マタイの福音書 24 – JCB & HCV

Japanese Contemporary Bible

マタイの福音書 24:1-51

24

世の終わり

1イエスが神殿の庭から出ようとしておられると、弟子たちが近寄って来て、「この神殿は、たいそうりっぱですね」と言いました。 2ところが、イエスは言われました。「今、あなたがたが目を見張っているこれらの建物は、一つの石もほかの石の上に残らないほど、あとかたもなく壊されてしまいます。」

3そのあと、イエスがオリーブ山の中腹に座っておられると、弟子たちが来てこっそり尋ねました。「そんな恐ろしいことがいつ起こるのですか。あなたがもう一度おいでになる時や、この世の終わりには、どんな前兆があるのでしょう。」

4そこでイエスは、彼らに説明されました。「だれにもだまされないようにしなさい。 5そのうち、自分こそキリストだと名乗る者が大ぜい現れて、多くの人を惑わすでしょう。 6また、あちらこちらで戦争が始まったといううわさが流れるでしょう。だがそれは、わたしがもう一度来る時の前兆ではありません。こういう現象は必ず起こりますが、それでもまだ、終わりが来たのではありません。 7民族は民族に、国は国に敵対して立ち上がり、至る所でききんと地震が起こります。 8しかし、これらはみな、やがて起こる恐ろしい出来事のほんの始まりにすぎないのです。

9その時、あなたがたは苦しめられ、殺されることもあるでしょう。また、わたしの弟子だというだけで、世界中の人から憎まれるでしょう。 10ですから、その時には多くの者が罪の生活に逆戻りし、互いに裏切り、憎み合います。 11また多くの偽預言者が現れ、大ぜいの人を惑わします。 12罪があらゆる所にはびこり、人々の愛は冷えきってしまいます。 13けれども、最後まで耐え忍ぶ者は救われるのです。

14そして、御国についてのすばらしい知らせが全世界に宣べ伝えられ、すべての国民がそれを耳にします。それから、ほんとうの終わりが来るのです。

15ですから、預言者ダニエルが語った、あの恐るべきものダニエル9・2711・31が聖所に立つのを見たなら〔読者よ、この意味をよく考えなさい〕、 16その時は、ユダヤにいる人たちは山に逃げなさい。 17屋上にいる人たちは、家の中の物を持ち出そうと下に降りてはいけません。 18畑で仕事をしている人たちは、着物を取りに戻ってはいけません。

19このような日には、妊娠している女と乳飲み子をかかえている母親はたいへん不幸です。 20あなたがたの逃げる日が、冬や安息日にならないように祈りなさい。 21その時には、歴史上、類を見ないような大迫害が起こるからです。

22もし、このような迫害の期間が短くされないなら、一人として救われないでしょう。だが、神に選ばれた人たちのために、この期間は短くされるのです。

23その時、『キリストがここにおられるぞ』とか、『あそこだ』『いや、ここだ』などとうわさが乱れ飛んでも、そんなデマを信じてはいけません。 24それは、偽キリストや偽預言者たちです。彼らは不思議な奇跡を行って、できることなら、神に選ばれた者たちさえ惑わそうとするのです。 25いいですね。よく警告しておきます。

26ですから、だれかが、『メシヤがまたおいでになった。荒野におられる』と知らせても、わざわざ見に出かけることはありません。また、『メシヤはこれこれの所に隠れておられる』と言っても、信じてはいけません。 27なぜなら、メシヤのわたしは、いなずまが東から西へひらめき渡るように戻って来るからです。 28死体がある所には、はげたかが集まるものです。 29これらの迫害が続いたすぐあとで、太陽は暗くなり、月は光を失い、星は天から落ち、天体に異変が起こります。

30その時、わたしが来るという前兆が天に現れるのです。地上のあらゆる国の人々は深い悲しみに包まれ、わたしが力と輝く栄光を帯びて、雲に乗って来るのを見ます。 31ラッパが高らかに鳴り響く中で、わたしは天使たちを遣わします。天使たちは、天と地の果てから果てまで行き巡り、選ばれた者たちを集めるのです。

