ኢያሱ 10 – NASV & HCV

New Amharic Standard Version

ኢያሱ 10:1-43

ፀሓይ ቆመች

1የኢየሩሳሌም ንጉሥ አዶኒጼዴቅ፣ ኢያሱ ጋይን ይዞ እንደ ደመሰሳት10፥1 የዕብራይስጡ ቃል በዚህም ሆነ በቍጥር 28፡35፡37፡39 እና 40 ላይ ሙሉ በሙሉ በማጥፋት ለእግዚአብሔር መስጠት ማለት ነው።፣ እንደዚሁም በኢያሪኮና በንጉሥዋ ላይ ያደረገውን ሁሉ፣ በጋይና በንጉሥዋ ላይ ማድረጉን፣ የገባዖን ሰዎችም ከእስራኤል ጋር የሰላም ውል አድርገው በአጠገባቸው መኖራቸውን ሰማ። 2በዚህም እርሱና ሕዝቡ ደነገጡ፤ ምክንያቱም ገባዖን እንደ ነገሥታቱ ከተማ ሁሉ ታላቅ ከተማ፣ በስፋቷም ከጋይ የምትበልጥ፣ ሰዎቿም ብርቱ ተዋጊዎች ነበሩ። 3ስለዚህ የኢየሩሳሌም ንጉሥ አዶኒጼዴቅ፣ ሆሃም ወደ ተባለው የኬብሮን ንጉሥ ጲርአም ወደተባለው የየርሙት ንጉሥ፣ ያፊዓ ወደ ተባለው የለኪሶ ንጉሥና ዳቤር ወደተባለው የዔግሎን ንጉሥ በመላክ፣ 4“ወደዚህ ወጥታችሁ አግዙኝ፤ ከኢያሱና ከእስራኤላውያን ጋር ሰላምን መሥርታለችና ገባዖንን እንምታ” አላቸው።

5ከዚያም አምስቱ የአሞራውያን ነገሥታት ማለት የኢየሩሳሌም ንጉሥ፣ የኬብሮን ንጉሥ፣ የያርሙት ንጉሥ፣ የለኪሶ ንጉሥና የዔግሎን ንጉሥ ያላቸውን አስተባብረው፣ ሰራዊታቸውንም ሁሉ ይዘው በመውጣት ገባዖንን ወጓት።

6የገባዖንም ሰዎች በጌልገላ ወደ ሰፈረው ወደ ኢያሱ፣ “በተራራማው አገር የሚኖሩ የአሞራውያን ነገሥታት ኀይላቸውን አስተባብረው ተሰልፈውብናል፤ እኛን ባሮችህን አትተወን፤ ርዳን፤ ፈጥነህ በመድረስም አድነን” ሲሉ ላኩበት።

7ስለዚህ ኢያሱ ምርጥ የሆኑትን ተዋጊዎች ሁሉ ጨምሮ ሰራዊቱን በሙሉ ይዞ ከጌልገላ ወጣ። 8እግዚአብሔርም ኢያሱን፣ “አትፍራቸው፤ ሁሉንም አሳልፌ በእጅህ ሰጥቻቸዋለሁ፤ አንዳቸውም እንኳ ሊቋቋሙህ አይችሉም” አለው።

9ኢያሱ ከጌልገላ ሌሊቱን ሁሉ ሲገሠግሥ ዐድሮ ድንገት ወረራቸው። 10እግዚአብሔርም የአሞራውያንን ነገሥታት በእስራኤል ፊት አሸበራቸው፤ በገባዖን እጅግ መታቸው፤ ወደ ቤትሖሮን በሚያስወጣውም መንገድ ሽቅብ ተከተላቸው፤ እስከ ዓዜቅና እስከ መቄዳም ድረስ አሳድዶ መታቸው። 11ከቤትሖሮን ወደ ዓዜቃ ቍልቍል በሚወስደው መንገድ ላይ፣ ከእስራኤላውያን ፊት በሚሸሹበት ጊዜ፣ እግዚአብሔር ከሰማይ ትልልቅ የበረዶ ድንጋይ አወረደባቸው፤ በእስራኤላውያን ሰይፍ ካለቁት ይልቅ በወረደው የበረዶ ድንጋይ ያለቁት በልጠው ተገኙ።

