2 शमुएल 11 – HCV & CCBT

Hindi Contemporary Version

2 शमुएल 11:1-27

दावीद का गंभीर पाप

1जब वसन्त काल में राजा लोग युद्ध करने निकलते थे, दावीद ने योआब, उनके अधीनस्थ अधिकारियों और सारे इस्राएली सेना को युद्ध के लिए भेज दिया. उन्होंने अम्मोनियों का नाश कर दिया और रब्बाह पर अधिकार कर लिया. मगर दावीद येरूशलेम में ही रह गए थे.

2एक दिन, शाम के समय में, जब दावीद अपने बिछौने से उठकर राजमहल की छत पर टहल रहे थे, वहां से उन्हें स्‍नान करती हुई एक स्त्री दिखाई दी. वह स्त्री बहुत ही सुंदर थी. 3दावीद ने किसी को भेजकर यह मालूम करवाया कि वह स्त्री कौन थी. उन्हें सूचित किया गया, “वह एलियाम, की पुत्री बैथशेबा है; हित्ती उरियाह की पत्नी.” 4दावीद ने दूतों को भेजकर उसे बुलवा लिया. (इस समय वह अपने स्त्री-धर्म से शुद्ध हो चुकी थी.) वह दावीद के पास आ गई, और दावीद ने उसके साथ संबंध बनाया. इसके बाद वह अपने घर लौट गई. 5वह गर्भवती हो गई. उसने दावीद को यह संदेश भेजा, “मैं गर्भवती हो गई हूं.”

6यह मालूम होने पर दावीद ने योआब को यह संदेश भेजा, “हित्ती उरियाह को यहां भेज दो.” योआब ने उरियाह को दावीद के पास भेज दिया. 7जब उरियाह दावीद के सामने उपस्थित हुआ. दावीद ने उससे योआब का हाल-चाल मालूम किया, सैनिकों और युद्ध की स्थिति भी मालूम की. 8उसके बाद दावीद ने उरियाह को आदेश दिया, “अब तुम अपने घर चले जाओ.” राजा की ओर से उसके पीछे-पीछे उसके लिए उपहार भी भेजा गया. 9मगर उरियाह राजमहल के द्वार के निकट ही उसके स्वामी के सभी सेवकों के सोने के स्थान पर सो गया, और वह अपने घर नहीं गया.

10जब दावीद को यह बताया गया, “उरियाह तो अपने घर गया ही नहीं.” दावीद ने उरियाह से पूछा, “तुम यात्रा से लौटे हो, तो तुम अपने घर क्यों नहीं गए?”

11उरियाह ने उन्हें उत्तर दिया, “संदूक, इस्राएल और यहूदिया की सेना मैदान में तंबू में ठहरे हुए हैं, और योआब मेरे स्वामी और मेरे स्वामी के सैनिक मैदान में शिविर डाले हुए हैं, तब क्या यह मेरे लिए सही है कि मैं अपने घर जाऊं, और खा-पीकर अपनी पत्नी के साथ सो जाऊं? आपकी और आपके प्राणों की शपथ, मुझसे वह सब हो ही नहीं सकता!”

12यह सुन दावीद ने उससे कहा, “आज भी यहां ठहरो, मैं तुम्हें कल विदा कर दूंगा.” तब उरियाह येरूशलेम में एक दिन और ठहर गया. 13तब दावीद ने उसे आमंत्रित किया. उसने दावीद के साथ भोजन किया और दावीद उसे मदोन्मत होने तक दाखमधु पिलाई. संध्याकाल में उरियाह वहां से निकलकर अपने स्वामी के सेवकों के लिए निर्धारित स्थान पर अपने बिछौने पर जाकर सो गया, मगर अपने घर नहीं गया.

14प्रातः दावीद ने योआब को एक पत्र लिखा और उसे उरियाह के ही हाथ से भेज दिया. 15दावीद ने पत्र में लिखा था, “उरियाह को ऐसे मोर्चे पर भेज दो, जहां युद्ध सबसे तेज हो और फिर उसे वहां अकेला छोड़ पीछे हट जाना, कि उस पर शत्रुओं का वार हो और वहीं उसकी मृत्यु हो जाए.”

16जब योआब नगर पर घेरा डाल रहे थे, उन्हें मालूम था कि किस स्थान पर शत्रु के सबसे अधिक बलवान सैनिक युद्ध कर रहे थे, तब उन्होंने उरियाह को उसी स्थान पर युद्ध करने के लिए आदेश दिया. 17नगर के शूर योद्धा योआब से युद्ध करने निकल आए. दावीद के कुछ सैनिक इस हमले से घात किए गए, हित्ती उरियाह भी इसमें मारा गया.

