْ أَحَدٌ إِلّا ابْنُ الْهَلاكِ، لِيَتِمَّ الْكِتَابُ. 13أَمَّا الآنَ فَإِنِّي عَائِدٌ إِلَيْكَ، وَأَتَكَلَّمُ بِهَذَا وَأَنَا بَعْدُ فِي الْعَالَمِ، لِيَكُونَ لَهُمْ فَرَحِي كَامِلاً فِيهِمْ. 14أَبْلَغْتُهُمْ كَلِمَتَكَ، فَأَبْغَضَهُمُ الْعَالَمُ لأَنَّهُمْ لَيْسُوا مِنَ الْعَالَمِ. 15وَأَنَا لَا أَطْلُبُ أَنْ تَأْخُذَهُمْ مِنَ الْعَالَمِ، بَلْ أَنْ تَحْفَظَهُمْ مِنَ الشِّرِّيرِ. 16فَهُمْ لَيْسُوا مِنْ أَهْلِ الْعَالَمِ كَمَا أَنِّي لَسْتُ مِنَ الْعَالَمِ. 17قَدِّسْهُمْ بِالْحَقِّ؛ إِنَّ كَلِمَتَكَ هِيَ الْحَقُّ. 18وَكَمَا أَرْسَلْتَنِي أَنْتَ إِلَى الْعَالَمِ، أَرْسَلْتُهُمْ أَنَا أَيْضاً إِلَيْهِ. 19وَمِنْ أَجْلِهِمْ أَنَا أُقَدِّسُ ذَاتِي، لِيَتَقَدَّسُوا هُمْ أَيْضاً فِي الْحَقِّ.

المسيح يصلي من أجل كل المؤمنين به

20وَلَسْتُ أُصَلِّي مِنْ أَجْلِ هؤُلاءِ فَقَطْ، بَلْ أَيْضاً مِنْ أَجْلِ الَّذِينَ سَوْفَ يُؤْمِنُونَ بِي بِسَبَبِ كَلِمَةِ هؤُلاءِ، 21لِيَكُونَ الْجَمِيعُ وَاحِداً؛ أَيُّهَا الآبُ، كَمَا أَنَّكَ أَنْتَ فِيَّ وَأَنَا فِيكَ، لِيَكُونُوا هُمْ أَيْضاً وَاحِداً فِينَا، لِكَيْ يُؤْمِنَ الْعَالَمُ أَنَّكَ أَنْتَ أَرْسَلْتَنِي. 22إِنِّي أَعْطَيْتُهُمُ الْمَجْدَ الَّذِي أَعْطَيْتَنِي، لِيَكُونُوا وَاحِداً كَمَا نَحْنُ وَاحِدٌ. 23أَنَا فِيهِمْ، وَأَنْتَ فِيَّ، لِيَكْتَمِلُوا فَيَصِيرُوا وَاحِداً، حَتَّى يَعْرِفَ الْعَالَمُ أَنَّكَ أَرْسَلْتَنِي وَأَنَّكَ أَحْبَبْتَهُمْ كَمَا أَحْبَبْتَنِي.

24أَيُّهَا الآبُ، أُرِيدُ لِهؤُلاءِ الَّذِينَ وَهَبْتَهُمْ لِي أَنْ يَكُونُوا مَعِي حَيْثُ أَكُونُ أَنَا، فَيُشَاهِدُوا مَجْدِي الَّذِي أَعْطَيْتَنِي، لأَنَّكَ أَحْبَبْتَنِي قَبْلَ إِنْشَاءِ الْعَالَمِ. 25أَيُّهَا الآبُ الْبَارُّ، إِنَّ الْعَالَمَ لَمْ يَعْرِفْكَ، أَمَّا أَنَا فَعَرَفْتُكَ، وَهؤُلاءِ عَرَفُوا أَنَّكَ أَنْتَ أَرْسَلْتَنِي، 26وَقَدْ عَرَّفْتُهُمُ اسْمَكَ، وَسَأُعَرِّفُهُمْ أَيْضاً، لِتَكُونَ فِيهِمِ الْمَحَبَّةُ الَّتِي أَحْبَبْتَنِي بِها، وَأَكُونَ أَنَا فِيهِمْ».

Hindi Contemporary Version

योहन 17:1-26

मसीह येशु की अपने ही लिए प्रार्थना

1इन बातों के प्रकट करने के बाद मसीह येशु ने स्वर्ग की ओर दृष्टि उठाकर प्रार्थना की.

“पिता, वह समय आ गया है. अपने पुत्र को गौरवान्वित कीजिए कि पुत्र आपको गौरवान्वित करे. 2क्योंकि आपने उसे सारी मानव जाति पर अधिकार दिया है कि वह उन सबको अनंत जीवन प्रदान करे जिन्हें आपने उसे सौंपा है. 3अनंत जीवन यह है कि वे आपको, जो एकमात्र सच्चे परमेश्वर हैं और मसीह येशु को, जिसे आपने भेजा है, जानें. 4जो काम आपने मुझे सौंपा था, उसे पूरा कर मैंने पृथ्वी पर आपको गौरवान्वित किया है. 5इसलिये पिता, आप मुझे अपने साथ उसी महिमा से गौरवान्वित कीजिए, जो महिमा मेरी आपके साथ संसार की सृष्टि से पहले थी.