12እግዚአብሔር አሞራውያንን ለእስራኤል አሳልፎ በሰጠባት ዕለት፣ ኢያሱ እግዚአብሔርን በእስራኤል ፊት እንዲህ አለው፤

“ፀሓይ ሆይ፤ በገባዖን ላይ ቁሚ፤

ጨረቃም ሆይ፤ በኤሎን ሸለቆ ላይ ቀጥ በዪ።”

13ስለዚህ ሕዝቡ ጠላቶቹን እስኪበቀል

ድረስ10፥13 ወይም ሕዝቡ እስኪያሸንፍ ድረስ፣ ፀሓይ ባለችበት ቆመች፤

ጨረቃም አልተንቀሳቀሰችም።

ይህም በያሻር መጽሐፍ ተጽፎ ይገኛል።

ፀሓይ በሰማዩ መካከል ቆመች፤ ለመጥለቅም ሙሉ ቀን ፈጀባት። 14እግዚአብሔር የሰውን ቃል የሰማበት እንደዚያ ያለ ዕለት ከዚያ በፊትም ሆነ ከዚያ በኋላ አልነበረም፤ እግዚአብሔር ለእስራኤል ተዋግቶ ነበርና።

15ከዚያም ኢያሱ ከመላው እስራኤል ጋር ጌልገላ ወዳለው ሰፈር ተመለሰ።

አምስቱ የአሞራውያን ነገሥታት ተገደሉ

16በዚህ ጊዜ አምስቱ የአሞራውያን ነገሥታት ሸሽተው በመቄዳ ዋሻ ተደብቀው ነበር። 17ኢያሱም አምስቱ ነገሥታት በመቄዳ ዋሻ ውስጥ ተደብቀው መገኘታቸውን ሰማ፤ 18እንዲህም አለ፤ “ትልልቅ ድንጋዮች ወደ ዋሻው አፍ አንከባሉ፤ ጠባቂ ሰዎችንም በዚያ አቁሙ፤ 19ጠላቶቻችሁን አሳድዷቸው እንጂ ችላ አትበሉ፤ ከበስተ ኋላ ሆናችሁም አደጋ ጣሉባቸው፤ ወደ ከተሞቻቸው እንዳይገቡ ከልክሏቸው፤ እነሆ፤ እግዚአብሔር አምላካችሁ በእጃችሁ አሳልፎ ሰጥቷቸዋልና።”

20ስለዚህ ኢያሱና እስራኤላውያን እስከ መጨረሻው ደመሰሷቸው፤ የተረፉት ጥቂቶቹ ግን ወደ ተመሸጉት ከተሞቻቸው ለመድረስ ቻሉ። 21ከዚያም ሰራዊቱ ሁሉ በደኅና ተመልሶ፣ ኢያሱ ወደ ሰፈረበት ወደ መቄዳ መጣ፤ በእስራኤላውያንም ላይ አንዲት ቃል የተናገረ ሰው አልነበረም።

22ኢያሱም፤ “ዋሻውን ከፍታችሁ እነዚያን አምስቱን ነገሥታት አውጥታችሁ አምጡልኝ” አላቸው። 23እነርሱም አምስቱን ነገሥታት ማለትም የኢየሩሳሌምን ንጉሥ፣ የኬብሮንን ንጉሥ፣ የያርሙትን ንጉሥ፣ የለኪሶን ንጉሥ የዔግሎንን ንጉሥ አውጥተው አመጡለት። 24እነዚህን ነገሥታት ባመጡለትም ጊዜ፣ ኢያሱ መላውን የእስራኤልን ወንዶች ከጠራ በኋላ አብረውት የመጡትን የጦር አዛዦች፣ “ወደዚህ ቅረቡና እግሮቻችሁን በእነዚህ ነገሥታት ዐንገት ላይ አድርጉ” አላቸው፤ እነርሱም ወደ ፊት ቀርበው እግራቸውን በነገሥታቱ ዐንገት ላይ አሳረፉ።