18योआब ने दावीद को युद्ध का विस्तृत समाचार भेज दिया. 19योआब ने दूत को ये विशेष निर्देश दिए, “जब तुम राजा को युद्ध का विस्तृत लेखा दे चुको, 20तब यदि राजा गुस्सा होते दिखे और यदि वह तुमसे पूछे, ‘तुम लोग युद्ध करते हुए नगर के इतने निकट क्यों जा पहुंचे थे? क्या तुम्हें इतनी भी बुद्धि न थी कि वे लोग तुम पर शहरपनाह से बाण चलाएंगे? 21येरूब-बाशेथ11:21 येरूब-बाशेथ यरूबाल नाम से भी यह जाना जाता था का पुत्र अबीमेलेक किसके वार से मारा गया था? क्या, एक स्त्री ने ही उस पर शहरपनाह से चक्की का ऊपरी पाट नहीं फेंका था और वह तेबेज़ में इसी प्रकार मारा नहीं गया था? तुम लोग शहरपनाह के इतने निकट गए ही क्यों?’ तब तुम्हें उत्तर देना होगा, ‘महाराज, इसी में आपके सेवक हित्ती उरियाह की भी मृत्यु हो गई है.’ ”

22तब दूत चला गया. उसने आकर दावीद को वह सब सुना दिया, जिसे सुनाने का आदेश उसे योआब ने दिया था. 23दूत ने दावीद से कहा, “शत्रु सैनिक हम पर प्रबल हो गए थे. वे हम पर हमला करने मैदान तक आ गए, मगर हमने उन्हें नगर प्रवेश तक धकेल दिया. 24इसके बाद धनुर्धारियों ने शहरपनाह से हमारी सेना पर बाणों की बौछार कर दी. राजा के कुछ सैनिक इसमें मारे गए. उन्हीं में आपका सेवक हित्ती उरियाह भी था.”

25दावीद ने दूत को यह आदेश दिया, “तुम्हें जाकर योआब से यह कहना होगा: ‘तुम इस बात से उदास न होना, क्योंकि तलवार तो किसी को आज मारती है तो किसी को कल. इस नगर पर अपना हमला और अधिक प्रबल कर दो कि, नगर नष्ट कर दिया जाए,’ तुम यह कहकर योआब को प्रोत्साहित कर देना.”

26जब उरियाह की पत्नी को यह मालूम हुआ कि उसके पति की मृत्यु हो गई है, वह अपने पति के लिए रोने लगी. 27जब विलाप के लिए निर्धारित अवधि पूरी हो गई, दावीद ने उसे अपने पास बुलवा लिया कि वह उसकी पत्नी बन जाए. मगर दावीद के इस काम ने याहवेह को अप्रसन्‍न कर दिया.

Chinese Contemporary Bible 2023 (Traditional)

撒母耳記下 11:1-27

大衛犯罪

1第二年春天,諸王又要發動戰爭。大衛差遣約押率領眾將領和以色列大軍出征,自己卻留在耶路撒冷。他們打敗了亞捫人之後又圍攻拉巴2一天黃昏,大衛從床上起來在王宮頂上散步,看見一個長得非常漂亮的女人在沐浴。 3大衛就派人去打聽這個女人是誰,得知她是以連的女兒、烏利亞的妻子拔示巴4大衛派使者把她接來,她來了,大衛就與她同寢,那時她的月經剛潔淨。事後,她便回家去了。 5拔示巴懷孕了,就派人去告訴大衛

6大衛便傳信給約押,說:「你派烏利亞來見我。」約押就派烏利亞去見大衛7烏利亞來了,大衛問他有關約押、士兵和戰爭的情況, 8然後吩咐他回家休息。烏利亞離開王宮後,收到王送的一份禮物。 9但他跟王的其他僕人一同睡在王宮門口,沒有回家。 10大衛得知烏利亞沒有回家,便對他說:「你遠道而來,為什麼不回家休息呢?」 11烏利亞答道:「約櫃、以色列人和猶大人都在帳篷裡,而我主約押及其軍隊也在田間紮營,我怎麼可以回家吃喝,與妻子同房呢?我以王的性命起誓,我決不做這樣的事!」 12大衛烏利亞說:「你再住一天,明天我會派你回去。」於是烏利亞那日就留在耶路撒冷13第二天,大衛邀請他一同吃飯,把他灌醉了。可是到了晚上,烏利亞還是不肯回家,仍然跟王的其他士兵一同住宿。

14第二天早上,大衛約押寫了一封信,要烏利亞帶去。 15大衛在信上吩咐約押:「你把烏利亞派到前線最險惡的地方,到時其他人都要撤退,好讓敵人殺死他。」 16於是約押圍攻城池時,便派烏利亞到他知道的最強悍的敵人那裡。 17敵人出來迎戰約押大衛的軍中有幾位陣亡,烏利亞也死了。 18約押就派人去向大衛稟告戰爭的詳情, 19並叮囑信使:「你向王稟告戰情後, 20他若發怒責問你,『為什麼還冒死逼近城池呢?你們難道不知道敵人會從城牆上射箭嗎? 21難道你們不知道耶路·比設11·21 「耶路·比設」又名「耶路·巴力」,參見士師記6·32的兒子亞比米勒是誰殺的嗎?一個婦人從城牆上扔下一塊磨石,把他砸死在提備斯。你們為什麼還要逼近城牆呢?』你就對王說,『你的僕人烏利亞也死了。』」

22於是,信使前來見大衛,照約押的吩咐向大衛稟告。 23他說:「敵軍勢力強大,在城外跟我們交戰,但我們把他們追到城門口。 24敵軍的弓箭手從城牆上射死了王的幾個士兵,烏利亞也死了。」 25大衛便對信使說:「你去告訴約押不要為這事難過,因為刀劍無情。讓他只管竭力攻陷城池。要這樣勉勵約押。」

26拔示巴聽到丈夫烏利亞的死訊之後就為他哭喪。 27喪期過後,大衛便派人把她接進宮裡,她就做了大衛的妻子,並給他生了個兒子。然而,大衛的所作所為令耶和華十分不悅。