2 राजा 10 – HCV & CCB

Hindi Contemporary Version

2 राजा 10:1-36

येहू द्वारा अहाब के वंशजों का नष्ट किया जाना

1शमरिया नगर में अहाब के सत्तर पुत्र थे. तब येहू ने शमरिया के शासकों, पुरनियों और अहाब के पुत्रों के पालने वालों को, जो शमरिया में थे, यह पत्र भेजे, जिनमें यह लिखा था: 2“इसलिये कि आपके स्वामी के पुत्र आपकी देखरेख में हैं और आपके उपयोग के लिए घोड़े और रथ उपलब्ध करा दिए गए हैं, आप गढ़ में सुरक्षित रह रहे हैं और आपके पास हथियार भी हैं, तो यह पत्र पाते ही 3अपने स्वामी के पुत्रों में से सबसे अच्छे और सबसे सही को चुन लीजिए और उसे अपने स्वामी के सिंहासन पर बैठा दीजिए, फिर अपने स्वामी के वंश के लिए युद्ध करने को तैयार हो जाइए.”

4मगर वे सभी बहुत ही डर गए थे. उनका विचार था, “जब उसके सामने दो राजा भी ठहर न सके, तो हम कैसे टिक सकेंगे?”

5तब राजघराने के अधिकारी, नगर अध्यक्ष और पुरनियों और बालकों के पालने वालों ने येहू को यह संदेश भेजा, “हम तो आपके सेवक हैं. आप जो भी आदेश देंगे हम वही पूरा करेंगे. हम किसी का राजाभिषेक नहीं करेंगे. आप वही करें, जो आपकी दृष्टि में सही है.”

6तब येहू ने उन्हें दूसरा पत्र भेजा, जिसमें उसने लिखा, “बहुत बढ़िया! यदि वास्तव में आप मेरी ओर हैं, यदि आप मुझसे सहमत हैं, तो अपने स्वामी के पुत्रों के सिर लेकर मेरे पास कल इसी समय येज़्रील आ जाइए.”

राजा के सत्तर पुत्र नगर के प्रतिष्ठित व्यक्तियों की देखरेख में थे, जो इनका पालन पोषण कर रहे थे. 7जैसे ही उन्हें येहू का पत्र मिला, उन्होंने राजकुमारों को ले जाकर उनकी हत्या कर दी, उन सत्तर पुत्रों की; और उनके सिर टोकरों में रख दिए. 8जब दूतों ने जाकर येहू को यह सूचना दी, “वे राजकुमारों के सिर ले आए हैं.”

उसने उन्हें आदेश दिया, “इन सिरों के दो ढेर बनाकर सुबह तक के लिए नगर फाटक पर रख दो.”

9सुबह जब येहू बाहर आया, उसने खड़े होकर सारी भीड़ से कहा, “आप सभी निर्दोष हैं. अपने स्वामी के विरुद्ध षड़्‍यंत्र मैंने रचा, और उनकी हत्या कर दी, मगर इन सत्तर की हत्या किसने की है? 10तब यह समझ लीजिए: अहाब के वंश के बारे में याहवेह द्वारा कही गई कोई भी बात व्यर्थ नहीं होगी; क्योंकि याहवेह ने वह पूरा कर दिखाया है, जो उन्होंने अपने सेवक एलियाह द्वारा प्रकट किया था.” 11यह कहते हुए येहू ने येज़्रील में अहाब के परिवार से संबंधित सभी बचे हुए व्यक्तियों को भी मार डाला. उसने अहाब के परिवार के बाकी व्यक्तियों, परिवार के करीबी मित्रों और पुरोहितों को भी मार दिया; कोई भी बचा न रह गया.

12तब येहू येज़्रील से शमरिया के लिए निकला. मार्ग में जब वह चरवाहों के बेथ-एकेद नामक स्थान में था, 13उसकी भेंट यहूदिया के राजा अहज़्याह के संबंधियों से हो गई. येहू ने उनसे पूछा, “आप कौन हैं?”

