أخبار الأيام الثاني 14 – NAV & HCV

New Arabic Version

أخبار الأيام الثاني 14:1-15

آسا يملك على يهوذا

1ثُمَّ مَاتَ أَبِيَّا وَدُفِنَ مَعَ آبَائِهِ فِي مَدِينَةِ دَاوُدَ وَخَلَفَهُ ابْنُهُ آسَا عَلَى الْعَرْشِ. وَفِي أَيَّامِهِ عَمَّ الأَمْنُ الْبِلادَ فَتْرَةَ عَشْرِ سَنَوَاتٍ.

2وَصَنَعَ آسَا كُلَّ مَا هُوَ صَالِحٌ وَقَوِيمٌ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ إِلَهِهِ. 3وَأَزَالَ الْمَذَابِحَ الْغَرِيبَةَ وَالْمُرْتَفَعَاتِ وَحَطَّمَ الأَوْثَانَ، وَقَطَّعَ سَوَارِي عَشْتَارُوثَ. 4وَأَوْصَى شَعْبَ يَهُوذَا أَنْ يَطْلُبُوا الرَّبَّ إِلَهَ آبَائِهِمْ وَأَنْ يُطَبِّقُوا الشَّرِيعَةَ وَالْوَصِيَّةَ. 5وَاسْتَأْصَلَ مِنْ كُلِّ مُدُنِ يَهُوذَا الْمُرْتَفَعَاتِ وَتَمَاثِيلَ عِبَادَةِ الشَّمْسِ، فَاسْتَرَاحَتِ الْمَمْلَكَةُ فِي عَهْدِهِ. 6وَبَنَى مُدُناً حَصِينَةً فِي يَهُوذَا، لأَنَّ الأَمْنَ كَانَ يَسُودُ الْبِلادَ إِذْ إِنَّ الرَّبَّ أَرَاحَهُ مِنَ الْحُرُوبِ. 7وَقَالَ لِيَهُوذَا: «لِنَبْنِ هَذِهِ الْمُدُنَ وَنُقِمْ حَوْلَهَا أَسْوَاراً وَأَبْرَاجاً وَأَبْوَاباً وَأَرْتَاجاً مَادُمْنَا مُسَيْطِرِينَ عَلَى الأَرْضِ، لأَنَّنَا طَلَبْنَا الرَّبَّ إِلَهَنَا، فَأَرَاحَنَا مِنْ كُلِّ جِهَةٍ». فَبَنَوْا وَأَفْلَحُوا. 8وَكَانَ لِآسَا جَيْشٌ مُؤَلَّفٌ مِنْ ثَلاثِ مِئَةِ أَلْفٍ مِنْ سِبْطِ يَهُوذَا مِنْ حَمَلَةِ الأَتْرَاسِ وَالرِّمَاحِ، وَمِئَتَيْنِ وَثَمَانِينَ أَلْفاً مِنْ سِبْطِ بِنْيَامِينَ مِنْ حَمَلَةِ الأَتْرَاسِ وَرُمَاةِ السِّهَامِ، وَجَمِيعُهُمْ مِنَ الْمُحَارِبِينَ الأَشِدَّاءِ.

9وَزَحَفَ عَلَيْهِمْ زَارَحُ الْكُوشِيُّ بِجَيْشٍ مُؤَلَّفٍ مِنْ مِلْيُونَ مُحَارِبٍ وَثَلاثِ مِئَةِ مَرْكَبَةٍ وَعَسْكَرَ فِي مَرِيشَةَ. 10فَهَبَّ آسَا لِلِقَائِهِ. وَاصْطَفَّ الْجَيْشَانِ لِلْقِتَالِ فِي وَادِي صَفَاتَةَ عِنْدَ مَرِيشَةَ. 11وَتَضَرَّعَ آسَا إِلَى الرَّبِّ إِلَهِهِ قَائِلاً: «أَيُّهَا الرَّبُّ، لَا فَرْقَ عِنْدَكَ أَنْ تُسَاعِدَ جَيْشاً قَوِيًّا أَوْ جَيْشاً ضَعِيفاً، فَأَعِنَّا أَيُّهَا الرَّبُّ إِلَهُنَا لأَنَّنَا عَلَيْكَ اتَّكَلْنَا، وَبِاسْمِكَ جِئْنَا لِنُحَارِبَ هَذَا الْجَيْشَ. أَيُّهَا الرَّبُّ أَنْتَ إِلَهُنَا، وَلا يَقْوَى عَلَيْكَ إِنْسَانٌ». 12فَقَضَى الرَّبُّ عَلَى الْكُوشِيِّينَ أَمَامَ آسَا وَجَيْشِ يَهُوذَا، فَفَرَّ الْكُوشِيُّونَ. 13وَتَعَقَّبَهُمْ آسَا وَالْجَيْشُ إِلَى جَرَارَ، فَقَتَلَ الْكُوشِيِّينَ فَلَمْ يُفْلِتْ مِنْهُمْ أَحَدٌ لأَنَّهُمُ انْهَزَمُوا أَمَامَ الرَّبِّ، وَأَمَامَ جَيْشِهِ، فَغَنِمَ يَهُوذَا مِنْ أَسْلابِهِمْ غَنِيمَةً عَظِيمَةً.

