أخبار الأيام الثاني 15 – NAV & HCV

Ketab El Hayat

أخبار الأيام الثاني 15:1-19

إصلاحات آسا

1وَحَلَّ رُوحُ الرَّبِّ عَلَى عَزَرْيَا بْنِ عُودِيدَ، 2فَتَوَجَّهَ لِلِقَاءِ آسَا وَقَالَ لَهْ: «اسْمَعْ لِي يَا آسَا وَيَا جَمِيعَ أَبْنَاءِ يَهُوذَا وَبَنْيَامِينَ: الرَّبُّ مَعَكُمْ مَابَرِحْتُمْ مَعَهَ، فَإِنْ طَلَبْتُمُوهُ يُوْجَدْ لَكُمْ، وَإِنْ تَخَلَّيْتُمْ عَنْهُ يَنْبِذْكُمْ. 3لَقَدْ قَضَى الإِسْرَائِيلِيُّونَ حِقْبَةً طَوِيلَةً كَانُوا فِيهَا بِلا إِلَهٍ حَقٍّ، وَبِلا كَاهِنٍ يُعَلِّمُهُمْ، وَبِلا شَرِيعَةٍ. 4وَلَكِنْ لَمَّا رَجَعُوا فِي ضِيقِهِمْ إِلَى الرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ وَطَلَبُوهُ وُجِدَ لَهُمْ. 5فِي تِلْكَ الأَيَّامِ لَمْ يَكُنِ الإِنْسَانُ يَأْمَنُ عَلَى نَفْسِهِ فِي ذِهَابِهِ وَإِيَابِهِ، لأَنَّ اضْطِرَابَاتٍ كَثِيرَةً كَانَتْ تَعُمُّ كُلَّ سُكَّانِ الأَرْضِ، 6فَأَفْنَتْ أُمَّةٌ أُمَّةً، وَأَبَادَتْ مَدِينَةٌ مَدِينَةً، لأَنَّ اللهَ أَصَابَهُمْ بِكُلِّ بَلاءٍ. 7فَتَقَوَّوْا أَنْتُمْ، وَلا تَخُرْ عَزِيمَتُكُمْ لأَنَّ لِعَمَلِكُمْ ثَوَاباً».

8فَلَمَّا سَمِعَ آسَا كَلامَ نُبُوءَةِ عُودِيدَ النَّبِيِّ تَقَوَّى وَأَزَالَ الرَّجَاسَاتِ مِنْ كُلِّ أَرْضِ يَهُوذَا وَبَنْيَامِينَ، وَمِنَ الْمُدُنِ الَّتِي اسْتَوْلَى عَلَيْهَا مِنْ جَبَلِ أَفْرَايِمَ، وَجَدَّدَ مَذْبَحَ الرَّبِّ الْقَائِمَ أَمَامَ رُوَاقِ هَيْكَلِ الرَّبِّ. 9وَاسْتَدْعَى كُلَّ بَنِي يَهُوذَا وَبَنْيَامِينَ وَالْغُرَبَاءَ مِنْ أَسْبَاطِ أَفْرَايِمَ وَمَنَسَّى وَشِمْعُونَ، مِمَّنْ تَوَافَدُوا إِلَيْهِ مِنْ مَمْلَكَةِ إِسْرَائِيلَ، بَعْدَ أَنْ رَأَوْا أَنَّ الرَّبَّ إِلَهَهُ مَعَهُ.

10فَتَجَمَّعُوا فِي أُورُشَلِيمَ، فِي الشَّهْرِ الثَّالِثِ مِنَ السَّنَةِ الْخَامِسَةِ عَشْرَةَ لِحُكْمِ آسَا، 11وَقَرَّبُوا لِلرَّبِّ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ، سَبْعَ مِئَةٍ مِنَ الْبَقَرِ وَسَبْعَةَ آلافٍ مِنَ الضَّأْنِ مِمَّا اسْتَوْلَوْا عَلَيْهِ مِنَ الْغَنَائِمِ. 12وَقَطَعُوا عَهْداً أَنْ يَطْلُبُوا الرَّبَّ إِلَهَ آبَائِهِمْ مِنْ كُلِّ قُلُوبِهِمْ وَنُفُوسِهِمْ، 13وَأَنْ يَقْتُلُوا كُلَّ مَنْ لَا يَطْلُبُ الرَّبَّ إِلَهَ إِسْرَائِيلَ. لَا فَرْقَ فِي ذَلِكَ بَيْنَ صَغِيرٍ وَكَبِيرٍ، رَجُلٍ وَامْرَأَةٍ. 14وَحَلَفُوا لِلرَّبِّ مُعْلِنِينَ وَلاءَهُمْ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ وَهُتَافٍ وَبِنَفْخِ أَبْوَاقٍ وَقُرُونٍ. 15وَغَمَرَتِ الْغِبْطَةُ جَمِيعَ أَبْنَاءِ يَهُوذَا مِنْ أَجْلِ الْحَلْفِ، لأَنَّهُمْ تَعَهَّدُوا لِلرَّبِّ مِنْ كُلِّ قُلُوبِهِمْ، وَطَلَبُوهُ عَنْ رِضًى كَامِلٍ، فَوُجِدَ لَهُمْ وَأَرَاحَهُمْ مِنْ جَمِيعِ أَعْدَائِهِمِ الْمُحِيطِينَ بِهِمْ.