उन्होंने उत्तर दिया, “हम अहज़्याह के संबंधी हैं, हम यहां आए हैं कि हम राजा और राजमाता के पुत्रों का कुशल मंगल जान सकें.”

14येहू ने आदेश दिया, “जीवित पकड़ लो इन्हें.” उन्होंने उन्हें जीवित पकड़ लिया और उन्हें बेथ-एकेद के गड्ढे पर ले जाकर उनका वध कर दिया. ये बयालीस लोग थे. येहू ने उनमें से एक को भी जीवित न छोड़ा.

15जब वह वहां से निकले, उसकी भेंट रेखाब के पुत्र योनादाब से हुई, जो उसी से भेंटकरने आ रहा था. नमस्कार के बाद उसने योनादाब से पूछा, “क्या तुम्हारा मन मेरे प्रति वैसा ही सच्चा है, जैसा मेरा तुम्हारे प्रति?”

योनादाब ने उत्तर दिया, “हां, है.”

तब येहू ने कहा, “अगर यह सत्य है, तो अपना हाथ मुझे दो.” जब उसने येहू की ओर अपना हाथ बढ़ाया तो येहू ने उसे अपने रथ में खींच लिया. 16येहू ने उससे कहा, “अब मेरे साथ चलकर याहवेह के प्रति मेरा उत्साह देखना.” इस प्रकार उसने योनादाब को अपने साथ रथ में ले लिया.

17जब वह शमरिया पहुंचा, उसने शमरिया में अहाब के सभी बचे हुए संबंधियों का वध कर दिया—वह तब तक मारता चला गया, जब तक उनमें से कोई भी बाकी न रहा; एलियाह द्वारा भेजे याहवेह के आदेश के अनुसार ही.

येहू द्वारा बाल के पुरोहितों का संहार

18तब येहू ने सारी प्रजा को इकट्ठा कर उन्हें कहा: “अहाब ने बाल की उपासना-सेवा कम ही की थी, येहू उसकी उपासना-सेवा कहीं अधिक करेगा. 19तब बाल के सारे भविष्यद्वक्ता यहां बुलाए जाएं और बाल के सारे उपासक और सारे पुरोहित भी. अनुपस्थित कोई भी न रहे. जो अनुपस्थित होगा उसे मृत्यु दंड दिया जाएगा.” वस्तुतः यह बाल के सभी उपासकों को खत्म करने के लिए येहू की चाल थी, कि कोई भी बाल की उपासना करनेवाला बाकी न रह जाए.

20तब येहू ने आदेश भेजा, “बाल के लिए एक पावन समारोह आयोजित करो!” सभी जगह उसकी घोषणा कर दी गई. 21येहू ने सारे इस्राएल देश से बाल के उपासक बुला लिए. कोई भी अनुपस्थित न था. इन सबने बाल के मंदिर में प्रवेश किया और पुजारियों से मंदिर पूरी तरह भर गया; एक कोने से दूसरे कोने तक. 22येहू ने तब वस्त्रागार अधिकारी को आदेश दिया, “बाल के उपासकों के लिए तय किए गए वस्त्र लाए जाएं.” तब उनके लिए वस्त्र लाए गए.

23इसके बाद येहू ने बाल के मंदिर में प्रवेश किया. उसके साथ रेखाब का पुत्र योनादाब भी था. येहू ने बाल के उपासकों को कहा, “खोजबीन कर यह तय कर लो, कि यहां याहवेह का कोई भी सेवक नहीं, बल्कि सिर्फ बाल के उपासक ही हैं.” 24तब उन्होंने बलियां और होमबलियां चढ़ाने का काम शुरू किया. येहू ने इसी समय के लिए भवन के बाहर अस्सी व्यक्ति चुने हुए थे, जिन्हें यह निर्देश दिया गया था: “तुममें से जो कोई इन व्यक्तियों में से, जिन्हें मैं तुम्हारे हाथों में सौंप रहा हूं, किसी को भी बचकर निकलने देगा, अपने ही प्राणों से इसका दाम देगा.”