14ثُمَّ هَاجَمُوا جَمِيعَ الْمُدُنِ الْمُجَاوِرَةِ لِجَرَارَ لأَنَّ رُعْبَ الرَّبِّ طَغَى عَلَيْهِمْ، وَنَهَبُوا كُلَّ الْمُدُنِ لِوَفْرَةِ مَا فِيهَا مِنْ غَنَائِمَ. 15وَهَاجَمُوا أَيْضاً مَضَارِبَ رُعَاةِ الْمَاشِيَةِ فَسَاقُوا غَنَماً وَجِمَالاً بِأَعْدَادٍ كَبِيرَةٍ. ثُمَّ رَجَعُوا إِلَى أُورُشَلِيمَ.

Hindi Contemporary Version

2 इतिहास 14:1-15

1अबीयाह अपने पूर्वजों के साथ हमेशा के लिए सो गया और उसे उसके पूर्वजों के साथ दावीद के नगर की कब्र में रखा गया. उसके स्थान पर आसा राजा बना. उसके शासनकाल के दस सालों में देश में शांति बनी रही.

आसा यहूदिया का राजा

2आसा ने वह किया जो याहवेह उसके परमेश्वर की दृष्टि में सही और उचित है. 3उसने अन्य जातीय वेदियों और पूजा स्थलों को हटा दिया, पूजा के खंभों को नाश कर दिया, अशेराह के मीनारों को काट गिराया. 4उसने यहूदिया को आदेश दिया कि वे अपने पूर्वजों के परमेश्वर याहवेह की खोज करें और व्यवस्था और नियमों का पालन करते रहें. 5यहूदिया के सभी नगरों में से उसके शासनकाल में राज्य में कोई अव्यवस्था देखी न गई. 6यहूदिया में उसने गढ़ नगरों को बनाया क्योंकि राज्य में शांति थी. इन सालों में किसी ने भी उससे युद्ध नहीं किया, क्योंकि उसे मिली यह शांति याहवेह ने दी थी.

7यहूदिया से उसने कहा था, “चलो, हम इन नगरों को बनाएं. हम इन्हें दीवारों से घेर देंगे, हम इन पर पहरेदारों की ऊंची चौकियां बनाएं और इनमें द्वार और शालाएं लगा दें. हम याहवेह अपने परमेश्वर की इच्छा के खोजी रहे हैं इसलिये यह देश अब तक हमारा है और याहवेह ने हमें सभी ओर से शांति दी है.” इसलिये वे नगर बनाते गए और उन्‍नति करते गए.

8यहूदिया राज्य से आसा की सेना में तीन लाख सैनिक थे, ये विशाल ढालों और बर्छियों से लैस थे. दो लाख अस्सी हज़ार सैनिक बिन्यामिन प्रदेश के थे, ये भी ढालों से लैस धनुर्धारी थे. सारे सैनिक वीर योद्धा थे.

9कूश देशवासी ज़ेराह ने दस लाख सैनिकों और 300 रथों की सेना लेकर यहूदिया पर हमला कर दिया. वह मारेशाह नामक स्थान तक आ पहुंचा. 10तब आसा उसका सामना करने आगे बढ़ा. उसकी सेना मारेशाह के निकट सापथा घाटी में युद्ध के लिये तैयार हुई.

11आसा ने याहवेह, अपने परमेश्वर की दोहाई दी और यह याचना की, “याहवेह, शक्तिशाली और कमजोर के बीच युद्ध की स्थिति में आपके अलावा और कोई भी नहीं है, जो सहायता के लिए उपलब्ध हो. इसलिये याहवेह, हमारे परमेश्वर, हमारी सहायता कीजिए, क्योंकि हमारा भरोसा आप पर है. हम आपकी महिमा के कारण इस विशाल सेना के विरुद्ध खड़े हैं. याहवेह, हमारे परमेश्वर आप हैं. ऐसा कभी न हो कि कोई मनुष्य आप पर प्रबल हो.”

12तब याहवेह ने आसा और यहूदिया की सेना के सामने कूश देशवासियों को हरा दिया और कूश देशवासी उनके सामने से भाग गए. 13आसा और उसकी सेना ने गेरार तक उनका पीछा किया; इतने अधिक कूश देशवासी मारे गए कि उनका दोबारा इकट्ठा हो पाना असंभव हो गया. कारण यह था कि वे याहवेह और उनकी सेना के सामने चूर-चूर हो चुके थे. यहूदी सैनिकों ने बहुत बड़ी मात्रा में लूट की सामग्री इकट्ठा कर ली. 14गेरार के निकटवर्ती नगरों को उन्होंने नाश कर दिया. सभी पर याहवेह का घोर आतंक छा चुका था. यहूदी सेना ने सभी नगरों को लूट लिया. उनमें लूट का सामान बहुत सारा था. 15उन्होंने उनके शिविर भी नाश कर दिए, जो पशु पालक थे. इनसे सेना ने बड़ी संख्या में भेड़ें और ऊंट ले लिए. इसके बाद वे येरूशलेम लौट गए.