25ኢያሱም፣ “አትፍሩ፤ አትደንግጡ፤ በርቱ፤ ጽኑ፤ እንግዲህ በምትወጓቸው ጠላቶች ሁሉ ላይ እግዚአብሔር እንደዚሁ ያደርጋልና” አላቸው። 26ከዚያም ኢያሱ ነገሥታቱን መትቶ ገደላቸው፤ በአምስትም ዛፎች ላይ ሰቀላቸው፤ ሬሳቸውም እስኪመሽ ድረስ አልወረደም ነበር።

27ፀሓይ ለመጥለቅ በማዘቅዘቅ ላይ ሳለች ኢያሱ ትእዛዝ ሰጠ፤ ከዚያም የነገሥታቱን ሬሳ ከዛፎቹ ላይ አውርደው ቀድሞ ተደብቀው ወደ ነበሩበት ዋሻ ውስጥ ጣሏቸው። በዋሻውም አፍ ትልልቅ ድንጋዮች አኖሩ፤ ድንጋዮቹም እስከ ዛሬ ድረስ በዚያ ይገኛሉ።

28በዚያች ዕለት ኢያሱ መቄዳን ያዘ፤ ከተማዪቱንና ንጉሥዋንም በሰይፍ ስለት መታ፤ አንድም ሰው ሳያስቀር በውስጧ ያለውን ሁሉ ፈጽሞ ደመሰሰ፤ በኢያሪኮ ንጉሥ ላይ ያደረገውንም ሁሉ፣ በመቄዳ ንጉሥ ላይ አደረገ።

የደቡብ ከተሞች መያዝ

29ከዚያም ኢያሱና ከእርሱ ጋር የነበሩት እስራኤላውያን በሙሉ ከመቄዳ ወደ ልብና ዐለፉ፤ ወጓትም። 30እንዲሁም እግዚአብሔር ከተማዪቱንና ንጉሥዋን በእስራኤል እጅ አሳልፎ ሰጣቸው። ኢያሱ ከተማዪቱንና በውስጧ ያለውን ሁሉ በሰይፍ ስለት አጠፋ፤ አንድም ሰው አላስተረፈም። በኢያሪኮ ንጉሥ ላይ ያደረገውንም በልብና ንጉሥ ላይ ደገመው።

31ከዚያም ኢያሱና ከእርሱ ጋር የነበሩት እስራኤላውያን በሙሉ ከልብና ወደ ለኪሶ ዐለፉ፤ ወጓትም። 32እግዚአብሔር ለኪሶን አሳልፎ ለእስራኤል ሰጠ፤ ኢያሱም በሁለተኛው ቀን ያዛት፤ በልብና እንዳደረገው ሁሉ እዚህም ከተማዪቱንና በውስጧ ያሉትን ሁሉ በሰይፍ ስለት ፈጃቸው። 33በዚህ ጊዜ የጌዝር ንጉሥ ሆራም ለኪሶን ለመርዳት መጣ፤ ኢያሱ ግን አንድ እንኳ ሳያስተርፍ ንጉሡንና ሕዝቡን መታቸው።

34ከዚያም ኢያሱና ከእርሱ ጋር የነበሩት እስራኤላውያን በሙሉ ከለኪሶ ወደ ዔግሎን ዐለፉ፤ ወጓትም። 35በዚያኑ ዕለት ያዟት፤ በሰይፍም ስለት አጠፏት፤ በለኪሶ እንዳደረጉት ሁሉ እዚህም በውስጧ የሚገኙትን ፈጽመው ደመሰሷቸው።

36ከዚያም ኢያሱና ከእርሱ ጋር የነበሩት እስራኤላውያን በሙሉ ከዔግሎን ወደ ኬብሮን ወጡ፤ ወጓትም። 37ከተማዪቱንም ከንጉሧ፣ ከመንደሮቿና በውስጧ ካሉት ጋር ሁሉ አንድም ሰው ሳያስቀሩ በሰይፍ ስለት ፈጇቸው፤ በዔግሎን እንዳደረጉት ሁሉ እዚህም ከተማዪቱንና በውስጧ ያለውን ሁሉ ፈጽመው ደመሰሱ።

