2 राजा 14 – HCV & NAV

Hindi Contemporary Version

2 राजा 14:1-29

यहूदिया पर अमाज़्याह का शासन

1यहोआहाज़ के पुत्र यहोआश के शासन के दूसरे साल में, यहूदिया के राजा योआश का पुत्र अमाज़्याह ने शासन करना शुरू किया. 2जब उसने शासन की बागडोर संभाली उसकी उम्र पच्चीस साल थी. उसने येरूशलेम में उनतीस साल शासन किया. उसकी माता का नाम येहोआद्दीन था. वह येरूशलेमवासी थी. 3उसने वही किया, जो याहवेह की दृष्टि में सही था—फिर भी, अपने पूर्वज दावीद के समान नहीं. उसने हर एक काम में अपने पिता योआश का अनुसरण किया. 4फिर भी, पूजा स्थलों की वेदियां तोड़ी नहीं गई थी. लोग पूजा स्थलों की वेदियों पर धूप जलाते और बलि चढ़ाते रहे.

5उसके हाथों में राज्य मजबूत होते ही उसने अपने सेवकों की हत्या कर डाली, जिन्होंने उसके पिता की हत्या की थी; 6मगर उसने इन हत्यारे सेवकों की संतान का वध नहीं किया; ठीक जैसे याहवेह की आज्ञा के अनुसार मोशेह द्वारा दी गई व्यवस्था में दिया है, “पुत्र के पाप का दंड उसके पिता को न मिले और न पिता के कारण पुत्र मार डाला जाए, जिसने पाप किया हो वही उस पाप के कारण मार डाला जाए.”

7उसने नमक की घाटी में दस हज़ार एदोमियों को मार गिराया. भयंकर युद्ध के द्वारा उसने सेला नगर अपना लिया, और उसे एक नया नाम दिया: योकथएल, जो आज तक प्रचलित है.

8तब अमाज़्याह ने येहू के पोते और यहोआहाज़ के पुत्र, इस्राएल का राजा यहोआश को दूतों द्वारा यह संदेश भेजा: “चलो, हम युद्ध-भूमि में आपस में बल परीक्षण करें.”

9इस्राएल के राजा यहोआश ने यहूदिया के राजा अमाज़्याह को उत्तर भेजा, “लबानोन की एक कंटीली झाड़ी ने लबानोन के केदार को यह संदेश भेजा: ‘अपनी पुत्री को मेरे पुत्र की पत्नी होने के लिए दे दो.’ तब एक जंगली पशु वहां से निकलते हुए कंटीली झाड़ी को कुचलते हुए निकल गया. 10यह सच है कि तुमने एदोम को हराया है और तुम्हारा मन गर्व से ऊंचा हो रहा है. अपने ही पराक्रम में संतुष्ट बने रहो, ऐसा करो: घर में शांति से बैठे रहो! मुसीबत को क्यों बुला रहे हो? तुम्हारा पतन तो होना ही है, साथ ही सारी यहूदिया राज्य का भी!”

11मगर अमाज़्याह ने उसकी एक न सुनी; तब इस्राएल के राजा यहोआश ने हमला कर दिया. दोनों का सामना यहूदिया के बेथ-शेमेश नामक स्थान पर हुआ. 12इस्राएल ने यहूदिया को हरा दिया. सैनिक पीठ दिखाकर अपने-अपने तंबुओं को लौट गए. 13इस्राएल के राजा यहोआश ने अमाज़्याह को, जो अहज़्याह का पोते और यहूदिया के राजा योआश के पुत्र था, बेथ-शेमेश नामक स्थान पर बंदी बना लिया, और उसे लेकर वह येरूशलेम आ गया. वहां उसने एफ्राईम के फाटक से लेकर कोने के द्वारा तक लगभग एक सौ अस्सी मीटर शहरपनाह को गिरा दिया. 14वहां उसे याहवेह के भवन और राज-भंडार में से जितना सोना, चांदी और सारे बर्तन मिले, उन्हें और बन्धकों को लेकर वह शमरिया को लौट गया.

15यहोआश द्वारा किए गए बाकी काम, उसकी वीरता और यहूदिया के राजा अमाज़्याह के साथ उसके युद्ध का ब्यौरा, इस्राएल के राजाओं की इतिहास की पुस्तक में दिया गया है. 16यहोआश हमेशा के लिए अपने पूर्वजों में जा मिला और उसे शमरिया में इस्राएल के राजाओं के साथ गाड़ दिया. उसके पुत्र यरोबोअम ने उसके स्थान पर शासन किया.

