أستير 2 – NAV & HCV

New Arabic Version

أستير 2:1-23

جعل أستير ملكة

1وَبَعْدَ ذَلِكَ خَمَدَتْ حِدَّةُ غَضَبِ الْمَلِكِ أَحَشْوِيرُوشَ، فَذَكَرَ وَشْتِي وَمَا فَعَلَتْهُ، وَالْقَرَارَ الَّذِي صَدَرَ ضِدَّهَا. 2فَقَالَ لَهُ رِجَالُهُ الْقَائِمُونَ عَلَى خِدْمَتِهِ: «لِيُجْرَ بَحْثٌ عَنْ فَتَيَاتٍ عَذَارَى بَارِعَاتِ الْجَمَالِ مِنْ أَجْلِ الْمَلِكِ، 3وَلْيَعْهَدِ الْمَلِكُ إِلَى وُكَلائِهِ فِي كُلِّ أَرْجَاءِ مَمْلَكَتِهِ حَتَّى يَجْمَعُوا كُلَّ الْفَتَيَاتِ الْعَذَارَى الْفَاتِنَاتِ إِلَى جَنَاحِ الْحَرِيمِ فِي شُوشَنَ الْقَصْرِ، لِيَكُنَّ تَحْتَ إِشْرَافِ هَيْجَايَ خَصِيِّ الْمَلِكِ وَحَارِسِ النِّسَاءِ، حَيْثُ تُقَدَّمُ إِلَيْهُنَّ الدُّهُونُ الْمُعَطَّرَةُ. 4وَالْفَتَاةُ الَّتِي تَرُوقُ لِلْمَلِكِ تُصْبِحُ مَلِكَةً مَحَلَّ وَشْتِي». فَاسْتَحْسَنَ الْمَلِكُ هَذَا الْكَلامَ وَعَمِلَ بِهِ.

5وَكَانَ يُقِيمُ فِي شُوشَنَ الْقَصْرِ رَجُلٌ يَهُودِيٌّ يُدْعَى مُرْدَخَايَ بْنَ يَائِيرَ بْنِ شَمْعِي بْنِ قَيْسٍ، مِنْ سِبْطِ بِنْيَامِينَ، 6قَدْ سُبِيَ مِنْ أُورُشَلِيمَ مَعَ جُمْلَةِ الْمَسْبِيِّينَ الَّذِينَ أَسَرَهُمْ نَبُوخَذْنَصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ، مَعَ يَكُنْيَا مَلِكِ يَهُوذَا. 7هَذَا أَشْرَفَ عَلَى تَرْبِيَةِ ابْنَةِ عَمِّهِ أَسْتِيرَ الْمَدْعُوَّةَ هَدَسَّةَ، لأَنَّهَا كَانَتْ يَتِيمَةَ الأَبَوَيْنِ. وَكَانَتِ الْفَتَاةُ رَائِعَةَ الْجَمَالِ، جَمِيلَةَ الطَّلْعَةِ تَبَنَّاهَا مُرْدَخَايُ عِنْدَ وَفَاةِ وَالِدَيْهَا. 8فَلَمَّا بَلَغَهُ أَمْرُ الْمَلِكِ وَحُكْمُهُ، وَشَرَعُوا فِي جَمْعِ فَتَيَاتٍ كَثِيرَاتٍ إِلَى شُوشَنَ الْقَصْرِ حَيْثُ عُهِدَ بِهِنَّ إِلَى هَيْجَايَ، أُخِذَتْ أَسْتِيرُ إِلَى قَصْرِ الْمَلِكِ إِلَى هَيْجَايَ حَارِسِ الْحَرِيمِ، 9فَحَظِيَتِ الْفَتَاةُ بِإِعْجَابِ هَيْجَايَ وَنَالَتْ رِضَاهُ، فَأَسْرَعَ يُقَدِّمُ إِلَيْهَا نَصِيبَهَا مِنَ الْعُطُورِ وَالأَطْعِمَةِ، وَخَصَّصَ لِخِدْمَتِهَا سَبْعَ فَتَيَاتٍ مِنْ قَصْرِ الْمَلِكِ، وَنَقَلَهَا مَعَ وَصِيفَاتِهَا إِلَى أَفْضَلِ مَكَانٍ فِي جَنَاحِ النِّسَاءِ. 10وَكَتَمَتْ أَسْتِيرُ أَصْلَهَا وَجِنْسَهَا لأَنَّ مُرْدَخَايَ أَوْصَاهَا بِذَلِكَ. 11وَرَاحَ مُرْدَخَايُ يَتَمَشَّى كُلَّ يَوْمٍ أَمَامَ فِنَاءِ جَنَاحِ النِّسَاءِ، لِيَتَحَرَّى عَنْ سَلامَةِ أَسْتِيرَ وَمَا يَحْدُثُ لَهَا.

