2 राजा 3 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

2 राजा 3:1-27

इस्राएल के विरुद्ध मोआब का विद्रोह

1यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात के शासनकाल के अठारहवें साल में अहाब का पुत्र यहोराम3:1 यहोराम कुछ पाण्डुलिपियों में योराम शमरिया में राजा हो गया, और उसने बारह साल तक शासन किया. 2याहवेह की दृष्टि में उसका व्यवहार गलत था; हालांकि उतना नहीं जैसा उसके पिता और माता का था; क्योंकि उसने अपने पिता द्वारा बनवाए हुए बाल के खंभों को हटा दिया. 3फिर भी वह नेबाथ के पुत्र यरोबोअम के उन पापों में लगा रहा, जिन्हें करने के लिए वह इस्राएल को उकसाता रहा. वह इनसे दूर न हुआ.

4मेषा मोआब का राजा भेड़ पालता था. उसे इस्राएल के राजा को हर साल एक लाख मेमने और एक लाख भेड़ों का ऊन देना होता था. 5अहाब की मृत्यु होते ही मोआब के राजा ने इस्राएल के विरुद्ध विद्रोह कर दिया. 6तब राजा यहोराम शमरिया से बाहर निकल पड़ा और उसने सारी इस्राएली सेना को इकट्ठी की. 7तब उसने जाकर यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात को यह संदेश भेजा, “मोआब का राजा मेरे विरुद्ध विद्रोह पर उतर आया है. क्या मोआब से युद्ध में आप मेरा साथ देंगे?”

यहोशाफ़ात ने उत्तर दिया, “ज़रूर मैं आपके साथ हूं. जो मेरे सैनिक हैं, वे आपके भी सैनिक हैं. मेरे घोड़े आपके घोड़े हैं.”

8तब यहोशाफ़ात ने पूछा, “हमें किस दिशा से हमला करना है?”

यहोराम ने उत्तर दिया, “एदोम के बंजर भूमि के मार्ग से.”

9तब इस्राएल के राजा के साथ यहूदिया और एदोम के राजा भी शामिल हो गए. वे सात दिन तक घूम-घूमकर चलते रहे. इसमें न तो सैनिकों के पीने के लिए पानी मिला और न साथ चल रहे पशुओं के लिए.

10यह देख इस्राएल का राजा मन में कहने लगा, “हाय! ऐसा लग रहा है याहवेह ने तीन राजा मोआब को सौंप देने के लिए इकट्ठा किए हैं.”

11यहोशाफ़ात ने उससे पूछा, “क्या यहां याहवेह का कोई भविष्यद्वक्ता नहीं है, कि हम उसके द्वारा याहवेह की इच्छा मालूम कर सकें?”

इस्राएल के राजा के एक सेवक ने उत्तर दिया, “शाफात के पुत्र एलीशा यहीं रहते हैं, जो एलियाह के हाथों को धुलाया करते थे3:11 एलियाह के हाथों को धुलाया करते थे अर्थात् एलियाह के निजी सेवक.”

12यहोशाफ़ात कह उठे, “उनके पास याहवेह का संदेश पहुंचता है.” तब इस्राएल का राजा, यहूदिया का राजा और एदोम का राजा, तीनों ही एलीशा से मिलने के लिए चले गए.

13एलीशा ने इस्राएल के राजा से कहा, “मेरा और आपका कोई संबंध नहीं है. जाइए अपने पिता और अपनी माता के भविष्यवक्ताओं के पास.”

इस्राएल के राजा ने उन्हें उत्तर दिया, “नहीं! खुद याहवेह ने तीन राजाओं को मोआब के अधीन कर देने के लिए ही इकट्ठा किया है.”

14एलीशा ने उत्तर दिया, “जीवित याहवेह की शपथ, मैं जिनके सामने खड़ा रहता हूं; अगर मेरे मन में यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात के लिए आदर न होता, तो मैं न तो तुम्हें देखना चाहता और न ही तुम्हारी ओर दृष्टि करता. 15मगर अब मेरे लिए एक बजानेवाले का इंतजाम किया जाए.”

जब बजाने वाला बजाने लगा, एलीशा को याहवेह की ओर से शक्ति मिली. 16एलीशा ने कहना शुरू किया, “याहवेह का संदेश यह है, ‘इस घाटी को खाइयों में बदल दो.’ 17क्योंकि यह याहवेह की घोषणा है, तुम्हें न तो हवा दिखाई देगी और न ही बारिश; फिर भी घाटी पानी से भर जाएगी, कि तुम्हें पीने के लिए पानी मिल जाए; तुम्हें, तुम्हारे घोड़ों को और तुम्हारे सभी पशुओं को भी. 18याहवेह की नज़रों में यह बहुत ही आसान सा काम है. याहवेह मोआबियों को भी आपके अधीन कर देंगे. 19इसके अलावा तुम हर एक गढ़नगर और प्रमुख नगर पर हमला करोगे, हर एक अच्छे पेड़ को गिरा दोगे, सारे पानी के स्रोतों को बंद कर दोगे और हर एक उपजाऊ खेत को पत्थरों से पाट दोगे.”