17यहूदिया के राजा योआश का पुत्र अमाज़्याह इस्राएल के राजा यहोआहाज़ के पुत्र यहोआश की मृत्यु के बाद पन्द्रह साल जीवित रहा. 18अमाज़्याह के बाकी के कामों का ब्यौरा यहूदिया के राजाओं की इतिहास की पुस्तक में दिया गया है.

19येरूशलेम में लोगों ने उसके विरुद्ध षड़्‍यंत्र रचा, तब वह लाकीश को भाग गया; किंतु उन्होंने लाकीश में जाकर उसकी खोज की, और वहीं उसकी हत्या कर दी. 20उन्होंने घोड़ों पर उसका शव येरूशलेम लाकर उसके पूर्वजों के साथ दावीद के नगर में गाड़ दिया.

21यहूदिया की प्रजा ने अज़रियाह को उसके पिता अमाज़्याह के स्थान पर राजा अभिषिक्त किया. उस समय उसकी उम्र सोलह साल ही थी. 22राजा की मृत्यु के बाद उसने एलाथ नगर को दोबारा बसाया और उसे यहूदिया में शामिल कर लिया.

इस्राएल पर यरोबोअम द्वितीय का शासन

23यहूदिया के राजा योआश के पुत्र अमाज़्याह के शासनकाल के पन्द्रहवें साल में इस्राएल के राजा यहोआश के पुत्र यरोबोअम को शमरिया में राजा बनाया गया. उसका शासनकाल एकतालीस साल का था. 24उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत था. वह उन पापों से दूर न हुआ जो नेबाथ के पुत्र यरोबोअम ने इस्राएल को करने के लिए उकसाया था. 25उसने इस्राएल राष्ट्र की सीमा लबो-हामाथ से लेकर अराबाह सागर तक दोबारा स्थापित कर दी. यह याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर के उस आदेश के अनुसार था, जो उन्होंने गाथ-हेफ़ेरवासी अमित्ताइ के पुत्र भविष्यद्वक्ता योनाह के द्वारा दिया था.

26याहवेह देख रहे थे कि इस्राएल पर हो रहा अत्याचार बहुत असहनीय था. इससे किसी को छूट नहीं थी; चाहे दास या स्वतंत्र, और इसके लिए इस्राएल का सहायक कोई भी न था. 27याहवेह ने यह कभी नहीं कहा कि वह पृथ्वी पर से इस्राएल का नाम ही मिटा देंगे, तब याहवेह ने यहोआश के पुत्र यरोबोअम के द्वारा उन्हें छुटकारा दिलाया.

28यरोबोअम द्वारा किए गए बाकी कामों और उसकी उपलब्धियों का ब्यौरा, उसकी वीरता, उसकी युद्ध नीति, दमेशेक और हामाथ को यहूदिया से इस्राएल के लिए दोबारा पाने का ब्यौरा, इस्राएल के राजाओं की इतिहास की पुस्तक में दिया गया है. 29यरोबोअम हमेशा के लिए अपने पूर्वजों, इस्राएल के राजाओं में जा मिला और उसका पुत्र ज़करयाह उसके स्थान पर शासन करने लगा.

New Arabic Version

ملوك الثاني 14:1-29

أمصيا يملك على يهوذا

1وَفِي السَّنَةِ الثَّانِيَةِ مِنْ حُكْمِ يُوآشَ بْنِ يُوأَحَازَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ، تَوَلَّى أَمَصْيَا بْنُ يُوآشَ الْمُلْكَ عَلَى يَهُوذَا 2وَكَانَ فِي الْخَامِسَةِ وَالْعِشْرِينَ حِينَ مَلَكَ، وَدَامَ حُكْمُهُ تِسْعاً وَعِشْرِينَ سَنَةً فِي أُورُشَلِيمَ. وَاسْمُ أُمِّهِ يَهُوعَدَّانُ مِنْ أُورُشَلِيمَ. 3وَصَنَعَ كُلَّ مَا هُوَ صَالِحٌ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ، عَلَى غِرَارِ أَبِيهِ يُوآشَ، وَلَكِنَّهُ لَمْ يَبْلُغْ صَلاحَ جَدِّهِ الأَكْبَرِ دَاوُدَ. 4إِذْ لَمْ يَهْدِمِ الْمُرْتَفَعَاتِ، بَلْ ظَلَّ الشَّعْبُ يَذْبَحُونَ عَلَيْهَا وَيُوْقِدُونَ. 5وَعِنْدَمَا اسْتَتَبَّ الْمُلْكُ فِي يَدِهِ قَتَلَ رِجَالَهُ الَّذِينَ اغْتَالُوا أَبَاهُ الْمَلِكَ. 6وَلَكِنَّهُ لَمْ يَقْتَصَّ مِنْ أَبْنَائِهِمْ عَمَلاً بِمَا هُوَ وَارِدٌ فِي كِتَابِ شَرِيعَةِ مُوسَى، حَيْثُ أَمَرَ الرَّبُّ قَائِلاً: «لا يُقْتَلُ الآبَاءُ بِذَنْبِ الْبَنِينَ وَلا يُقْتَلُ الْبَنُونَ بِذَنْبِ الآبَاءِ، إِنَّمَا يُقْتَلُ كُلُّ إِنْسَانٍ بِمَا جَنَتْ يَدَاهُ». 7وَهُوَ الَّذِي قَتَلَ عَشَرَةَ آلافٍ مِنَ الأَدُومِيِّينَ فِي وَادِي الْمِلْحِ، وَاسْتَوْلَى عَلَى سَالِعَ بِالْحَرْبِ، وَدَعَا اسْمَهَا يَقْتَئِيلَ إِلَى هَذَا الْيَوْمِ.