मसीह येशु की शिष्यों के लिए प्रार्थना

6“मैंने आपको उन सब पर प्रगट किया, संसार में से जिनको चुनकर आपने मुझे सौंपा था. वे आपके थे किंतु आपने उन्हें मुझे सौंपा था और उन्होंने आपके वचन का पालन किया. 7अब वे जान गए हैं कि जो कुछ आपने मुझे दिया है, वह सब आप ही की ओर से है 8क्योंकि आपसे प्राप्‍त आज्ञाएं मैंने उन्हें दे दी है. उन्होंने उनको ग्रहण किया और वास्तव में यह जान लिया है कि मैं आपसे आया हूं; उन्होंने विश्वास किया कि आप ही मेरे भेजनेवाले हैं. 9आपसे मेरी विनती संसार के लिए नहीं किंतु उनके लिए है, जो आपके हैं और जिन्हें आपने मुझे सौंपा है. 10वह सब, जो मेरा है, आपका है, जो आपका है, वह मेरा है और मैं उनमें गौरवान्वित हुआ हूं 11अब मैं संसार में नहीं रहूंगा; मैं आपके पास आ रहा हूं, किंतु वे सब संसार में हैं. पवित्र पिता! उन्हें अपने उस नाम में, जो आपने मुझे दिया है, सुरक्षित रखिए कि वे एक हों जैसे हम एक हैं. 12जब मैं उनके साथ था, मैंने उन्हें आपके उस नाम में, जो आपने मुझे दिया था, सुरक्षित रखा. मैंने उनकी रक्षा की; उनमें से किसी का नाश नहीं हुआ, सिवाय विनाश के पुत्र के; वह भी इसलिये कि पवित्र शास्त्र का वचन पूरा हो.

13“अब मैं आपके पास आ रहा हूं. ये सब मैं संसार में रहते हुए ही कह रहा हूं कि वे मेरे आनंद से परिपूर्ण हो जाएं. 14मैंने उनको आपका वचन दिया है. संसार ने उनसे घृणा की है क्योंकि वे संसार के नहीं हैं, जिस प्रकार मैं भी संसार का नहीं हूं. 15मैं आपसे यह विनती नहीं करता कि आप उन्हें संसार में से उठा लें परंतु यह कि आप उन्हें उस दुष्ट से बचाए रखें. 16वे संसार के नहीं हैं, जिस प्रकार मैं भी संसार का नहीं हूं. 17उन्हें सच्चाई में अपने लिए अलग कीजिए—आपका वचन सत्य है. 18जैसे आपने मुझे संसार में भेजा था, मैंने भी उन्हें संसार में भेजा. 19उनके लिए मैं स्वयं को समर्पित करता हूं कि वे भी सच्चाई में समर्पित हो जाएं.

भविष्य में बननेवाले शिष्यों के लिए मसीह येशु की प्रार्थना

20“मैं मात्र इनके लिए ही नहीं परंतु उन सबके लिए भी विनती करता हूं, जो इनके संदेश के द्वारा मुझमें विश्वास करेंगे. 21पिता! वे सब एक हों; जैसे आप मुझमें और मैं आप में, वैसे ही वे हममें एक हों जिससे संसार विश्वास करे कि आप ही मेरे भेजनेवाले हैं. 22वह महिमा, जो आपने मुझे प्रदान की है, मैंने उन्हें दे दी है कि वे भी एक हों, जिस प्रकार हम एक हैं, 23आप मुझमें और मैं उनमें कि वे पूरी तरह से एक हो जाएं जिससे संसार पर यह साफ़ हो जाए कि आपने ही मुझे भेजा और आपने उनसे वैसा ही प्रेम किया है जैसा मुझसे.

24“पिता, मेरी इच्छा यह है कि वे भी, जिन्हें आपने मुझे सौंपा है, मेरे साथ वहीं रहें, जहां मैं हूं कि वे मेरी उस महिमा को देख सकें, जो आपने मुझे दी है क्योंकि संसार की सृष्टि के पहले से ही आपने मुझसे प्रेम किया है.

25“हे नीतिमान पिता, संसार ने तो आपको नहीं जाना किंतु मैं आपको जानता हूं, और उनको यह मालूम हो गया है कि आपने ही मुझे भेजा है. 26मैंने आपको उन पर प्रकट किया है, और प्रकट करता रहूंगा कि जिस प्रेम से आपने मुझसे प्रेम किया है, वही प्रेम उनमें बस जाए और मैं उनमें.”