38ከዚያም ኢያሱና ከእርሱ ጋር የነበሩት እስራኤላውያን በሙሉ ወደ ኋላ ተመልሰው ዳቤርን ወጓት። 39ከተማዪቱን፣ ንጉሥዋንና መንደሮቿን ይዘው በሰይፍ ስለት ፈጇቸው፤ በውስጧ ያለውንም ሁሉ አንድም ሳያስቀሩ ደመሰሱ፤ በልብናና በንጉሥዋ እንዲሁም በኬብሮን ያደረጉትን ሁሉ እዚህም በዳቤርና በንጉሥዋ ላይ ደገሙት።

40በዚህ ሁኔታም ኢያሱ ተራራማውን አገር ኔጌቭን፣ የምዕራቡን ቈላና የተራራውን ሸንተረሮች ጨምሮ ምድሪቱን በሙሉ ከነገሥታቷ ጋር ያዘ። የእስራኤል አምላክ እግዚአብሔር ባዘዘውም መሠረት፣ እስትንፋስ ያላቸውን ሁሉ ፈጽሞ ደመሰሰ፤ ማንንም በሕይወት አላስቀረም። 41ኢያሱም ከቃዴስ በርኔ እስከ ጋዛ እንዲሁም የጎሶምን ምድር ሁሉ እስከ ገባዖን ድረስ በሙሉ ያዘ። 42ኢያሱ እነዚህን ሁሉ ነገሥታትና ምድራቸውን ያሸነፈው በአንድ ዘመቻ ብቻ ነበር፤ የእስራኤል አምላክ እግዚአብሔር ለእስራኤላውያን ተዋግቶላቸዋልና።

43ከዚህ በኋላ ኢያሱ ከመላው እስራኤላውያን ጋር ጌልገላ ወዳለው ሰፈር ተመለሰ።

Hindi Contemporary Version

यहोशू 10:1-43

काल-प्रवाह का अवरोध

1फिर दूसरे दिन जब येरूशलेम के राजा अदोनी-त्सेदेक ने यह सुना कि यहोशू ने अय नगर को अपने अधीन कर उसे पूरा नष्ट कर दिया है; ठीक जैसा उन्होंने येरीख़ो एवं उसके राजा के साथ किया था; वैसा ही उन्होंने अय और उसके राजा के साथ भी किया, तथा गिबयोनवासियों ने इस्राएल के साथ संधि कर ली और अब वे उसी देश में रह रहे हैं, 2अदोनी-त्सेदेक और साथ के लोग डर गऐ, क्योंकि गिबयोन एक प्रतिष्ठित नगर था, और अय से अधिक बड़ा था तथा उसके लोग भी वीर थे. 3तब येरूशलेम के राजा अदोनी-त्सेदेक ने हेब्रोन के राजा होहाम, यरमूथ के राजा पिरआम, लाकीश के राजा याफिया तथा एगलोन के राजा दबीर को यह संदेश भेजा कि, 4“यहां आकर मेरी मदद कीजिए,” ताकि हम गिबयोन पर हमला करें, “क्योंकि उसने यहोशू तथा इस्राएल वंश से दोस्ती कर ली है.”

5तब अमोरियों के पांच राजा येरूशलेम, हेब्रोन, यरमूथ लाकीश तथा एगलोन के राजा एक साथ मिल गए. उन्होंने अपनी-अपनी सेनाएं लेकर गिबयोन के पास तंबू खड़े किए तथा गिबयोन से लड़ाई शुरू की.

6तब गिबयोनवासियों ने गिलगाल में यहोशू को यह संदेश भेजा, “अपने सेवकों को अकेला मत छोड़िए. हमारी मदद के लिए तुरंत आइए. और हमें बचाइए. अमोरियों के सभी राजा, जो पर्वतीय क्षेत्र के हैं, एक होकर हमारे विरुद्ध खड़े हैं.”