8وَبَعَثَ أَمَصْيَا رُسُلاً إِلَى يَهُوآشَ بْنِ يَهُوأَحَازَ بْنِ يَاهُو مَلِكِ إِسْرَائِيلَ قَائِلاً: «تَعَالَ نَتَوَاجَهْ لِلْقِتَالِ». 9فَأَجَابَهُ يَهُوآشُ: «أَرْسَلَ الْعَوْسَجُ النَّابِتُ فِي لُبْنَانَ إِلَى الأَرْزِ فِي لُبْنَانَ يَقُولُ: زَوِّجِ ابْنَتَكَ مِنِ ابْنِي. فَمَرَّ حَيَوَانٌ بَرِّيٌّ كَانَ هُنَاكَ، فَوَطِئَ الْعَوْسَجَ! 10لَقَدْ هَزَمْتَ الأَدُومِيِّينَ فَانْتَابَكَ الْغُرُورُ، وَلَكِنْ خَيْرٌ لَكَ أَنْ تَمْكُثَ فِي قَصْرِكَ وَتَتَمَتَّعَ بِمَجْدِ انْتِصَارِكَ. فَلِمَاذَا تَسْعَى إِلَى الشَّرِّ فَتَجْلِبَ الدَّمَارَ عَلَيْكَ وَعَلَى يَهُوذَا؟» 11فَلَمْ يُصْغِ أَمَصْيَا لَهُ، فَحَشَدَ يَهُوآشُ مَلِكُ إِسْرَائِيلَ جُيُوشَهُ وَتَوَاجَهَ مَعَ أَمَصْيَا مَلِكِ يَهُوذَا فِي بَيْتِ شَمْسٍ التَّابِعَةِ لِمَمْلَكَةِ يَهُوذَا.

12فَانْهَزَمَ يَهُوذَا أَمَامَ جَيْشِ إِسْرَائِيلَ وَهَرَبُوا إِلَى مَنَازِلِهِمْ، 13وَوَقَعَ أَمَصْيَا فِي أَسْرِ يَهُوآشَ فِي بَيْتِ شَمْسٍ. وَتَوَجَّهَ بِجَيْشِهِ نَحْوَ أُورُشَلِيمَ وَهَدَمَ سُورَهَا مِنْ بَابِ أَفْرَايِمَ إِلَى بَابِ الزَّاوِيَةِ عَلَى امْتِدَادِ أَرْبَعِ مِئَةِ ذِرَاعٍ (نَحْوَ مِئَتَيْ مِتْرٍ) 14وَاسْتَوْلَى عَلَى كُلِّ الذَّهَبِ وَالْفِضَّةِ، وَجَمِيعِ الآنِيَةِ الْمَوْجُودَةِ فِي هَيْكَلِ الرَّبِّ وَفِي قَصْرِ الْمَلِكِ، وَأَخَذَ رَهَائِنَ ثُمَّ عَادَ إِلَى السَّامِرَةِ. 15أَمَّا بَقِيَّةُ أَخْبَارِ يَهُوآشَ وَمَا قَامَ بِهِ مِنْ أَعْمَالٍ وَكَيْفَ حَارَبَ أَمَصْيَا مَلِكَ يَهُوذَا أَلَيْسَتْ هِيَ مُدَوَّنَةً فِي كِتَابِ أَخْبَارِ أَيَّامِ مُلُوكِ إِسْرَائِيلَ؟ 16ثُمَّ مَاتَ يَهُوآشُ وَدُفِنَ فِي السَّامِرَةِ مَعَ مُلُوكِ إِسْرَائِيلَ، وَخَلَفَهُ ابْنُهُ يَرُبْعَامُ.

