1 ጢሞቴዎስ 5 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

1 ጢሞቴዎስ 5:1-25

ስለ መበለቶች፣ ስለ ሽማግሌዎችና ስለ ባሪያዎች የተሰጠ ምክር

1አረጋዊውን ሰው እንደ አባትህ ቈጥረህ ምከረው እንጂ በኀይለ ቃል አትናገረው። ወጣት ወንዶችን እንደ ወንድሞች ተቀበላቸው፤ 2እንዲሁም አሮጊቶችን እንደ እናቶች፣ ወጣት ሴቶችን ደግሞ እንደ እኅቶች በፍጹም ንጽሕና አስተናግዳቸው።

3በርግጥ ችግረኛ የሆኑትን መበለቶች ተንከባከባቸው። 4አንዲት መበለት ግን ልጆች ወይም የልጅ ልጆች ቢኖሯት፣ እነዚህ ልጆች የራሳቸውን ቤተ ሰብ በመርዳትና ለወላጆቻቸውም ብድራትን በመመለስ ከሁሉ በፊት እምነታቸውን በተግባር ለማሳየት መማር ይገባቸዋል፤ ይህ እግዚአብሔርን ደስ የሚያሰኝ ነውና። 5በርግጥ መበለት የሆነች፣ ብቻዋንም የምትኖር ተስፋዋን በእግዚአብሔር ላይ ታደርጋለች፤ ለጸሎትና የእግዚአብሔርን ርዳታ ለመለመን ሌሊትና ቀን ትተጋለች። 6ምድራዊ ደስታን የምትሻዋ መበለት ግን በሕይወት ብትኖርም የሞተች ናት። 7ማንም የሚነቀፍበት ነገር እንዳይኖር፣ ይህንም ትእዛዝ ለሕዝቡ ስጥ። 8አንድ ሰው ዘመዶቹን፣ በተለይም የቅርብ ቤተ ሰቡን የማይረዳ ከሆነ ሃይማኖቱን የካደ፣ ከማያምንም ሰው ይልቅ የባሰ ክፉ ነው።

9ዕድሜዋ ከስድሳ ዓመት ያነሰ መበለት በመዝገብ ላይ አትጻፍ፤ ደግሞም የአንድ ባል ሚስት የነበረች5፥9 ወይም ለባሏ ታማኝ የነበረች ልትሆን ይገባል፤ 10ልጆችን በማሳደግ፣ እንግዶችን በመቀበል፣ የቅዱሳንን እግር በማጠብ፣ የተቸገሩትን በመርዳትና ለበጎ ምግባር ሁሉ ራሷን በመስጠት በመልካም ሥራም የተመሰከረላት መሆን አለባት።

11ወጣት መበለቶችን ግን እንዲህ ባለው መዝገብ አትጻፋቸው፤ ምክንያቱም ሥጋዊ ፍላጎታቸው ለክርስቶስ በገቡት ቃል ላይ በሚያይልበት ጊዜ ለማግባት ይሻሉና። 12በዚህም ፍርድን በራሳቸው ላይ ያመጣሉ፤ በመጀመሪያ የገቡትን ቃል ኪዳን አፍርሰዋልና። 13በተጨማሪም ሥራ መፍታትንና ከቤት ቤት መዞርን ይለምዳሉ፤ ሥራ ፈት መሆን ብቻ ሳይሆን፣ የማይገባውን እየተናገሩ ሐሜተኞችና በሰው ጕዳይም ጣልቃ የሚገቡ ይሆናሉ። 14ስለዚህ ባል የሞተባቸው ወጣት ሴቶች እንዲያገቡ፣ ልጆች እንዲወልዱ፣ ቤታቸውን እንዲያስተዳድሩ፣ ጠላትም የሚነቅፍባቸውን ነገር እንዳያገኝ እመክራለሁ። 15በርግጥ ከዚህ በፊት አንዳንዶቹ ሰይጣንን ለመከተል ዘወር ብለዋል።

