إنجيل متى 10 – NAV & HCV

New Arabic Version

إنجيل متى 10:1-42

يسوع يرسل الاثني عشر رسولاً

1ثُمَّ دَعَا إِلَيْهِ تَلامِيذَهُ الاثْنَيْ عَشَرَ، وَأَعْطَاهُمْ سُلْطَانَاً عَلَى الأَرْوَاحِ النَّجِسَةِ لِيَطْرُدُوهَا وَيَشْفُوا كُلَّ مَرَضٍ وَعِلَّةٍ. 2وَهَذِهِ أَسْمَاءُ الِاثْنَيْ عَشَرَ رَسُولاً: سِمْعَانُ الَّذِي دُعِيَ بُطْرُسَ، وَأَنْدَرَاوُسُ أَخُوهُ، وَيَعْقُوبُ بْنُ زَبَدِي، وَيُوحَنَّا أَخُوهُ؛ 3فِيلِبُّسُ، وَبَرْثُلْمَاوُسُ؛ تُومَا، وَمَتَّى جَابِي الضَّرَائِبِ؛ يَعْقُوبُ بْنُ حَلْفَى، وَتَدَّاوُسُ؛ 4سِمْعَانُ الْقَانَوِيُّ؛ وَيَهُوذَا الإِسْخَرْيُوطِيُّ الَّذِي خَانَهُ.

5هؤُلاءِ الاِثْنَا عَشَرَ رَسُولاً، أَرْسَلَهُمْ يَسُوعُ وَقَدْ أَوْصَاهُمْ قَائِلاً: «لا تَسْلُكُوا طَرِيقاً إِلَى الأُمَمِ، وَلا تَدْخُلُوا مَدِينَةً سَامِرِيَّةً. 6بَلِ اذْهَبُوا بِالأَوْلَى إِلَى الْخِرَافِ الضَّالَّةِ، إِلَى بَيْتِ إِسْرَائِيلَ. 7وَفِيمَا أَنْتُمْ ذَاهِبُونَ، بَشِّرُوا قَائِلِينَ: قَدِ اقْتَرَبَ مَلَكُوتُ السَّمَاوَاتِ. 8اشْفُوا الْمَرْضَى، وَأَقِيمُوا الْمَوْتَى، وَطَهِّرُوا الْبُرْصَ، وَاطْرُدُوا الشَّيَاطِينَ. مَجَّاناً أَخَذْتُمْ، فَمَجَّاناً أَعْطُوا! 9لَا تَحْمِلُوا فِي أَحْزِمَتِكُمْ ذَهَباً وَلا فِضَّةً وَلا نُحَاساً، 10وَلا تَأْخُذُوا لِلطَّرِيقِ زَاداً وَلا ثَوْبَيْنِ وَلا حِذَاءً وَلا عَصاً: فَإِنَّ الْعَامِلَ يَسْتَحِقُّ طَعَامَهُ.

11وَكُلَّمَا دَخَلْتُمْ مَدِينَةً أَوْ قَرْيَةً، فَابْحَثُوا فِيهَا عَمَّنْ هُوَ مُسْتَحِقٌّ، وَأَقِيمُوا هُنَاكَ حَتَّى تَرْحَلُوا. 12وَعِنْدَمَا تَدْخُلُونَ بَيْتاً، أَلْقُوا السَّلامَ عَلَيْهِ. 13فَإِذَا كَانَ ذَلِكَ الْبَيْتُ مُسْتَحِقّاً فِعْلاً، فَلْيَحِلَّ سَلامُكُمْ عَلَيْهِ. وَإِنْ لَمْ يَكُنْ مُسْتَحِقّاً، فَلْيَرْجِعْ سَلامُكُمْ لَكُمْ 14وَإِنْ كَانَ أَحَدٌ لَا يَقْبَلُكُمْ وَلا يَسْمَعُ كَلامَكُمْ فِي بَيْتٍ أَوْ مَدِينَةٍ، فَاخْرُجُوا مِنْ هُنَاكَ، وَانْفُضُوا الْغُبَارَ عَنْ أَقَدَامِكُمْ. 15الْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ حَالَةَ مَدِينَتَيْ سَدُومَ وَعَمُورَةَ سَوْفَ تَكُونُ فِي يَوْمِ الدَّيْنُونَةِ أَخَفَّ وَطْأَةً مِنْ حَالَةِ تِلْكَ الْمَدِينَةِ.