25तब, जैसे ही येहू ने होमबलि का काम पूरा किया, उसने पहरेदारों और राजकीय अधिकारियों को आदेश दिया, “अंदर जाकर हर एक को खत्म कर दो; एक भी बचने न पाए.” तब उन्होंने हर एक का वध कर डाला. पहरेदारों और अधिकारियों ने उन सबके शव बाहर फेंक दिए. तब वे बाल देवता के मंदिर के भीतरी कमरे में गए. 26वहां से उन्होंने बाल का प्रतिष्ठित खंभा उखाड़ा, उसे बाहर लाकर भस्म कर डाला. 27उन्होंने बाल के खंभे को पूरी तरह नष्ट कर दिया, साथ ही बाल के मंदिर को भी, जिसे आज तक शौचालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.

28इस प्रकार येहू ने इस्राएल से बाल की उपासना को दूर कर दिया. 29मगर येहू नेबाथ के पुत्र यरोबोअम के पापों से दूर न हुआ; वे पाप, जो उसने इस्राएल राष्ट्र को करने के लिए उकसाया था; अर्थात् बेथेल और दान में अब भी सोने के बछड़े थे.

30याहवेह ने येहू से कहा, “इसलिये, कि तुमने वह करके, जो मेरी दृष्टि में अच्छा है, एक बढ़िया काम किया है. अहाब के वंश के साथ तुमने जो कुछ किया है, वही था, जो मेरे मन में था, चौथी पीढ़ी तक तुम्हारे पुत्र इस्राएल के राज सिंहासन पर बैठते रहेंगे.” 31मगर येहू पूरे मन से याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की व्यवस्था और विधियों का पालन करने के विषय में सावधान न था. वह यरोबोअम के पापों से दूर न हुआ, जो उसने इस्राएल को करने के लिए मजबूर किया था.

32इन्हीं दिनों में याहवेह ने इस्राएल राष्ट्र की सीमा को घटाना आरंभ किया. हाज़ाएल पूरे इस्राएल राष्ट्र की सीमा में उन्हें हराता रहा. 33यरदन के पूर्ववर्ती क्षेत्र से लेकर पूरा गिलआद, गाद और रियूबेन के वंशज, मनश्शेह के वंशज, आरनोन घाटी के निकटवर्ती अरोअर अर्थात् गिलआद और बाशान तक.

34येहू द्वारा किए गए बाकी कामों, उसकी उपलब्धियों और उसके शौर्य का ब्यौरा इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में दिया गया है.

35येहू अपने पूर्वजों के साथ हमेशा के लिए जा मिला. उन्होंने उसे शमरिया में गाड़ा. उसकी जगह पर उसका पुत्र यहोआहाज़ शासन करने लगा. 36इस्राएल पर येहू के शासन की पूरी अवधि अट्ठाईस साल थी.

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

列王纪下 10:1-36

耶户铲除亚哈家

1亚哈撒玛利亚有七十个子孙。耶户写信给那里的首领、长老以及亚哈子孙的监护人,说: 2“既然你们主人的子孙和你们在一起,你们也拥有车马、坚城和兵器,你们接到这封信后, 3就可以从你们主人的子孙中选立一个最好的继承王位,为你们主人家而战。” 4他们都十分害怕,彼此商议说:“两位王都不能抵挡他,我们怎能抵挡呢?” 5宫廷总管、总督、长老和众监护人便派人送信给耶户,说:“我们是你的仆人,你怎样吩咐,我们就怎样做。我们不会立任何人为王,你认为怎样好,就怎样办吧。”