20अगली सुबह को, जब बलि चढ़ाने का समय हुआ, यह देखा गया कि एदोम प्रदेश की दिशा से पानी बहने लगा और सारा इलाका पानी से भर गया.

21जब मोआब देश की प्रजा ने यह सुना कि राजा उनसे युद्ध करने आए हैं, तो बालक से लेकर बूढ़े तक को, जो हथियार उठा सकते थे, बुलवाया गया और उन सबको नगर सीमा पर खड़ा कर दिया गया. 22सुबह को सूरज उगने के समय, जागने पर, जब मोआबवासियों की दृष्टि सूरज से चमकते जल पर पड़ी, तो वह जल उन्हें लहू सा दिखाई दिया. 23वे आपस में कहने लगे, “यह खून है! लगता है राजा आपस में ही लड़ पड़े और एक दूसरे को मार चुके हैं. तब तो हे मोआबियों चलो, लूट का सामान उठाने!”

24मगर जब वे इस्राएलियों की छावनी तक पहुंचे, इस्राएली सेना ने उठकर मोआबी सेना को मारना शुरू कर दिया. तब मोआबी पीठ दिखाकर भागने लगे. इस्राएली सेना मोआबियों को मारते हुए मोआबियों के देश तक प्रवेश करती गई, और मोआबियों को मारती चली गई. 25इस प्रकार उन्होंने नगर खत्म कर दिए और हर एक व्यक्ति ने बढ़ते हुए अच्छी-अच्छी उपजाऊ भूमि पर पत्थर डालकर खेतों को पाट दिया. इसी तरह उन्होंने सारे जल के स्रोत बंद कर दिए और सभी उत्तम, हरे-भरे पेड़ों को गिरा दिया. अब कीर-हेरासेथ की ज़मीन पर पत्थर ही पत्थर दिखाई दे रहे थे. वे, जो गोफन का इस्तेमाल कर रहे थे, उन्होंने कीर-हेरासेथ को घेरकर उस पर हमला कर दिया.

26जब मोआब के राजा ने यह पाया कि उसकी सेना हार रही है, उसने 700 तलवारधारी सैनिकों को साथ लेकर एदोम के राजा की ओर बड़ी शक्ति के साथ हमला किया, मगर वे अपने लक्ष्य में असफल ही रहे. 27तब मोआब के राजा ने अपने उत्तराधिकारी, जेठे पुत्र को नगर की शहरपनाह पर बलि के रूप में चढ़ा दिया. इससे उनमें इस्राएली सेना के विरुद्ध बड़ा क्रोध छा गया और वे अपने देश लौट गए.

Ketab El Hayat

ملوك الثاني 3:1-27

ثورة موآب

1وَفِي السَّنَةِ الثَّامِنَةِ عَشْرَةَ مِنْ حُكْمِ يَهُوشَافَاطَ مَلِكِ يَهُوذَا، اعْتَلَى يَهُورَامُ بْنُ آخْابَ عَرْشَ إِسْرَائِيلَ، وَدَامَ مُلْكُهُ فِي السَّامِرَةِ اثْنَتَيْ عَشْرَةَ سَنَةً. 2وَارْتَكَبَ الشَّرَّ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ، وَلَكِنَّهُ لَمْ يُوْغِلْ فِيهِ مِثْلَمَا أَوْغَلَ أَبُوهُ وَأُمُّهُ، فَإِنَّهُ أَزَالَ تِمْثَالَ الْبَعْلِ الَّذِي نَصَبَهُ أَبُوهُ. 3غَيْرَ أَنَّهُ تَشَبَّثَ بِخَطَايَا يَرُبْعَامَ بْنِ نَبَاطَ الَّذِي اسْتَغْوَى إِسْرَائِيلَ لارْتِكَابِ الإِثْمِ، وَلَمْ يَحِدْ عَنْهَا. 4وَكَانَ مِيشَعُ مَلِكُ مُوآبَ يَقُومُ بِتَرْبِيَةِ الْمَوَاشِي، وَيُؤَدِّي لِمَلِكِ إِسْرَائِيلَ مِئَةَ أَلْفِ خَرُوفٍ وَمِئَةَ أَلْفِ كَبْشٍ مَعَ أَصْوَافِهَا. 5وَمَا إِنْ تُوُفِّيَ آخْابُ حَتَّى تَمَرَّدَ مَلِكُ مُوآبَ عَلَى إِسْرَائِيلَ، 6فَحَشَدَ الْمَلِكُ يَهُورَامُ جُيُوشَهُ مِنْ كُلِّ إِسْرَائِيلَ.