12وَكَانَ يَحِقُّ لِكُلِّ فَتَاةٍ جَاءَ دَوْرُهَا لِلْمُثُولِ أَمَامَ الْمَلِكِ أَحَشْوِيرُوشَ، بَعْدَ أَنْ يَكُونَ قَدِ انْقَضَى عَلَيْهَا اثْنَا عَشَرَ شَهْراً، حَسَبَ سُنَّةِ النِّسَاءِ، أَنْفَقَتْ سِتَّةَ أَشْهُرٍ مِنْهَا فِي التَّعَطُّرِ بِزَيْتِ الْمُرِّ، وَسِتَّةَ أَشْهُرٍ بِالأَطْيَابِ وَالْعُطُورِ، وَهَكَذَا تَكْمُلُ أَيَّامُ تَعَطُّرِهِنَّ، 13أَنْ يُعْطَى لَهَا عِنْدَمَا تَدْخُلُ لِلْمُثُولِ فِي حَضْرَةِ الْمَلِكِ كُلُّ مَا تَطْلُبُهُ مِنْ جَنَاحِ النِّسَاءِ لِتَنْقُلَهُ مَعَهَا إِلَى قَصْرِ الْمَلِكِ. 14وَكَانَتِ الْفَتَاةُ تَدْخُلُ إِلَى الْمَلِكِ فِي الْمَسَاءِ، ثُمَّ تَرْجِعُ فِي الصَّبَاحِ إِلَى جَنَاحِ النِّسَاءِ الثَّانِي الَّذِي عُهِدَ بِهِ إِلَى شَعْشَغَازَ الْخَصِيِّ حَارِسِ الْمَحْظِيَّاتِ، وَتَمْكُثُ هُنَاكَ لَا تَدْخُلُ إِلَى الْمَلِكِ ثَانِيَةً إِلّا إِذَا حَظِيَتْ بِمَسَرَّتِهِ، وَدُعِيَتْ بِاسْمِهَا.

15وَلَمَّا جَاءَ دَوْرُ أَسْتِيرَ ابْنَةِ أَبِيحَائِلَ عَمِّ مُرْدَخَايَ الَّذِي تَبَنَّاهَا لِلْمُثُولِ فِي حَضْرَةِ الْمَلِكِ، لَمْ تَطْلُبْ شَيْئاً إِلّا مَا أَشَارَ بِهِ عَلَيْهَا هَيْجَايُ خَصِيُّ الْمَلِكِ وَحَارِسُ الْحَرِيمِ. وَكَانَتْ أَسْتِيرُ تَحْظَى بِإِعْجَابِ كُلِّ مَنْ رَآهَا. 16وَأُخِذَتْ أَسْتِيرُ إِلَى الْمَلِكِ أَحَشْوِيرُوشَ فِي قَصْرِهِ فِي شَهْرِ طِيبِيتَ (أَيْ كَانُونَ الثَّانِي – يَنَايِرَ)، فِي السَّنَةِ السَّابِعَةِ لِحُكْمِهِ، 17فَأَحَبَّ الْمَلِكُ أَسْتِيرَ أَكْثَرَ مِنْ سَائِرِ النِّسَاءِ، وَحَظِيَتْ بِرِضَاهُ وَبِإِعْجَابِهِ أَكْثَرَ مِنْ بَقِيَّةِ الْعَذَارَى، حَتَّى إِنَّهُ وَضَعَ تَاجَ الْمُلْكِ عَلَى رَأْسِهَا، وَمَلَّكَهَا بَدَلاً مِنْ وَشْتِي. 18وَأَقَامَ الْمَلِكُ مَأْدُبَةً عَظِيمَةً دَعَا إِلَيْهَا جَمِيعَ قَادَتِهِ وَرِجَالِهِ، احْتِفَاءً بِأَسْتِيرَ، وَأَعْفَى الْبِلادَ مِنَ الْجِزْيَةِ، وَوَزَّعَ الْهَدَايَا بِسَخَاءٍ مَلَكِيٍّ.