16አማኝ የሆነች ማንኛዋም ሴት በቤተ ሰቧ ውስጥ መበለቶች ቢኖሯት፣ ቤተ ክርስቲያን እውነተኛ መበለቶችን ብቻ መርዳት እንድትችል እርሷው ትርዳቸው እንጂ ለቤተ ክርስቲያን ሸክም እንዲሆኑ አትተዋቸው።

17ቤተ ክርስቲያንን በሚገባ የሚያስተዳድሩ፣ ይልቁንም በመስበክና በማስተማር የሚተጉ ሽማግሌዎች ዕጥፍ ክብር ይገባቸዋል፤ 18መጽሐፍም፣ “እያበራየ ያለውን በሬ አፉን አትሰር፤5፥18 ዘዳ 25፥4” ደግሞም፣ “ለሠራተኛ ደመወዙ ይገባዋል5፥18 ሉቃ 10፥7” ይላልና። 19በሁለት ወይም በሦስት ምስክሮች ካልተደገፈ በቀር በሽማግሌ ላይ የሚቀርብ ክስ አትቀበል። 20ሌሎች አይተው እንዲጠነቀቁ ኀጢአት የሚሠሩትን በጉባኤ ፊት ገሥጻቸው።

21በእግዚአብሔርና በክርስቶስ ኢየሱስ፣ በተመረጡትም መላእክት ፊት እነዚህን ትእዛዞች ያለ አድልዎ እንድትጠብቅና አንዳችም ነገር በማበላለጥ እንዳታደርግ ዐደራ እልሃለሁ።

22በማንም ላይ እጅ ለመጫን አትቸኵል፤ ከሌሎችም ጋር በኀጢአት አትተባበር፤ ራስህን በንጽሕና ጠብቅ።

23ለሆድህና ደጋግሞ ለሚነሣብህ ሕመም፣ ጥቂት የወይን ጠጅ ጠጣበት እንጂ ከእንግዲህ ውሃ ብቻ አትጠጣ።

24የአንዳንድ ሰዎች ኀጢአት ግልጽ ነው፤ ከእነርሱም ቀድሞ ፍርድ ቦታ ይደርሳል፤ ሌሎችን ግን ኀጢአታቸው ይከተላቸዋል። 25መልካም ሥራም እንደዚሁ ግልጽ ነው፤ ግልጽ ያልሆነ ቢኖርም እንኳ ተሰውሮ አይቀርም።

Hindi Contemporary Version

1 तिमोथियॉस 5:1-25

कलीसिया संबंधी निर्देश

1अपने से अधिक उम्र के व्यक्ति को अपमान के भाव से न डांटो किंतु उसे पिता मानकर उससे विनती करो. अपने से कम उम्र के व्यक्ति को भाई, 2अधिक उम्र की स्त्रियों को माता तथा कम उम्र की स्त्रियों को निर्मल भाव से बहन मानो.

3असमर्थ विधवाओं का सम्मान करो. 4परंतु यदि किसी विधवा के पुत्र-पौत्र हों तो वे सबसे पहले अपने ही परिवार के प्रति अपने कर्तव्य-पालन द्वारा परमेश्वर के भक्त होना सीखें तथा अपने माता-पिता के उपकारों का फल दें क्योंकि परमेश्वर को यही भाता है. 5वह, जो वास्तव में विधवा है तथा जो अकेली रह गई है, परमेश्वर पर ही आश्रित रहती है और दिन-रात परमेश्वर से विनती तथा प्रार्थना करने में लवलीन रहती है. 6पर वह विधवा, जिसकी जीवनशैली निर्लज्जता भरी है, जीते जी मरी हुई है. 7तुम उन्हें ऊपर बताए गए निर्देश भी दो कि वे निर्दोष रहें. 8यदि कोई अपने परिजनों, विशेषकर अपने परिवार की चिंता नहीं करता है, उसने विश्वास का त्याग कर दिया है और वह अविश्वासी व्यक्ति से भी तुच्छ है.