17وَعَاشَ أَمَصْيَا بْنُ يُوآشَ مَلِكُ يَهُوذَا خَمْسَ عَشْرَةَ سَنَةً بَعْدَ وَفَاةِ يَهُوآشَ بْنِ يَهُوأَحَازَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ. 18أَمَّا بَقِيَّةُ أَخْبَارِ أَمَصْيَا أَلَيْسَتْ هِيَ مُدَوَّنَةً فِي كِتَابِ أَخْبَارِ أَيَّامِ مُلُوكِ يَهُوذَا؟ 19وَثَارَتْ عَلَيْهِ فِتْنَةٌ فِي أُورُشَلِيمَ، فَلَجَأَ إِلَى لَخِيشَ، وَلَكِنَّهُمْ أَرْسَلُوا مَنْ تَعَقَّبُوهُ إِلَى هُنَاكَ وَاغْتَالُوهُ، 20ثُمَّ نَقَلُوهُ عَلَى الْخَيْلِ إِلَى أُورُشَلِيمَ حَيْثُ دُفِنَ مَعَ آبَائِهِ فِي مَدِينَةِ دَاوُدَ. 21وَنَصَّبَ كُلُّ شَعْبِ يَهُوذَا ابْنَهُ عَزَرْيَا مَلِكاً، وَلَهُ مِنَ الْعُمْرِ سِتَّ عَشْرَةَ سَنَةً، فَخَلَفَ أَبَاهُ أَمَصْيَا عَلَى الْعَرْشِ. 22وَهُوَ الَّذِي اسْتَرَدَّ أَيْلَةَ لِيَهُوذَا وَرَمَّمَهَا عَقِبَ وَفَاةِ وَالِدِهِ الْمَلِكِ أَمَصْيَا.

يربعام الثاني يملك على إسرائيل

23وَفِي السَّنَةِ الْخَامِسَةِ عَشْرَةَ مِنْ حُكْمِ أَمَصْيَا بْنِ يُوآشَ مَلِكِ يَهُوذَا، تَوَلَّى يَرُبْعَامُ بْنُ يُوآشَ عَرْشَ إِسْرَائِيلَ فِي السَّامِرَةِ إِحْدَى وَأَرْبَعِينَ سَنَةً. 24وَارْتَكَبَ الشَّرَّ فِي عَيْنَيِ الرَّبِّ، وَلَمْ يَعْدِلْ عَنْ أَيٍّ مِنْ خَطَايَا يَرُبْعَامَ بْنِ نَبَاطَ الَّتِي اسْتَغْوَى بِها الإِسْرَائِيلِيِّينَ فَأَخْطَأُوا. 25وَهُوَ الَّذِي اسْتَرْجَعَ لإِسْرَائِيلَ أَرَاضِيهَا الْمُمْتَدَّةَ مِنْ حَمَاةَ إِلَى الْبَحْرِ الْمَيِّتِ، تَحْقِيقاً لِكَلامِ الرَّبِّ الَّذِي نَطَقَ بِهِ عَلَى لِسَانِ عَبْدِهِ يُونَانَ بْنِ أَمَتَّايَ النَّبِيِّ مِنْ أَهْلِ جَتَّ حَافِرَ، 26لأَنَّ الرَّبَّ رَأَى مَا يُعَانِيهِ الإِسْرَائِيلِيُّونَ مِنْ عَبِيدٍ وَأَحْرَارٍ مِنْ ضِيقٍ أَلِيمٍ مَرِيرٍ. وَلَمْ يَكُنْ لَهُمْ مِنْ مُعِينٍ. 27وَإِذْ لَمْ يَكُنِ الرَّبُّ قَدْ قَضَى بِمَحْوِ اسْمِ إِسْرَائِيلَ مِنْ تَحْتِ السَّمَاءِ، أَنْقَذَهُمْ عَلَى يَدِ يَرُبْعَامَ بْنِ يُوآشَ. 28أَمَّا بَقِيَّةُ أَخْبَارِ يَرُبْعَامَ وَكُلُّ مُنْجَزَاتِهِ وَأَعْمَالِهِ وَكَيْفَ حَارَبَ وَاسْتَرْجَعَ لإِسْرَائِيلَ كُلًا مِنْ دِمَشْقَ وَحَمَاةَ الَّتِي اسْتَوْلَى عَلَيْهَا يَهُوذَا أَلَيْسَتْ هِيَ مُدَوَّنَةً فِي كِتَابِ أَخْبَارِ أَيَّامِ مُلُوكِ إِسْرَائِيلَ؟ 29ثُمَّ مَاتَ يَرُبْعَامُ وَدُفِنَ مَعَ آبَائِهِ مُلُوكِ إِسْرَائِيلَ، وَخَلَفَهُ ابْنُهُ زَكَرِيَّا عَلَى الْمُلْكِ.