مردخاي يكشف مؤامرة

19وَعِنْدَمَا جُمِعَتِ الْعَذَارَى لِلْمَرَّةِ الثَّانِيَةِ. كَانَ مُرْدَخَايُ فِي ذَلِكَ الْوَقْتِ قَدْ صَارَ حَاجِبَ الْمَلِكِ. 20وَلَمْ تَكُنْ أَسْتِيرُ قَدْ كَشَفَتْ عَنْ جِنْسِهَا وَشَعْبِهَا كَمَا أَوْصَاهَا مُرْدَخَايُ، وَظَلَّتْ تَعْمَلُ بِوَصَايَا مُرْدَخَايَ وَكَأَنَّهَا مَا بَرِحَتْ فِي بَيْتِهِ تَحْتَ إِشْرَافِهِ.

21وَذَاتَ يَوْمٍ تَآمَرَ بِغْثَانَا وَتَرَشُ خَصِيَّا الْمَلِكِ وَحَاجِبَاهُ لاِغْتِيَالِهِ لأَنَّهُمَا غَضِبَا مِنْهُ. وَكَانَ مُرْدَخَايُ آنَئِذٍ جَالِساً عِنْدَ بَابِ الْمَلِكِ، 22فَعَرَفَ مُرْدَخَايُ الأَمْرَ وَأَبْلَغَ بِهِ أَسْتِيرَ الْمَلِكَةَ الَّتِي أَخْبَرَتِ الْمَلِكَ بِدَوْرِهَا، بَعْدَ أَنْ عَزَتِ الْخَبَرَ إِلَى مُرْدَخَايَ. 23وَبَعْدَ تَقَصِّي الأَمْرِ وَالتَّحَقُّقِ مِنْ صِحَّتِهِ صُلِبَ الْخَصِيَّانِ عَلَى خَشَبَةٍ، وَتَمَّ تَسْجِيلُ وَقَائِعِ الْحَادِثِ فِي سِجِلَّاتِ الْمَمْلَكَةِ فِي حُضُورِ الْمَلِكِ.

Hindi Contemporary Version

एस्तेर 2:1-23

वश्ती के बदले में एस्तेर रानी बनायी गयी

1जब यह सब पूरा हो चुका, राजा अहषवेरोष का क्रोध ठंडा हो गया, उसने वश्ती के उस आचरण का स्मरण किया तथा यह भी, कि वश्ती के विरुद्ध कैसी राजाज्ञा प्रभावी की जा चुकी थी. 2राजा के अधिकारियों ने राजा के सामने प्रस्ताव रखा, “राजा के लिए रूपवान, युवा कुंवारियों की खोज की जाएं. 3साम्राज्य के हर एक राज्य में राजा मुखियाओं को नियुक्त करें, कि वे राजधानी शूशन में हर एक रूपवान, युवा, कुंवारियों को एकत्र करें. उन्हें राजा के खोजा हेगाइ के संरक्षण निवास में रखा जाए, जो समस्त स्त्रियों के लिए प्रबंधक था. इन सभी कुंवारियों को सुंदर बनाने वाली वस्तुएं दी जाएं. 4तब वह युवती, जो राजा को उत्तम लगे, वह वश्ती के स्थान पर रानी हो जाए.” राजा को यह प्रस्ताव अच्छा लगा और उसने यही किया.

5शूशन गढ़नगर में एक यहूदी निवास करता था, जिसका नाम था, मोरदकय, वह बिन्यामिन का वंश का था वह याईर का पुत्र था, जो शिमेई का, जो कीश का पुत्र था. 6वह यहूदिया के राजा यकोनियाह के साथ येरूशलेम से अन्य बंदियों के साथ बंधुआई में गया हुआ था, जिन्हें बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र ने बंदी बनाकर ले गया था. 7मोरदकय हदास्साह का पालन पोषण कर रहा था. हदास्साह एस्तेर नाम से भी जानी जाती थी. वह मोरदकय के चाचा की पुत्री थी उसके माता-पिता जीवित नहीं थे. यह युवती सुंदर और रूपवती थी. जब उसके माता-पिता की मृत्यु हुई, मोरदिकय ने उसे अपनी ही पुत्री सदृश अपना लिया था.

8उसके बाद का घटनाक्रम इस प्रकार है: जब राजा की राजाज्ञा सर्वत्र सुना दी गयी, अनेक युवतियां गढ़नगर शूशन हेगाइ के संरक्षण एकत्र कर दी गई थी. एस्तेर को भी राजमहल में हेगाइ के संरक्षण में दिया गया, जो युवतियों का प्रभारी था. 9हेगाइ को एस्तेर प्रिय लगी और उसे हेगाइ की कृपा प्राप्‍त हो गयी. हेगाइ ने तुरंत एस्तेर की सौंदर्य प्रसाधन एवं भोजन वस्तु का प्रबंध कर दिया. इसके अलावा उसने एस्तेर के लिए राजमहल की सात सर्वोत्तम परिचारिकाएं रखी. एस्तेर एवं इन दासियों को निवास स्थान के सर्वोत्तम क्षेत्र में रख दिया.