7وَبَعَثَ يَهُورَامُ إِلَى يَهُوشَافَاطَ مَلِكِ يَهُوذَا قَائِلاً: «قَدْ تَمَرَّدَ مَلِكُ الْمُوآبِيِّينَ عَلَيَّ، فَهَلْ تَشْتَرِكُ مَعِي فِي مُحَارَبَتِهِ؟» فَأَجَابَهُ: «أَشْتَرِكُ، فَمَثَلِي مَثَلُكَ وَشَعْبِي كَشَعْبِكَ وَخَيْلِي كَخَيْلِكَ». 8فَسَأَلَهُ: «أَيَّ طَرِيقٍ نَتَّخِذُ؟» فَأَجَابَهُ يَهُوشَافَاطُ: «طَرِيقَ صَحْرَاءِ أَدُومَ». 9فَتَوَجَّهَ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ بِرِفْقَةِ حَلِيفَيْهِ: مَلِكِ يَهُوذَا وَمَلِكِ أَدُومَ، وَدَارُوا فِي الصَّحْرَاءِ مَسِيرَةَ سَبْعَةِ أَيَّامٍ. وَلَمْ يَكُنْ هُنَاكَ مَاءٌ لِيَشْرَبَ الْجَيْشُ وَالدَّوَابُ التَّابِعَةُ لَهُمْ. 10فَقَالَ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ: «هَلْ دَعَانَا الرَّبُّ، نَحْنُ الْمُلُوكَ الثَّلاثَةَ، لِيُسَلِّمَنَا لِيَدِ مَلِكِ مُوآبَ؟» 11فَسَأَلَ يَهُوشَافَاطُ: «أَلَيْسَ هُنَا نَبِيٌّ لِلرَّبِّ، فَنَطْلُبَ مَشُورَةَ الرَّبِّ عَنْ يَدِهِ؟». فَأَجَابَ وَاحِدٌ مِنْ رِجَالِ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ: «هُنَا أَلِيشَعُ بْنُ شَافَاطَ الَّذِي كَانَ خَادِماً لِلنَّبِيِّ إِيلِيَّا». 12فَقَالَ يَهُوشَافَاطُ: «عِنْدَهُ كَلامُ الرَّبِّ». فَتَوَجَّهَ إِلَيْهِ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ وَيَهُوشَافَاطُ وَمَلِكُ أَدُومَ.

13فَقَالَ أَلِيشَعُ لِمَلِكِ إِسْرَائِيلَ: «مَا شَأْنِي بِكَ؟ اذْهَبْ وَاسْتَشِرْ أَنْبِيَاءَ أَبِيكَ وَأَنْبِيَاءَ أُمِّكَ». فَأَجَابَهُ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ: «كَلا إِذْ يَبْدُو أَنَّ الرَّبَّ قَدْ دَعَانَا نَحْنُ الْمُلُوكَ الثَّلاثَةَ لِيُسَلِّمَنا لِيَدِ مَلِكِ مُوآبَ». 14فَقَالَ أَلِيشَعُ: «حَيٌّ هُوَ الرَّبُّ الْقَدِيرُ الَّذِي أَنَا مَاثِلٌ أَمَامَهُ، إِنَّهُ لَوْلا تَوْقِيرِي لِحُضُورِ يَهُوشَافَاطَ مَلِكِ يَهُوذَا لَمَا كُنْتُ أَعْبَأُ بِالنَّظَرِ إِلَيْكَ. 15وَالآنَ ادْعُوا عَازِفَ عُودٍ». وَعِنْدَمَا عَزَفَ الْمُوسِيقَى عَلَى عُودِهِ حَلَّ رُوحُ الرَّبِّ عَلَى أَلِيشَعَ، 16فَقَالَ: «هَذَا مَا يَقُولُهُ الرَّبُّ: احْفُرُوا فِي هَذَا الْوَادِي حُفَراً كَثِيرَةً وَعَمِيقَةً، 17وَمَعَ أَنَّكُمْ لَنْ تَرَوْا رِيحاً وَلا مَطَراً فَإِنَّ هَذَا الْوَادِي سَيَفِيضُ بِالْمَاءِ، فَتَشْرَبُونَ أَنْتُمْ وَمَاشِيَتُكُمْ وَبَهَائِمُكُمْ. 18وَهَذَا أَمْرٌ يَسِيرٌ لَدَى الرَّبِّ، وَهُوَ أَيْضاً يَنْصُرُكُمْ عَلَى مَلِكِ مُوآبَ. 19فَتُدَمِّرُونَ كُلَّ مَدِينَةٍ مُحَصَّنَةٍ، وَكُلَّ مَدِينَةٍ رَئِيسِيَّةٍ، وَتَقْطَعُونَ كُلَّ شَجَرَةٍ مُثْمِرَةٍ، وَتَرْدُمُونَ كُلَّ عُيُونِ الْمَاءِ، وَتُخَرِّبُونَ كُلَّ حَقْلٍ خَصِبٍ بِالْحِجَارَةِ».