6耶户又写了一封信,说:“如果你们归顺我,愿意听从我,明天这个时候,带着你们主人子孙的首级来耶斯列见我。”当时亚哈的七十个子孙都养在城中显贵的府中。 7这些显贵们接到信后,便杀了亚哈的七十个子孙,把他们的首级放在篮子里,送到耶斯列耶户那里。 8使者告诉耶户:“他们将王众子孙的首级送来了。”耶户下令:“把首级分成两堆,放在城门口,一直放到明天早上。” 9第二天早晨,耶户出去站在城门口,对众人说:“你们都没有罪,是我背叛我主人,把他杀了。可是,是谁杀了这些人呢? 10由此可知,耶和华对亚哈家的预言一句也没有落空。耶和华借祂仆人以利亚所说的一切都应验了。” 11耶户杀了亚哈家留在耶斯列的亲属、大臣、朋友和祭司,一个不留。

12耶户动身去撒玛利亚,经过牧人剪羊毛的地方时, 13遇见犹大亚哈谢的亲属,就问:“你们是谁?”他们答道:“我们是亚哈谢的亲属,现在去问候王和太后一家。” 14耶户下令活捉他们,他的手下便捉住他们,在剪羊毛处的井旁全部杀掉,共四十二人,一个不留。

15耶户继续前行,遇见前来迎接他的利甲的儿子约拿达耶户问候他,并说:“我对你忠诚,你对我也一样忠诚吗?”约拿达答道:“当然!”耶户说:“既然如此,把手伸给我。”他伸出手来,耶户把他拉上车, 16说:“跟我来,看我怎样热心为耶和华工作。”于是耶户让他坐在车上。 17到了撒玛利亚,他把亚哈家在撒玛利亚剩下的人全部杀光,一个不留,应验了耶和华对以利亚说的话。

耶户计杀拜巴力之人

18耶户召集了所有的人,对他们说:“亚哈供奉巴力还不够热心,我耶户要更热心地供奉他。 19我要向巴力献大祭,你们去把巴力的先知和祭司及所有拜巴力的人一个不漏地召来。凡不来的人休想活命。”耶户这样做,是想用计杀尽拜巴力的人。 20耶户下令召开祭拜巴力的庄严聚会,于是他们发出通告。 21耶户派人送信到以色列各地,凡拜巴力的人全都来了,没有一个缺席。他们把整个巴力庙塞得满满的。 22耶户吩咐掌管礼服的人拿出礼服给他们穿上, 23然后他和利甲的儿子约拿达进庙向他们宣布说:“你们仔细察看,这里不可有事奉耶和华的人,只允许拜巴力的人在这里。” 24耶户约拿达在庙里献上祭物和燔祭。此前,他预先派了八十人在庙外守着,并下令:“我把这些人交在你们手中,谁放走一个,谁就要以命抵偿。” 25耶户献完燔祭出来,便命令卫兵和将领说:“进去杀死他们,不要放走一人。”卫兵和将领进庙挥刀杀了他们,把尸首抛出去后,走入庙的内殿, 26巴力神柱搬出去烧了。 27他们摧毁了巴力的神柱和庙,把庙当作厕所,至今未变。

28这样,耶户以色列扫除了巴力29可是,他重蹈尼八的儿子耶罗波安的覆辙,拜伯特利两地的金牛犊,使以色列人陷入罪中。 30耶和华对耶户说:“你已经做了我视为正的事,照我的意思除掉了亚哈一家,因此你的子孙必做以色列王,直到第四代。” 31耶户没有全心全意地遵守以色列的上帝耶和华的律法,却重蹈耶罗波安的覆辙,使以色列人陷入罪中。

耶户去世

32那时,耶和华开始削减以色列的领土。哈薛攻打以色列各处, 33侵占了约旦河以东的土地,包括基列全境,即迦得人、吕便人和玛拿西人住的地方,从亚嫩谷附近的亚罗珥起,直到基列巴珊34耶户其他的事及其一切所作所为和成就都记在以色列的列王史上。 35他与祖先同眠后葬在撒玛利亚,他儿子约哈斯继位。 36耶户撒玛利亚统治以色列二十八年。