32さあ、いちじくの木から教訓を学びなさい。いちじくの葉が出てくれば、夏は間近です。 33同じように、このようなことが起こり始めたら、わたしはもう戸口まで来ているのです。 34それらのことが全部起こってから、この時代は終わりになるのです。

35天地は消え去りますが、わたしのことばは永遠に残ります。 36しかし、その日、その時がいつであるかは、だれも知りません。天使ばかりか、神の子さえも知らないのです。ただ父だけがご存じです。

37-38ちょうど、ノアの時代のように。当時の人々は洪水が襲う直前まで、宴会だ、結婚式だと陽気に楽しんでいました。 39何もかも押し流されてしまうまで、洪水のことなど信じようとしなかったのです。わたしが来る時も、それと同じです。

40その時、二人の人が畑で仕事をしていると、一人は天に上げられ、一人はあとに残されます。 41家事をしている二人の女のうち、一人は天に上げられ、一人はその場に残されます。

42主はいつ来られるかわからないのだから、いつ来られてもいいように準備をしていなさい。

43寝ずの番をしていれば、どろぼうに入られることもありません。 44同じように、日ごろの備えが万全であれば、わたしが何の前ぶれもなくやって来ても、少しも困ることはないはずです。

45-46主人の賢い忠実な管理人とはだれでしょう。召使たちの食事の世話をし、家の中を管理する仕事をする人です。主人が帰って来た時、その仕事を忠実にやっているところを見られる人は幸いです。 47主人はそのような忠実な人たちに、全財産を管理させます。

48しかしもし、あなたがたが悪い召使で、『主人はまだ当分、帰って来ないだろう』と高をくくり、 49仲間をいじめたり、宴会を開いて酒を飲んだりし始めたらどうでしょう。 50主は何の前ぶれもなく、思いがけない時に帰って来て、この有様を見、 51あなたがたを激しくむち打ち、偽善者たちと同じ目に会わせるでしょう。あなたがたは泣いて歯ぎしりするのです。

Hindi Contemporary Version

मत्तियाह 24:1-51

ज़ैतून पर्वत का प्रवचन

1येशु मंदिर से निकलकर जा रहे थे कि शिष्यों ने उनका ध्यान मंदिर परिसर की ओर आकर्षित किया. 2येशु ने उनसे कहा, “तुम यह मंदिर परिसर देख रहे हो? सच तो यह है कि एक दिन इन भवनों का एक भी पत्थर दूसरे पर रखा न दिखेगा—हर एक पत्थर ज़मीन पर बिखरा होगा.”

3येशु ज़ैतून पर्वत पर बैठे हुए थे. इस एकांत में उनके शिष्य उनके पास आए और उनसे यह प्रश्न किया, “गुरुवर, हमें यह बताइए कि ये घटनाएं कब घटित होंगी, आपके आने तथा जगत के अंत का चिह्न क्या होगा?”

4येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “इस विषय में सावधान रहना कि कोई तुम्हें भरमाने न पाए 5क्योंकि मेरे नाम में अनेक यह दावा करते आएंगे, ‘मैं ही मसीह हूं’ और इसके द्वारा अनेकों को भरमा देंगे. 6तुम युद्धों के विषय में तो सुनोगे ही साथ ही उनके विषय में उड़ते-उड़ते समाचार भी. ध्यान रहे कि तुम इससे घबरा न जाओ क्योंकि इनका होना अवश्य है—किंतु इसे ही अंत न समझ लेना. 7राष्ट्र-राष्ट्र के तथा, राज्य-राज्य के विरुद्ध उठ खड़ा होगा. हर जगह अकाल पड़ेंगे तथा भूकंप आएंगे, 8किंतु ये सब घटनाएं प्रसववेदना का प्रारंभ मात्र होंगी.