16وَخَلَعَ آسَا أُمَّهُ مَعْكَةَ مِنْ مَنْصِبِ الأُمِّ الْمَلِكَةِ، لأَنَّهَا أَقَامَتْ تِمْثَالاً لِعَشْتَارُوثَ، فَحَطَّمَ تِمْثَالَهَا وَدَقَّهُ وَأَحْرَقَهُ فِي وَادِي قَدْرُونَ. 17وَمَعَ أَنَّ الْمُرْتَفَعَاتِ كُلَّهَا لَمْ تُسْتَأْصَلْ مِنْ إِسْرَائِيلَ، فَإِنَّ قَلْبَ آسَا كَانَ كَامِلَ الْوَلاءِ لِلهِ كُلَّ أَيَّامِ حَيَاتِهِ. 18وَأَوْدَعَ خَزَائِنَ الرَّبِّ كُلَّ مَا خَصَّصَهُ أَبُوهُ وَمَا خَصَّصَهُ هُوَ لِهَيْكَلِ الرَّبِّ مِنَ الْفِضَّةِ وَالذَّهَبِ وَالآنِيَةِ. 19وَلَمْ تَنْشَبْ حَرْبٌ إِلَى السَّنَةِ الْخَامِسَةِ وَالثَّلاثِينَ لِحُكْمِ آسَا.

Hindi Contemporary Version

2 इतिहास 15:1-19

आसा द्वारा किए गए सुधार

1परमेश्वर के आत्मा ओदेद के पुत्र अज़रियाह पर उतरे. 2वह आसा से भेंट करने गए और उससे कहा, “आसा, मेरी सुनो और यहूदिया और बिन्यामिन भी सुनें: याहवेह उस समय तक तुम्हारे साथ है, जब तक तुम उनके साथ सच्चे हो. तुम यदि याहवेह की खोज करोगे, तुम उन्हें पा लोगे. यदि तुम उनको छोड़ दोगे, वह भी तुम्हें छोड़ देंगे. 3लंबे समय से इस्राएल बिना किसी सच्चे परमेश्वर, बिना किसी शिक्षा देनेवाले पुरोहित और बिना किसी व्यवस्था के रहता आया है. 4मगर जब उन पर विपत्ति आई वे इस्राएल के परमेश्वर, याहवेह की ओर मुड़ गए. उन्होंने उनकी खोज की और याहवेह ने ऐसा होने दिया कि उन्होंने याहवेह को पा भी लिया. 5ये वे दिन थे, जब न तो जानेवाले सुरक्षित थे, न वे जो नगर में आ रहे होते थे, क्योंकि सभी राष्ट्रों के निवासियों को बहुत कोलाहल ने आ घेरा था. 6एक राष्ट्र दूसरे को कुचल रहा था और एक नगर दूसरे को, क्योंकि परमेश्वर ही उन्हें अलग-अलग तरह की मुसीबतें देकर उन्हें घबरा रहे थे. 7मगर तुम्हारे लिए मेरी सलाह है, स्थिर रहो, साहस न छोड़ो क्योंकि तुम्हारे द्वारा किए जा रहे काम के लिए उत्तम प्रतिफल तय है.”

8जब आसा ने ओदेद के पुत्र अज़रियाह की यह बातें और यह भविष्यवाणी सुनी, उसमें साहस का संचार आया. उसने सारे यहूदिया और बिन्यामिन एफ्राईम के पहाड़ी इलाके के कई नगरों में से घृणित मूर्तियां हटा दी. इसके बाद उसने याहवेह के ओसारे के सामने की याहवेह की वेदी को दोबारा बनाया.

9तब उसने सारे यहूदिया, बिन्यामिन और इनके अलावा एफ्राईम, मनश्शेह और शिमओन के रहनेवालों को इकट्ठा होने को कहा. इस्राएल राज्य से अनेक यहां आकर बस गए थे, क्योंकि उन्होंने यह देखा, कि याहवेह, उनके परमेश्वर उनके साथ थे.

10ये सभी आसा के शासन के पन्द्रहवें साल के तीसरे महीने में येरूशलेम में इकट्ठा हुए. 11उस दिन उन्होंने याहवेह के लिए सात सौ बैलों और सात हज़ार भेड़ों की बलि चढ़ाई. ये सभी पशु वे युद्ध में लूटकर लाए थे. 12उन्होंने पूरे हृदय और पूरे प्राणों से अपने पूर्वजों के परमेश्वर याहवेह को खोजने की वाचा बांधी. 13वहां यह निर्णय भी लिया गया कि जो कोई याहवेह इस्राएल के परमेश्वर की खोज न करे, चाहे साधारण हो या विशेष, स्त्री हो या पुरुष, उसका वध कर दिया जाए. 14इसके अलावा उन्होंने ऊंची आवाज में तुरहियों और नरसिंगों के शब्द के साथ यह चिल्लाते हुए याहवेह से यह शपथ ली थी. 15यह शपथ सारे यहूदिया के लिए उल्लास का विषय थी, क्योंकि उन्होंने यह शपथ पूरे हृदय से ली थी और उन्होंने याहवेह की खोज पूरी सच्चाई में की थी. फलस्वरूप याहवेह ने खुद को उन्हें प्राप्‍त होने दिया था. यह होने पर याहवेह ने उन्हें हर एक ओर से शांति दी.

16राजा आसा ने अपनी दादी माकाह को राजमाता पद से हटा दिया, क्योंकि उसने अशेरा की घृणित मूर्ति बनाकर रखी थी. आसा ने इस मूर्ति को काटकर उसे किद्रोन नदी तट पर राख बना डाला. 17मगर पूजा की जगहों को इस्राएल से हटाया नहीं गया था. फिर भी आसा का मन जीवन भर याहवेह के लिए पूरी तरह सच्चा बना रहा. 18उसने परमेश्वर के भवन में वे सारी पवित्र वस्तुएं लाकर रख दीं, सोना, चांदी और बर्तन, जो उसके पिता और खुद उसके पास थी.

19आसा के शासनकाल के पैंतीसवें साल तक कोई युद्ध नहीं हुआ.