7यह सुन यहोशू, उनके साथ युद्ध के लिए तैयार व्यक्ति तथा शूर योद्धा लेकर गिलगाल से निकले. 8याहवेह ने यहोशू से कहा, “उनसे मत डरना, क्योंकि मैंने उन्हें तुम्हारे अधीन कर दिया है. उनमें से एक भी तुम्हारे सामने ठहर न सकेगा.”

9तब गिलगाल से पूरी रात चलकर यहोशू ने उन पर अचानक हमला कर दिया. 10याहवेह ने शत्रु को इस्राएलियों के सामने कमजोर कर दिया, तथा गिबयोन पर बड़ा विरोध किया. और बेथ-होरोन के मार्ग की चढ़ाई पर उनका पीछा किया और अज़ेका तथा मक्‍केदा तक उनको मारते गए. 11वे इस्राएलियों से बेथ-होरोन की ढलान तक भागते रहे, याहवेह ने उन पर अज़ेका से बड़े-बड़े पत्थर समान ओले फैंके, जिससे उनकी मृत्यु हो गई. और जो ओले से मरे वे कम थे, लेकिन तलवार से मारे गए लोग ज्यादा थे.

12जिस दिन याहवेह ने अमोरियों को इस्राएल वंश के अधीन कर दिया था, उस दिन यहोशू ने याहवेह से बात की और इस्राएलियों के सामने कहा,

“सूर्य, गिबयोन पर

और चंद्रमा अय्जालोन घाटी पर रुक जाए.”

13तब सूर्य एवं,

चंद्रमा रुक गये,

जब तक इस्राएली राष्ट्र की सेना ने अपने शत्रुओं से बदला न लिया.

यह घटना याशार की किताब में लिखी है.

सूर्य लगभग पूरा दिन आकाश के बीच रुका रहा, 14इससे पहले और इसके बाद फिर कभी ऐसा नहीं हुआ कि, जब याहवेह ने किसी मनुष्य का ऐसा आग्रह स्वीकार किया हो; क्योंकि यह वह समय था, जब याहवेह इस्राएल की ओर से युद्ध कर रहे थे.

15फिर यहोशू एवं उनके साथ सब इस्राएली गिलगाल चले गए.

मक्‍केदा पर विजय

16जब पांचों राजा भागकर मक्‍केदा की गुफा में छिपे थे, 17यहोशू को यह बताया गया: “पांचों राजा मक्‍केदा की गुफा में छिपे हुए हैं.” 18यहोशू ने उनसे कहा, “गुफा के मुख पर बड़ा गोल पत्थर रख दो और वहां कुछ पहरेदार बिठा दो, 19और तुम वहां मत रुकना. तुम अपने शत्रुओं का पीछा करना और उन पर वार करना, जो सबसे पीछे हैं, उन्हें मौका देना कि वे अपने नगर में जा पाएं, क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने उन्हें तुम्हारे हाथों में सौंप दिया है.”

20जब यहोशू एवं इस्राएल वंश उनको मार चुके और उनमें से कुछ लोग बच गए, वे नगर के गढ़ में चले गए, 21तब सभी इस्राएली मक्‍केदा के पड़ाव में यहोशू के पास सुरक्षित लौट आए. इसके बाद फिर किसी में भी यह साहस न रहा कि इस्राएल के विरुद्ध कुछ कहें.

22तब यहोशू ने कहा, “गुफा का पत्थर हटा दो और पांचों राजाओं को मेरे पास लाओ.” 23वे गुफा में से उन पांच राजाओं को निकाल लाए; वे येरूशलेम, हेब्रोन, यरमूथ लाकीश तथा एगलोन के राजा थे. 24जब इन्हें यहोशू के पास लाया गया, तब यहोशू ने सब इस्राएलियों को बुलाया तथा योद्धाओं के प्रमुखों को, जो उनके साथ युद्ध पर गए थे, उनसे कहा, “इन राजाओं की गर्दनों पर पैर रखो.” और वे उनके पास गए और उनकी गर्दन पर अपने पैर रखे.