9“तब वे तुम्हें क्लेश देने के लिए पकड़वाएंगे और तुम्हारी हत्या कर देंगे क्योंकि मेरे कारण तुम सभी देशों की घृणा के पात्र बन जाओगे. 10इसी समय अनेक विश्वास से हट जाएंगे तथा त्याग देंगे, वे एक दूसरे से विश्वासघात करेंगे, वे एक दूसरे से घृणा करने लगेंगे. 11अनेक झूठे भविष्यवक्ता उठ खड़े होंगे. वे अनेकों को भरमा देंगे. 12अधर्म के बढ़ने के कारण अधिकांश का प्रेम ठंडा पड़ता जाएगा; 13किंतु उद्धार उसी का होगा, जो अंतिम क्षण तक विश्वास में स्थिर रहेगा. 14पूरे जगत में सारे राष्ट्रों के लिए प्रमाण के तौर पर राज्य के विषय में सुसमाचार का प्रचार किया जाएगा और तब जगत का अंत हो जाएगा.

15“इसलिये जब तुम उस विनाशकारी घृणित वस्तु को,24:15 दानि 9:27; 11:13; 12:11 जिसकी चर्चा भविष्यवक्ता दानिएल ने की थी, पवित्र स्थान में खड़ा देखो—पाठक ध्यान दे— 16तो वे, जो यहूदिया प्रदेश में हों पर्वतों पर भागकर जाएं, 17वह, जो घर की छत पर हो, घर में से सामान लेने नीचे न आए. 18वह, जो खेत में हो, अपना कपड़ा लेने पीछे न लौटे. 19दयनीय होगी गर्भवती और शिशुओं को दूध पिलाती स्त्रियों की स्थिति! 20प्रार्थनारत रहो, ऐसा न हो कि तुम्हें जाड़े या शब्बाथ पर भागना पड़े 21क्योंकि वह महाक्लेश का समय होगा—ऐसा, जो न तो सृष्टि के प्रारंभ से आज तक देखा गया, न ही इसके बाद दोबारा देखा जाएगा.

22“यदि यह आनेवाले दिन घटाए न जाते, कोई भी जीवित न रहता. कुछ चुने हुए विशेष लोगों के लिए यह अवधि घटा दी जाएगी. 23उस समय यदि कोई आकर तुम्हें सूचित करे, ‘सुनो-सुनो, मसीह यहां हैं!’ या, ‘वह वहां हैं!’ तो विश्वास न करना. 24क्योंकि अनेक झूठे मसीह तथा अनेक झूठे भविष्यवक्ता उठ खड़े होंगे. वे प्रभावशाली चमत्कार चिह्न दिखाएंगे तथा अद्भुत काम करेंगे कि यदि संभव हुआ तो परमेश्वर द्वारा चुने हुओं को भी भटका दें. 25ध्यान दो कि मैंने पहले ही तुम्हें इसकी चेतावनी दे दी है.

26“कि यदि वे तुम्हारे पास आकर यह कहें, ‘देखो, देखो; वह बंजर भूमि में हैं,’ तो उसे देखने चले न जाना; या यदि वे यह कहें, ‘आओ, देखो, वह कोठरी में हैं,’ तो उनका विश्वास न करना.” 27जैसे बिजली पूर्व दिशा से चमकती हुई पश्चिम दिशा तक चली जाती है, ठीक ऐसा ही होगा मनुष्य के पुत्र का आगमन. 28गिद्ध वहीं इकट्ठा होते हैं, जहां शव होता है.

29“उन दिनों के क्लेश के तुरंत बाद

“ ‘सूर्य अंधियारा हो जाएगा और

चंद्रमा का प्रकाश न रहेगा.

आकाश से तारे गिर जाएंगे.

आकाश की शक्तियां हिलायी जाएंगी.’24:29 यशा 13:10; 34:4

30“तब आकाश में मनुष्य के पुत्र का चिह्न प्रकट होगा. पृथ्वी के सभी गोत्र शोक से भर जाएंगे और वे मनुष्य के पुत्र को आकाश में बादलों पर सामर्थ्य और प्रताप के साथ आता हुआ देखेंगे.24:30 दानि 7:13-14 31मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को तुरही के ऊंचे शब्द के साथ भेजेगा, जो चारों दिशाओं से, आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक जाकर उनके चुने हुओं को इकट्ठा करेंगे.