10एस्तेर ने मोरदकय के संदेश के अनुसार अपनी जाति एवं पृष्ठभूमि की बातें गुप्‍त रखी थी. 11प्रतिदिन मोरदकय रानी महल के आंगन के सामने आया जाया करता था कि उसे एस्तेर की गतिविधियों की जानकारी रहें.

12स्त्रियों के लिए निर्धारित नियम के अनुसार जब हर एक नवयुवती राजा अहषवेरोष के सामने जाने के लिए बारह महीनों का निर्धारित काल पूर्ण कर लेती—हर एक की सुंदरता को संवारने के क्रम में छः माह गन्धरस का तेल लगाया जाता था और छः महीने उबटन लगाया जाता था, तब हर एक को बारी-बारी से राजा के सामने लाया जाता था. 13नवयुवतियां इस प्रक्रिया से राजा के सामने प्रस्तुत की जाती थी: रानी निवास में से राजमहल में ले जाने के लिए कोई भी उपयुक्त वस्तु दे दी जाती थी. 14सायंकाल में नवयुवतियां कक्ष में प्रवेश करती थी तथा प्रातःकाल में वह एक अन्य रानी निवास में पहुंच जाती थी. यह शाअसगाज़ के संरक्षण में हो जातीं थी. यदि राजा उससे प्रसन्‍न न होता, तो वह लड़की फिर कभी राजा के पास न जाती, और यदि राजा उससे प्रसन्‍न होता तो उसे राजा नाम लेकर वापस बुलाता था.

15जब मोरदकय के चाचा अबीहाइल की पुत्री एस्तेर की बारी आई, जिसका मोरदकय ने अपनी ही पुत्री सदृश पालन पोषण किया था, वह राजा की उपस्थिति में प्रस्तुत हुई. उसने राजा के खोजा हेगाइ द्वारा, जो स्त्रियों का प्रभारी था, दिये परामर्श के अतिरिक्त अपने लिए कुछ भी याचना नहीं की. जिस किसी ने एस्तेर को देखा, हर एक को वह सुंदर लगी. 16तब दसवें माह में, अर्थात् तेबिथ माह में राजा अहषवेरोष के शासन के सातवें वर्ष में एस्तेर को राजा अहषवेरोष के राजमहल में लाया गया.

17एस्तेर सभी अन्य युवतियों की अपेक्षा में राजा को प्रिय लगी, उसे अन्य सभी कुंवारियों की अपेक्षा राजा की अधिक कृपा एवं अनुग्रह प्राप्‍त हो गया, इतना, कि राजा ने उसके सिर पर राजकीय मुकुट रखकर उसे वश्ती के स्थान पर रानी घोषित कर दिया. 18इस अवसर पर राजा ने एक भव्य भोज आयोजित किया, जिसे नाम दिया गया एस्तेर का भोज, इसमें उसके सभी शासक एवं अधिकारी आमंत्रित थे. इसके अतिरिक्त समस्त साम्राज्य में अवकाश घोषित किया तथा राजा के कोष में से उपहार भी वितरित किए गए.

मोरदकय द्वारा राजा की जान बचाना

19जब कुंवारी नवयुवतियां फिर से एकत्रित हो गई, मोरदकय उस समय राजमहल परिसर के फाटक पर ही बैठा हुआ था. 20अब तक एस्तेर ने अपनी जाति एवं कुल के बारे में पृष्ठभूमि प्रकट नहीं की थी, जैसा मोरदकय ने उसे आदेश दिया था, क्योंकि एस्तेर वही करती थी, जो मोरदकाय उसे आदेश देता था. ठीक जैसा वह उस समय करती थी, जब वह उसके संरक्षण में थी.

21उन्हीं दिनों में जब मोरदकय राजमहल परिसर के द्वार पर बैठा करता था, राजा के द्वारपालों में से दो, बिगथान तथा तेरेश किसी कारण राजा अहषवेरोष पर नाराज हो गए और उसकी हत्या की युक्ति करने लगे. 22इस षड़्‍यंत्र के बारे में मोरदकय को मालूम हो गया. इसकी सूचना उसने रानी एस्तेर को दे दी और मोरदकय की ओर से एस्तेर ने राजा को सूचित किया. 23जब इस षड़्‍यंत्र की खोजबीन की गई और इस बात का पता चला, उन दोनों को मृत्यु दंड पर लटका दिया गया. इसका उल्लेख राजा के सामने ही इतिहास ग्रंथ में लिख लिया.