25तब यहोशू ने सब इस्राएली प्रजा को बोला, “न तो डरना और न निराश होना, बहादुर तथा साहसी बनना, क्योंकि याहवेह शत्रुओं की यही दशा करेंगे, जिन-जिन से तुम युद्ध करोगे.” 26फिर यहोशू ने उनको मार दिया तथा उनके शवों को पांच वृक्षों पर लटका दिया; शाम तक उनके शव पेड़ों पर लटके रहे.

27सूर्य ढलने पर यहोशू के आदेश पर उन्होंने वे शव उतारकर उसी गुफा में रख दिए, जहां वे छिपे थे. उन्होंने गुफा पर बड़े-बड़े पत्थरों का ढेर लगा दिया, जो आज तक वैसा ही है.

दक्षिण फिलिस्तीन पर विजय

28मक्‍केदा नगर को यहोशू ने उसी दिन अपने अधीन कर लिया और नगरवासियों तथा राजा को तलवार से मार दिया. और कोई भी जीवित न रहा. यहोशू ने मक्‍केदा के राजा के साथ ठीक वही किया, जैसा उन्होंने येरीख़ो के राजा के साथ किया था.

29तब यहोशू तथा उनके साथ सब इस्राएली मक्‍केदा से होते हुए लिबनाह पहुंचे, और उन्होंने लिबनाह से युद्ध किया. 30याहवेह ने लिबनाह नगर तथा उसके राजा को इस्राएल के अधीन कर दिया. यहोशू ने नगर के हर व्यक्ति को तलवार से मार दिया, किसी को भी जीवित न छोड़ा. राजा के साथ भी यहोशू ने वही किया, जो उन्होंने येरीख़ो के राजा के साथ किया था.

31तब यहोशू और उनके साथ सब इस्राएली लिबनाह से होते हुए लाकीश पहुंचे. उन्होंने वहां उनसे लड़ाई की. 32याहवेह ने लाकीश को इस्राएल के अधीन कर दिया. दूसरे दिन यहोशू ने हर एक व्यक्ति को तलवार से मार दिया. 33लाकीश की मदद के लिए गेज़ेर का राजा होराम आया. यहोशू ने उसे और उसकी सेना को भी मार दिया. यहोशू ने किसी को भी जीवित न छोड़ा.

34यहोशू और उनके साथ सभी इस्राएली लाकीश से होकर एगलोन पहुंचे. उन्होंने उसके पास तंबू डाले और उनसे लड़ाई की. 35उन्होंने उसी दिन उस पर अधिकार कर लिया तथा सभी को तलवार से मार दिया.

36फिर यहोशू और उनके साथ सभी इस्राएली एगलोन से हेब्रोन पहुंचे. उन्होंने उनसे युद्ध किया. 37और उन पर अधिकार कर उन्हें नष्ट कर दिया, तथा उसके राजा और सभी लोगों को तलवार से मार दिया, और किसी को भी जीवित न छोड़ा; यहोशू ने नगर को तथा हर एक नगरवासी को पूरी तरह नष्ट कर दिया.

38उसके बाद यहोशू तथा उनके साथ सब इस्राएली दबीर को गए, और उन्होंने उन पर आक्रमण कर दिया. 39यहोशू ने उसके राजा तथा नगर को अपने अधीन करके तलवार से मार दिया. और कोई भी जीवित न रहा. ठीक जैसा उन्होंने हेब्रोन में किया था, दबीर तथा उसके राजा के साथ भी वही किया, जैसा उन्होंने लिबनाह तथा उसके राजा के साथ भी किया था.

40इस प्रकार यहोशू ने, पर्वतीय क्षेत्र, नेगेव, तथा उनके राजाओं को भी नष्ट कर दिया, और किसी को भी जीवित न छोड़ा; ठीक जैसा याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का आदेश था. 41यहोशू ने कादेश-बरनेअ से लेकर गाज़ा तक तथा गोशेन से लेकर गिबयोन तक पूरे देश को अपने अधीन कर लिया. 42यहोशू ने एक ही बार में इन सभी राजाओं तथा उनकी सीमाओं को अपने अधिकार में ले लिया, क्योंकि याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर उनके लिए युद्ध कर रहे थे.

43इसके बाद यहोशू तथा उनकी सेना गिलगाल में अपने पड़ाव में लौट आए.