32“अंजीर के पेड़ से शिक्षा लो: जब उसमें कोंपलें फूटने लगती हैं, पत्तियां निकलने लगती हैं तो तुम जान लेते हो कि गर्मी का समय पास है. 33इसी प्रकार तुम जब भी इन सभी घटनाओं को होते देखो तो समझ लेना कि वह पास हैं—परंतु द्वार पर ही हैं. 34सच्चाई तो यह है कि इन घटनाओं के हुए बिना इस युग का अंत नहीं होगा. 35आकाश तथा पृथ्वी खत्म हो जाएंगे किंतु मेरे कहे हुए शब्द कभी नहीं.

दिन और समय से अनजान

36“वैसे उस दिन तथा उस समय के विषय में किसी को भी मालूम नहीं है—न स्वर्ग के दूतों को और न ही पुत्र को—परंतु मात्र पिता को ही यह मालूम है.24:36 36 कुछ पाण्डुलिपियों मूल हस्तलेखों में और न ही पुत्र शब्द नहीं पाए जाते.

37“ठीक नोहा के दिनों जैसा होगा मनुष्य के पुत्र का आगमन: 38जल-बाढ़ के पहले उन दिनों में लोग तब तक खाते-पीते रहे और उनमें विवाह होते रहे जब तक नोहा ने जहाज़ में प्रवेश न किया. 39लोग तब तक कुछ न समझे जब तक बाढ़ ने आकर उन्हें डुबो न दिया. ऐसा ही होगा मनुष्य के पुत्र का आगमन. 40उस समय दो व्यक्ति खेत में कार्य कर रहे होंगे; एक उठा लिया जाएगा, दूसरा रह जाएगा. 41दो स्त्रियां चक्की पर अनाज पीस रही होंगी; एक उठा ली जाएगी, दूसरी रह जाएगी.

42“इसलिये हमेशा सावधान रहो क्योंकि तुम यह नहीं जानते कि तुम्हारे प्रभु का आगमन किस दिन होगा. 43याद रखो कि यदि घर के स्वामी को यह पता हो कि चोर रात में किस समय आएगा तो वह सावधान हो जाएगा तथा घर में सेंध लगने न देगा. 44तुम्हारा भी इसी प्रकार सावधान रहना ज़रूरी है क्योंकि मनुष्य के पुत्र का आगमन ऐसे समय पर होगा जिसकी तुम कल्पना तक नहीं कर सकते.

45“कौन है वह विश्वासयोग्य और समझदार सेवक, जिसे घर का मालिक अपने परिवार की ज़िम्मेदारी सौंप दे कि वह समय के अनुसार सबके लिए भोजन-व्यवस्था करे? 46धन्य है वह सेवक, जिसे घर का स्वामी लौटने पर यही करते हुए पाए. 47सच्चाई तो यह है कि घर का स्वामी उस सेवक के हाथों में अपनी सारी संपत्ति की ज़िम्मेदारी सौंप देगा. 48किंतु यदि वह सेवक बुरा हो और अपने मन में यह विचार करने लगे: ‘स्वामी के लौटने में तो बड़ी देरी हो रही है’ 49और वह सहसेवकों के साथ मार-पीट आरंभ कर दे, पियक्कड़ों की संगति में जाकर खाए-पिए और 50उसका स्वामी एक ऐसे दिन लौटेगा, जिसकी उसने कल्पना ही न की थी और एक ऐसे क्षण में, जिसके विषय में उसे मालूम ही न था, 51तो स्वामी उसके टुकड़े-टुकड़े कर24:51 टुकड़े-टुकड़े कर अलंकारिक रूप से सबसे बड़ी सजा उसकी गिनती कपट करनेवालों में कर देगा जहां हमेशा रोना तथा दांत पीसना होता रहेगा.