16هَا أَنَا أُرْسِلُكُمْ مِثْلَ الْخِرَافِ بَيْنَ الذِّئَابِ، فَكُونُوا مُتَنَبِّهِينَ كَالْحَيَّاتِ وَمُسَالِمِينَ كالْحَمَامِ. 17احْذَرُوا مِنَ النَّاسِ! فَإِنَّهُمْ سَيُسَلِّمُونَكُمْ إِلَى الْمَحَاكِمِ، وَيَجْلِدُونَكُمْ فِي مَجَامِعِهِمْ؛ 18وَتُسَاقُونَ لِلْمُثُولِ أَمَامَ الْحُكَّامِ وَالْمُلُوكِ مِنْ أَجْلِي: فَيَكُونُ ذَلِكَ شَهَادَةً لِي لَدَى الْيَهُودِ وَالأُمَمِ عَلَى السَّوَاءِ. 19فَحِينَ يُسَلِّمُونَكُمْ، لَا تَهْتَمُّوا كَيْفَ تَتَكَلَّمُونَ أَوْ مَاذَا تَقُولُونَ. فَإِنَّكُمْ فِي تِلْكَ السَّاعَةِ يُعْطَى لَكُمْ مَا تَقُولُونَ. 20فَلَسْتُمْ أَنْتُمُ الْمُتَكَلِّمِينَ، بَلْ رُوحُ أَبِيكُمْ هُوَ الَّذِي يَتَكَلَّمُ فِيكُمْ. 21وَسَوْفَ يُسَلِّمُ الأَخُ أَخَاهُ إِلَى الْمَوْتِ، وَالأَبُ وَلَدَهُ. وَيَتَمَرَّدُ الأَوْلادُ عَلَى وَالِدِيهِمْ، وَيَقْتُلُونَهُمْ! 22وَتَكُونُونَ مَكْرُوهِينَ لَدَى الْجَمِيعِ مِنْ أَجْلِ اسْمِي. وَلَكِنَّ الَّذِي يَثْبُتُ إِلَى النِّهَايَةِ، هُوَ الَّذِي يَخْلُصُ. 23فَإِذَا اضْطَهَدُوكُمْ فِي مَدِينَةٍ مَا، فَاهْرُبُوا إِلَى غَيْرِهَا. فَإِنِّي الْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: لَنْ تَفْرَغُوا مِنْ مُدُنِ إِسْرَائِيلَ إِلَى أَنْ يَأْتِيَ ابْنُ الإِنْسَانِ.

24لَيْسَ التِّلْمِيذُ أفْضَلَ مِنَ الْمُعَلِّمِ، وَلا الْعَبْدُ أفْضَلَ مِنْ سَيِّدِهِ. 25يَكْفِي التِّلْمِيذَ أَنْ يَصِيرَ مِثْلَ مُعَلِّمِهِ، وَالْعَبْدَ مِثْلَ سَيِّدِهِ! إِنْ كَانُوا قَدْ لَقَّبُوا رَبَّ الْبَيْتِ بِبَعْلَزَبُولَ، فَكَمْ بِالأَوْلَى يُلَقِّبُونَ أَهْلَ بَيْتِهِ؟ 26فَلا تَخَافُوهُمْ: لأَنَّهُ مَا مِنْ مَحْجُوبٍ لَنْ يُكْشَفَ، وَمَا مِنْ خَفِيٍّ لَنْ يُعْلَنَ! 27مَا أَقُولُهُ لَكُمْ فِي الظَّلامِ، قُولُوهُ فِي النُّورِ؛ وَمَا تَسْمَعُونَهُ هَمْساً، نَادُوا بِهِ عَلَى السُّطُوحِ. 28لَا تَخَافُوا الَّذِينَ يَقْتُلُونَ الْجَسَدَ، وَلَكِنَّهُمْ يَعْجِزُونَ عَنْ قَتْلِ النَّفْسِ، بَلْ بِالأَحْرَى خَافُوا الْقَادِرَ أَنْ يُهْلِكَ النَّفْسَ وَالْجَسَدَ جَمِيعاً فِي جَهَنَّمَ. 29أَمَا يُبَاعُ عُصْفُورَانِ بِفَلْسٍ وَاحِدٍ؟ وَمَعَ ذَلِكَ لَا يَقَعُ وَاحِدٌ مِنْهُمَا إِلَى الأَرْضِ دُونَ عِلْمِ أَبِيكُمْ. 30وَأَمَّا أَنْتُمْ فَحَتَّى شَعْرُ رُؤُوسِكُمْ كُلُّهُ مَعْدُودٌ. 31فَلا تَخَافُوا إِذَنْ! أَنْتُمْ أَفْضَلُ مِنْ عَصَافِيرَ كَثِيرَةٍ.