9उसी विधवा का पंजीकरण करो जिसकी आयु साठ वर्ष से अधिक हो तथा जिसका एक ही पति रहा हो; 10जो अपने भले कामों के लिए सुनाम हो; जिसने अपनी संतान का उत्तम पालन पोषण किया हो; आतिथ्य सत्कार किया हो; पवित्र लोगों के चरण धोए हों; दीन-दुःखियों की सहायता की हो तथा सब प्रकार के भले कामों में लीन रही हो.

11तुलना में कम आयु की विधवाओं के नाम न लिखना क्योंकि काम-वासना प्रबल होने पर वे मसीह से दूर हो दूसरे विवाह की कामना करने लगेंगी. 12न्याय-दंड ही उनकी नियति होगी क्योंकि उन्होंने पंजीकरण से संबंधित अपनी पूर्व शपथ तोड़ दी है. 13इसके अलावा वे आलसी रहने लगती हैं तथा घर-घर घूमा करती हैं. वे न केवल आलसी रहती हैं परंतु बाकियों के कामों में हस्तक्षेप करती तथा दूसरों की बुराई में आनंद लेती हैं, तथा वे बातें बोलती है, जो उन्हें नहीं बोलनी चाहिये. 14इसलिये मैं चाहता हूं कि कम आयु की विधवाएं विवाह करें, संतान पैदा करें, गृहस्थी सम्भालें तथा विरोधियों को निंदा का कोई अवसर न दें. 15कुछ हैं, जो पहले ही मुड़कर शैतान की शिष्य बन चुकी हैं.

16यदि किसी विश्वासी परिवार में आश्रित विधवाएं हैं तो वही उसकी सहायता करे कि उसका बोझ कलीसिया पर न पड़े, कि कलीसिया ऐसों की सहायता कर सके, जो वास्तव में असमर्थ हैं.

17जो कलीसिया के प्राचीन अपनी ज़िम्मेदारी का कुशलतापूर्वक निर्वाह करते हैं, वे दुगने सम्मान के अधिकारी हैं विशेषकर वे, जो वचन सुनाने में तथा शिक्षा देने के काम में परिश्रम करते हैं. 18पवित्र शास्त्र का लेख है, “दांवनी करते बैल के मुख को मुखबन्धनी न बांधना,”5:18 व्यव 25:4 तथा “मज़दूर अपने मज़दूरी का हकदार है.”5:18 लूकॉ 10:7 19किसी भी कलीसिया-प्राचीन के विरुद्ध दो या तीन गवाहों के बिना कोई भी आरोप स्वीकार न करो. 20वे, जो पाप में लीन हैं, सबके सामने उनकी उल्लाहना करो, जिससे कि अन्य लोगों में भय रहे. 21मैं परमेश्वर, मसीह येशु तथा चुने हुए स्वर्गदूतों के सामने तुम्हें यह ज़िम्मेदारी सौंपता हूं कि बिना किसी पक्षपात के इन आदेशों का पालन करो. पक्षपात के भाव में कुछ भी न किया जाए.

22किसी को दीक्षा देने5:22 दीक्षा देने मूल में हाथ रखने में में उतावली न करो. अन्यों के पाप में सहभागी न हो जाओ. स्वयं को पवित्र बनाए रखो.

23अब से सिर्फ जल ही तुम्हारा पेय न रहे परंतु अपने उदर तथा बार-बार हो रहे रोगों के कारण थोड़ी मात्रा में दाखरस का सेवन भी करते रहना.

24कुछ व्यक्तियों के पाप प्रकट हैं और उनके पाप पहले ही न्याय-प्रक्रिया तक पहुंच जाते हैं, पर शेष के उनके पीछे-पीछे आते हैं. 25इसी प्रकार अच्छे काम भी प्रकट हैं और जो नहीं हैं, वे छिपाए नहीं जा सकते.