20وَفِي الصَّبَاحِ، فِي مَوْعِدِ تَقْدِيمِ الْمُحْرَقَةِ دَوَّى هَدِيرُ مِيَاهٍ مُتَدَفِّقَةٍ مِنْ طَرِيقِ أَدُومَ، فَفَاضَتِ الأَرْضُ بِالْمِيَاهِ.

21وَعِنْدَمَا عَلِمَ الْمُوآبِيُّونَ أَنَّ الْمُلُوكَ الثَّلاثَةَ اجْتَمَعُوا لِمُحَارَبَتِهِمْ جَنَّدُوا كُلَّ قَادِرٍ عَلَى حَمْلِ السِّلاحِ مِنَ الصِّغَارِ وَالْكِبَارِ، وَاحْتَشَدُوا عِنْدَ الْحُدُودِ. 22وَحِينَ بَكَّرُوا فِي صَبِيحَةِ الْيَوْمِ التَّالِي رَأَوْا أَشِعَةَ الشَّمْسِ مُنْعَكِسَةً عَلَى الْمِيَاهِ أَمَامَهُمْ، فَبَدَتْ لَهُمْ حَمْرَاءَ كَالدَّمِ. 23فَظَنُّوهَا دَماً وَقَالُوا: «قَدْ تَحَارَبَ الْمُلُوكُ مَعاً، وَقَتَلَ بَعْضُهُمْ بَعْضاً. فَهَيَّا إِلَى النَّهْبِ أَيُّهَا الْمُوآبِيُّونَ». 24فَانْطَلَقُوا إِلَى مُعَسْكَرِ إِسْرَائِيلَ، فَهَبَّ الإِسْرَائِيلِيُّونَ وَهَاجَمُوهُمْ فَفَرُّوا أَمَامَهُمْ، فَتَعَقَّبَهُمُ الإِسْرَائِيلِيُّونَ إِلَى بِلادِهِمْ وَهُمْ يَقْتُلُونَهُمْ. 25وَهَدَمُوا الْمُدُنَ. وَرَاحَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْ أَفْرَادِ الْجَيْشِ يُلْقِي حَجَراً فِي كُلِّ حَقْلٍ خَصِبٍ حَتَّى مَلأُوهَا، وَرَدَمُوا جَمِيعَ عُيُونِ الْمَاءِ، وَقَطَعُوا كُلَّ شَجَرَةٍ مُثْمِرَةٍ، وَلَمْ تَسْلَمْ إِلّا الْعَاصِمَةُ «قِيرُ حَارِسَةَ» الَّتِي حَاصَرَتْهَا وَهَاجَمَتْهَا فِرَقُ الْمَقَالِيعِ. 26فَلَمَّا رَأَى مَلِكُ مُوآبَ أَنَّ الْمَعْرَكَةَ اشْتَدَّتْ عَلَيْهِ اخْتَارَ سَبْعَ مِئَةِ رَجُلٍ مِنَ الْمُحَارِبِينَ بِالسُّيوفِ لِيَقُومَ بِمُحَاوَلَةِ شَقِّ طَرِيقِهِ لِيُهَاجِمَ مَلِكَ أَدُومَ، فَلَمْ يُفْلِحْ. 27فَأَخَذَ ابْنَهُ الْبِكْرَ الَّذِي كَانَ سَيَخْلُفُهُ عَلَى الْعَرْشِ، وَأَحْرَقَهُ عَلَى السُّورِ قُرْبَاناً لإِلَهِ مُوآبَ، مِمَّا أَثَارَ الْغَيْظَ الشَّدِيدَ عَلى إِسْرَائِيلَ فَارْتَدَّ الإِسْرَائِيلِيُّونَ إِلَى بِلادِهِمْ.