32كُلُّ مَنْ يَعْتَرِفُ بِي أَمَامَ النَّاسِ، أَعْتَرِفُ أَنَا أَيْضاً بِهِ أَمَامَ أَبِي الَّذِي فِي السَّمَاوَاتِ. 33وَكُلُّ مَنْ يُنْكِرُنِي أَمَامَ النَّاسِ، أُنْكِرُهُ أَنَا أَيْضاً أَمَامَ أَبِي الَّذِي فِي السَّمَاوَاتِ.

34لَا تَظُنُّوا أَنِّي جِئْتُ لأُرْسِيَ سَلاماً عَلَى الأَرْضِ. مَا جِئْتُ لأُرْسِيَ سَلاماً، بَلْ سَيْفاً. 35فَإِنِّي جِئْتُ لأَجْعَلَ الإِنْسَانَ عَلَى خِلافٍ مَعَ أَبِيهِ، وَالْبِنْتَ مَعَ أُمِّهَا، وَالْكَنَّةَ مَعَ حَمَاتِهَا. 36وَهَكَذَا يَصِيرُ أَعْدَاءَ الإِنْسَانِ أَهْلُ بَيْتِهِ. 37مَنْ أَحَبَّ أَبَاهُ أَوْ أُمَّهُ أَكْثَرَ مِنِّي، فَلا يَسْتَحِقُّنِي. وَمَنْ أَحَبَّ ابْنَهُ أَوِ ابْنَتَهُ أَكْثَرَ مِنِّي، فَلا يَسْتَحِقُّنِي. 38وَمَنْ لَا يَحْمِلْ صَلِيبَهُ وَيَتْبَعْنِي، فَهُوَ لَا يَسْتَحِقُّنِي. 39مَنْ يَتَمَسَّكْ بِحَيَاتِهِ، يَخْسَرْهَا؛ وَمَنْ يَخْسَرْ حَيَاتَهُ مِنْ أَجْلِي، فَإِنَّهُ يَرْبَحُهَا. 40مَنْ يَقْبَلْكُمْ، يَقْبَلْنِي؛ وَمَنْ يَقْبَلْنِي، يَقْبَلِ الَّذِي أَرْسَلَنِي. 41مَنْ يُرَحِّبْ بِنَبِيٍّ لِكَوْنِهِ نَبِيًّا، فَإِنَّهُ يَنَالُ مُكَافَأَةَ نَبِيٍّ؛ وَمَنْ يُرَحِّبْ بِرَجُلٍ صَالِحٍ لِكَوْنِهِ صَالِحاً، فَإِنَّهُ يَنَالُ مُكَافَأَةَ بَارٍّ. 42وَأَيُّ مَنْ سَقَى وَاحِداً مِنْ هؤُلاءِ الصِّغَارِ وَلَوْ كَأْسَ مَاءٍ بَارِدٍ، فَقَطْ لأَنَّهُ تِلْمِيذٌ لِي، فَالْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ مُكَافَأَتَهُ لَنْ تَضِيعَ أَبَداً».

Hindi Contemporary Version

मत्तियाह 10:1-42

येशु बारह शिष्यों को सेवकाई में भेजते है

1येशु ने अपने बारह शिष्यों को बुलाकर उन्हें अधिकार दिया कि वे दुष्टात्मा को निकाला करें तथा हर एक प्रकार के रोग और बीमारी से स्वस्थ करें.

2इन बारह प्रेरितों के नाम इस प्रकार हैं:

शिमओन जो पेतरॉस कहलाए, उनके भाई आन्द्रेयास,

ज़ेबेदियॉस के पुत्र याकोब, उनके भाई योहन,

3फ़िलिप्पॉस, बारथोलोमेयॉस,

थोमॉस, चुंगी लेनेवाले मत्तियाह,

हलफ़ेयॉस के पुत्र याकोब, थद्देइयॉस,

4कनानी शिमओन तथा कारियोतवासी यहूदाह, जिसने उनके साथ धोखा किया.

5येशु ने इन बारहों को इन निर्देशों के साथ विदा किया: “गैर-यहूदियों के मध्य न जाओ, और शमरिया प्रदेश के किसी भी नगर में प्रवेश न करना. 6परंतु इस्राएल घराने की खोई हुई भेड़ों के पास जाओ. 7जाते हुए यह घोषणा करते जाओ, ‘स्वर्ग-राज्य समीप आ पहुंचा है.’ 8रोगियों को स्वस्थ करो, मरे हुओं को जिलाओ, कोढ़ रोगियों10:8 कोढ़ इस रोग के लिए प्रयुक्त मूल यूनानी शब्द विभिन्‍न चर्म रोगों के लिए भी प्रयुक्त होता था. को शुद्ध करो, तथा दुष्टात्मा को निकालते जाओ. तुमने बिना दाम के प्राप्‍त किया है, बिना दाम लिए देते जाओ.

9“यात्रा में अपने लिए सोना, चांदी तथा तांबे के सिक्कों को जमा न करना. 10यात्रा के लिए न थैला, न वस्त्रों के दूसरे जोड़े, न जूते और न ही लाठी साथ ले जाना क्योंकि भरण-पोषण हर एक मज़दूर का अधिकार है. 11किसी भी गांव या नगर में प्रवेश करने पर योग्य व्यक्ति की खोज करना और वहां से विदा होने तक उसी के अतिथि होकर रहना. 12उस घर में प्रवेश करते समय उनके लिए मंगल कामना करना. 13यदि वह घर इस योग्य लगे तो उसके लिए शांति की आशीष देना; यदि वह इसके योग्य न लगे तो अपनी शांति की आशीष अपने पास लौट आने देना. 14जो कोई तुम्हारा स्वागत न करे या तुम्हारी न सुने उस घर से या उस नगर से बाहर आते हुए अपने चरणों की धूल तक वहीं झाड़ देना. 15सच तो यह है कि न्याय-दिवस पर उस नगर की तुलना में सोदोम और गोमोरा का दंड कहीं अधिक सहनीय होगा.

16“याद रखो कि मैं तुम्हें इस प्रकार भेज रहा हूं मानो भेड़ियों के समूह में भेड़. इसलिये ज़रूरी है कि तुम सांप जैसे चालाक तथा कबूतर जैसे भोले हो. 17सहजातियों से सावधान रहना क्योंकि वे ही तुम्हें पकड़कर स्थानीय न्यायालय को सौंप देंगे. उनके यहूदी सभागृहों में तुम्हें कोड़े लगाए जाएंगे. 18यहां तक कि मेरे कारण मेरे गवाह के रूप में तुम्हें राज्यपालों, शासकों और गैर-यहूदियों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा. 19जब तुम पकड़वाए जाओ तो यह चिंता न करना कि तुम्हें कैसे या क्या कहना होगा—सही शब्द तुम्हें उसी समय प्रदान किए जाएंगे, 20क्योंकि वहां तुम नहीं परंतु तुम्हारे स्वर्गीय पिता का आत्मा तुम्हारे द्वारा शब्द देगा.

21“भाई अपने भाई को तथा पिता अपनी संतान को हत्या के लिए पकड़वाएगा. बालक अपने माता-पिता के विरुद्ध हो जाएंगे और उनकी हत्या का कारण बन जाएंगे. 22मेरे नाम के कारण तुम सब की घृणा के पात्र बन जाओगे किंतु जो अंत तक स्थिर रहेगा, वही उद्धार पाएगा. 23जब वे तुम्हें एक नगर में यातना देने लगें तब दूसरे नगर को भाग जाना, क्योंकि सच्चाई यह है कि इस्राएल राष्ट्र के एक नगर से दूसरे नगर तक तुम्हारी यात्रा पूरी भी न होगी कि मनुष्य का पुत्र आ जाएगा.

24“शिष्य अपने गुरु से श्रेष्ठ नहीं और न दास अपने स्वामी से. 25शिष्य को यही काफ़ी है कि वह अपने गुरु के तुल्य हो जाए तथा दास अपने स्वामी के. यदि उन्होंने परिवार के प्रधान को ही बेलज़बूल10:25 बेलज़बूल अर्थात दुष्टात्माओं का प्रधान घोषित कर दिया तो उस परिवार के सदस्यों को क्या कुछ नहीं कहा जाएगा!

26“इसलिये उनसे भयभीत न होना क्योंकि ऐसा कुछ भी छुपा नहीं, जिसे खोला न जाएगा या ऐसा कोई रहस्य नहीं, जिसे प्रकट न किया जाएगा. 27मैं जो कुछ तुम पर अंधकार में प्रकट कर रहा हूं, उसे प्रकाश में स्पष्ट करो और जो कुछ तुमसे कान में कहा गया है, उसकी घोषणा हर जगह करो. 28उनसे भयभीत न हो, जो शरीर को तो नाश कर सकते हैं किंतु आत्मा को नाश करने में असमर्थ हैं. सही तो यह है कि भयभीत उनसे हो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नर्क में नाश करने में समर्थ हैं. 29क्या दो गौरैयें बहुत सस्ती एक पैसे में नहीं बिकती? फिर भी ऐसा नहीं कि यदि उनमें से एक भी भूमि पर गिर जाए और तुम्हारे पिता को उसके विषय में मालूम न हो. 30तुम्हारे सिर का तो एक-एक बाल गिना हुआ है. 31इसलिये भयभीत न हो. तुम्हारा दाम अनेक गौरैया से कहीं अधिक है.

32“जो कोई मुझे मनुष्यों के सामने स्वीकार करता है, मैं भी उसे अपने स्वर्गीय पिता के सामने स्वीकार करूंगा 33किंतु जो कोई मुझे मनुष्यों के सामने अस्वीकार करता है, उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने अस्वीकार करूंगा.

34“यह न समझो कि मैं पृथ्वी पर मेल-मिलाप के लिए आया हूं. मैं मेल-मिलाप के लिए नहीं, बंटवारे के लिए आया हूं. 35मैं आया हूं कि

“ ‘पुत्र को उसके पिता के विरुद्ध,

पुत्री को उसकी माता के विरुद्ध

तथा बहू को उसकी सास के विरुद्ध उकसाऊं.

36मनुष्य के शत्रु उसके परिवार के सदस्य ही होंगे.’10:36 मीका 7:6

37“वह, जिसे मेरे बजाय अपने माता-पिता से अधिक लगाव है, मेरे योग्य नहीं है, तथा जिसे मेरी बजाय अपने पुत्र-पुत्री से अधिक प्रेम है, वह मेरे योग्य नहीं. 38वह, जो अपना क्रूस स्वयं उठाए हुए मेरा अनुसरण नहीं करता, मेरे योग्य नहीं. 39वह, जो यह समझता है कि उसने जीवन पा लिया है, वह उसे खो देगा तथा वह, जिसने मेरे लिए अपना जीवन खो दिया है, उसे सुरक्षित पाएगा.

40“वह, जो तुम्हें स्वीकार करता है, मुझे स्वीकार करता है, और जो मुझे स्वीकार करता है, उन्हें स्वीकार करता है, जिन्होंने मुझे भेजा है. 41जो कोई एक भविष्यवक्ता को एक भविष्यवक्ता के नाम में स्वीकार करता है, एक भविष्यवक्ता का ईनाम प्राप्‍त करेगा; और वह, जो एक धर्मी व्यक्ति को एक धर्मी व्यक्ति के नाम में स्वीकार करता है, धर्मी व्यक्ति का ही ईनाम प्राप्‍त करेगा. 42जो कोई इन मामूली व्यक्तियों में से किसी एक को एक कटोरा शीतल जल मात्र इसलिये दे कि वह मेरा शिष्य है, तुम सच तो जानो, वह अपना ईनाम नहीं खोएगा.”